व्यापार
ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले भारतीय शेयर बाजार में तेजी, सेंसेक्स 454 अंक बढ़ा
मुंबई, 20 जनवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में तेजी देखी गई। सेंसेक्स 454 अंक या 0.59 प्रतिशत बढ़कर 77,073 और निफ्टी 141 अंक या 0.61 प्रतिशत बढ़कर 23,344 पर बंद हुआ।
भारतीय समय के अनुसार रात 10 बजे ट्रंप 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति रूप में शपथ लेंगे। शेयर बाजार में चौतरफा तेजी देखी गई। लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में खरीदारी देखी गई है।
निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 498 अंक या 0.91 प्रतिशत की तेजी के साथ 55,106 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 192 अंक या 1.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,864 पर बंद हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 2,503 शेयर हरे निशान में और 1,557 शेयर लाल निशान में और 168 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए हैं।
सेंसेक्स में कोटक महिंद्रा बैंक, बजाज फाइनेंस, बजाज फिनसर्व, एनटीपीसी, एसबीआई, पावर ग्रिड, टाटा स्टील, एचडीएफसी बैंक, टेक महिंद्रा, एशियन पेंट्स, भारती एयरटेल, टाइटन और एचसीएल टेक टॉप गेनर्स थे। जोमैटो, अदाणी पोर्ट्स, टीसीएस, एमएंडएम, मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, आईटीसी, सनफार्मा, एचयूएल और नेस्ले टॉप लूजर्स थे।
आईटी, पीएसयू बैंक, फार्मा, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा इंडेक्स हरे निशान में और केवल ऑटो और एफएमसीजी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुआ है।
चॉइस ब्रोकिंग के अनुसार, निफ्टी के लिए 23,100, 23,000 और 22,800 एक मजबूत सपोर्ट लेवल है। वहीं, तेजी की स्थिति में 23,300, 23,400 और 23,500 एक रुकावट का स्तर है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 17 जनवरी को 3,318.06 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 2,572 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी खरीदी थी।
शेयर बाजार की शुरुआत तेजी के साथ हुई थी। सुबह 10 बजे, सेंसेक्स 133 अंक या 0.17 प्रतिशत बढ़कर 76,738 और निफ्टी 10 अंक या 0.05 प्रतिशत बढ़कर 23,213 पर था।
व्यापार
पेटीएम को तीसरी तिमाही में हुआ 208 करोड़ रुपये का घाटा, बिक्री 36 प्रतिशत घटी
नई दिल्ली, 20 जनवरी। पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में 208 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है। पिछले साल समान तिमाही में यह आंकड़ा 222 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में कंपनी की आय सालाना आधार पर 36 प्रतिशत कम होकर 1,828 करोड़ रुपये रह गई है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 2,851 करोड़ रुपये थी।
तिमाही आधार पर पेटीएम की आय 10 प्रतिशत बढ़ी है। इसकी वजह ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (जीएमवी) बढ़ना, सब्सक्रिप्शन आय में मजबूत वृद्धि और फाइनेंसियल सर्विसेज के वितरण से अधिक आय होना है।
पेटीएम ने कहा,”हम तिमाही और सालाना आधार पर अप्रत्यक्ष लागत को क्रमश: 7 प्रतिशत और 23 प्रतिशत कम करके 1,000 करोड़ रुपये तक ले आए हैं।”
कंपनी ने आगे कहा, “कर्मचारी खर्च वित्त वर्ष 25 के पहले नौ महीनों में 451 करोड़ रुपये कम हुआ है। यह कंपनी के 400 करोड़ रुपये से लेकर 500 करोड़ रुपये के बचत के लक्ष्य को पार कर गया है।”
कंपनी की भुगतान सेवाओं से होने वाली आय बढ़कर 1,059 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि वित्तीय सेवाओं से होने वाली आय तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 34 प्रतिशत बढ़कर 502 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है।
प्लेटफॉर्म के माध्यम से जीएमवी तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये हो गया।
पेटीएम के पेमेंट डिवाइस के लिए मर्चेंट सब्सक्राइबर बेस बढ़कर 1.17 करोड़ हो गया, जिसमें तिमाही के दौरान 5 लाख नए ग्राहक जुड़े। अधिक सब्सक्रिप्शन आय और स्थिर पेमेंट प्रोसेसिंग मार्जिन की मदद से नेट पेमेंट मार्जिन 489 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
पेटीएम ने दिसंबर तिमाही के दौरान 3,831 करोड़ रुपये के लोन भी वितरित किए, जबकि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 3,303 करोड़ रुपये था।
राष्ट्रीय समाचार
भारत की अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 6.5 प्रतिशत की गति से बढ़ेगी: आईएमएफ
नई दिल्ली, 18 जनवरी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 और 2026 में 6.5 प्रतिशत की गति से बढ़ सकती है। यह हमारे अक्टूबर में जारी किए गए अनुमान के अनुरूप है।
