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हरे निशान पर खुला भारतीय शेयर बाजार, सेंसेक्स 74,600 स्तर से ऊपर
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मुंबई, 25 फरवरी। भारतीय बेंचमार्क सूचकांक मंगलवार को हरे निशान में खुले। शुरुआती कारोबार में मीडिया और ऑटो सेक्टर में खरीदारी दर्ज की गई।
सुबह करीब 9.36 बजे सेंसेक्स 192.68 अंक या 0.26 प्रतिशत की बढ़त के साथ 74,647.09 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 33.85 अंक या 0.15 प्रतिशत चढ़कर 22,587.20 पर था।
निफ्टी बैंक 33.70 अंक या 0.07 प्रतिशत की बढ़त के साथ 48,685.65 पर था। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 324.70 अंक या 0.65 प्रतिशत की गिरावट के बाद 49,688.40 पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 95.10 अंक या 0.61 प्रतिशत की गिरावट के बाद 15,382.20 पर था।
विशेषज्ञों के अनुसार, निफ्टी ने निचले स्तर को ब्रेक किया और इसके नीचे बंद हुआ । साथ ही, निफ्टी सपोर्ट लाइन से नीचे बंद हुआ। सपोर्ट लेवल टूटने के बाद मंदी का रुख नीचे की ओर गति पकड़ सकता है।
पीएल कैपिटल के प्रमुख सलाहकार विक्रम कासट ने कहा, “नीचे की ओर झुके चैनल का लोअर एंड 22100 स्तर पर है। 22820 एक महत्वपूर्ण प्रतिरोध स्तर होने के साथ-साथ ट्रेंड रिवर्सल भी होगा।”
इस बीच, सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, जोमैटो, मारुति सुजुकी, नेस्ले इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, बजाज फिनसर्व, भारती एयरटेल और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप गेनर्स रहे। जबकि, एलएंडटी, टेक महिंद्रा, टीसीएस, पावरग्रिड, सन फार्मा, एनटीपीसी, एचसीएल टेक, अल्ट्राटेक सीमेंट और टाइटन टॉप लूजर्स रहे।
अमेरिकी बाजारों में पिछले कारोबारी सत्र में, डाउ जोंस 0.08 प्रतिशत चढ़कर 43,461.21 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 इंडेक्स 0.50 प्रतिशत गिरकर 5,983.25 पर और नैस्डैक 1.21 प्रतिशत गिरकर 19,286.93 पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों में, सोल, चीन, बैंकॉक, जापान, जकार्ता और हांगकांग लाल निशान में कारोबार कर रहे थे।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अपनी बिकवाली जारी रखी और 24 फरवरी को 6,286.70 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इस बीच, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने अपनी खरीददारी जारी रखते हुए उसी दिन 5,185.65 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
चॉइस ब्रोकिंग के हार्दिक मटालिया ने कहा, “मौजूदा बाजार की गतिशीलता को देखते हुए, व्यापारियों को सावधानी बरतने और नए सौदे शुरू करने से पहले क्रिटिकल लेवल पर प्राइस एक्शन के कन्फर्मेशन का इंतजार करने की सलाह दी जाती है।”
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सेबी ने डेरिवेटिव्स मार्केट में स्टॉक्स में हेराफेरी को रोकने के लिए दिया नया प्रस्ताव
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मुंबई, 25 फरवरी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट के ओपन इंटरेस्ट (ओआई) के कैलकुलेशन के तरीके में बड़े बदलाव का प्रस्ताव दिया है।
सेबी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट के ओआई के कैलकुलेशन के लिए मौजूदा ‘नोशनल वैल्यू’ की जगह ‘फ्यूचर इक्विलेंट’ पद्धति पर जाने का सुझाव दिया गया है।
इस बदलाव के पीछे सेबी का उद्देश्य उस प्रथा को रोकना है, जिसके तहत डेरिवेटिव्स शेयरों को हेराफेरी के जरिए बैन में धकेल दिया जाता है।
सेबी ने बताया कि मौजूदा नोशनल वैल्यू मेथड में सभी फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल वैल्यू को बिना वास्तविक मार्केट रिस्क को देखे जोड़ा जाता है और इससे लगता है कि स्टॉक में काफी ज्यादा कारोबार हुआ है। इस स्थिति में स्टॉक बैन में चला जाता है, जब रिस्क ज्यादा भी नहीं होता।
