मनोरंजन
सीनियर बैडमिंटन नेशनल्स 18 दिसंबर से बेंगलुरु में
बेंगलुरु, 16 दिसंबर | एक रोमांचक घरेलू सत्र, जिसमें युवा चुनौती देने वाले उभरे और कुछ अनुभवी खिलाड़ियों ने किस्मत आजमाई, का समापन 77वीं इंटर-जोनल और 86वीं सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप के साथ होगा, जो 18-24 दिसंबर तक बेंगलुरु में कर्नाटक बैडमिंटन एसोसिएशन कोर्ट में खेली जाएगी।
चैंपियनशिप की शुरुआत इंटर-जोनल टीम स्पर्धाओं से होगी, जबकि व्यक्तिगत स्पर्धा 20 दिसंबर से शुरू होगी। इसमें मौजूदा पुरुष एकल चैंपियन चिराग सेन और महिला एकल विजेता अनमोल खरब बेहद प्रतिस्पर्धी मैदान के बावजूद अपने-अपने खिताब बरकरार रखने की कोशिश करेंगे।
भारतीय बैडमिंटन संघ के सचिव संजय मिश्रा ने कहा, “सीनियर नेशनल चैंपियनशिप घरेलू सर्किट का शिखर है और हमारे घरेलू सर्किट में प्रतिस्पर्धा के बढ़े हुए स्तर को देखते हुए, बेंगलुरु में बैडमिंटन प्रशंसकों को अगले सात दिनों में उच्च गुणवत्ता वाले मैच देखने को मिलेंगे और हम युवा खिलाड़ियों के बीच से कुछ नए सितारों के उभरने का इंतजार कर रहे हैं जो अपने स्थापित साथियों को चुनौती देंगे। यह साल का अंतिम बाई टूर्नामेंट होगा, इसका मतलब है कि हमारा कैलेंडर बीडब्ल्यूएफ कैलेंडर के साथ संरेखित है।”
पिछले कुछ वर्षों में सीनियर नेशनल कितने प्रतिस्पर्धी रहे हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2006-07 में चेतन आनंद द्वारा यह उपलब्धि हासिल करने के बाद से कोई भी पुरुष एकल खिलाड़ी खिताब बरकरार नहीं रख पाया है और साइना नेहवाल (2006-07 और 2017-18) इसी अवधि के दौरान लगातार खिताब जीतने वाली एकमात्र महिला एकल खिलाड़ी हैं।
टीम स्पर्धाओं में भी कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली, क्योंकि मौजूदा पुरुष और महिला चैंपियन, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और महाराष्ट्र, क्षेत्रीय स्तर पर बाहर होने के बाद इस साल अंतर-क्षेत्रीय चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने में विफल रहे।
व्यक्तिगत स्पर्धा में, सेन को दुनिया के 34वें नंबर के खिलाड़ी प्रियांशु राजावत, दुनिया के 37वें नंबर के खिलाड़ी किरण जॉर्ज, पिछले संस्करण के फाइनलिस्ट एम. थारुन और बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रणय शेट्टीगर की अगुआई वाली युवा ब्रिगेड से कड़ी चुनौती का सामना करना होगा।
महिला वर्ग में, पिछले संस्करण की फाइनलिस्ट तन्वी शर्मा, अनुभवी मालविका बंसोड़, आकर्षि कश्यप, उन्नति हुड्डा, पूर्व चैंपियन अनुपमा उपाध्याय और उभरती हुई रक्षिता श्री अनमोल के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकती हैं। मिश्रित युगल चैंपियन ध्रुव कपिला और तनिषा क्रैस्टो, और महिला युगल में श्रुति मिश्रा और प्रिया देवी कोंजेंगबाम भी अपने खिताब का बचाव करना चाहेंगे।
सदी की शुरुआत के बाद से यह तीसरी बार है जब बेंगलुरु सीनियर नेशनल्स की मेजबानी कर रहा है और इस चैंपियनशिप में कुल 50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि होगी, जिसमें टीम चैंपियनशिप के लिए 10 लाख रुपये शामिल हैं।
टीम चैंपियनशिप और व्यक्तिगत स्पर्धाओं के लिए संबंधित स्पर्धाओं की पूर्व संध्या पर लाइव ड्रॉ निकाला जाएगा।
खेल
अश्विन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की
ब्रिस्बेन, 18 दिसंबर। भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ब्रिस्बेन में टेस्ट सीरीज़ के ड्रा रहे तीसरे मैच के बाद अश्विन ने यह फ़ैसला लिया। एडिलेड में खेला गया डे-नाईट टेस्ट मैच उनका आख़िरी टेस्ट मैच था।
