अपराध
बिहार : तेज रफ्तार वाहन ने पुलिसकर्मियों को मारी टक्कर, ड्राइवर फरार
पटना, 12 जून। बिहार की राजधानी पटना में बुधवार देर रात को श्रीकृष्णापुरी थाना क्षेत्र के पास एक तेज रफ्तार वाहन ने ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को टक्कर मार दी। इस हादसे में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस हादसे के बारे में एसएसपी अवकाश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि एक तेज रफ्तार वाहन ने बैरिकेडिंग तोड़ते हुए पुलिस पर ही गाड़ी चढ़ा दी। इस हादसे में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस मामले में अब तक दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि ड्राइवर फरार है।
पुलिस की मानें तो इस घटना को अंजाम देने के बाद ड्राइवर तुरंत मौके से फरार हो गया था। हालांकि, पुलिस ने आश्वस्त किया है कि जल्द ही ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
पुलिस के मुताबिक, कार की पहचान कर ली गई है और जल्द ही रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर गाड़ी के मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
पुलिस का कहना है कि अभी तक यह साफ नहीं हो पा रहा है कि यह महज एक हादसा था या इसे जानबूझकर अंजाम दिया गया था। हालांकि, इस मामले की हर पहलू से जांच की जा रही है। ड्राइवर को पकड़ने के लिए जगह-जगह लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जा रहा है। अब तक कई कैमरे खंगाले भी जा चुके हैं। लेकिन, अभी तक कोई ऐसी जानकारी सामने नहीं आई है, जिससे किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके।
वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि गाड़ी की रफ्तार बहुत ज्यादा थी, इसलिए यह हादसा हो गया। अगर गाड़ी की स्पीड ज्यादा नहीं होती, तो इस तरह की स्थिति पैदा ही नहीं होती।
अस्पताल का कहना है कि इस हादसे में घायल हुए दो लोगों की हालत अब स्थिर है। वे खतरे से पूरी तरह से बाहर आ चुके हैं। घायल पुलिसकर्मियों में एक एएसआई और दो पुलिस कांस्टेबल हैं।
अपराध
दिल्ली से थार चोरी कर बिहार में बेचीं, पुलिस ने मुख्य आरोपी को किया गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली, 10 नवंबर: दिल्ली के रंजीत नगर थाना क्षेत्र में थार चोरी होने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को धर दबोचा। पुलिस ने उससे 1 लाख रुपए कैश, एक एप्पल आईपॉड, डिजाइनर गॉगल्स और महंगे जूते बरामद किए गए हैं। पूछताछ में पता चला कि वह अब तक कई लग्जरी एसयूवी चोरी की वारदात में शामिल रहा है।
28 अक्टूबर को उत्तराखंड निवासी एक व्यक्ति अपने दोस्त से मिलने के लिए दिल्ली आया था। उसने अपनी थार बाहर पार्क की थी। अगली सुबह उठने पर वाहन गायब मिला। इस संबंध में रंजीत नगर थाने में केस दर्ज हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएचओ रंजीत नगर त्रिभुवन नेगी के नेतृत्व और एसीपी/पटेल नगर सुनील कुमार गुप्ता की देखरेख में टीम बनाई गई।
टीम ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी सबूतों का गहराई से विश्लेषण किया। चोरी हुई थार में रखे एप्पल आईपॉड की लोकेशन को ट्रेस किया गया, जिससे गाड़ी की मूवमेंट सिकंदराबाद, बुलंदशहर (यूपी) तक ट्रैक हुई।
गुप्त ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने एक किराए के मकान की पहचान की। 31 अक्टूबर को जब संदिग्ध वहां पहुंचा तो टीम ने दबिश देकर अनिल ( 25 वर्ष) निवासी सिकंदराबाद को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में अनिल ने खुलासा किया कि उसने चोरी की गई थार को अपने साथी राजू की मदद से सीवान में 2.5 लाख रुपए में बेच दी। उसे 1 लाख रुपए कैश एडवांस में मिला था, जबकि बाकी रकम बाद में देने की बात तय हुई थी।
इसके बाद टीम ने बिहार में भी ऑपरेशन चलाया। सीसीटीवी फुटेज से दो व्यक्तियों की पहचान हुई जो आरोपी से डील कर रहे थे। इनमें से एक चोरी की थार लेकर हाईवे की ओर गया और दूसरा अनिल को रेलवे स्टेशन छोड़ने गया। पुलिस ने वहां इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल का रजिस्ट्रेशन ट्रेस किया, जो मोहम्मद कयूम नामक व्यक्ति तक पहुंचा। उसकी मोटरसाइकिल भी जब्त कर ली गई।
गिरफ्तार अनिल के खिलाफ दिल्ली के जामा मस्जिद, राजौरी गार्डन, कृष्णा नगर, आनंद विहार, फर्श बाजार और मानसरोवर पार्क थाने और उत्तर प्रदेश में 9 आपराधिक केस पहले से दर्ज हैं, जिनमें चोरी और आर्म्स एक्ट के मामले शामिल हैं।
पुलिस अब चोरी की गई एसयूवी की बरामदगी और फरार आरोपी राजू व बिहार में मौजूद वाहन के खरीदारों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
अपराध
मुंबई : चोरी के मामले में करीब 30 साल से फरार आरोपी गिरफ्तार

मुंबई : एक नाटकीय घटनाक्रम में, पुलिस ने आखिरकार एक ऐसे आदमी को गिरफ्तार कर लिया है जो डी.बी. मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज चोरी के एक मामले में करीब 30 साल से फरार था। वह गिरफ्तारी से बचने के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या से भाग गया था। आरोपी की पहचान द्विजेंद्र कमलप्रसाद दुबे (65) के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के गरवा का रहने वाला है। वह इंडियन पीनल कोड की धारा 381 (क्लर्क या नौकर द्वारा चोरी) के तहत दर्ज FIR के सिलसिले में 1995 से फरार था। लगभग तीन दशकों तक कोर्ट में पेश न होने के बाद, गिरगांव की 18वीं कोर्ट ने उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
