पर्यावरण
महाराष्ट्र में 4,000 एकड़ से अधिक मैंग्रोव पर अतिक्रमण, पारिस्थितिकी संतुलन बिगाड़ रहा है: पर्यावरणविद
पर्यावरणविदों का आरोप है कि पर्यावरण के प्रति घोर लापरवाही बरती गई है और महाराष्ट्र में 4,000 एकड़ से अधिक मैंग्रोव भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिससे पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ रहा है। हालांकि, यह पुष्टि करना मुश्किल है कि वास्तव में कितना क्षेत्र पुनः प्राप्त किया गया है, क्योंकि मौजूदा तटरेखाओं पर मैंग्रोव अपने आप ही उगते हैं।
पर्यावरण कार्यकर्ता बीएन कुमार ने तटीय क्षेत्र में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में वृद्धि के लिए तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (सीजेडएमपी) को लागू करने में विफलता को जिम्मेदार ठहराया। 19 फरवरी, 1991 की तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना के तहत, तटों की पारिस्थितिकी और भू-आकृति विज्ञान की रक्षा के लिए सीजेडएमपी की तैयारी अनिवार्य है।
पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट (कैट) के अनुसार, पिछले 33 वर्षों में सरकार ने तीन सीजेडएमपी तैयार किए हैं, लेकिन उनमें से कोई भी सटीक नहीं है। सोमवार को कैट ने ‘तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाएँ – तटीय आवासों के संरक्षण के लिए उपकरण’ शीर्षक से एक अध्ययन रिपोर्ट जारी की, जिसमें महाराष्ट्र में सीजेडएमपी की तैयारी और प्रकाशन में कमियों को उजागर किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, “राज्य की नगरपालिकाएं, नौकरशाही, योजना एजेंसियां और वैधानिक निकाय 1991, 2011 और 2019 के विनियमन को दंड से मुक्त करना जारी रखते हैं, अक्सर गलत सीजेडएमपी, जनता की अज्ञानता और सुस्त न्यायपालिका का फायदा उठाते हैं।”
रिपोर्ट को मुंबई में बॉम्बे हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश गौतम पटेल ने कैट ट्रस्टी देबी गोयनका और अन्य विशेषज्ञों के साथ जारी किया। रिपोर्ट में कहा गया है, “स्थानीय कोली (मछुआरों) को सीजेडएमपी के बारे में कभी भी पर्याप्त जानकारी या शिक्षा नहीं दी गई और न ही राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने उनसे परामर्श किया।”
रिपोर्ट में कुछ मुख्य अवलोकन, जो मुंबई और मुंबई महानगर क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, वे हैं कि इस बात पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि खतरे की रेखा का सीमांकन कैसे किया गया है; 2011 के सीजेडएमपी के लिए मानचित्रण दिसंबर 2012-जून 2013 के दौरान किया गया है; और देरी के कारण के बिना नवंबर 2017 में मसौदा मानचित्र जारी किए गए। गोयनका ने कहा, “हालांकि यह गलत मानचित्रण का मामला लग सकता है, लेकिन ऐसी त्रुटियों के बड़े परिणाम होते हैं, खासकर मुंबई जैसे तटीय शहर में।”
पर्यावरण
लोकसभा में वायु प्रदूषण पर उठे सवालों का जवाब देंगे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव

LOKSABHA
नई दिल्ली, 18 दिसंबर: दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण पर गुरुवार को लोकसभा में विस्तार से चर्चा होगी। संसद में विपक्षी सदस्यों ने बिगड़ती हवा की गुणवत्ता और मौजूदा उपायों के प्रभावों को लेकर लगातार चिंता जताई थी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव शाम 5 बजे लोकसभा में प्रदूषण से जुड़े सवालों, आपत्तियों और सुझावों का जवाब देंगे। वे इस मुद्दे पर सरकार की बढ़ती आलोचनाओं का जवाब देंगे और प्रदूषण के खतरनाक स्तर से निपटने की सरकार की रणनीति के बारे में भी बताएंगे।
इससे पहले कई सांसद केंद्र सरकार से गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने की उसकी तैयारी और दीर्घकालिक नजरिए के बारे में सवाल कर चुके हैं।
डीएमके के राज्यसभा सदस्य डॉ. कनिमोझी एनवीएन सोमू ने जानना चाहा था कि क्या सरकार उन इलाकों में बड़े पैमाने पर एयर प्यूरीफायर लगाने के लिए फंड दे रही है, जहां बहुत ज्यादा प्रदूषण है।
