अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका द्वारा परमाणु स्थलों पर बमबारी के बाद ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की योजना बनाई: यह क्या है और इसका भारत और तेल की कीमतों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
नई दिल्ली: ईरानी मीडिया ने सोमवार को बताया कि ईरान अपने तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल शिपिंग गलियारों में से एक, होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की योजना बना रहा है।
इस कदम से वैश्विक ऊर्जा प्रवाह में गंभीर बाधा उत्पन्न हो सकती है, ऐसे समय में जब तेल बाजार पहले से ही बढ़ते क्षेत्रीय तनाव से प्रभावित है।
होर्मुज जलडमरूमध्य क्या है और यह क्यों आवश्यक है?
होर्मुज जलडमरूमध्य एक संकीर्ण लेकिन महत्वपूर्ण मार्ग है जो फारस की खाड़ी को अरब सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है। हालाँकि यह अपने सबसे तंग बिंदु पर 33 किमी तक फैला हुआ है, लेकिन वास्तविक शिपिंग लेन दोनों दिशाओं में सिर्फ़ 3 किमी चौड़ी हैं, जिससे चैनल के बाधित होने का ख़तरा बहुत ज़्यादा है।
यह जलमार्ग दुनिया के तेल और गैस के पांचवें हिस्से के परिवहन के लिए आवश्यक है। सऊदी अरब, इराक, यूएई, ईरान, कतर और कुवैत जैसे देशों से अधिकांश तेल निर्यात इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। ईरान द्वारा इस मार्ग को बंद करने या अवरुद्ध करने का कोई भी प्रयास इन आपूर्तियों को तुरंत खतरे में डाल देगा।
अतीत में, अमेरिका और यूरोप को यहां किसी भी व्यवधान का सबसे अधिक सामना करना पड़ता था। लेकिन अब एशिया, खासकर चीन और भारत जैसे देश, अगर जलडमरूमध्य बंद हो जाता है, तो सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
इसका भारत और तेल की कीमतों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारत के लिए, होर्मुज जलडमरूमध्य प्रतिदिन लगभग 2 मिलियन बैरल कच्चा तेल लाता है, जिसमें से कुल 5.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन आयात किया जाता है। हालांकि, ऊर्जा विशेषज्ञों और अधिकारियों का कहना है कि घबराने की कोई बात नहीं है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने में खर्च किया है। रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्राजील से आपूर्ति आसानी से उपलब्ध है और संभवतः किसी भी अल्पकालिक कमी को पूरा कर सकती है।
रूस के तेल आपूर्ति मार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य से जुड़े नहीं हैं। इसके बजाय, वे स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप के आसपास या प्रशांत महासागर से होकर गुजरते हैं। गैस के मोर्चे पर भी भारत काफी हद तक अप्रभावित है। इसका शीर्ष आपूर्तिकर्ता कतर एलएनजी भेजने के लिए जलडमरूमध्य का उपयोग नहीं करता है। ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका जैसे अन्य प्रमुख स्रोत भी भौगोलिक रूप से इस खतरे से दूर हैं।
ऐसा कहा जा रहा है कि तेल की कीमतें अभी भी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण प्रभावित हो सकती हैं। विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के कारण अल्पावधि में कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।
हालांकि, भारतीय केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह सूरी ने कहा कि अभी कीमत के बारे में अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा, “लंबे समय तक तेल की कीमत 65 से 70 के बीच थी। फिर यह 70 से 75 के बीच हो गई। सोमवार को जब बाजार खुलेंगे, तो होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने के नतीजों को ध्यान में रखा जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा, “लेकिन जैसा कि मैं लंबे समय से कह रहा हूं, वैश्विक बाजारों में पर्याप्त तेल उपलब्ध है। वैश्विक बाजारों में अधिक से अधिक तेल आ रहा है, खासकर पश्चिमी गोलार्ध से। यहां तक कि पारंपरिक आपूर्तिकर्ता भी आपूर्ति बनाए रखने में रुचि लेंगे क्योंकि उन्हें भी राजस्व की आवश्यकता होती है। इसलिए उम्मीद है कि बाजार इसे ध्यान में रखेगा। मोदी सरकार ने पिछले कई वर्षों में न केवल आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित की है, बल्कि सामर्थ्य भी सुनिश्चित किया है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेंगे।”
