खेल
ऑपरेशन ‘व्हाइट बॉल’ : 8 साल बाद भारत के पास फाइनल में पाकिस्तान से ‘बदला’ लेने का मौका
नई दिल्ली, 26 सितंबर। भारत-पाकिस्तान के बीच एशिया कप 2025 का खिताबी मैच रविवार को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा, जिसमें टीम इंडिया के पास पाकिस्तान से ‘बदला’ लेने का मौका है।
भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी बार किसी बड़े टूर्नामेंट में फाइनल साल 2017 में खेला गया था, जिसमें टीम इंडिया को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। आइए, इस मुकाबले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
भारत-पाकिस्तान की टीमें 18 जून 2017 को ‘चैंपियंस ट्रॉफी’ के फाइनल में उतरी थीं, जिसमें पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तानी टीम ने 50 ओवरों में 4 विकेट खोकर 338 रन बनाए।
पाकिस्तान को अजहर अली और फखर जमां की सलामी जोड़ी ने शानदार शुरुआत दिलाई। दोनों बल्लेबाजों के बीच 23 ओवरों में 128 रन की साझेदारी हुई। अजहर 71 गेंदों में 1 छक्के और 6 चौकों की मदद से 59 रन बनाकर आउट हुए।
इसके बाद फखर जमां ने बाबर आजम के साथ दूसरे विकेट के लिए 72 रन जुटाते हुए टीम को 200 रन तक पहुंचाया। फखर जमां 106 गेंदों में 114 रन बनाकर आउट हुए। उनकी इस पारी में 3 छक्के और 12 चौके शामिल थे।
इनके अलावा, बाबर आजम ने 46, जबकि मोहम्मद हफीज ने 37 गेंदों में नाबाद 57 रन टीम के खाते में जोड़े। भारत की तरफ से भुवनेश्वर कुमार, हार्दिक पांड्या और केदार जाधव 1-1 विकेट ही निकाल सके।
इसके जवाब में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही। टीम ने तीसरी ही गेंद पर रोहित शर्मा (0) का विकेट गंवा दिया। उस समय तक भारत अपना खाता भी नहीं खोल सका था।
यहां से विकेटों का पतझड़ लग गया और टीम ने 72 के स्कोर तक 6 विकेट खो दिए। शिखर धवन 21, जबकि युवराज सिंह 22 रन बनाकर पवेलियन लौट चुके थे।
यहां से हार्दिक पांड्या ने मोर्चा संभाला। उन्होंने रवींद्र जडेजा के साथ सातवें विकेट के लिए 80 रन की साझेदारी की, लेकिन 26.3 ओवर में पांड्या रन आउट हो गए।
पांड्या 43 गेंदों में 6 छक्कों और 4 चौकों की मदद से 76 रन बनाकर पवेलियन लौटे, जिसके बाद भारतीय टीम महज 30.3 ओवरों में 158 रन पर सिमट गई। पाकिस्तान ने यह मैच 180 रन से अपने नाम किया था।
अब एशिया कप 2025 में भारत के पास 8 साल पुरानी इस हार का बदला लेने का मौका होगा। टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने अब तक सभी 5 मुकाबले जीते हैं। पाकिस्तान को दो बार (7 विकेट और 6 विकेट) शिकस्त दी है। ऐसे में फैंस का मानना है कि फाइनल में टीम इंडिया का पलड़ा भारी रहेगा।
खेल
वनडे में रोहित और विराट का दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कैसा रिकॉर्ड है?