संसद में बहस के दौरान भूपेंद्र यादव ने प्रदूषण की गंभीरता को स्वीकार किया और माना कि वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। उन्होंने जन जागरूकता और नियमों को लागू करने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि नागरिकों को एयर क्वालिटी इंडेक्स रीडिंग और स्वास्थ्य पर उनके असर के बारे में पता होना चाहिए।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सरकार जागरूकता लाने और नियमों को लागू करने पर काम कर रही है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत देशभर के 130 शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पहल चल रही हैं।
भूपेंद्र यादव ने संसद को बताया कि हानिकारक औद्योगिक उत्सर्जन को रोकने और नियमों को लागू करने में कमियों को दूर करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही शहरी स्थानीय निकायों की जमीनी स्तर पर नियमों का पालन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने बताया कि 20,000 वर्ग मीटर से ज्यादा के क्षेत्र वाली परियोजनाओं के लिए एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को निर्माण और विध्वंस कचरे के निपटान के लिए तय जोन बनाने की सलाह दी है ताकि बिना रोक-टोक के कचरा फेंकने और धूल प्रदूषण को रोका जा सके।
राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार के नए उपायों के तहत ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम गुरुवार से लागू होगा। इसके अलावा, गुरुवार से सिर्फ बीएस-सिक्स कंप्लायंट गाड़ियां जो दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड हैं, उन्हें ही शहर में आने की इजाजत होगी, जबकि कंस्ट्रक्शन मैटीरियल ले जाने वाले ट्रकों पर बैन जारी रहेगा। दिल्ली में ग्रैपनियमों के तहत कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर रोक है और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया गया है।
पर्यावरण
दिल्ली में प्रदूषण पर सख्ती: आज से ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम लागू

WETHER
नई दिल्ली, 18 दिसंबर: देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार के नए उपायों के तहत गुरुवार से ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम लागू होगा।
इसके अलावा, दिल्ली में बाहर से आने वाली गाड़ियों में सिर्फ बीएस-6 मानक वाली गाड़ियां ही प्रवेश कर सकेंगी। कंस्ट्रक्शन मटीरियल ले जाने वाले ट्रकों पर बैन जारी रहेगा। दरअसल, ग्रैप के नियमों के तहत निर्माण कार्य पर रोक जारी है और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
राजधानी में प्रदूषण से हालात काफी खराब हैं, जिसके चलते दिल्ली सरकार ने गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण, धूल, कचरा और ट्रैफिक जाम को टारगेट करते हुए इमरजेंसी और लॉन्ग-टर्म उपायों का एक बड़ा सेट घोषित किया है।
इससे पहले, पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बुधवार को कहा कि सरकार कई मोर्चों पर काम कर रही है, क्योंकि लोग खतरनाक धुंध (स्मॉग) के संपर्क में हैं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सिरसा ने पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (पीयूसीसी) सिस्टम में पूरी तरह बदलाव, थर्ड-पार्टी मॉनिटरिंग की शुरुआत, पूरे शहर के लिए कार-पूलिंग ऐप, इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सुधार और मशीनीकृत सड़क-सफाई उपकरणों की बड़े पैमाने पर तैनाती की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) सर्टिफिकेट जारी करने के सिस्टम में बदलाव करने पर विचार कर रही है, क्योंकि मौजूदा सेंटर पुराने हो गए हैं और उनमें कई कमियां हैं। एक थर्ड-पार्टी मॉनिटरिंग सिस्टम लाया जाएगा।
