अंतरराष्ट्रीय समाचार
भूकंप प्रभावित वानुअतु की मदद, इंडोनेशिया ने भेजी मेडिकल टीम और खाद्य समाग्री
जकार्ता, 28 दिसंबर। इंडोनेशियाई सरकार ने भूकंप से प्रभावित वानुअतु को आपातकालीन सहायता प्रदान की है। 17 दिसंबर को आए 7.3 तीव्रता के भूकंप के बाद देश में एक दर्जन लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे।
शुक्रवार दोपहर पूर्वी जकार्ता के हलीम पेरदानकुसुमा एयरफोर्स बेस से एक विमान मेडिकल टीम और 50.5 टन रसद और खाद्य सामग्री लेकर रवाना हुआ।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री बुदी सादिकिन ने बताया कि मेडिकल टीम टीम 14 दिनों के लिए मानवीय मिशन का संचालन करेगी।
इससे पहले 24 दिसंबर को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी घोषणा की थी कि उसने वानुअतु में आपातकालीन राहत प्रयासों के लिए 5 मिलियन डॉलर की आकस्मिक आपदा वित्तपोषण राशि उपलब्ध कराई है।
वानुअतु में आए भीषण भूकंप के बाद स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। सरकार ने 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय सहायता का अनुरोध किया था।
7.3 तीव्रता के भूकंप के बाद वानुअतु की सरकार ने सात दिनों के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी थी। कम से कम 14 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, भूकंप से अस्पताल, आवासीय और सार्वजनिक भवन, सड़कें, जलाशय और गैस पाइप सहित व्यापक क्षति हुई थी। कई क्षेत्रों में संचार कट गया था।
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने बताया कि राजधानी शहर में पोर्ट विला इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर परिचालन में भी देरी हुई थी, क्योंकि इसके टर्मिनल भवन और सड़क नेटवर्क को नुकसान पहुंचा था, हालांकि रनवे काम कर रहा था। हवाई अड्डा सभी वाणिज्यिक सेवाओं के लिए बंद रहा। 22 दिसंबर को पोर्ट विला अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को वाणिज्यिक एयरलाइन परिचालन के लिए फिर से खोल दिया गया था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
सीरिया: कथित ‘असदिश मिलिया’ के 300 सदस्य गिरफ़्तार
दमिश्क, 30 दिसंबर। सीरिया के नए अंतरिम प्रशासन ने ‘असद मिलिशिया के बचे हुए हिस्से’ पर कार्रवाई करते हुए 300 लोगों को हिरासत में लिया है। यह जानकारी सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने दी।
सरकारी समाचार एजेंसी सना ने पुष्टि की कि अंतरिम अधिकारियों ने शनिवार को तटीय प्रांत लताकिया में और गुरुवार को हामा में ‘असद के मिलिशिया’ के कई संदिग्धों को पकड़ा।
सना ने ‘बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद’ जब्त किए जाने की भी सूचना दी।
मीडिया के अनुसार, नए प्रशासन के तहत सुरक्षा बलों ने गुरुवार को दमिश्क, लताकिया, टारटस और होम्स के आसपास पूर्ववर्ती अधिकारियों से जुड़े व्यक्तियों को निशाना बनाकर व्यापक अभियान चलाया।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रमुख रामी अब्दुल रहमान ने बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों में पूर्व शासन मुखबिर, ईरान समर्थक लड़ाके, हत्याओं और यातनाओं के आरोपी लोअर रैंक सैन्य अधिकारी शामिल हैं। इनमें से एक नाम जनरल मोहम्मद कंजो हसन का भी है, जो असद के अधीन सैन्य न्याय के पूर्व प्रमुख थे, जिन्होंने कुख्यात सैदनाया जेल में संक्षिप्त सुनवाई के बाद कथित तौर पर हजारों को मौत की सजा सुनाई थी।
ऑब्जर्वेटरी ने कहा कि ‘स्थानीय लोगों के सहयोग से’ गिरफ्तचारियां अधिक सुचारू रूप से हुई हैं। इसने कहा कि अभियान में ‘नागरिकों को निरस्त्र करना’ भी शामिल है।
इस महीने की शुरुआत में, हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में सशस्त्र गुटों ने नंवबर में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल सद के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन शुरू कर दिया। लंब समय से विद्रोहियों का सफलतापूर्व मुकाबला करने वाले असद इस बार अपनी सत्ता नहीं बचा पाए। 8 दिसंबर को विद्रोही गुट सीरिया की राजधानी दमिश्कन में प्रवेश कर गए और असद को सत्ता छोड़कर भागना पड़ा।
नए प्रशासन ने सत्ता को मजबूत करने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है।
ह्यूमन राइट्स वॉच सहित अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूहों ने सत्ता में मौजूद गुटों से आग्रह किया है कि वे पूर्व अधिकारियों सहित सभी बंदियों के साथ मानवीय व्यवहार और उचित प्रक्रिया को बनाए रखें।
इस बीच, सीरिया की जनरल इंटेलिजेंस सर्विस के नवनियुक्त प्रमुख अनस खत्ताब ने शनिवार को कहा कि सीरिया में संपूर्ण सुरक्षा तंत्र को ‘सभी शाखाओं को भंग करने के बाद’ पुनर्गठित किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
लेबनान के सीजफायर के साथ इजराइल में लगातार हो रहे हमले में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई
बेरूत, 30 दिसंबर। 27 नवंबर से 22 दिसंबर के बीच इजरायल की ओर से किए गए संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन की वजह से कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई। लेबनानी सेना के एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
सूत्र के मुताबिक इजरायली सेना ने सीमावर्ती कस्बों से 17 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
मिडिया के मुताबिक सीजफायर उल्लंघन में पूर्व और दक्षिण लेबनान पर हवाई हमले, ड्रोन और हवाई जहाज़ की उड़ानें, तोपखाने की गोलाबारी, मशीन गन की गोलीबारी, घुसपैठ, सड़कों और कृषि क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाना, मिट्टी के अवरोध खड़े करना, साथ ही वाहनों को जलाना और कुचलना शामिल हैं।