नई दिल्ली, 26 नवंबर: भारत और दक्षिण अफ्रीका टेस्ट सीरीज के बाद दोनों देशों के बीच 3 वनडे मैचों की सीरीज होने वाली है। वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम की घोषणा कर दी है। भारतीय टीम के दो पूर्व कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली इस सीरीज का हिस्सा हैं। रोहित और विराट की मौजूदगी ने सीरीज के रोमांच को बढ़ा दिया है।
रोहित शर्मा और विराट कोहली का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में अच्छा प्रदर्शन रहा था। रोहित ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले वनडे में फ्लॉप रहने के बाद दूसरे वनडे में अर्धशतक और तीसरे वनडे में शतक लगाया था। विराट पहले दो वनडे में खाता खोलने में कामयाब नहीं रहे थे, लेकिन तीसरे वनडे में बेहतरीन अर्धशतक लगाते हुए न सिर्फ फॉर्म में वापसी की बल्कि रोहित के साथ मिलकर भारत को बड़ी जीत भी उन्होंने दिलायी थी।
आइए जानते हैं कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे में रोहित और विराट के प्रदर्शन पर नजर डालते हैं।
रोहित शर्मा ने 2007 से 2023 के बीच दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 26 मैचों की 25 पारियों में 3 शतक और 2 अर्धशतक लगाते हुए 806 रन बनाए हैं। रोहित का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 150 है।
विराट कोहली ने 2010 से 2023 के बीच 31 मैचों की 29 पारियों में 5 शतक और 8 अर्धशतकों की मदद से 1,504 रन बनाए हैं। उनका औसत 65.39 है। विराट का सर्वाधिक स्कोर नाबाद 160 रन है।
रोहित और विराट सिर्फ वनडे फॉर्मेट खेलते हैं। विराट वनडे सीरीज में भाग लेने के लिए लंदन से लौट आए हैं।
तीन वनडे मैचों की सीरीज का पहला मैच रांची में, पहला वनडे 30 नवंबर को रांची में, दूसरा वनडे 3 दिसंबर को रायपुर में, और तीसरा वनडे 6 दिसंबर को विशाखापत्तनम में खेला जाएगा। वनडे सीरीज में इंजर्ड शुभमन गिल की जगह केएल राहुल टीम इंडिया के कप्तान हैं।
खेल
दीप्ति शर्मा के लिए गुजरात, दिल्ली और यूपी के बीच टक्कर दिख सकती है: अंजुम चोपड़ा

SPORT
नई दिल्ली, 25 नवंबर: विमेंस प्रीमियर लीग 2026 के लिए नीलामी 27 नवंबर को दिल्ली में होनी है। इस बार नीलामी में सबकी नजरें भारतीय टीम की स्टार ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा पर होंगी। भारतीय टीम की पूर्व कप्तान अंजुम चोपड़ा का मानना है कि दीप्ति के लिए नीलामी में गुजरात जायंट्स, दिल्ली कैपिटल्स और यूपी वॉर्रियर्ज के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा दिख सकती है।
जियोहॉटस्टार पर अंजुम चोपड़ा ने कहा, “दीप्ति की ऑलराउंडर क्षमता उन्हें सबसे अहम खिलाड़ी बना रही है। गुजरात जायंट्स को नीलामी में दीप्ति शर्मा पर जरूर विचार करना चाहिए। दिल्ली कैपिटल्स भी उन्हें एक भारतीय खिलाड़ी के तौर पर टारगेट कर सकती है। यूपी वॉरियर्ज भी उनमें फिर से दिलचस्पी दिखा सकती है।”
पूर्व खिलाड़ी वेदा कृष्णमूर्ति ने भी दीप्ति की तारीफ करते हुए कहा कि वह एक मैच विनर हैं। बल्ले और गेंद दोनों से शानदार रही हैं। नीलामी में उनकी मांग बहुत ज्यादा होगी और कई टीमें उनके लिए बोली लगाती दिखेंगी।
दीप्ति शर्मा ने महिला वनडे विश्व कप में भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी और प्लेयर ऑफ द सीरीज रही थीं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए फाइनल में दीप्ति ने गेंद और बल्ले से कमाल दिखाते हुए भारत की खिताबी जीत में यादगार भूमिका निभाई थी। इस ऑलराउंडर ने 58 रन बनाने के साथ ही 5 विकेट लिए थे। दीप्ति ने टूर्नामेंट में 215 रन बनाने के साथ ही 22 विकेट लिए थे।