अश्विन टेस्ट क्रिकेट में अनिल कुंबले के बाद भारत के दूसरे सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ के तौर पर संन्यास ले रहे हैं। उन्होंने भारत के लिए कुल 106 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 24 की औसत से 537 विकेट लिए।
अश्विन ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के दौरान भारत के पहले तीन टेस्ट मैचों में से सिर्फ़ एक ही टेस्ट (डे-नाइट टेस्ट) खेला, जिसमें उन्होंने 53 रन देकर एक विकेट लिया था। इससे पहले अश्विन भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच हुई टेस्ट सीरीज़ का हिस्सा थे, जहां भारत को 0-3 से क़रीब शिक़स्त झेलनी पड़ी थी। उस सीरीज़ में अश्विन का प्रदर्शन काफ़ी ख़राब रहा था। उन्होंने तीन टेस्ट मैचों में 41.2 की औसत से सिर्फ़ नौ विकेट लिए थे।
अश्विन विदेशी दौरों पर भारतीय टेस्ट एकादश का नियमित हिस्सा नहीं रहते हैं और भारत की अगली घरेलू सीरीज़ अगले साल नवंबर में है। उसके पहले भारत को इंग्लैंड गर्मियों के दौरान जाना है।
अश्विन के नाम छह टेस्ट शतक और 14 अर्धशतकों के साथ 3503 टेस्ट रन भी हैं और वह 300 विकेट व 3000 रन का डबल करने वाले दुनिया के सिर्फ़ 11वें ऑलराउंडर हैं। उनके नाम मुथैया मुरलीधरन के बराबर सर्वाधिक 11 प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ अवॉर्ड हैं।
अगर वनडे क्रिकेट की बात की जाए तो उनके नाम 116 मैचों में 33 की औसत और 4.93 की इकॉनमी से 156 विकेट हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/25 रहा है। उन्होंने वनडे में एक अर्धशतक की मदद से 707 रन बनाए हैं जबकि टी20 में उन्होंने 65 मैचों में 6.90 की इकॉनमी और 23 की औसत से 72 विकेट लिए हैं, जिसमें उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4/8 का रहा है।
बॉलीवुड
‘वनवास’ के हीरो उत्कर्ष शर्मा पर अभिनेत्री सिमरत कौर ने उठाया डंडा, गदर के ‘हथौड़े’ से मिला जवाब
मुंबई, 17 दिसंबर। अभिनेता उत्कर्ष शर्मा अपनी आगामी फिल्म ‘वनवास’ के प्रचार में व्यस्त हैं। अभिनेता ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिसमें वह बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच अभिनेत्री सिमरत कौर के साथ मजाकिया अंदाज में तस्वीरों के लिए पोज देते कैमरे में कैद हुए।
इंस्टाग्राम पर तस्वीरें साझा कर अभिनेता ने कैप्शन में लिखा, “ मैं बड़ी शिद्दत से इंटेंस तस्वीरें लेने की कोशिश कर रहा था, लेकिन किसी ने मुझे हंसाने का बीड़ा उठा लिया था।“
तस्वीरों में अभिनेता, सिमरत के दूसरी तस्वीर में उत्कर्ष गंभीर भाव के साथ पोज देते दिखे। तीसरी तस्वीर में सिमरत, उत्कर्ष पर मजाकिया अंदाज में प्रहार करती तो चौथी तस्वीर में हाथ में हथौड़ा लिए उत्कर्ष अपने ‘गदर’ अंदाज में दिखे। दोनों के मजाकिया पोस्ट को उनके प्रशंसक काफी पसंद कर रहे हैं।
उत्कर्ष शर्मा की पोस्ट पर सिमरत ने लिखा, ” क्या हो गया है ? पोस्ट पर पोस्ट लगता है अब इस बांस (डंडा) से मारना पड़ेगा।” सिमरत के मजाकिया कमेंट पर उत्कर्ष ने कहा, “मैं पूरे साल की कसर निकाल रहा हूं।”
फिल्म के प्रचार में जुटे अभिनेता हाल ही में धर्मनगरी वाराणसी पहुंचे थे, जहां कि तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा की थी। माथे पर भस्म लगाए अभिनेता तस्वीरों में बनारसी अंदाज में नजर आए थे। उन्होंने बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद बनारस की मशहूर मिठाई मलइयो (ओस की मिठाई) का स्वाद चखा था।
इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर कर अभिनेता ने लिखा था, “सुंदर काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए और फिर भारत की सबसे पुरानी दुकानों में से एक से मलइयो (एक खास तरह की बनारसी मिठाई) और कचौड़ियों का लुत्फ उठाया। लेकिन मुझे मुश्किल से एक निवाला मिला। “