वहीं, प्रस्तावित फ्यूचर इक्विलेंट मेथड में ओपन इंटरेस्ट का कैलकुलेशन कुल वैल्यू की जगह स्टॉक के साथ कॉन्ट्रैक्ट कितना चलता है, इस आधार पर की जाएगी।
यह बाजार जोखिम की अधिक सटीक तस्वीर प्रस्तुत करेगा और अनावश्यक ट्रेडिंग प्रतिबंधों को कम करेगा।
डेरिवेटिव्स मार्केट में कोई स्टॉक तभी बैन में जाता है, जब उसकी ट्रेडिंग लिमिट टूट जाती है। इस स्थिति में ट्रेडर अपनी मौजूदा पॉजिशन को समाप्त कर सकता है, लेकिन फ्यूचर्स और ऑप्शंस में नई पॉजिशन नहीं ले सकता है।
सेबी का मानना है कि कैलकुलेशन पद्धति बदलने से शेयरों के प्रतिबंध अवधि में प्रवेश करने की आवृत्ति कम हो जाएगी, जिससे छोटे निवेशकों के लिए व्यापार करना आसान हो जाएगा।
सेबी ने मार्केट-वाइड पॉजिशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) में भी बदलाव का प्रस्ताव दिया है, जो किसी स्टॉक के लिए अधिकतम ट्रेडिंग की अनुमति निर्धारित करता है।
वर्तमान में एमडब्ल्यूपीएल स्टॉक के फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण के 20 प्रतिशत पर निर्धारित है।
इसके अलावा मार्केट मॉनिटरिंग को सशक्त करने के लिए सेबी ट्रेडिंग सत्र के दौरान कम से कम चार बार एमडब्ल्यूपीएल ब्रीच चेक करने की योजना बना रहा है।
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मारुति सुजुकी इंडिया ने हरियाणा के खरखौदा प्लांट में कमर्शियल प्रोडक्शन किया शुरू
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नई दिल्ली, 25 फरवरी। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए मारुति सुजुकी इंडिया ने मंगलवार को कहा कि उसने हरियाणा के खरखौदा प्लांट में कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू कर दिया है।
इस प्लांट की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2022 में वर्चुअल मोड के जरिए रखी थी।
ऑटोमेकर ने एक बयान में कहा कि शुरुआत में खरखौदा प्लांट की सालाना उत्पादन क्षमता 250,000 यूनिट होगी और यहां कॉम्पैक्ट एसयूवी ब्रेजा का उत्पादन किया जाएगा।
कंपनी ने बताया, “इसके साथ ही मारुति सुजुकी, जिसमें मारुति सुजुकी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी सुजुकी मोटर गुजरात प्राइवेट लिमिटेड भी शामिल है, की कुल सालाना उत्पादन क्षमता 2.6 मिलियन यूनिट हो जाएगी।”
पिछले हफ्ते मारुति सुजुकी इंडिया की मूल कंपनी सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन ऑफ जापान ने अपनी रणनीति में ‘रिथिंक’ के साथ एक नए मिड-टर्म प्लान की घोषणा की, क्योंकि “भारत में बाजार हिस्सेदारी में गिरावट” और बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट के कारण कंपनी के कारोबारी माहौल में बदलाव आया है।
मारुति सुजुकी का लक्ष्य भारत में 50 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल करने और देश को वैश्विक निर्यात केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सालाना 4 मिलियन कारों का उत्पादन करने की विनिर्माण क्षमता बनाना है।
2025-30 के लिए अपने नए मिड-टर्म प्लान में कंपनी ने भारत को अपना “सबसे महत्वपूर्ण बाजार” के रूप में पहचाना है।
ऑटो प्रमुख ने ई-विटारा से शुरू कर अपने ईवी लाइनअप का विस्तार करने की योजना बनाई है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2030 तक चार नए ईवी मॉडल लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के प्रतिद्वंद्वियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा के पास भारत में पहले से ही अलग-अलग ईवी पोर्टफोलियो हैं।
मारुति सुजुकी वर्तमान में भारत से सालाना तीन लाख वाहनों का निर्यात कर रही है। इस दशक के अंत तक, यह प्रति वर्ष 7.5-8 लाख इकाइयों के निर्यात का लक्ष्य बना रही है।