इस दमदार प्रदर्शन के बावजूद यूपी वॉरियर्ज ने दीप्ति शर्मा को रिटेन नहीं किया था। इस वजह से उन्हें नीलामी में आना पड़ा। दीप्ति नीलामी में सबसे महंगी खिलाड़ी के रूप में उभर सकती हैं।
यूपी वॉर्रियर्ज की कप्तान रह चुकी दीप्ति ने 3 सीजन में खेले 25 मैचों में 507 रन बनाने के साथ ही 27 विकेट लिए हैं।
खेल
बॉडीलाइन सीरीज : क्रिकेट इतिहास का ‘काला अध्याय’, जिसकी वजह से नियम तक बदलने पड़े

Stadium
नई दिल्ली, 18 नवंबर: साल 1882 में एशेज सीरीज की शुरुआत ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मुकाबलों को रोमांचक बना दिया था, लेकिन 1932-33 में खेली गई सीरीज आज तक क्रिकेट इतिहास के काले अध्याय में दर्ज है। यह क्रिकेट इतिहास की सबसे विवादित सीरीज रही, जिसे ‘बॉडीलाइन सीरीज’ का नाम दिया गया। इस सीरीज के बाद क्रिकेट नियमों में बदलाव तक करने पड़े।
इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डिन ने ऑस्ट्रेलिया के महानतम बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन को रोकने के लिए ‘बॉडीलाइन’ रणनीति को अपनाया। इसमें गेंदबाज का लक्ष्य विकेट की जगह बल्लेबाजों की बॉडी थी।
ऑस्ट्रेलिया में खेली गई इस सीरीज में इंग्लैंड के गेंदबाज हेरोल्ड लॉरवुड और बिल वोज अपनी तेज गति की गेंदों को बल्लेबाज के शरीर को टारगेट करते हुए फेंकते थे, ताकि बल्लेबाज या तो डिफेंसिव शॉट खेले, या फिर गलत शॉट खेलकर कैच आउट हो जाए। लेग साइड पर कई फील्डर्स तैनात कर दिए जाते थे, ताकि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को रन तक बनाने का मौका ना मिल सके।
भले ही यह रणनीति उस समय क्रिकेट के नियमों का उल्लंघन नहीं करती थी, लेकिन यह खेल भावना के खिलाफ था। यह बल्लेबाजों की सुरक्षा के लिए खतरा था। परिणामस्वरूप, कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को गंभीर चोटें आईं। हेरोल्ड लारवुड की एक गेंद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बर्ट ओल्डफील्ड को लगी, जिसके चलते वह मैदान पर ही गिर पड़े।
इसी दौरान स्थानीय दर्शकों और इंग्लैंड की टीम के बीच तनाव बढ़ गया और आस-पास पुलिस तक तैनात करवानी पड़ी। इसके बाद दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों में तनाव देखने को मिला था।
इस पूरी सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज रन बनाने के लिए संघर्ष करते नजर आए और आखिरकार इंग्लैंड ने सीरीज 4-1 से अपने नाम कर ली।
इंग्लैंड ने सीरीज का पहला मैच 10 विकेट से जीता। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने वापसी करते हुए दूसरे टेस्ट को 111 रन से जीतकर सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली।
इंग्लैंड ने तीसरा मुकाबला 338 रन से जीतकर फिर से बढ़त बनाई। इसके बाद बिस्बेन में खेले गए चौथे टेस्ट को 6 विकेट से जीता और सिडनी में पांचवां और अंतिम मुकाबला 8 विकेट से अपने नाम किया।
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) को इस रणनीति के खिलाफ विरोध जताया। इसके परिणामस्वरूप क्रिकेट के नियमों में बड़े बदलाव किए गए। इस सीरीज के बाद से लेग साइड फील्ड सेटअप और शॉर्ट पिच गेंदबाजी पर बैन लगाया दिया।
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