खेल
हर दिन होना चाहिए महिला दिवस : साक्षी मलिक

नई दिल्ली, 7 मार्च। भारत की प्रसिद्ध महिला पहलवान साक्षी मलिक ने मीडिया से बातचीत के दौरान महिला दिवस के मौके पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने न केवल अपने व्यक्तिगत अनुभवों को उजागर किया, बल्कि समाज में बदलते परिवेश और महिलाओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। ओलंपिक मेडलिस्ट साक्षी मलिक का मानना है कि महिलाओं के संघर्ष और योगदान को केवल एक दिन तक सीमित नहीं करना चाहिए।
साक्षी मलिक का कहना है कि महिलाओं को किसी एक खास दिन, जैसे 8 मार्च को मनाया जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। उनके अनुसार, हर दिन महिला दिवस होना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए बताया कि एक महिला अपने जीवन में कई तरह के संघर्षों का सामना करती है।
साक्षी ने कहा, “जब मैंने कुश्ती शुरू की थी, तब मुझे बेहद कम संसाधनों के साथ तैयारी करनी पड़ी थी। इन कठिनाइयों के बावजूद मैंने न केवल अपने करियर में सफलता हासिल की, बल्कि मां बनने के बाद भी अपने कार्यों को संतुलित किया। एक मां के पास कई जिम्मेदारियां होती हैं और वह इन सभी को एक साथ संभाल सकती है। इसलिए, महिलाओं के योगदान को हर दिन सम्मान मिलना चाहिए।”
साक्षी ने कहा कि पहले हरियाणा में लड़के और लड़कियों के बीच बहुत भेदभाव होता था। लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आया है। उन्होंने अपने मेडल जीतने के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि उनकी सफलता ने समाज की सोच को बदलने में मदद की। महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियों पर फिल्में बनीं, जिसके बाद लोग अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हुए। आज लड़कियां हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं, चाहे वह खेल हो या कोई अन्य क्षेत्र। साक्षी ने हाल के ओलंपिक का उदाहरण दिया, जहां हरियाणा की मनु भाकर ने इतिहास रचकर यह साबित कर दिया कि लड़कियां किसी से कम नहीं हैं।
साक्षी का मानना है कि अगर कोई महिला अपने लक्ष्य को लेकर दृढ़ संकल्पित, केंद्रित और अनुशासित है, तो वह कुछ भी हासिल कर सकती है। उन्होंने महिला खिलाड़ियों के सामने आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “महिला खिलाड़ी का खेल करियर बहुत छोटा होता है। हम इतना लंबा नहीं खींच पाते हैं क्योंकि बहुत सारी चीजें सोचनी पड़ती हैं। मेरा महिला खिलाड़ियों को यही संदेश है कि बिना डरे और घबराए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। हमने भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाया, उसके खिलाफ लड़ना सीखा और आंदोलन भी किया। मैं यही कहूंगी कि आप किसी भी क्षेत्र में हों, कार्य करते रहिए। देश के लिए अच्छा कार्य करते रहें।”
हालांकि उन्होंने कुश्ती छोड़ दी है, लेकिन वह खेल से जुड़ी रहना चाहती हैं। बच्चों को सिखाना चाहती हैं। अभी वह अपने कुछ महीनों की बच्ची की देखभाल के साथ-साथ फिटनेस पर भी ध्यान दे रही हैं।
महिला खिलाड़ियों को संदेश देने पर साक्षी ने कहा, “आप अपना लक्ष्य तय कीजिए और ईमानदारी से उस पर कार्य कीजिए। आप 100 प्रतिशत सफलता हासिल करेंगे। मैंने अपने जीवन में यही अनुभव किया है।”
खेल
ब्रेकिंग! जसप्रीत बुमराह को उनके कार्यभार को प्रबंधित करने के लिए इंग्लैंड बनाम भारत दूसरे टेस्ट के लिए आराम दिया जाएगा, रिपोर्ट का दावा

टीम इंडिया कथित तौर पर 2 जून से बर्मिंघम के एजबेस्टन में इंग्लैंड के खिलाफ शुरू होने वाले निर्णायक दूसरे टेस्ट के लिए जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दाएं हाथ के तेज गेंदबाज को कार्यभार प्रबंधन के कारण खेल के लिए आराम दिया जाना तय है।
टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि दाएं हाथ का यह तेज गेंदबाज चोटिल होने की संभावना के कारण दौरे के दौरान केवल तीन टेस्ट ही खेलेगा। 31 वर्षीय इस खिलाड़ी को इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया दौरे के अंतिम चरण में पीठ में चोट लग गई थी, जिसके कारण वह सीरीज के अंतिम दिन गेंदबाजी करने में असमर्थ हो गए थे।
लीड्स के हेडिंग्ले में टीम इंडिया की पांच विकेट से हार के दौरान बुमराह का कार्यभार भी काफी अधिक रहा। उन्होंने पहली पारी में 24.4 ओवर और दूसरी पारी में 20 ओवर फेंके, लेकिन बाद की पारी में उन्हें कोई विकेट नहीं मिला। अर्शदीप सिंह और आकाश दीप टीम में दो अन्य अतिरिक्त गेंदबाज हैं, लेकिन बुमराह के बिना मेहमान टीम दबाव में होगी, जो एक बेहतरीन विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं।
लीड्स में पहले टेस्ट के बाद गंभीर ने कहा कि भारत बुमराह को सिर्फ़ तीन टेस्ट में खिलाने की योजना में कोई बदलाव नहीं करेगा। बीबीसी स्पोर्ट के हवाले से पूर्व भारतीय ओपनर ने कहा:
“हम इसमें कोई बदलाव नहीं करेंगे। हमारे लिए उनके कार्यभार का प्रबंधन करना अधिक महत्वपूर्ण है। आगे बहुत सारा क्रिकेट होना है। देखते हैं कि उनका शरीर कैसा रहता है। हमने अभी यह तय नहीं किया है कि वह कौन से दो अन्य मैच खेलेंगे।”
राजनीति
अमेरिकी नेता जोहरान ममदानी पर कंगना रनौत नाराज, बोलीं- ‘भारतीय कम और पाकिस्तानी ज्यादा लगते हैं’