व्यापार
सितंबर 2025 में स्मार्टफोन एक्सपोर्ट ने बनाया नया रिकॉर्ड, इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में रोजगार के बढ़ेंगे अवसर : अश्विनी वैष्णव

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के विकास से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में जानकारी देते हुए कहा, “सितंबर 2025 में स्मार्टफोन एक्सपोर्ट ने 1.8 अरब डॉलर का नया रिकॉर्ड बनाया।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत से निर्यात होने वाले सभी सामानों की लिस्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अब तीसरे स्थान पर हैं। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के बढ़ने से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में ग्रोथ से हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी।
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन की हालिया रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि भारत का स्मार्टफोन निर्यात बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में 95 प्रतिशत बढ़कर 1.8 अरब डॉलर को पार कर गया है।
आईसीईए के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने निर्यात में हो रही इस लगातार बढ़ोतरी को लेकर कहा था कि यह प्रदर्शन दिखाता है कि भारत के मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की नींव मजबूत हो रही है।
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना (ईसीएमएस) के तहत 5,532 करोड़ रुपए की 7 परियोजनाओं के पहले चरण की मंजूरी की घोषणा की। योजना के तहत 36,559 करोड़ रुपए मूल्य के कलपुर्जों का उत्पादन होगा और 5,100 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।
इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), एचडीआई पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर क्लैड लैमिनेट और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म्स भारत में ही बनाई जाएंगी।
ईसीएमएस को घरेलू और वैश्विक दोनों कंपनियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। 1.15 लाख करोड़ रुपए के निवेश भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में अब तक की सबसे बड़ी निवेश प्रतिबद्धता है।
आज 5,532 करोड़ रुपये की सात परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है। इन परियोजनाओं से 36,559 करोड़ रुपये मूल्य के कलपुर्जों का उत्पादन होगा और 5,100 से ज़्यादा प्रत्यक्ष नौकरियां सृजित होंगी।
राष्ट्रीय समाचार
त्योहारी सीजन में बिक्री का ऑल-टाइम हाई पर पहुंचना, सकारात्मक बाजार धारणा का संकेत : वित्त मंत्री सीतारमण

MANTRI SITARAMAN
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत में त्योहारी सीजन में खुदरा बिक्री इस साल अपने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है, जो जीएसटी दरों को कम करने सहित हालिया आर्थिक नीतियों के प्रभाव को दर्शाता है।
गाजियाबाद में नए सीजीएसटी भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार इस प्रणाली को और भी अधिक कुशल, न्यायसंगत और विकास केंद्रीय बनाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि निरंतर सुधारों, समर्पण और टीम वर्क के साथ, हम राजस्व, अनुपालन और सेवा वितरण में नई ऊंचाइयों को छुएंगे।”
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, इस दीपावली के दौरान खुदरा बिक्री 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई – जो पिछले साल के 4.25 लाख करोड़ रुपए से 25 प्रतिशत अधिक है।