मजेदार तस्वीरों में से एक में उत्कर्ष मंदिर के प्रांगण में हाथ जोड़े नजर आए, जहां उनके पीछे काशी विश्वनाथ मंदिर का शिखर दिखाई दे रहा था।
20 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही ‘वनवास’ का टीजर 29 अक्टूबर को आउट हुआ था। परिवार, सम्मान, रोमांस और मनोरंजन से भरपूर फिल्म का निर्देशन ‘गदर’, ‘गदर 2’ निर्देशक अनिल शर्मा ने किया है। निर्देशन के साथ ही ‘वनवास’ का निर्माण और लेखन भी उन्होंने ही किया है।
जी स्टूडियोज के बैनर तले बनी फिल्म में नाना पाटेकर, उत्कर्ष शर्मा के साथ खुशबू सुंदर, राजपाल यादव, सिमरत कौर रंधावा, मनीष वाधवा, अश्विनी कालसेकर जैसे मंझे हुए सितारे भूमिका में हैं।
मनोरंजन
फिल्मी है जाकिर हुसैन की लव स्टोरी, पहले छुपकर फिर समाज के सामने हुई शादी, मां को नहीं मंजूर था रिश्ता
नई दिल्ली, 16 दिसंबर। देश के मशहूर तबला वादक और संगीतकार जाकिर हुसैन अब हमारे बीच नहीं रहे। 73 वर्ष की उम्र में उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस ली। जाकिर हुसैन के निधन की खबर ने देशभर में शोक की लहर फैला दी है। उनके संगीत के चाहने वाले और प्रशंसक उन्हें याद कर रहे हैं, उनके साथ बिताए गए समय, उनकी रचनाओं और उनकी प्रेरणाओं की चर्चा कर रहे हैं। इस बीच, जाकिर हुसैन की लव स्टोरी पर भी चर्चा हो रही है।
जाकिर हुसैन की निजी जिंदगी के बारे में बहुत कम ही जानकारी सार्वजनिक हुई है। हालांकि, एक साक्षात्कार में उन्होंने अपनी लव स्टोरी के बारे में बात की थी, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया था।
जाकिर हुसैन ने खुद बताया था कि उन्होंने अपने परिवार को बताए बिना शादी की थी। उनका कहना था कि यह शादी एक राज थी, जिसे किसी को भी नहीं पता था। बाद में जब उन्होंने अपने परिवार को इस बारे में बताया, तो रीति-रिवाजों के साथ शादी का आयोजन हुआ। बता दें कि हुसैन की मां इस शादी के खिलाफ थीं। हालांकि, बाद में उन्होंने एंटोनिया को अपनी ‘बहू’ के रूप में स्वीकार कर लिया था।
जाकिर हुसैन की यह लव स्टोरी तब शुरू हुई जब वे कैलिफोर्निया गए थे। वह वहां तबला का ज्ञान लेने पहुंचे थे, लेकिन तबला सीखते-सीखते उनके दिल के तार एक विदेशी लड़की से जुड़ गए थे। यह घटना 70 के दशक की है जब कैलिफोर्निया के बे एरिया में पहली बार उन्हें एक इटैलियन-अमेरिकन लड़की एंटोनिया मिनेकोला से प्यार हो गया था। हुसैन ने बताया था कि यह प्यार पहली नजर में हुआ था और उनकी जिंदगी का यह मोड़ बहुत खास था।
जाकिर हुसैन और एंटोनिया के बीच गहरी मित्रता बनी, जो धीरे-धीरे एक खूबसूरत रिश्ते में बदल गई। हालांकि, जाकिर और एंटोनिया का रिश्ता शुरू में उनके परिवार से छुपा रहा। इस जोड़े ने शादी के बाद भी इसे गोपनीय रखा, लेकिन समय के साथ जब उनके परिवार ने इसके बारे में जाना, तो उन्होंने अपने रिश्ते को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ औपचारिक रूप दिया।
हुसैन को भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए विश्व भर में जाना जाता है। अपनी कला से न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी भारतीय संगीत को एक नई पहचान दी। उनकी संगीत यात्रा में कई उपलब्धियां हैं, जो आज भी अपनी कला के माध्यम से लोगों के दिलों में जीवित हैं। उनके निधन ने भारतीय संगीत की दुनिया में एक अपूरणीय शून्य छोड़ दिया है। हालांकि, उनका संगीत और उनकी प्रेरणा हमेशा जीवित रहेगी।
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