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Tuesday,23-September-2025
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एच-1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी का भारतीय आईटी कंपनियों पर बहुत कम होगा असर : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 23 सितंबर। पिछले 10 वर्षों में बढ़ते लोकलाइजेशन और ऑफशोरिंग के कारण भारतीय आईटी सर्विस कंपनियों की एच-1बी वीजा पर घटती निर्भरता को देखते हुए वीजा फीस बढ़ाने से कंपनियों पर इसका प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है। यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

फ्रैंकलिन टेम्पलटन की रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर मध्यम अवधि में इसका असर देखने को मिल सकता है। अमेरिका में डिलीवरी की बढ़ी हुई लागत से कंपनियों को अपने ऑपरेटिंग मॉडल की दोबारा समीक्षा करने और बचाव की रणनीति अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

यह प्रभाव कंपनी का अमेरिका में विस्तार, ऑनसाइट वर्कफोर्स मिक्स और नॉन-लोकल टैलेंट पर निर्भरता को देखते हुए अलग-अलग हो सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “क्योंकि एच-1बी लॉटरी और याचिकाएं आमतौर पर Q4-Q1 में होती हैं, इसलिए वित्त वर्ष 27 पिटीशन साइकल में इसका असर दिखने की संभावना है। इसके जवाब में, सेवा प्रदाताओं के ऑफशोरिंग को तेज करने, कनाडा और मैक्सिको में नियरशोर ऑपरेशन का विस्तार करने, भौगोलिक विविधता के लिए यूरोप और एपीएसी में अधिग्रहण करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए ऑटोमेशन और एआई में निवेश करने की उम्मीद है।”

ये बदलाव भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर को प्रतिभा के लिए आकर्षक बना सकते हैं, खासकर जब ऑनसाइट अवसर कम हो रहे हों और ग्राहक बेहतर दर और दक्षता की मांग कर रहे हों।

भारत के इक्विटी मार्केट में निकट अवधि में कुछ अस्थिरता हो सकती है, लेकिन कुल मिलाकर मूल्यांकन ऐतिहासिक औसत की तुलना में अभी भी अधिक है।

वीक डिमांड आउटलुक के कारण पिछले 6-12 महीनों में आईटी सेक्टर का मूल्यांकन कम हुआ है।

घरेलू खपत में सुधार और निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी से भारतीय बाजार में कुल कॉर्पोरेट आय का आउटलुक बेहतर हो रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों के लिए अल्पकालिक चुनौतियां पैदा करते हैं बावजूद इसके भारत के मैक्रोइकॉनमिक आधार मजबूत बने हुए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 की दूसरी छमाही में अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते, मजबूत घरेलू मांग और कमाई में सुधार से मार्केट में आने वाली महीनों में सकारात्मक माहौल बन सकता है।

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मामूली बढ़त के साथ खुला भारतीय शेयर बाजार, शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 82,000 स्तर के पार

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मुंबई, 23 सितंबर। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को मामूली बढ़त के साथ खुला। शुरुआती कारोबार में ऑटो, आईटी और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में खरीदारी देखी गई।

सुबह 9:22 बजे सेंसेक्स 122.13 अंक या 0.15 प्रतिशत बढ़कर 82,282.10 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 35.85 अंक या 0.14 प्रतिशत बढ़कर 25,238.20 पर था।

निफ्टी बैंक इंडेक्स 26.30 अंक या 0.05 प्रतिशत की गिरावट के बाद 55,258.45 स्तर पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 12.95 अंक या 0.02 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,686.55 पर था। वहीं, निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 4.25 अंक या 0.02 प्रतिशत की बढ़त के साथ 18,293.15 पर कारोबार कर रहा था।

विशेषज्ञों के अनुसार, निफ्टी इंडेक्स के लिए निकट-अवधि की तेजी का सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक गिरावट 25,200-25,000 के स्तर से नीचे नहीं जाती।

