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Wednesday,15-January-2025
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स्मार्टफोन बाजार में बढ़ रहा भारत का दबदबा, निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान

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नई दिल्ली, 14 जनवरी। भारत के स्मार्टफोन बाजार की वैल्यू इस साल 50 अरब डॉलर को पार करने का अनुमान है। साथ ही चालू वित्त वर्ष में निर्यात 20 अरब डॉलर को छू सकता है। इसकी वजह ‘मेड इन इंडिया’ एप्पल आईफोन का निर्यात बढ़ना है।

वित्त वर्ष 2024 में देश का स्मार्टफोन निर्यात 15 अरब डॉलर से अधिक था (जिसमें एप्पल का हिस्सा करीब 10 अरब डॉलर था)। इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार, इस वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 20 अरब डॉलर को पार कर सकता है।

प्रीमियमाइजेशन के बढ़ चल रहे चलन और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग पर जोर के कारण भारत से निर्यात करने वाली कंपनियों में एप्पल और सैमसंग सबसे आगे हैं। भारतीय स्मार्टफोन बाजार भी तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) ब्रांड इक्विटी को मजबूत करने, तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करने और मुनाफे में सुधार करने के लिए प्रीमियम लॉन्च पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

सरकार द्वारा घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ने के लिए लाई गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से मिल रहे फायदों के कारण दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल का भारत से आईफोन निर्यात कैलेंडर ईयर 2024 में 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को छू गया है।

सरकार डेटा के मुताबिक, पिछले चार वर्षों में, एप्पल इकोसिस्टम ने 1,75,000 नई प्रत्यक्ष नौकरियां भी पैदा की हैं, जिनमें से 72 प्रतिशत से अधिक पद महिलाओं द्वारा भरे गए हैं।

2014-15 में घरेलू मोबाइल फोन का उत्पादन 5.8 करोड़ यूनिट था, जो 2023-24 में बढ़कर 33 करोड़ यूनिट हो गया, जबकि आयात में बड़ी गिरावट आई। वहीं, निर्यात पांच करोड़ यूनिट तक पहुंच गया और एफडीआई में 254 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो मैन्युफैक्चरिंग और निवेश को बढ़ावा देने में पीएलआई योजना की भूमिका को दर्शाता है।

देश में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 2027 तक 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। इसमें से 30 लाख प्रत्यक्ष और 90 लाख प्रत्यक्ष नौकरियां होंगी।

टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों में लगभग 10 लाख इंजीनियरों, 20 लाख आईटीआई-प्रमाणित पेशेवरों और एआई, एमएल एवं डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों के 2 लाख पद शामिल हैं।

इसके अलावा नॉन-टेक्निकल्स क्षेत्रों में 90 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री ने 2030 तक 500 अरब डॉलर की मैन्युफैक्चरिंग हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इंडस्ट्री को अगले पांच वर्षों में अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में पांच गुना वृद्धि करनी होगी।

वर्तमान में घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 101 बिलियन डॉलर है, जिसमें मोबाइल फोन का योगदान 43 प्रतिशत है, इसके बाद उपभोक्ता और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स का योगदान 12 प्रतिशत है और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत हैं।

व्यापार

भारतीय शेयर बाजार में तेजी लौटी, 7 प्रतिशत की बढ़त के साथ अदाणी एंटरप्राइजेज बना टॉप गेनर

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मुंबई, 14 जनवरी। भारतीय शेयर बाजार के लिए मंगलवार का कारोबारी सत्र मुनाफे वाला रहा। बाजार के सभी सूचकांक हरे निशान में बंद हुए हैं। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 169.62 अंक या 0.22 प्रतिशत बढ़कर 76,499.63 और निफ्टी 90.10 अंक या 0.39 प्रतिशक की तेजी के साथ 23,176.05 पर था।

बाजार में तेजी का नेतृत्व मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने किया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,286.10 या 2.45 प्रतिशत की तेजी के साथ 53,676.50 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 335.70 अंक या 1.98 प्रतिशत की बढ़त के साथ 17,257.80 पर बंद हुआ।

अदाणी ग्रुप के सभी शेयरों में तेजी थी। अदाणी एंटरप्राइजेज 7.05 प्रतिशत की बढ़त के साथ निफ्टी 50 का टॉप गेनर था। अदाणी पोर्ट्स 5.25 प्रतिशत, अदाणी ग्रीन एनर्जी 13.52 प्रतिशत, अदाणी पावर 20 प्रतिशत और अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस 12.23 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।

शेयर बाजार में बढ़त के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर सूचीबद्ध सभी कंपनियां का मार्केटकैप 6 लाख करोड़ रुपये बढ़कर करीब 423 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

बाजार के जानकारों ने कहा कि इस तेजी की वजह वैश्विक बाजारों में बढ़त होना और घरेलू स्तर पर महंगाई दर में कमी आना है, जिसके कारण आने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना को बल मिला है।

बाजार में बढ़ने वाले शेयरों की संख्या अधिक थी। बीएसई पर 2,881 शेयर हरे निशान में, 1,087 शेयर लाल निशान में और 105 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए।

