राष्ट्रीय समाचार
‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद, दिल्ली हाईकोर्ट में गिरफ्तारियों के खिलाफ याचिका दाखिल

नई दिल्ली, 27 सितंबर। ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर प्रकरण में दर्ज एफआईआर और की गई गिरफ्तारियों का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। मुस्लिम संगठनों ने हाईकोर्ट में एफआईआर और गिरफ्तारियों के खिलाफ याचिका दाखिल की है।
भारतीय मुस्लिम छात्र संगठन और रजा अकादमी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका में कहा गया है कि उनकी आस्था की अभिव्यक्ति को सांप्रदायिक बताकर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और गिरफ्तारी की जा रही है, जो उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।
याचिका में मांग की गई है कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए और गिरफ्तार किए गए लोगों को तत्काल रिहा किया जाए। यह भी दलील दी गई है कि बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ जो शांतिपूर्वक अपना त्योहार मना रहे थे, उन पर दंगा करने, आपराधिक धमकी देने और शांति भंग करने का झूठा आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज कर दिए गए।
हाईकोर्ट में दायर याचिका के अनुसार, यह जनहित याचिका भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर की गई है। इसमें याचिकाकर्ताओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। ये सभी अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय से हैं और इन्हें 20 सिबंतर की एफआई में झूठे तरीके से फंसाया गया है। यह एफआईआर पुलिस स्टेशन काइसरगंज, जिला बहराइच में भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) की धारा 187 (जानबूझकर चोट पहुंचाने की सजा), 351 (आपराधिक धमकी), 187(2)/188 (दंगा/गैरकानूनी जमावड़ा) और 356 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत दर्ज की गई है।
याचिकाकर्ता साधारण लोग हैं, जो दिहाड़ी मजदूर, छात्र और परिवार वाले हैं। उनका एकमात्र अपराध यह है कि उन्होंने पोस्टर, बैनर और शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से अपने त्योहार मनाए। अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक अभिव्यक्ति के उनके अधिकार का सम्मान करने के बजाय, उन्हें बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा बिना किसी ठोस सबूत के बदनाम किया गया, निशाना बनाया गया और झूठे आरोप लगाए गए। सर्वोच्च न्यायालय ने बिजॉय इमानुएल बनाम केरल राज्य मामले (1986) 3 एससीसी 615 में कहा था कि धार्मिक आस्था के कारण राष्ट्रगान न गाने जैसे निष्क्रिय धार्मिक अभिव्यक्ति भी संविधान द्वारा संरक्षित है। इसी तरह त्योहार के हिस्से के रूप में पोस्टर और बैनर लगाने का याचिकाकर्ताओं का शांतिपूर्ण कार्य झूठी एफआईआर के माध्यम से अपराध नहीं हो सकता।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को झूठे मामले में फंसाना न सिर्फ अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह अनुच्छेद 14 और 15 द्वारा गारंटीकृत भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को भी नुकसान पहुंचाता है।
अपराध
बरेली विवाद : तौकीर रजा समेत अब तक 8 आरोपी भेजे गए जेल, पुलिस ने 10 एफआईआर दर्ज कीं

बरेली, 27 सितंबर। बरेली में शुक्रवार को हुए हंगामे के बाद पुलिस ने 10 एफआईआर दर्ज की हैं। मामले में 39 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। बरेली पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा को भी गिरफ्तार किया, जिन्हें अब 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
डीआईजी अजय साहनी ने मिडिया को बताया कि मामले में तौकीर रजा की भूमिका को देखते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक सामने आए तख्तों के आधार पर पता चला है कि इसमें तौकीर रजा की अहम भूमिका है। उनकी तरफ से एक हफ्ते पहले धरना प्रदर्शन की सूचना थी। पुलिस लगातार तौकीर रजा से संपर्क में रही।
डीआईजी के अनुसार, हंगामे को लेकर तौकीर रजा के संगठन के कुछ लोगों का नाम भी सामने आया है। उनके खिलाफ कुछ सबूत भी हैं। इन लोगों के नाम एफआईआर में भी दर्ज किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार की घटना के संबंध में अब तक कुल 10 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। डीआईजी ने यह भी बताया कि घटनास्थल से हथियार, खाली खोखे, कुछ बोतलें और घटना में इस्तेमाल की गई अन्य सामग्री बरामद की गई है। कुल 22 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और उनका इलाज चल रहा है।
बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जुमे की नमाज के बाद कुछ जगहों पर हिंसक प्रदर्शन किया गया। हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इस मामले में कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
एफआईआर को लेकर एसएसपी ने बताया कि घटनाओं को लेकर थाना कोतवाली में 5 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जबकि थाना बारादरी में दो और किला, प्रेम नगर और कैंट पुलिस थानों में एक-एक एफआईआर दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि कुल 8 अपराधियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। इसमें मौलाना तौकीर रजा भी शामिल हैं। कोर्ट के आदेश के बाद सभी 8 आरोपियों को जेल में भेजा गया है।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई : उद्योगपति नुस्ली नेविल वाडिया की बढ़ी मुश्किलें, 30 साल पुराने मामले में 7 लोगों पर एफआईआर