उन्होंने कहा कि 25,238 के ऊपर रहने पर शुरुआती कारोबार में तेजी बनी रह सकती है, लेकिन तेजी बनाए रखने के लिए 25,278 और 25,335 के स्तर से ऊपर रहना होगा।

इस बीच, सेंसेक्स पैक में मारुति सुजुकी, एमएंडएम, टाटा मोटर्स, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा और एक्सिस बैंक टॉप गेनर्स रहे। दूसरी ओर, अल्ट्राटेक सीमेंट, सन फार्मा, ट्रेंट और एशियन पेंट्स टॉप लूजर्स की लिस्ट में शामिल रहे।

एशियाई बाजारों में, जकार्ता, बैंकॉक, जापान और सोल हरे निशान में थे, जबकि हांगकांग और चीन लाल निशान में थे।

अमेरिकी बाजारों में पिछले ट्रेडिंग सेशन में डाउ जोन्स 66.27 अंक या 0.14 प्रतिशत की बढ़त के साथ 46,381.54 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 29.39 अंक या 0.44 प्रतिशत की बढ़त के साथ 6,693.75 पर बंद हुआ, जबकि नैस्डैक 157.50 अंक या 0.70 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,788.98 पर बंद हुआ।

विश्लेषकों के अनुसार, सितंबर 2024 के पीक के बाद से बाजार पर दबाव का मुख्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लगातार बिकवाली रही है, जो भारत में हाई वैल्यूएशन और दूसरे बाजारों में आकर्षक वैल्यूएशन की वजह से देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एफआईआई ने 2024 में 1,21,210 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, और इस वर्ष अब तक एक्सचेंजों के माध्यम से 1,79,200 करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 22 सितंबर को 2,910.09 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 2,582.63 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।

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इस सप्ताह शेयर बाजार में बढ़त दर्ज, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और फेड रेट में कटौती बने कारण

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मुंबई, 20 सितंबर। इस सप्ताह भारतीय इक्विटी बेंचमार्क मंगलवार के कारोबारी दिन से लगातार तीन दिन बढ़त में रहने के बाद अंत में शुक्रवार को मामूली गिरावट के साथ बंद हुए। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता फिर से शुरू होने और फेड दर में कटौती के बीच बाजार दो महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचे तो निवेशकों ने मुनाफावसूली की।

आईटी और एफएमसीजी शेयरों में बिकवाली के दबाव के बावजूद बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स 0.85 प्रतिशत और 0.89 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी मामूली बढ़त के साथ बंद हुए।

पीएसयू बैंकों में तेजी जारी रही और निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 1 प्रतिशत से अधिक बढ़ा।

सेबी ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज कर दिया, जिसके बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में जोरदार खरीदारी हुई।

अदाणी एंटरप्राइजेज 6 प्रतिशत चढ़ गया, जबकि अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस, अदाणी पावर लिमिटेड और एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस लिमिटेड के शेयर भी मजबूत बढ़त के साथ बंद हुए। कुछ शेयर 12 प्रतिशत तक चढ़ गए।

टेक्निकली निफ्टी ने डेली फ्रेम पर एक बियरिश कैंडल बनाई, लेकिन लॉन्गर लोअर शैडो से लोअर लेवल पर स्मार्ट बाईंग का संकेत मिला। इंडेक्स ने वीकली फ्रेम पर एक बुलिश कैंडिल बनाई और पिछले तीन हफ्तों से निचले स्तर से ऊपर की ओर बढ़ रहा है।

अगस्त के निचले स्तर से बेंचमार्क इंडेक्स लगभग 4 प्रतिशत बढ़ा है।

विश्लेषकों ने कहा, “अगले सप्ताह जीएसटी में बदलाव लागू होने और त्योहारों की मांग बढ़ने की उम्मीद के साथ, निवेशकों का ध्यान खपत से जुड़े क्षेत्रों की ओर गया।”