लेबनानी विदेश मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, 27 नवंबर से 22 दिसंबर के बीच इजरायल ने लेबनान के खिलाफ 816 से अधिक जमीनी और हवाई हमले किए। इसमें सीमावर्ती गांवों पर गोलाबारी, घरों में बम विस्फोट, आवासीय इलाकों को तबाह करना और सड़कों को ब्लॉक करना शामिल है।
इस बीच लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल के मीडिया कार्यालय की उप निदेशक कैंडिस अर्डेल ने रविवार को कहा कि इजरायल डिफेंस फोर्सेज ने उनके बलों को सूचित किया कि तैबेह के आसपास के क्षेत्र में शांति सैनिकों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती है, और गश्ती दल को इस क्षेत्र से बचना चाहिए।
अर्डेल ने जोर देकर कहा, “शांति सैनिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और हम उन्हें गैरजरूरी जोखिम में नहीं डालेंगे।” उन्होंने कहा, “हम आईडीएफ को ‘संकल्प 1701’ के तहत शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, दक्षिणी लेबनान में यूएनआईएफआईएल संचालन क्षेत्र में शांति सैनिकों की आवाजाही की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं।”
अमेरिका और फ्रांस की मध्यस्थता से 27 नवंबर को युद्ध विराम लागू हुआ, जिसका उद्देश्य इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच लगभग 14 महीने से चल रही लड़ाई को रोकना है।
युद्ध विराम समझौते की शर्तों में 60 दिनों के भीतर लेबनानी क्षेत्र से इजरायल की वापसी, लेबनानी सेना को लेबनान-इजरायल सीमा और दक्षिण में तैनात करना शामिल है।
सीजफायर समझौते के बावजूद इजरायली सेना ने लेबनान में हमले जारी रखे हैं, हालांकि उनकी तीव्रता काफी कम हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन, जो एंटोनियो और डोनाल्ड साहिल ने शोक शोक व्यक्त किया
वाशिंगटन, 30 दिसंबर। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार को 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह अब तक के सबसे अधिक उम्र तक जीवित रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति थे।
वह भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति भी थे। कार्टर का निधन उनके घर जॉर्जिया में हुआ। वह त्वचा के कैंसर (मेलानोमा) से पीड़ित थे, जो उनके लीवर और दिमाग तक फैल गया था। उन्होंने इलाज बंद कर दिया था और घर पर ही देखभाल में थे।
उनकी मृत्यु की जानकारी अटलांटा स्थित कार्टर सेंटर ने दी। उनके बेटे चिप कार्टर ने कहा, “मेरे पिता मेरे लिए और उन सभी के लिए नायक थे, जो शांति, मानवाधिकार और निस्वार्थ प्रेम में विश्वास रखते हैं। उन्होंने लोगों को एक साथ जोड़कर पूरी दुनिया को हमारा परिवार बना दिया। उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए इन मूल्यों को अपनाते रहें।”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्टर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “यह एक दुखद दिन है, लेकिन इसके साथ ही उनके साथ जुड़ी हुई ढेर सारी अविश्वसनीय यादें भी हैं। मेरे विचार से आज अमेरिका और विश्व ने एक उल्लेखनीय लीडर खो दिया। वह एक राजनेता और मानवतावादी थे और मैंने एक प्रिय मित्र को भी खो दिया। मैं 50 वर्षों से अधिक समय से जिमी कार्टर को जानता हूं।
“उन वर्षों में मेरी उनके साथ अनगिनत बातचीत हुई… हालांकि मुझे जिमी कार्टर के बारे में जो बात असाधारण लगती है, वह यह है कि दुनिया भर में लाखों लोग महसूस करते हैं कि उन्होंने एक दोस्त भी खो दिया है, भले ही वे उनसे कभी नहीं मिले हों। ऐसा इसलिए है क्योंकि जिमी कार्टर ने कथनी में नहीं बल्कि करनी में यकीन रखा। उन्होंने न केवल घर में, बल्कि दुनिया भर में बीमारी को खत्म करने के लिए काम किया। उन्होंने शांति कायम की, नागरिक अधिकारों, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाया और दुनिया भर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को बढ़ावा दिया।”
वहीं अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जिम्मी के राष्ट्रपति बनने के समय हमारा देश नाजुक दौर से गुजर रहा था और उन्होंने अमेरिकी लोगों के जीवन में सुधार के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास किए। इसके लिए, हम सब उनके आभारी हैं। इस मुश्किल समय में मैं और मेरी पत्नी कार्टर के परिवार और उनके प्रियजनों के बारे में सोच रहे हैं। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि उनको अपने दुआओं में रखें।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति कार्टर ने डेमोक्रेट पार्टी की ओर से 1977 से 1981 तक एक कार्यकाल पूरा किया। उनके समय में इजरायल और मिस्र के बीच कैंप डेविड समझौते जैसी उपलब्धियां थीं। कार्टर ने राष्ट्रपति पद के बाद भी असाधारण काम किए और 2002 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीता। उन्हें यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण हल खोजने, लोकतंत्र और मानवाधिकार बढ़ाने, तथा आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए दिया गया।
कार्टर 1978 में भारत यात्रा के दौरान अपनी पत्नी के साथ आए थे। उन्होंने राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मुलाकात की थी और संसद को संबोधित किया था। गुरुग्राम के एक गांव का नाम, जहां वे गए थे, उनके सम्मान में “कार्टरपुरी” रखा गया, जो आज भी है।
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