ऑटो, पीएसयू बैंक, फिन सर्विस, फार्मा, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा सबसे ज्यादा बढ़ने वाले इंडेक्स थे। हालांकि, आईटी और एफएमसीजी इंडेक्स में बिकवाली थी।

सेंसेक्स में अदाणी पोर्ट्स, एनटीपीसी, जोमैटो, टाटा मोटर्स, बजाज फाइनेंस, एसबीआई, बजाज फिनसर्व, इंडसइंड बैंक, मारुति सुजुकी, सन फार्मा, एमएंडएम और पावर ग्रिड टॉप गेनर्स थे। एचसीएल टेक, एचयूएल, टाइटन, टीसीएस, इन्फोसिस और अल्ट्राटेक सीमेंट टॉप लूजर्स थे।

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व्यापार

भारत में थोक महंगाई दर दिसंबर में 2.37 प्रतिशत रही

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नई दिल्ली, 14 जनवरी। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) या थोक महंगाई दर दिसंबर में 2.37 प्रतिशत रही है। नवंबर में यह 1.89 प्रतिशत थी। यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गए डेटा से मिली।

मंत्रालय के अनुसार, थोक महंगाई दर के सकारात्मक रहने की वजह खाद्य उत्पादों की कीमत बढ़ना और टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग की लागत में इजाफा होना है।

दिसंबर 2023 में थोक महंगाई दर 0.73 प्रतिशत थी।

दिसंबर में प्राथमिक वस्तुओं के सूचकांक में नवंबर 2024 के मुकाबले 2.07 प्रतिशत की कमी आई है। इसकी वजह महीने के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमत में -3.08 प्रतिशत और कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमत में -2.87 प्रतिशत की गिरावट होना है।

नवंबर 2024 के मुकाबले दिसंबर में ईंधन और बिजली सूचकांक में 1.90 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। दिसंबर महीने के दौरान बिजली और कोयले की कीमत में क्रमश: 8.81 प्रतिशत और 0.07 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। हालांकि, पिछले महीने के मुकाबले दिसंबर में खनिज तेलों की कीमत में -0.06 प्रतिशत की कमी आई।

मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स इंडेक्स, जिसकी डब्ल्यूपीआई में हिस्सेदारी 64 प्रतिशत से अधिक है, दिसंबर में नवंबर के समान ही रहा। मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स के 22 समूहों में से 11 समूहों में कीमतों में वृद्धि देखी गई, 9 समूहों में कीमतों में कमी देखी गई और दो समूहों में कीमतों में कोई बदलाव नहीं देखा गया।

प्राथमिक वस्तु समूह की ‘खाद्य वस्तुएं’ और मैन्युफैक्चरिंग उत्पाद समूह के ‘खाद्य उत्पाद’ से बना खाद्य सूचकांक नवंबर में 8.92 प्रतिशत से घटकर दिसंबर में 8.89 प्रतिशत हो गया। इस सूचकांक की डब्ल्यूपीआई में हिस्सेदारी 24.38 प्रतिशत है।

दिसंबर में खुदरा महंगाई दर चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई है।

नवंबर में यह 5.48 प्रतिशत थी। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

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राष्ट्रीय समाचार

शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 16 प्रतिशत बढ़कर 16.90 लाख करोड़ रुपये हुआ

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नई दिल्ली, 14 जनवरी। भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त वर्ष के 1 अप्रैल 2024 से 12 जनवरी 2025 के बीच 16.90 लाख करोड़ रुपये रहा है। इसमें पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 15.88 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। यह जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा संकलित किए गए ताजा आंकड़ों से मिली।

समीक्षा अवधि के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.94 प्रतिशत बढ़कर 20.64 लाख करोड़ रुपये हो गया है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 17.21 लाख करोड़ रुपये था।

इस अवधि के दौरान व्यक्तिगत आयकर संग्रह पिछले वित्त वर्ष के 7.2 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 21.6 प्रतिशत बढ़कर 8.74 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि कॉर्पोरेट कर संग्रह वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में 7.10 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 8.12 प्रतिशत बढ़कर 7.7 लाख करोड़ रुपये हो गया।

सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) संग्रह, जो प्रत्यक्ष कर का एक घटक है, इस अवधि के दौरान 75 प्रतिशत बढ़कर 44,500 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 25,415 करोड़ रुपये था।

आंकड़ों में बताया गया कि समीक्षा अवधि में 3.74 लाख करोड़ रुपये का रिफंड जारी किया गया है, जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 42.5 प्रतिशत ज्यादा है।

कर संग्रह में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने में भी मदद करता है। कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना पड़ता है, जिससे बड़ी कंपनियों के लिए बैंकिंग प्रणाली में उधार लेने और निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचता है। इससे आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक नौकरियों का सृजन होता है।

इसके अलावा, कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखता है, जो अर्थव्यवस्था के आधार को मजबूत करता है और स्थिरता के साथ विकास सुनिश्चित करता है।

सरकार का लक्ष्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राजकोषीय समेकन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.6 प्रतिशत से चालू वित्त वर्ष में 4.9 प्रतिशत तक लाना है।

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