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क्या आप भी घंटों बैठकर करते हैं चेयर पर काम, तो ऐसे रखें अपने हेल्थ का ध्यान

नई दिल्ली, 10 फरवरी। अक्सर सीटिंग जॉब करने वाले लोगों को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन कई बार वो इन समस्याओं को लेकर अवेयर नहीं रहते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि उन्हें आगे चलकर इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
शुरुआती दौर में जब सीटिंग जॉब करने वाले किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की शारीरिक समस्या होती है, तो वो इस मामले में लापरवाही बरतते हैं। अगर वो उसी समय गंभीरता दिखाएं, तो उनकी स्थिति गंभीर नहीं होगी।
उधर, सीटिंग जॉब करने वाले लोगों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है? और वो कैसे इससे बच सकते हैं? इस बारे में मीडिया ने सीके बिरला अस्पताल के डॉ. अंकुश गर्ग से खास बातचीत की।
डॉ. गर्ग बताते हैं कि आज की तारीख में बड़ी संख्या में लोग डेस्क जॉब करते हैं। वो घंटों चेयर पर बैठते हैं। ऐसा करने से उनके बैक में दर्द शुरू हो जाता है। ऐसा आमतौर पर उनके दोषपूर्ण तरीके से बैठने से होता है, तो ऐसी स्थिति में सबसे पहले अगर आप डेस्क जॉब करते हैं, तो आपको अपने बैठने की अवस्था सुधारनी होगी।
डॉ. के मुताबिक अगर आप डेस्क जॉब करते हैं, तो यह कोशिश कीजिए कि आप झुक कर ना बैठें। अब ऐसे में सवाल यह है कि हम कैसे बैठें? आखिर बैठने की सही अवस्था क्या है? सबसे पहले आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप सहज अवस्था में बैठें। आपके बैक को प्राॅपर सपोर्ट मिले। अगर उसे प्रॉपर सपोर्ट नहीं मिलेगा, तो दर्द हो सकता है और यह दर्द आगे चलकर बढ़ भी सकता है।
डॉ. गर्ग बताते हैं कि डेस्क जॉब करने वाले हर व्यक्ति को 30 से 45 मिनट में ब्रेक जरूर लेना चाहिए। आप यह नियम बना लीजिए। ब्रेक लेना बिल्कुल भी मत भूलिए। इससे आपको ना महज शारीरिक, बल्कि मानसिक शांति भी मिलेगी। कई बार लोग मुझसे कहते हैं कि हमारे दफ्तर में कई बार स्थिति ऐसी बन जाती है, हमें एक दो घंटे लगातार चेयर पर बैठना पड़ता है, तो मैं उन्हें एक आसान सा तरीका बताता हूं कि आप पानी का ग्लास अपने चेयर के पास मत रखिए। जाहिर सी बात है कि आपको प्यास लगेगी और आप पानी लेने के लिए उठेंगे, तो इसी बहाने आपकी बॉडी को रिलैक्स मिलेगा। वहीं, जब कभी कॉफी पीने का समय आए, तो आप खुद कॉफी लेने जाइए। इस तरह से आप बिना कुछ किए हर 40 मिनट में ब्रेक पर चले जाएंगे।
डॉ. ने बताया कि डेस्क जॉब करने वाले को रोजाना एक्सरसाइज करनी चाहिए। एक्सरसाइज करने से आपके शरीर में दर्द नहीं रहेगा। इसके अलावा, आप लैपटॉप को अपने बिस्तर पर रखकर काम ना करें, क्योंकि कई बार ऐसा करने से भी बैक में दर्द होना शुरू हो जाता है। इसके साथ ही अपने शरीर की मुद्रा सही रखें।
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पश्चिम रेलवे आरपीएफ, जीआरपी ने मीरा रोड स्टेशन पर महिला क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपी को पकड़ा

मुंबई: भयंदर स्थित पश्चिम रेलवे की आरपीएफ टीम ने वसई रोड स्थित राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) टीम के साथ मिलकर हाल ही में मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर एक महिला वाणिज्यिक बुकिंग क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने वाले एक आरोपी का पता लगाया और उसे पकड़ लिया।
पश्चिम रेलवे के अनुसार, भयंदर चौकी की आरपीएफ टीम और वसई रोड जीआरपी ने मिलकर बदमाश की तलाश में एक संयुक्त अभियान चलाया। आरोपी की पहचान मीरा रोड (पूर्व) निवासी 48 वर्षीय अशलम अनवर खान के रूप में हुई है।
पूछताछ के दौरान आरोपी ने घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली। इसके बाद, जीआरपी/वसई रोड के पुलिस निरीक्षक ने आगे की कानूनी कार्रवाई करते हुए उसे 10 सितंबर, 2025 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया।
आरपीएफ भयंदर और जीआरपी वसई रोड द्वारा की गई यह त्वरित और समन्वित कार्रवाई, न केवल यात्रियों, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा, संरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के प्रति पश्चिम रेलवे की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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बिहार एसआईआर मामला: सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को बड़ा झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा बढ़ाने से इनकार