नई दिल्ली, 26 जून। बॉलीवुड अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद कंगना रनौत ने गुरुवार को भारतीय मूल के अमेरिकी नेता जोहरान ममदानी की आलोचना की। जोहरान ममदानी प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे हैं और न्यूयॉर्क सिटी के मेयर हैं। कंगना ने उन पर हिंदू विरोधी और पाकिस्तान समर्थक विचार रखने का आरोप लगाया।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री कंगना रनौत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने जोहरान ममदानी के भारत को लेकर नफरत भरे विचारों पर हैरानी जताई।
कंगना ने कैप्शन में लिखा, “वह भारतीय कम और पाकिस्तानी ज्यादा लगते हैं।”
कंगना रनौत ने मीरा नायर के गुजराती मूल के मशहूर लेखक महमूद ममदानी से शादी का जिक्र किया। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसा क्यों लगता है कि उनका बेटा हिंदू धर्म को खत्म करना चाहता है।
कंगना ने तंज करते हुए लिखा, “उनकी मां मीरा नायर हैं, जो भारत की मशहूर फिल्म निर्माता हैं, पद्मश्री से सम्मानित, भारत में जन्मीं और पली-बढ़ीं, अब न्यूयॉर्क में रहती हैं। उन्होंने गुजराती मूल के प्रसिद्ध लेखक महमूद ममदानी से शादी की। उनका बेटा जोहरान ममदानी है, वह भारतीय से ज्यादा पाकिस्तानी लगता है।”
उन्होंने आगे कहा, “उनकी हिंदू पहचान या वंश के साथ जो कुछ भी हुआ, लेकिन अब वो हिंदू धर्म को मिटाने के लिए तैयार हैं, वाह!! हर जगह एक ही कहानी है।”
बता दें कि ममदानी कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। उन्होंने 2 अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के विरोध में टाइम्स स्क्वायर में प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। बीते मई में उन्होंने पीएम मोदी की तुलना इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से की थी।
उन्होंने नेतन्याहू को युद्ध अपराधी करार दिया और वहीं 2002 के गुजरात दंगों की चर्चा करते हुए पीएम मोदी पर नरसंहार का आरोप लगाया था। इससे भारतीय-अमेरिकी समुदाय में उनके प्रति काफी गुस्सा है।
जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव में पूर्व गवर्नर एंड्रयू क्युमो को हराकर बड़ी जीत हासिल की थी।
जीत के बाद उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा था, ”मुश्किल से मुश्किल काम भी नामुमकिन लगता है, जब तक वह पूरा नहीं हो जाए। मेरे दोस्तों, यह पूरा हो चुका है।”
राजनीति
सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती शिबू सोरेन की हालत स्थिर, राष्ट्रपति ने की मुलाकात

रांची, 26 जून। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को नई दिल्ली में सर गंगा राम हॉस्पिटल पहुंचकर इलाजरत झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
उन्होंने शिबू सोरेन के बड़े पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और परिवार के अन्य सदस्यों से भी मुलाकात की और उनके इलाज के संबंध में बातचीत की।
राष्ट्रपति के आधिकारिक “एक्स” हैंडल पर इसकी जानकारी दी गई है। राष्ट्रपति के साथ अस्पताल में हेमंत सोरेन से बातचीत की तस्वीर भी साझा की गई है।
एक्स हैंडल पर लिखा गया है, “भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर गंगाराम अस्पताल में इलाजरत झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से मुलाकात की। उन्होंने शिबू सोरेन के पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।”
लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे 81 वर्षीय शिबू सोरेन को कुछ दिन पहले नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में दाखिल कराया गया है। बताया गया है कि उनकी हालत स्थिर है। उनके पुत्र झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी दो दिन पूर्व दिल्ली पहुंचे। शिबू सोरेन की बहू विधायक कल्पना सोरेन, उनके छोटे पुत्र विधायक बसंत सोरेन सहित परिवार के कई लोग दिल्ली में मौजूद हैं।
बुधवार की रात झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने भी अस्पताल में शिबू सोरेन से मुलाकात की थी और मौके पर उपस्थित चिकित्सकों से उनके उपचार की प्रगति के संबंध में चर्चा की थी।
राज्यपाल ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। शिबू सोरेन झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के प्रमुख नेता रहे हैं। झारखंड के आदिवासी समाज ने दशकों पहले उन्हें ‘दिशोम गुरु’ (देश का गुरु) का दर्जा दिया था। वह आम लोगों के बीच ‘गुरुजी’ के रूप में जाने जाते हैं। सोरेन केंद्र की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
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