खेल
चैंपियंस ट्रॉफी का चौथा मुकाबला, लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ेगा इंग्लैंड

नई दिल्ली, 22 फरवरी। पाकिस्तान के लाहौर में आज आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का चौथा मुकाबला खेला जाएगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमें आमने-सामने होंगी।
दोनों टीमों का हालिया वनडे फॉर्म संघर्षपूर्ण रहा है। ऑस्ट्रेलिया अपने पिछले दो वनडे सीरीज में श्रीलंका (0-2) और पाकिस्तान (1-2) से हार चुका है, जबकि इंग्लैंड की टीम वर्ल्ड कप 2023 के बाद से कोई भी वनडे सीरीज जीतने में नाकाम रही है। जोस बटलर की कप्तानी में इंग्लैंड की टीम भारत से 0-3 से हारकर आ रही है। इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान पैट कमिंस की अनुपस्थिति में स्टीव स्मिथ संभालेंगे। दोनों टीमें इस टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ने के लिए उत्सुक होंगी।
वनडे क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की प्रतिद्वंद्विता काफी पुरानी है। अब तक दोनों टीमों के बीच 161 वनडे मैच खेले जा चुके हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 91 बार जीत हासिल की है जबकि इंग्लैंड 65 मैच जीतने में सफल रहा है। दो मैच टाई रहे हैं, जबकि तीन मैचों का कोई नतीजा नहीं निकला। हाल के आंकड़ों पर नजर डालें तो ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी रहा है। दोनों टीमों के बीच खेले गए पिछले 10 वनडे मुकाबलों में से ऑस्ट्रेलिया ने 8 जीते हैं, जबकि इंग्लैंड सिर्फ 2 में जीत दर्ज कर पाया है। हाल के प्रदर्शन को देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम को मजबूत माना जा रहा है, लेकिन इंग्लैंड के पास भी मैच को रोमांचक बनाने की क्षमता है।
गद्दाफी स्टेडियम को हाल ही में रेनोवेट किया गया है। यह चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का पहला मैच होगा जो इस मैदान पर खेला जाएगा। गद्दाफी स्टेडियम बल्लेबाजों के लिए अनुकूल पिचों के लिए जाना जाता है, जहां समान उछाल और फ्लैट सतह बल्लेबाजों को मदद करती है। हालांकि, जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, पिच पर स्पिनरों को मदद मिलने लगती है और वे प्रभावी साबित हो सकते हैं। तेज गेंदबाजों के लिए यह पिच चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यहां सीम मूवमेंट और अतिरिक्त बाउंस की संभावना कम रहती है। दिन के मैचों में बल्लेबाजी करना अपेक्षाकृत आसान होता है, लेकिन रात के मैचों में ओस की भूमिका अहम हो जाती है, जिससे गेंदबाजों और फील्डरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
पिच की बात करें तो गद्दाफी स्टेडियम में अब तक 74 वनडे मैच खेले जा चुके हैं, जिनमें 37 बार पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने जीत दर्ज की है, जबकि 35 मैच पहले गेंदबाजी करने वाली टीम के पक्ष में गए हैं। यहां पहली पारी का औसत स्कोर 253 रन है, जबकि दूसरी पारी में यह घटकर 217 रन रह जाता है, जिससे स्पष्ट होता है कि पिच मैच के दौरान धीमी हो जाती है। इसी वजह से टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करने का फैसला कर सकती है।
लाहौर के मौसम की बात करें तो आज का दिन क्रिकेट के लिए अनुकूल रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग के अनुसार, पूरे मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा और बारिश की कोई संभावना नहीं है। दिन के समय तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा, जबकि शाम को यह 15-20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है।
इस मैच में कुछ खिलाड़ियों पर सभी की नजरें होंगी। ऑस्ट्रेलियाई टीम में कप्तान स्टीव स्मिथ, विस्फोटक बल्लेबाज ग्लेन मैक्सवेल और ट्रेविस हेड अहम भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, स्पिन विभाग में एडम जम्पा पर बड़ी जिम्मेदारी होगी। दूसरी ओर, इंग्लैंड की टीम में जोस बटलर, हैरी ब्रूक और लियाम लिविंगस्टोन से शानदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा, जोफ्रा आर्चर और आदिल राशिद भी इंग्लैंड के लिए अहम खिलाड़ी साबित हो सकते हैं।