आईएमएफ का यह अनुमान वर्ल्ड बैंक के अनुमान के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जो कि चालू वित्त वर्ष की विकास दर के अनुमान से अधिक है।
आईएमएफ के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर बनी हुई है। कुछ एशियाई और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में निराशाजनक डेटा जारी होने के बाद, 2024 की तीसरी तिमाही में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अक्टूबर 2024 के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में अनुमानित वृद्धि से 0.1 प्रतिशत कम थी।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री और शोध निदेशक पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा, “इस साल और अगले साल वैश्विक विकास दर 3.3 प्रतिशत पर स्थिर रहने का अनुमान है। महंगाई दर लगातार घट रही है। इस साल 4.2 प्रतिशत और अगले साल 3.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।”
अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग की उम्मीदों के कारण अधिक बढ़ रही है। वहीं, यूरोप धीमे विकास और लगातार उच्च ऊर्जा कीमतों का सामना कर रहा है।
गौरींचस ने कहा, “उभरते बाजारों में मजबूती दिख रही है, चीन में मामूली सुधार की संभावना है।”
उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 2025 और 2026 में विकास दर मोटे तौर पर 2024 के जीडीपी वृद्धि दर के अनुरूप ही रहेगी।
आईएमएफ के अनुसार, कम होती महंगाई में नीति-जनित व्यवधान मौद्रिक नीति को आसान बनाने की राह को बाधित कर सकते हैं, जिसका राजकोषीय स्थिरता और वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ सकता है।
गौरींचस ने कहा कि महंगाई के जोखिमों को देखते हुए मौद्रिक नीति को तय किया जाना चाहिए। इसके लिए जहां आवश्यक हो, विश्वसनीय समेकन प्रयासों को लागू करने चाहिए।
अब सभी की निगाहें आरबीआई पर हैं कि क्या वह अगले महीने महंगाई के कम होने पर दरों में कटौती को लागू करता है।
इस गुरुवार को जारी विश्व बैंक की वैश्विक आर्थिक संभावनाओं में भारत में चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
राष्ट्रीय समाचार
इजरायल-हमास के बीच सीजफायर से जेम और ज्वेलरी एक्सपोर्ट्स बढ़ेगा: जीजेईपीसी
नई दिल्ली, 17 जनवरी। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर होने से आने वाले महीनों में जेम्स और ज्वेलरी का निर्यात बढ़ सकता है। यह जानकारी जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने शुक्रवार को दी।
जीजेईपीसी के आंकड़ों अनुसरा, दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 1967.98 मिलियन डॉलर (16,719 करोड़ रुपये) रहा, जो भू-राजनीतिक स्थितियों के बीच आर्थिक अनिश्चितता के कारण पिछले वर्ष के इसी महीने से कम है, क्योंकि खरीदारों ने लाइफस्टाइल पर पैसा खर्च करने के बजाय निवेश के लिए सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड की ओर अधिक झुकाव दिखाया।
काउंसिल ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम और समझौते की उम्मीदों को देखते हुए, निर्यात धीरे-धीरे गति पकड़ने लगेगा।
दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल आयात 1526.95 मिलियन डॉलर (12,992.3 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27.23 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट में कहा गया कि खरीदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी और जेनरेशन जेड रोजाना पहनने के लिए कीमती धातुओं से बने हल्की आभूषणों को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। 2025 में इस प्रवृत्ति में काफी तेजी देखने को मिलेगी, जिससे घरेलू मांग में छछाल आएगा।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव व्यापार गतिविधियों के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा,”हालांकि, इजरायल और हमास के बीच सीजफायर समझौता पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो दोनों देशों के बीच युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त करेगा। हमें आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखने की उम्मीद है।”
कट और पॉलिश किए गए हीरों के कुल सकल आयात में 64.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो दिसंबर 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 254.18 मिलियन डॉलर की तुलना में 91.26 मिलियन डॉलर रहा।
दिसंबर 2024 में गोल्ड की ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 868.03 मिलियन डॉलर रहा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शादी और छुट्टियों का मौसम खत्म होने वाला है, इसलिए मांग में कमी आ रही है।
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