सिरसा ने कहा कि वाहन मालिकों के लिए बुधवार का दिन वैलिड पीयूसी सर्टिफिकेट लेने का आखिरी दिन था। गुरुवार से प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को फ्यूल नहीं दिया जाएगा। साथ ही, एएनपीआर कैमरे, पेट्रोल पंप पर वॉयस अलर्ट और पुलिस की तैनाती से नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
फ्यूल बैन को लागू करने के लिए दिल्ली में 126 चेकपॉइंट बनाए गए हैं, जिसमें बॉर्डर पॉइंट भी शामिल हैं। इसके अलावा, 580 पुलिस कर्मियों और 37 प्रखर वैन को तैनात किया गया है।
ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की एनफोर्समेंट टीम पेट्रोल पंप और बॉर्डर चेकपॉइंट पर तैनात रहेगी। सिरसा ने नागरिकों से सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि दिल्ली वालों से रिक्वेस्ट है कि वे पेट्रोल पंप या बॉर्डर और चेकपॉइंट पर अधिकारियों से बहस न करें। यह कदम आपकी सेहत और आपके बच्चों के भविष्य के लिए है।
इसके अलावा, सरकार ने ट्रैफिक का बोझ कम करने के लिए सरकारी और प्राइवेट संस्थानों में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम भी अनिवार्य कर दिया है। साथ ही, दिल्ली सरकार लाइव डेटा का इस्तेमाल करके ट्रैफिक जाम वाले हॉटस्पॉट की पहचान करने के लिए गूगल मैप्स और मैप इंडिया के साथ पार्टनरशिप पर भी विचार कर रही है।
पर्यावरण
एनसीआर में प्रदूषण से आंशिक राहत, हवा अब भी ‘बेहद खराब’ श्रेणी में

नई दिल्ली, 17 दिसंबर: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बीते कुछ दिनों से चल रही तेज सर्द हवाओं के कारण वायु प्रदूषण में हल्की गिरावट जरूर दर्ज की गई है, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और यूपीपीसीबी (यूपीपीसीबी) के विभिन्न एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों से मिले आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अधिकांश इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार दर्ज किया गया है, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है।
दिल्ली की बात करें तो पंजाबी बाग में एक्यूआई 336, आरके पुरम में 341, रोहिणी में 364, शादिपुर में 342, सिरीफोर्ट में 355, सोनिया विहार में 344 और विवेक विहार में 354 दर्ज किया गया। वहीं, वजीरपुर इलाके में एक्यूआई 359 रहा। पुसा क्षेत्र में हालात और ज्यादा गंभीर दिखे, जहां एक्यूआई 365 रिकॉर्ड किया गया। मुंडका में एक्यूआई 369 तक पहुंच गया, जो बेहद खराब स्थिति को दर्शाता है।
इसके अलावा नेहरू नगर में 360, नरेला में 342, ओखला फेज-2 में 337, पटपड़गंज में 331 और नजफगढ़ में 301 एक्यूआई दर्ज किया गया। श्री अरबिंदो मार्ग पर एक्यूआई 312 और नॉर्थ कैंपस, डीयू क्षेत्र में 319 दर्ज किया गया। एनसीआर के अन्य शहरों की स्थिति भी कुछ खास बेहतर नहीं है।
नोएडा के सेक्टर-125 में एक्यूआई 328, सेक्टर-1 में 347 और सेक्टर-116 में 300 दर्ज किया गया। हालांकि सेक्टर-62 में एक्यूआई 281 रहा, जो ‘खराब’ श्रेणी में है लेकिन अन्य क्षेत्रों की तुलना में थोड़ी राहत जरूर देता है। गाजियाबाद की बात करें तो इंदिरापुरम में एक्यूआई 257, लोनी में 328 और संजय नगर में 292 दर्ज किया गया।
मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में एनसीआर में मध्यम स्तर का कोहरा छाए रहने की संभावना है। 17, 18 और 19 दिसंबर के लिए जारी पूर्वानुमान के मुताबिक तापमान अधिकतम 23–24 डिग्री और न्यूनतम 9–10 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। नमी का स्तर 95 से 98 प्रतिशत तक रहने की संभावना है, जिससे प्रदूषक कणों के वातावरण में लंबे समय तक बने रहने का खतरा है।
मौसम विभाग ने फिलहाल किसी बड़े बदलाव या चेतावनी की बात नहीं कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल हल्की या मध्यम हवाएं प्रदूषण को पूरी तरह साफ करने में सक्षम नहीं हैं। वायु गुणवत्ता में ठोस सुधार के लिए तेज बारिश या लंबे समय तक तेज हवाओं की जरूरत होगी।
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