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2025 में सोने में स्थिर, यद्यपि मामूली वृद्धि हो सकती है: डब्ल्यूजीसी
विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, सोने का भविष्य चुनौतियों और अवसरों का मिश्रण प्रस्तुत करता है, तथा 2025 में गतिशील वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच इस बहुमूल्य धातु में मामूली वृद्धि होने की संभावना है।
बाजार के अनुमानों से पता चलता है कि 2025 में सोने में स्थिर, यद्यपि मामूली, वृद्धि हो सकती है। वैश्विक जीडीपी, बांड प्रतिफल और मुद्रास्फीति जैसे प्रमुख आर्थिक चर स्थिर वातावरण का संकेत देते हैं, हालांकि जोखिम बने हुए हैं।
केंद्रीय बैंक की कार्रवाई, भू-राजनीतिक तनाव, तथा उपभोक्ता और निवेशक मांग में वृद्धि सहित कई कारक सोने के प्रदर्शन को आकार देंगे।
संभावित उछाल अपेक्षा से अधिक मजबूत
केंद्रीय बैंक द्वारा अपेक्षा से अधिक खरीद या सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर पलायन को बढ़ावा देने वाले आर्थिक झटकों से संभावित उछाल आ सकता है। दूसरी ओर, सख्त मौद्रिक नीतियों और बढ़ती ब्याज दरों से सोने पर असर पड़ सकता है।
राष्ट्रपति ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में संयुक्त राज्य अमेरिका सोने की गति में एक महत्वपूर्ण कारक है। जबकि एक व्यवसाय समर्थक एजेंडा घरेलू भावना को बढ़ावा दे सकता है, वैश्विक निवेशक सतर्क हैं, मुद्रास्फीति के दबाव और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से चिंतित हैं।
फेडरल रिजर्व द्वारा 100 बीपीएस की कटौती की उम्मीद
उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व वर्ष के अंत तक ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की कटौती करेगा, जो ऐतिहासिक रूप से सोने को समर्थन देता है, लेकिन नीति में लंबे समय तक रोक या उलटफेर चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है।
चीन और भारत, दो सबसे बड़े सोने के बाजार, सोने के प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण बने रहेंगे। चीन में, आर्थिक विकास और सरकारी प्रोत्साहन उपभोक्ता मांग को प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि स्टॉक और रियल एस्टेट से प्रतिस्पर्धा सोने की अपील को सीमित कर सकती है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से अधिक
भारत की स्थिति मजबूत है, आर्थिक वृद्धि 6.5 प्रतिशत से अधिक है, जिससे उपभोक्ता मांग को समर्थन मिल रहा है। इसके अतिरिक्त, वित्तीय स्वर्ण निवेश उत्पाद भारत में लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं, जिससे बाजार में लचीलापन बढ़ रहा है।
केंद्रीय बैंक लगभग 15 वर्षों से सोने के शुद्ध खरीदार रहे हैं, तथा संकट से बचाव और एक विश्वसनीय आरक्षित परिसंपत्ति के रूप में इसके मूल्य को मान्यता देते रहे हैं।
वर्ष 2025 में केंद्रीय बैंक की मांग 500 टन के दीर्घकालिक औसत से अधिक होने का अनुमान है, जिससे सोने की कीमतों में तेजी जारी रहेगी। हालांकि, इस स्तर से नीचे की गिरावट धातु के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
अनिश्चितता बनी हुई है लेकिन सोने के चालक मूल्य को प्रभावित करते हैं
अनिश्चितता एक महत्वपूर्ण कारक बनी हुई है। भू-राजनीतिक तनाव, विशेष रूप से दक्षिण कोरिया और सीरिया जैसे क्षेत्रों में, और यूरोपीय संप्रभु ऋण पर चिंताएं जोखिम से बचने वाले निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित कर सकती हैं।
साथ ही, सोने के प्रमुख चालकों – आर्थिक विस्तार, जोखिम धारणा, अवसर लागत और गति – के बीच परस्पर क्रिया इसकी कीमत को प्रभावित करेगी।
कम ब्याज दर और भू-राजनीतिक जोखिम कीमतों को बढ़ाएंगे
सोने के 2024 के अंत तक के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है, जो उपलब्ध जानकारी के आधार पर बाजार के मूल्य निर्धारण को दर्शाता है। कम ब्याज दरें या बढ़े हुए भू-राजनीतिक जोखिम कीमतों को बढ़ा सकते हैं, जबकि बढ़ती दरों और धीमी वृद्धि के संयोजन से नीचे की ओर दबाव पड़ सकता है।
