राष्ट्रीय समाचार
हिंडन सिविल एयरपोर्ट का टर्मिनल अग्रिम आदेशों तक बंद, कई शहरों की फ्लाइट्स रद्द

गाजियाबाद, 8 मई। गाजियाबाद में हिंडन सिविल एयरपोर्ट का सिविल टर्मिनल अग्रिम आदेशों तक बंद कर दिया गया है, जिससे देश के कई शहरों के लिए निर्धारित उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। यह निर्णय सुरक्षा और रणनीतिक कारणों से लिया गया है। हिंडन एयरबेस से संचालित होने वाली सिविल उड़ानों को अब अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है। हिंडन एयरबेस वेस्टर्न एयर कमांड का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है,
हिंडन एयरपोर्ट से आमतौर पर प्रयागराज, गोरखपुर, फैजाबाद, पिथौरागढ़, देहरादून, चंडीगढ़, हुबली और अन्य शहरों के लिए उड़ानें संचालित होती थीं। ये उड़ानें घरेलू यात्रियों को सस्ती और सुविधाजनक हवाई सेवा प्रदान करती थीं। एयरपोर्ट के बंद होने से न केवल यात्रियों को असुविधा हुई है, बल्कि स्थानीय व्यवसायों और पर्यटन क्षेत्र पर भी असर पड़ने की संभावना है।
एविएशन कंपनियों ने यात्रियों को बुकिंग राशि वापस करनी शुरू कर दी है। कई यात्रियों को पहले ही ईमेल और एसएमएस के माध्यम से फ्लाइट कैंसिलेशन की सूचना दी जा चुकी है। इसके साथ ही वैकल्पिक यात्रा विकल्पों की भी जानकारी दी जा रही है। इंडिगो और स्टार एयर जैसी कंपनियों ने यात्रियों को पूर्ण रिफंड या अगली उपलब्ध उड़ान में स्थानांतरण का विकल्प दिया है।
गाजियाबाद प्रशासन और एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा इस बंदी को लेकर कोई आधिकारिक बयान अब तक जारी नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह निर्णय भारतीय वायुसेना के संचालन को प्राथमिकता देने के तहत लिया गया है। चूंकि हिंडन एयरबेस सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण है, इसलिए एयरफोर्स द्वारा विशेष अभियान या अभ्यास के कारण सिविल टर्मिनल को अस्थायी रूप से बंद किया गया है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फ्लाइट से जुड़ी जानकारी के लिए संबंधित एयरलाइन से संपर्क करें और यात्रा से पहले स्थिति की पुष्टि कर लें।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह बंदी कितने समय तक प्रभावी रहेगी। ऐसे में यात्रियों और ट्रैवल एजेंसियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस अस्थायी बंदी का असर विशेष रूप से उन यात्रियों पर पड़ रहा है, जो एनसीआर क्षेत्र से छोटे शहरों की कनेक्टिविटी के लिए हिंडन एयरपोर्ट पर निर्भर थे। यात्रियों को अब वैकल्पिक रूप से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली से उड़ानों का सहारा लेना पड़ सकता है, जिससे यात्रा समय और खर्च दोनों में बढ़ोतरी होगी।
राष्ट्रीय समाचार
जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा: सुप्रीम कोर्ट बोला, जमीनी हकीकत पर होगा फैसला

नई दिल्ली, 14 अगस्त। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि इस मुद्दे पर फैसला लेते समय जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं और इन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है।
इस मामले में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की दिशा में कदम उठा रही है, लेकिन वर्तमान में वहां कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां बनी हुई हैं। उन्होंने याद दिलाया कि चुनावों के बाद राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन पहले ही दिया जा चुका है, परंतु मौजूदा हालात को देखते हुए यह प्रश्न अभी क्यों उठाया जा रहा है, यह स्पष्ट नहीं है।
मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि सरकार की आधिकारिक राय प्रस्तुत करने के लिए उन्हें 8 हफ्ते का समय दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई आठ हफ्ते बाद तय करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेते समय सुरक्षा और स्थिरता के पहलुओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
जहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में लगातार हो रही देरी”जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है और संघवाद की अवधारणा का भी उल्लंघन कर रही है। आवेदकों का तर्क है कि समयबद्ध सीमा के भीतर राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद का उल्लंघन है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
पहले की सुनवाई में एसजी मेहता ने अदालत को बताया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय कोई विशिष्ट समय-सीमा नहीं बता सकता और राज्य का दर्जा बहाल करने में “कुछ समय” लगेगा। मई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है” और मामले को खुली अदालत में सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया।
राजनीति
विधानसभा विजन डॉक्यूमेंट: नॉनस्टॉप चर्चा जारी, अखिलेश का तंज सोती रही सरकार