सुजुकी मोटर ने प्रोडक्शन, नए मॉडल उत्पादन और गुणवत्ता उपायों के लिए पूंजीगत व्यय के रूप में 1,200 बिलियन येन (लगभग 7,000 करोड़ रुपये) का निवेश करने की योजना बनाई है।
राष्ट्रीय समाचार
भारत की निजी क्षेत्र की कंपनियों का मुनाफा बढ़ा, कर्ज हुआ कम: आरबीआई
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नई दिल्ली, 25 फरवरी। आरबीआई द्वारा जारी लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत में निजी क्षेत्र की कंपनियों के परिचालन लाभ मार्जिन के साथ-साथ शुद्ध लाभ मार्जिन में 2023-24 के दौरान प्रमुख क्षेत्रों में सुधार हुआ। जबकि इस वर्ष निजी क्षेत्र की कंपनियों के कर्ज का बोझ भी कम हुआ, जो मजबूत वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।
आरबीआई की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, “2023-24 के दौरान परिचालन लाभ में पिछले वर्ष की 4.2 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 2023-24 में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के परिचालन लाभ में 2023-24 के दौरान क्रमशः 13.2 प्रतिशत और 15.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि 2022-23 में यह दोनों क्षेत्रों के लिए क्रमश: 3.9 प्रतिशत की गिरावट और 16.8 प्रतिशत की वृद्धि थी।”
कर के बाद लाभ में 2023-24 के दौरान 16.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई; सर्विस सेक्टर की कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के 7.6 प्रतिशत की तुलना में कर-पश्चात लाभ वृद्धि 38.1 प्रतिशत दर्ज की।
रिजर्व बैंक ने 6,955 कंपनियों के ऑडिटेड वार्षिक खातों के आधार पर 2023-24 के दौरान गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन से संबंधित डेटा जारी किया।
रिपोर्ट के अनुसार, डेट-टू-इक्विटी रेशो द्वारा मापी गई इन कंपनियों का लीवरेज 2023-24 के दौरान मध्यम बना रहा।
आरबीआई ने कहा कि सकल लाभ में वृद्धि ब्याज व्यय में वृद्धि से आगे निकल जाने के कारण ब्याज कवरेज अनुपात (आईसीआर) 2023-24 के दौरान 4.1 तक सुधर गया; मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों का आईसीआर 6.3 पर स्थिर रहा, जबकि सर्विस कंपनियों के लिए यह मामूली रूप से सुधरकर 3.2 हो गया।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2023-24 के दौरान सार्वजनिक सीमित कंपनियों के सैंपल सेट के कुल फंड में इंटरनल सोर्स का हिस्सा दो-तिहाई से अधिक था, जिसका मुख्य कारण रिजर्व और अधिशेष में वृद्धि थी।
आरबीआई के अनुसार, इन सार्वजनिक सीमित कंपनियों की सकल अचल संपत्ति 2023-24 के दौरान 10 प्रतिशत बढ़ी; मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रिकल उपकरण, मोटर वाहन और अन्य परिवहन वाहन क्षेत्रों ने अचल संपत्तियों में उच्च वृद्धि दर्ज की।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि निजी सीमित कंपनियों, जो स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट नहीं हैं, के परिचालन लाभ में भी 2023-24 के दौरान समग्र स्तर पर और साथ ही मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में तेजी आई।
नतीजतन, परिचालन लाभ और बिक्री के बाद कर के अनुपात से मापा गया लाभ मार्जिन 2023-24 के दौरान बेहतर हुआ।
समग्र स्तर पर, इन कंपनियों के सैंपल का लीवरेज डेट-टू-इक्विटी रेशो के संदर्भ में मार्च 2024 में एक साल पहले के स्तर 45.2 प्रतिशत के करीब रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, समग्र स्तर पर, आईसीआर 2023-24 के दौरान पिछले वर्ष के 2.7 से सुधरकर 3.1 हो गया; मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर का आईसीआर भी सुधरकर क्रमशः 8.3 और 2.7 पर आ गया।
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