नई दिल्ली, 1 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार एसआईआर (में विशेष गहन पुनरीक्षण) मामले में विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे।
आयोग ने स्पष्ट किया कि नामांकन की अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने कहा, “आज की सुनवाई में दो याचिकाएं दायर की गईं। मुख्य मांग थी कि आधार कवरेज को 65 प्रतिशत की बजाय सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ाया जाए और समयसीमा को भी बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई का डाटा नोट किया है कि 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन हो चुका है और कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया है कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर लोग अपनी आपत्ति या दावा पेश कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मांग को भी नकारा है। कोर्ट ने माना है कि आधार का उद्देश्य नागरिकता को साबित करने का नहीं बल्कि पहचान को साबित करने का है। आधार कार्ड को ‘डेट ऑफ बर्थ’ का आधार माना जा सकता है।”
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है। समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। आयोग ने कहा कि 1 सितंबर से 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय है और इसके बाद भी कोई रोक नहीं है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और सही दावों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ‘बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी’ के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वे पैरा-लीगल वॉलेंटियर्स को मतदाताओं की मदद के लिए नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि दावे और आपत्तियां दर्ज करने में सहायता मिल सके।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश केवल 65 लाख लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि आधार कार्ड के कारण किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ, तो उनकी सूची 8 सितंबर को कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
इससे पहले, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि 22 अगस्त को कोर्ट ने आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का आदेश दिया था, लेकिन चुनाव आयोग पारदर्शिता के अपने निर्देशों का पालन नहीं कर रहा।
उन्होंने आशंका जताई कि कई ‘रिन्यूमेरेशन फॉर्म’ ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) द्वारा भरे गए हैं। भूषण ने यह भी कहा कि आयोग कुछ मतदाताओं को नोटिस जारी कर रहा है, जिसमें दस्तावेजों में कमी का हवाला दिया जा रहा है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए लोग आधार कार्ड के साथ दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि, आधार की अहमियत को मौजूदा कानूनी प्रावधानों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को कानून के तहत आधार की वैधानिकता को स्वीकार करना होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें कोर्ट आधार कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की सूची पर विचार करेगा।
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सीबीआई, मुंबई पुलिस ने बड़े ड्रग मामले में इंटरपोल के जरिए कुब्बावाला मुस्तफा को यूएई से वापस लाया

मुंबई: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इंटरपोल के माध्यम से कुब्बावाला मुस्तफा की यूएई से वापसी में सफलतापूर्वक समन्वय किया है। कुब्बावाला मुस्तफा मुंबई पुलिस का वांछित अपराधी है।
सीबीआई की अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग इकाई (आईपीसीयू) ने एनसीबी-अबू धाबी के सहयोग से रेड नोटिस के तहत वांछित कुब्बावाला मुस्तफा को 11.07.2025 को सफलतापूर्वक भारत वापस लाया। मुंबई पुलिस की चार सदस्यीय टीम कुब्बावाला मुस्तफा को वापस लाने के लिए 07.07.2025 को दुबई, संयुक्त अरब अमीरात गई। यह टीम 11.07.2025 को संयुक्त अरब अमीरात से छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, मुंबई पहुँची। सीबीआई द्वारा इंटरपोल के माध्यम से एनसीबी-अबू धाबी के साथ गहन अनुवर्तन के माध्यम से पहले ही संयुक्त अरब अमीरात में मुस्तफा की भौगोलिक स्थिति का पता लगा लिया गया था।
मुंबई पुलिस को कुर्ला पुलिस स्टेशन, मुंबई में दर्ज एफआईआर संख्या 67/2024 के तहत कुब्बावाला मुस्तफा की तलाश है। उस पर विदेश से सांगली में एक सिंथेटिक ड्रग निर्माण फैक्ट्री चलाने का आरोप है। कुब्बावाला मुस्तफा और अन्य से जुड़ी उक्त फैक्ट्री से 2.522 मिलियन रुपये मूल्य की कुल 126.141 किलोग्राम मेफेड्रोन ड्रग्स बरामद और जब्त की गई। कुब्बावाला मुस्तफा के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है और माननीय न्यायालय ने उसके खिलाफ खुली तारीख का गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
मुंबई पुलिस के अनुरोध पर सीबीआई ने इस मामले में 25.11.2024 को इंटरपोल के माध्यम से रेड नोटिस प्रकाशित करवाया। एनसीबी-अबू धाबी ने 19.06.2025 को सूचित किया कि उनके अधिकारियों ने इस व्यक्ति को भारत वापस लाने के लिए यूएई में एक सुरक्षा मिशन भेजने का अनुरोध किया है। इसके बाद, यूएई से इस व्यक्ति को वापस लाने के लिए मुंबई पुलिस की एक टीम का गठन किया गया।
इंटरपोल द्वारा प्रकाशित रेड नोटिस वांछित अपराधियों पर नज़र रखने के लिए विश्व भर की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भेजे जाते हैं।
भारत में इंटरपोल के लिए राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो के रूप में सीबीआई, इंटरपोल चैनलों के माध्यम से सहायता के लिए भारतपोल के माध्यम से भारत में सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करती है। पिछले कुछ वर्षों में इंटरपोल चैनलों के माध्यम से समन्वय करके 100 से अधिक वांछित अपराधियों को भारत वापस लाया गया है।
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