लखनऊ, 14 अगस्त। उत्तर प्रदेश विधानमंडल में विकसित भारत विकसित उत्तर प्रदेश पर बुधवार से सदन में चर्चा जारी है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सरकार पर बड़ा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि सोती रही सरकार जागता रहा विपक्ष। विधानसभा में विजन डॉक्यूमेंट में चर्चा के बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा।
उन्होंने सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव की दो वीडियो साझा की। जिसमें वह सो रहे हैं। वहीं एक वीडियो में विपक्ष जागते हुए दिखे। जिसमें सपा विधायक पंकज मालिक, कमाल अख्तर, फहीम, अतुल प्रधान, संग्राम यादव नजर आ रहे।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि सोती रही सरकार, जागता रहा विपक्ष।भाजपा ने 24 घंटे का सदन चलाकर साबित कर दिया है कि वो प्रदेश चलाने में कितना पिछड़ गये हैं, इसीलिए चौबीसों घंटे काम करने की बात कर रहे हैं। भाजपा सरकार बताए कि उसके मुखिया से लेकर मंत्री व कितने विधायक चौबीसों घंटे उपस्थित रहे। जनता 24 घंटे सदन चलाने के पीछे का तर्क पूछ रही है। दिन घटा के और घंटे बढ़ाकर सरकार क्या हासिल करना चाहती है। भाजपा कम-से-कम सदन को तो अपनी इवेंटबाजी से दूर ही रखे। रात भर जागकर भाजपाई खुद को क्या साबित करना चाहते हैं?
उधर, सदन में सपा की बागी विधायक पूजा पाल ने भाजपा राज में कानून व्यवस्था को लेकर सकारात्मक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज़ीरो टॉलरेंस जैसी नीतियां लागू करके मुझ जैसी कई महिलाओं को न्याय दिलाया, जिसके कारण अतीक अहमद जैसे अपराधी मारे गए। उन्होंने कहा कि सब जानते हैं कि मेरे पति की हत्या किसने की मैं मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे न्याय दिलाया और मेरी बात तब सुनी जब किसी और ने नहीं सुनी।
उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने प्रयागराज में जीरो टॉलरेंस नीतियां लागू करके मुझ जैसी कई महिलाओं को न्याय दिलाया, जिसके कारण अतीक अहमद जैसे अपराधी मारे गए। आज पूरा प्रदेश मुख्यमंत्री की ओर भरोसे से देखता है। ‘मेरे पति के हत्यारे अतीक अहमद को मुख्यमंत्री ने मिट्टी में मिलाने का काम किया। मैंने तब आवाज उठाई जब मैंने देखा कि कोई भी अतीक अहमद जैसे अपराधियों के खिलाफ लड़ना नहीं चाहता। जब मैं इस लड़ाई से थकने लगी, तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे न्याय दिलाया। “
उत्तर प्रदेश मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा कि ऐतिहासिक सदन चला है। सदन की परिचर्चा इतिहास के पन्नों में दर्ज की जाएगी। मंथन के बाद जो अमृत निकल रहा है, उससे विकास की गाथाएं लिखी जाएंगी और उससे हमारी आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित होंगी। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री ओपी राजभर ने यूपी विधानसभा में ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर 24 घंटे चल रही चर्चा पर कहा कि 18 मंडल में अटल आवासीय विद्यालय खोलकर गरीब और कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।
विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि किसी और देश ने आस्तीन के सांप नहीं पाले हैं लेकिन हमने कई आस्तीन के सांप पाले हुए हैं।
अपराध
महाराष्ट्र के मालाड में पीएम मुद्रा योजना के नाम पर 33 लाख की ठगी, पुलिस ने दर्ज किया मामला

मुंबई, 14 अगस्त। मुंबई के मालाड इलाके से साइबर ठगी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। तीन साइबर ठगों ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन दिलाने के नाम पर एक स्थानीय व्यवसायी से करीब 33 लाख रुपए की ठगी की।
मुंबई पुलिस के नॉर्थ रीजनल डिवीजन के साइबर सेल ने इस मामले में नितिन कुमार, अश्विन कुमार और दयाशंकर मिश्रा नाम के आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
मुंबई पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ता मालाड में इमिटेशन ज्वेलरी पैकेजिंग का कारोबार करते हैं और अपने व्यापार को विस्तार देने के लिए 10 लाख रुपए का लोन चाहते थे। जून 2025 में उन्होंने एक मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए ऋण के लिए आवेदन किया। कुछ दिनों बाद उन्हें नितिन कुमार नामक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को मुंबई के बीकेसी स्थित प्रधानमंत्री मुद्रा योजना कार्यालय का कर्मचारी बताया। नितिन ने दावा किया कि 10 रुपए लाख का ऋण मंजूर हो गया है और आवेदन के साथ उनके व्यक्तिगत दस्तावेज मांगे। उसने व्हाट्सऐप पर एक ‘एप्रूवल लेटर’ भी भेजा।
इसके बाद नितिन ने प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्क के नाम पर रकम की मांग शुरू कर दी। इसी दौरान अश्विन कुमार नामक एक अन्य व्यक्ति ने शिकायतकर्ता को फोन किया और खुद को स्टेट बैंक का कर्मचारी बताया। उसने अपना पहचान पत्र व्हाट्सऐप पर भेजकर विश्वास जीतने की कोशिश की। विभिन्न बहानों से अश्विन ने तुरंत भुगतान करने का दबाव बनाया और शिकायतकर्ता ने कई बैंक खातों में 9,53,177 रुपए ट्रांसफर कर दिए। रकम का इंतजाम करने के लिए शिकायतकर्ता ने अपने दोस्तों से भी उधार लिया, जिन्होंने सीधे आरोपियों के खातों में 46,251 रुपए भेजे।
इसके बावजूद शिकायतकर्ता के खाते में कोई ऋण राशि नहीं आई। बाद में उन्होंने उन खातों में से एक के मालिक से संपर्क किया, जिसने खुद को एक वित्त कंपनी का दयाशंकर मिश्रा बताया। दयाशंकर ने भी लोन दिलाने का झांसा देकर प्रोसेसिंग और अन्य शुल्क के नाम पर 18,73,700 रुपए वसूल लिए, लेकिन कोई ऋण नहीं दिया।
धोखाधड़ी का एहसास होने पर पीड़ित ने स्थानीय पुलिस और नॉर्थ रीजनल साइबर सेल से संपर्क किया। पुलिस अब उन बैंक खातों की जांच कर रही है, जिनमें ठगी की गई रकम जमा की गई थी। मुंबई पुलिस ने कहा कि आगे की जांच जारी है और आरोपियों को पकड़ने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
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