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए इंग्लैंड की टीम में फिलिप साल्ट, बेन डकेट, जेमी स्मिथ, जो रूट, हैरी ब्रूक, जोस बटलर (कप्तान), लियाम लिविंगस्टोन, ब्रायडन कार्स, जोफ्रा आर्चर, आदिल राशिद, मार्क वुड, जेमी ओवरटन, साकिब महमूद, टॉम बैंटन और गस एटकिंसन शामिल हैं।
ऑस्ट्रेलियाई टीम में मैथ्यू शॉर्ट, ट्रैविस हेड, जेक फ्रेजर-मैकगर्क, स्टीवन स्मिथ (कप्तान), जोश इंग्लिस, आरोन हार्डी, ग्लेन मैक्सवेल, सीन एबॉट, बेन ड्वार्शिस, एडम जम्पा, तनवीर संघा, नाथन एलिस, स्पेंसर जॉनसन, मार्नस लैबुशेन और एलेक्स कैरी शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
राजनीति
मराठी लोगों के दबाव के कारण ही सरकार ने फैसला वापस लिया : राज ठाकरे

मुंबई, 30 जून। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के संस्थापक राज ठाकरे ने रविवार को कहा कि सरकार ने पहली कक्षा से तीन भाषाएं पढ़ाने के बहाने हिंदी भाषा थोपने के अपने फैसले को मराठी लोगों के विरोध के कारण वापस लिया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के राज्य में त्रिभाषी नीति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूर्व योजना आयोग के सदस्य नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की घोषणा की है। समिति की रिपोर्ट आने तक तीसरी भाषा के रूप में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को लागू करने का आदेश वापस ले लिया गया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राज ठाकरे ने कहा, “सरकार ने इससे संबंधित दो सरकारी प्रस्तावों (जीआर) को रद्द कर दिया है। इसे देर से लिया गया ज्ञान नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह अधिरोपण केवल मराठी लोगों के दबाव के कारण वापस लिया गया था। सरकार हिंदी भाषा को लेकर इतनी अड़ियल क्यों थी और वास्तव में इसके लिए सरकार पर कौन दबाव बना रहा था, यह रहस्य बना हुआ है।”
राज ठाकरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में चेतावनी देते हुए लिखा, “सरकार ने एक बार फिर एक नई समिति नियुक्त की है। मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं, समिति की रिपोर्ट आने दें या न आने दें, लेकिन इस तरह की हरकतें दोबारा बर्दाश्त नहीं की जाएंगी, और यह अंतिम है! सरकार को यह बात हमेशा के लिए अपने दिमाग में अंकित कर लेनी चाहिए! हम मानते हैं कि यह निर्णय स्थायी रूप से रद्द कर दिया गया है, और महाराष्ट्र के लोगों ने भी यही मान लिया है। इसलिए, समिति की रिपोर्ट को लेकर फिर से भ्रम पैदा न करें; अन्यथा, सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि इस समिति को महाराष्ट्र में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र में छात्रों को हिंदी सीखने के लिए तीन भाषाएं थोपने का प्रयास आखिरकार रद्द कर दिया गया है, और इसके लिए सभी महाराष्ट्र वासियों को बधाई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अप्रैल 2025 से इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठा रही थी, और तब से यह मुद्दा तूल पकड़ने लगा। उसके बाद एक-एक करके राजनीतिक दल बोलने लगे। जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने एक गैर-पक्षपाती मार्च निकालने का फैसला किया, तो कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने इसमें भाग लेने की इच्छा व्यक्त की।”
उन्होंने कहा, “अब मराठी लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए। आपके अस्तित्व, आपकी भाषा को हमारे ही लोगों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है और उनके लिए जिस भाषा में वे पढ़े-लिखे हैं, जिसके साथ पले-बढ़े हैं, जो उनकी पहचान है, उसका कोई मतलब नहीं है… शायद वे किसी को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार मराठी दिलों का सामूहिक गुस्सा दिखाई दिया और इसे बार-बार दिखना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि राज ठाकरे ने हिंदी थोपे जाने के खिलाफ 5 जुलाई को मार्च निकालने की योजना बनाई थी और उन्हें अपने भाई उद्धव ठाकरे का समर्थन मिला, जिन्होंने विरोध-प्रदर्शन के लिए समर्थन की घोषणा की। हालांकि, सरकार के इस फैसले के बाद राज ठाकरे के 5 जुलाई को मार्च निकालने के फैसले पर आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं है।
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