FIR
मुंबई, 24 सितंबर। मुंबई के बांगुर नगर पुलिस स्टेशन ने मशहूर उद्योगपति नुस्ली नेविल वाडिया और उनकी पत्नी समेत कई लोगों के खिलाफ 30 साल पुराने मामले में एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई फेरानी होटल्स प्राइवेट लिमिटेड की शिकायत पर बोरीवली मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद की गई।
मुंबई पुलिस के मुताबिक, उद्योगपति नुस्ली नेविल वाडिया (81), उनकी पत्नी मौरीन नुस्ली वाडिया (78), पुत्र नेस वाडिया (54), जहांगीर नुस्ली वाडिया (52), और अन्य सहित कुल सात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और वित्तीय लाभ के इरादे से नकली दस्तावेजों के इस्तेमाल के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318(4), 331(2), 336(3), 339, 340(2), 61(2), और 3(5) के तहत मामला दर्ज किया है।
शिकायत में आरोप है कि वाडिया परिवार और अन्य ने वित्तीय लाभ के लिए जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों का इस्तेमाल किया।
यह मामला मलाड में एक भूखंड से जुड़े 30 साल पुराने विकास समझौते से संबंधित है, जिसमें वाडिया और फेरानी होटल्स के बीच विवाद हुआ। फेरानी होटल्स को बिल्डर के. रहेजा के साथ मिलकर इस जमीन का विकास करना था, जिसमें वाडिया को बिक्री आय का 12 प्रतिशत हिस्सा मिलना था।
2008 में हिस्सेदारी और जमीन के प्रबंधन को लेकर विवाद शुरू हुआ, जो बॉम्बे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
फेरानी होटल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेंद्र चंदे (70) ने आरोप लगाया कि वाडिया परिवार ने 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक कमर्शियल मामले में जाली दस्तावेज पेश किए। चंदे ने 15 मार्च 2025 को बांगुर नगर पुलिस स्टेशन और 24 मार्च को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज की थी, लेकिन कार्रवाई न होने पर उन्होंने बोरीवली कोर्ट का रुख किया।
कोर्ट के आदेश पर अब पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
अपराध
मुंबई: पुलिस ने 75 वर्षीय महिला को धमकाने और 5 लाख रुपये का कीमती सामान चुराने के आरोप में 60 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया

crime
मुंबई: मलाड पुलिस ने एक 60 वर्षीय व्यक्ति को कथित तौर पर 75 वर्षीय महिला को चाकू की नोक पर धमकाने और 5 लाख रुपये मूल्य का कीमती सामान चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
सुंदरनगर निवासी और वरिष्ठ नागरिकों के एक व्हाट्सएप ग्रुप की सक्रिय सदस्य पीड़िता ने पुलिस को बताया कि ग्रुप में हुए किसी विवाद को लेकर आरोपी ने उसके घर पर उसका सामना किया। चाकू लेकर उसने पैसे मांगे। अपनी जान को खतरा होने पर महिला ने अपनी सोने की चेन, चूड़ियाँ और अंगूठियाँ दे दीं, जिन्हें जोशी लेकर भाग गया।
शुरुआत में, महिला पुलिस से संपर्क करने में हिचकिचा रही थी, क्योंकि उसे उम्मीद थी कि चोरी का सामान वापस मिल जाएगा। लेकिन जब कोई मुआवज़ा नहीं मिला, तो उसने शिकायत दर्ज कराई।
अकेली रहने वाली महिला अक्सर वरिष्ठ नागरिकों के समूह की गतिविधियों में शामिल होती है, जिनमें गायन और सामाजिक कार्यक्रम शामिल हैं। आरोपी, जो समूह का एक सदस्य भी है, कथित तौर पर इनमें से एक बातचीत में अपमानित महसूस कर रहा था, जिसके कारण पुलिस का मानना है कि उसने हमला किया। मलाड पुलिस ने उस व्यक्ति पर जबरन वसूली और आपराधिक धमकी का आरोप लगाया है। वह अभी हिरासत में है और जाँच जारी है।
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