केंद्रीय बैंक की खरीदारी महत्वपूर्ण बनी रहेगी, जो 2025 में सोने के लिए एक स्थिर आधार प्रदान करेगी।
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भारत में करीब 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को एआई से नौकरी खोने का डर : रिपोर्ट

मुंबई, 3 नवंबर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते चलन के कारण भारत में 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को अगले तीन से पांच वर्षों में नौकरी खोने का डर है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय कर्मचारी काम पर एआई के बढ़ते असर के साथ कैसे तालमेल बिठा रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि पूरे भारत में 54 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि उनकी ऑर्गनाइजेशन अभी एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर हैं। यह ज्यादा टेक-पावर्ड और कुशल काम के माहौल की ओर लगातार हो रही तरक्की को दिखाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से चार कर्मचारियों को लगता है कि एआई अगले तीन से पांच सालों में उनकी जगह ले सकता है। यह डर किसी एक खास ग्रुप तक सीमित नहीं है, बल्कि हर स्तर के कर्मचारियों में है।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई की वजह से अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित कम से कम 40 परसेंट कर्मचारी अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। यह एचआर डिपार्टमेंट और सीनियर लीडरशिप के लिए एक जरूरी और गंभीर मुद्दा है।
ग्रेट प्लेस टू वर्क, इंडिया के सीईओ, बलबीर सिंह ने कहा, “जैसे-जैसे अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ऑर्गनाइजेशन एआई को लागू करने में आगे बढ़ रहे हैं, लीडर्स ऐसे हाई-इम्पैक्ट एआई स्ट्रेटेजी बना रहे हैं जो इंसानी क्षमताओं को बढ़ाते हैं। अभी जिन रुकावटों पर ध्यान देने की जरूरत है, वह ऑर्गनाइजेशनल रेसिस्टेंस, साथ ही कर्मचारियों की तैयारी है।”
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा, जिन कंपनियों ने अभी तक एआई को नहीं अपनाया है, उनमें लगभग 57 प्रतिशत कर्मचारियों ने इनसिक्योर महसूस किया, जबकि एआई अपनाने के एडवांस्ड स्टेज वाली कंपनियों में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत है।
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भारतीय शेयर बाजार हल्की गिरावट के साथ खुला, सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी

मुंबई, 3 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में हल्की गिरावट के साथ खुला। सुबह 9:19 पर सेंसेक्स 126 अंक या 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83,811 और निफ्टी 20 अंक या 0.08 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 25,688 पर था।
शुरुआती कारोबार में सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी गई। निफ्टी पीएसयू बैंक करीब 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था। इसके अलावा निफ्टी फार्मा, निफ्टी मेटल, निफ्टी रियल्टी, निफ्टी हेल्थकेयर और निफ्टी ऑयल एंड गैस भी हरे निशान में थे। हालांकि, निफ्टी आईटी, निफ्टी एफएमसीजी और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज लाल निशान में थे।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर हरे निशान में थे। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 114 अंक या 0.19 प्रतिशत की तेजी के साथ 59,940 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 120 अंक या 0.66 प्रतिशत की मजबूती के साथ 18,501 पर था।
सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, एसबीआई, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल, भारती एयरटेल, सन फार्मा, टाटा स्टील और पावर ग्रिड हरे निशान में थे। मारुति सुजुकी, बीईएल, टाइटन, इटरनल (जोमैटो), बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, एनटीपीसी, ट्रेंट, कोटक महिंद्र बैंक, टीसीएस, टेक महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक लूजर्स थे।
चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है और गिरावट के बाद भी 25,800 के ऊपर बना हुआ है, जो दिखाता है बाजार में आने समय में एक छोटा कंसोलिडेशन देखने को मिल सकता है। निफ्टी के लिए सपोर्ट 25,600 से लेकर 25,500 पर है, जबकि रुकावट का स्तर 25,800 से लेकर 26,000 के बीच है।
ब्रोकिंग फर्म ने आगे कहा कि अगर निफ्टी 26,000 के पार निकलता है, तो यह 26,100 से लेकर 26,300 तक जा सकता है।
लगातार तीन महीनों तक बिकवाली के बाद, विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में मजबूत वापसी की है और करीब 14,610 करोड़ रुपए का निवेश किया।
विदेशी निवेशकों की वापसी की वजह कॉरपोरेट आय में उछाल, अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती करना और अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील की संभावना है।
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भारत में इस वर्ष अक्टूबर में आईपीओ से रिकॉर्ड 46,000 करोड़ की फंड रेजिंग हुई

मुंबई, 31 अक्टूबर: भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए अक्टूबर का महीना काफी शानदार रहा है, जो कि मुख्य आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) का एक व्यस्त महीना रहा। अब तक 14 कंपनियां 46,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटाने के लक्ष्य के साथ बाजार में प्रवेश कर चुकी हैं।
घरेलू पूंजी बाजारों में इस महीने मंथली फंडरेजिंग को लेकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ है, जो कि टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की लिस्टिंग के साथ संभव हो पाया है। टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने मिलकर कुल फंड रेजिंग में आधे से ज्यादा का योगदान दर्ज करवाया।
जहां, टाटा कैपिटल की ओर से 15,512 करोड़ रुपए की राशि जुटाई गई वहीं, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 11,607 करोड़ रुपए आरंभिक शेयर बिक्री के माध्यम से जुटाए गए।
इस गति को रफ्तार देते हुए लेंसकार्ट सॉल्यूशन ने 31 अक्टूबर को अपना 7,278 करोड़ रुपए का इश्यू जारी किया, जो कि 4 नवंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा। इस महीने वीवर्क इंडिया, केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस, ओर्कला इंडिया और रूबिकॉन रिसर्च के ऑफर भी शामिल थे।
इससे पहले बीते वर्ष 2024 अक्टूबर में छह आईपीओ ने 38,690 करोड़ रुपए जुटा कर एक मंथली हाई रिकॉर्ड दर्ज करवाया था, जिसे इस बार के रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन ने पीछे छोड़ दिया। लेटेस्ट आकंड़ों ने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, जब नवंबर 2021 के दौरान नौ आईपीओ से 35,665 करोड़ रुपए, और नवंबर 2024 में आठ आईपीओ से 31,145 करोड़ रुपए जुटाए गए थे।
वर्ष 2025 की बात करें तो अब तक 89 आईपीओ ने 1.38 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाई है, जो इसे एक मजबूत वर्ष के रूप में दर्ज करता है। जबकि अभी साल के आखिरी महीने नवंबर और दिसंबर में कई और आईपीओ प्राइमरी मार्केट में आने वाले हैं, जिससे बीते वर्ष 2024 का रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद की जा रही है। वर्ष 2024 में फंड रेजिंग 1.60 लाख करोड़ रुपए के आकंड़े को पार कर गई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारत के प्राइमरी मार्केट की मजबूती और लिक्विडिटी की गहराई को दर्शाती है, जो कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बीच असमान सेकेंडरी मार्केट सेंटीमेंट के बावजूद भी वाइब्रेंट बना हुआ है।
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