कुल बिक्री में से लगभग 5.40 लाख करोड़ रुपए वस्तुओं पर और 65,000 करोड़ रुपए सेवाओं पर खर्च किए गए, जिससे यह भारत के व्यापारिक इतिहास में सबसे बड़ा दीपावली कारोबार सीजन बन गया।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “ये आंकड़े हमें क्या बताते हैं कि हमारी आर्थिक नीतियों – जिसमें हाल ही में जीएसटी दरों को कम करना भी शामिल है – का सार्थक प्रभाव पड़ रहा है।”
वित्त मंत्री ने आगे कहा, “अच्छे काम करते रहें, सुधारों की गति बनाए रखें और हमेशा याद रखें कि हमारा अंतिम लक्ष्य ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनाना है।”
वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि अगली पीढ़ी का जीएसटी करदाताओं को अलग महसूस होना चाहिए। उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जा रहा है, क्योंकि वे देश के करदाता हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘जीएसटी बचत उत्सव’ वास्तव में ‘डबल दीपावली’ था।”
ई-कॉमर्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें वॉल्यूम में सालाना आधार पर 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि सकल व्यापारिक मूल्य में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
व्यापार
ऑस्ट्रेलिया भारत में अपना पहला फर्स्ट नेशंस बिजनेस मिशन करेगा लीड

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच माइनिंग पार्टनरशिप को मजबूत करने के उद्देश्य से ऑस्ट्रेलिया इस महीने भारत में अपना पहला फर्स्ट नेशंस बिजनेस मिशन लीड करने जा रहा है।
इस अवसर पर पार्टनरशिप के मौकों को तलाशने के लिए आठ ऑस्ट्रेलियाई माइनिंग इक्विपमेंट, टेक्नोलॉजी और सर्विसेज कंपनियां (एमईटीएस) 26 अक्टूबर से 3 नवंबर तक मुंबई, नई दिल्ली और कोलकाता का दौरा करेंगी।
डेलिगेशन पहले 26 से 28 अक्टूबर तक मुंबई उसके बाद 28 से 30 अक्टूबर दिल्ली और इसके बाद 30 अक्टूबर से 2 नवंबर तक कोलकाता के दौरे पर रहेगा। इस दौरान भारत के सबसे बड़े माइनिंग कॉन्फ्रेंस इंटरनेशनल माइनिंग, इक्विपमेंट एंड मिनरल्स एग्जीबिशन में अपनी विशेषज्ञता और इनोवेशन का प्रदर्शन करेंगे।
इस दौरे को लेकर ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिश्नर फिलिप ग्रीन ने कहा, “दुनिया भर में स्वदेशी अधिकारों को आगे बढ़ाने और फर्स्ट नेशंस ट्रेड और इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने में मदद करने की हमारी कोशिशों के तहत, ऑस्ट्रेलिया भारतीय अर्थव्यवस्था से ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत ऑस्ट्रेलियाई फर्स्ट नेशंस इंडस्ट्रीज के लिए एक बहुत अवसर पेश करता है। चाहे यह अवसर एग्रीफूड और नेटिव बोटैनिकल,कला, डिजाइन का निर्यात हो या साइबर, क्लीन एनर्जी या माइनिंग सॉल्यूशन डेवलप करना हो। ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस ऐतिहासिक बिजनेस मिशन को सपोर्ट करने पर गर्व महसूस करती है।
ऑस्ट्रेलियाई फर्स्ट नेशंस एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोग धरती की सबसे पुरानी लगातार चलने वाली सभ्यताओं में से एक हैं, जो 65,000 साल से भी अधिक पुरानी है। इनकी पहचान ऑस्ट्रेलिया के पहले डिप्लोमैट, ट्रेडर, इनोवेटर और ज्ञान रखने वालों के रूप में होती है।
इस डेलिगेशन को पर्थ यूएसएशिया सेंटर और चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया द्वारा ऑस्ट्रेलियाई सरकार की ओर से लीड किया जा रहा है। जो कि डीजल माइनिंग गाड़ियों को इलेक्ट्रिक में बदलने से लेकर फ्यूल एफिशिएंसी को बेहतर बनाने के लिए केमिकल बनाने, सेफ्टी, इंडस्ट्रियल गैस, इंजीनियरिंग और टेक्निकल सर्विसेज जैसे कई सेक्टरों में ऑस्ट्रेलियाई क्षमताओं का बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं।
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