आगे निवेशक फेड की नीति के बारे में संकेत पाने के लिए जीडीपी, जॉबलेस क्लेम और कोर महंगाई जैसे प्रमुख अमेरिकी मैक्रो इंडिकेटर पर करीब से नजर रखेंगे।

घरेलू मोर्चे पर आगामी मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई औद्योगिक माहौल का एक महत्वपूर्ण संकेत होगा, जिससे लंबे समय से प्रतीक्षित मांग में सुधार के शुरुआती संकेत मिलेंगे।

इस बीच, फेडरल रिजर्व द्वारा रेट कटिंग साइकल फिर से शुरू करने और आगे और अधिक छूट का संकेत देने के बाद अमेरिकी इक्विटी ने नए रिकॉर्ड स्तर को छुआ। डॉव, एसएंडपी 500 और नैस्डैक में 1 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई।

फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) ने टारगेट फेड फंड्स रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करने का फैसला किया। अनुमानों के अनुसार, 2025 में अमेरिका में रियल जीडीपी वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत, बेरोजगारी दर 4.5 प्रतिशत और कोर पीसीई मुद्रास्फीति दर 3.1 प्रतिशत रहेगी।

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वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़ रहा भारत का दबदबा, 2035 तक 9 प्रतिशत पहुंच जाएगी ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ में हिस्सेदारी

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मुंबई, 18 सितंबर। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का दबदबा तेजी से बढ़ता जा रहा है और 2035 तक ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ में देश की हिस्सेदारी बढ़कर 9 प्रतिशत हो जाएगी, जो कि 2024 में 6.5 प्रतिशत थी। यह बयान वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग में सचिव एम नागाराजू की ओर से गुरुवार को दिया गया।

देश की आर्थिक राजधानी में नेशनल बैंक फॉर फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआईडी) की ओर से आयोजित किए गए एनुअल इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉन्क्लेव 2025 में लोगों को संबोधित करते हुए एम नागाराजू ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भी देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है।

उन्होंने आगे कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बीते चार सालों से औसत 8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रही है। वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही थी, जो कि पिछली पांच तिमाही में सबसे अधिक है।

वित्तीय सेवा विभाग के सचिव के मुताबिक, हमारा एक्सटर्नल सेक्टर भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और पिछली तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का केवल 0.5 प्रतिशत रहा था।

देश का शुद्ध सर्विसेज निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है और इन सभी मजबूत कारणों के चलते देश आजादी के 100 साल पूरे होने तक यानी 2047 तक विकसित राष्ट्र बन सकता है।

नागाराजू के अनुसार, यह व्यापक आर्थिक सफलता की कहानी हमारी इन्फ्रास्ट्रक्चर महत्वाकांक्षाओं के लिए एक ठोस आधार तैयार करती है। यह दुनिया को बताती है कि भारत का विकास न केवल मजबूत है, बल्कि सुधारों और विवेकपूर्ण नीतियों से भी प्रेरित है, जो हमें वैश्विक विकास का एक प्रमुख इंजन और महामारी के बाद की वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को आकार देने में एक संभावित नेता बनाता है। अर्थव्यवस्था की मजबूती के पूरक के रूप में, भारतीय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र मजबूत स्तंभ के रूप में उभरे हैं।

वित्त वर्ष 2024-25 में सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों को क्रेडिट ग्रोथ में पीछे छोड़ दिया है। बीते एक दशक से अधिक समय में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ है। नॉन-परफॉरमिंग एसेट्स (एनपीए) एक प्रतिशत के नीचे जा चुकी हैं और कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो भी नियामक द्वारा निर्धारित किए गए मानकों से अधिक है, जो दिखाता है कि भारत का बैंकिंग सेक्टर मजबूत स्थिति में है।

कुल मिलाकर, ये रुझान एक मजबूत, पर्याप्त पूंजीकृत वित्तीय प्रणाली की ओर इशारा करते हैं जो विकसित भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

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