एक टिप मिलने पर, सीनियर अधिकारियों के मार्गदर्शन में PSI अज़ीम शेख के नेतृत्व में एक पुलिस टीम को 26 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के बस्ती भेजा गया। 29 अक्टूबर को उसके घर पहुंचने पर, टीम को पता चला कि दुबे हाल ही में धार्मिक यात्रा के लिए अयोध्या गया था। हालांकि, जब आरोपी को बस्ती में मुंबई पुलिस टीम की मौजूदगी के बारे में पता चला, तो वह तुरंत लखनऊ के रास्ते मुंबई भाग गया।
अपराध
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: विधवा ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख कर पूर्व विधायक की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की

मुंबई: दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी की विधवा शहजीन जियाउद्दीन सिद्दीकी ने अपने पति की हत्या की जांच एक “स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी” को सौंपने की मांग करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया है।
वकील त्रिवणकुमार करनानी के माध्यम से दायर इस याचिका में मुंबई पुलिस पर राजनीतिक हस्तक्षेप और महत्वपूर्ण सबूतों को जानबूझकर दबाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले की सुनवाई अगले हफ़्ते होने की संभावना है।
सिद्दीकी (66) की 12 अक्टूबर 2024 की रात बांद्रा (पूर्व) स्थित उनके बेटे जीशान के कार्यालय के बाहर तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
शहज़ीन की याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस जानबूझकर असली दोषियों को गिरफ्तार करने से बच रही है और हत्या का आरोप लॉरेंस बिश्नोई के भाई गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई पर लगा रही है। उन्हें अपने पति की मौत के पीछे एक ताकतवर बिल्डर लॉबी और एक राजनीतिक नेता का हाथ होने का शक है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जाँचकर्ताओं ने सिद्दीकी के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं में लगे बिल्डरों की भूमिका की जाँच “जानबूझकर टाली” — ये वे क्षेत्र हैं जहाँ उन्होंने झुग्गीवासियों के शोषण का विरोध किया था। याचिका में कहा गया है, “सिद्दीकी हमेशा झुग्गीवासियों के लिए काम करते थे और कई डेवलपर्स उन्हें बाधा मानते थे। पुलिस ने इस पहलू की कभी जाँच नहीं की।”
इसमें आगे आरोप लगाया गया है कि स्पष्ट मकसद का खुलासा होने के बावजूद, पुलिस ने सिद्दीकी के बेटे, विधायक जीशान सिद्दीकी द्वारा नामित व्यक्तियों से पूछताछ नहीं की है। याचिका में कहा गया है, “जांच पहाड़ खोदकर चूहा निकालने जैसी लगती है।” साथ ही, यह भी कहा गया है कि व्हाट्सएप संदेशों और रिकॉर्डिंग रखने वाली “प्रमुख और महत्वपूर्ण गवाह” शहज़ीन से कभी पूछताछ नहीं की गई।
हत्या से पहले की घटनाओं का विवरण देते हुए, याचिका में कहा गया है कि सिद्दीकी ने अपनी हत्या से हफ़्तों पहले बार-बार सुरक्षा संबंधी चिंताएँ जताई थीं और पुलिस सुरक्षा बहाल करने की माँग की थी। 15 जुलाई, 2024 को उन्हें पृथ्वीजीत राजाराम चव्हाण नाम के एक व्यक्ति से एक “आपत्तिजनक और धमकी भरा संदेश” मिला।
25 जुलाई को उन्होंने पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा बहाल करने की मांग की, जबकि उनके बेटे जीशान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर Y+ सुरक्षा मांगी। आयुक्त कार्यालय ने अगले दिन सिद्दीकी के पत्र का संज्ञान लिया।
याचिका में अगस्त में अशोक मुंद्रा नामक व्यक्ति द्वारा सिद्दीकी के खिलाफ कथित तौर पर की गई अपमानजनक टिप्पणी का भी उल्लेख किया गया है। मुंद्रा, व्यवसायी मोहित कंबोज का सहयोगी बताया जाता है।
29 जुलाई को, सिद्दीकी ने अपनी पत्नी को धमकी भरे संदेश का एक स्क्रीनशॉट भेजा और उससे कहा कि अगर उसे कुछ हो जाए तो इसे संभाल कर रख ले। दो हफ़्ते बाद, उसने उसे मैसेज किया, “यह सही तरीका नहीं है,” और फिर लिखा, “ये कमीने बदमाशी कर रहे हैं।”
याचिका में मांग की गई है कि जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या वैकल्पिक रूप से न्यायालय की निगरानी वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) को सौंपी जाए तथा पुलिस को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाए।
हत्या के एक दिन बाद भारतीय न्याय संहिता, शस्त्र अधिनियम और बाद में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की कई धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई। जाँच डीसीबी सीआईडी की मुंबई स्थित विशेष इकाई को सौंप दी गई।
इस साल जनवरी में, पुलिस ने 26 गिरफ्तार आरोपियों के नाम से एक आरोपपत्र दाखिल किया, जिन पर मकोका के तहत मामला दर्ज किया गया था। अनमोल बिश्नोई को वांछित आरोपी बताया गया है, और अभियोजन पक्ष का दावा है कि उसने अपराध सिंडिकेट में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए हत्या का आदेश दिया था।
जून में, सिद्दीकी के परिवार ने बिश्नोई की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी, लेकिन उन्हें आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी देने से इनकार कर दिया गया। अगस्त में, उन्हें बताया गया कि विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों को प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा है।
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