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Thursday,24-July-2025
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राजनीति

आम आदमी पार्टी का ‘जेल का जवाब वोट से’ कैंपेन शुरू, घर-घर पहुंच रहे हैं आप नेता

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आम आदमी पार्टी (आप) ने ‘जेल का जवाब वोट से’ कैंपेन की शुरुआत की है। आप नेता इस अभियान के जरिए घर-घर जाकर दिल्ली सरकार के काम गिनवा रहे हैं और अरविंद केजरीवाल का संदेश भी लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कैंपेन की शुरुआत करते हुए कार्यकर्ताओं को जनता के बीच पहुंचने की अपील की। उन्होंने ‘जेल का जवाब वोट से’ स्लोगन के साथ अरविंद केजरीवाल के संदेश का पर्चा भी लोगों के बीच बांटा।

गोपाल राय ने कहा, ”आज से आम आदमी पार्टी घर-घर अभियान शुरू कर रही है, हम घर-घर जा रहे हैं और लोगों तक अरविंद केजरीवाल का एक ही संदेश पहुंचा रहे हैं कि आज आपके मुख्यमंत्री जेल में हैं और वो प्रचार नहीं कर सकते। इसलिए जिस दिल्ली के लोगों के लिए अरविंद केजरीवाल ने काम किया, उन्हीं लोगों को आज मोर्चा संभालना पड़ेगा। जेल का जवाब वोट से देंगे तभी अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे। यही संदेश लेकर हम आज घर-घर जा रहे हैं और पूरी दिल्ली के अंदर डोर-टू-डोर कैंपेन शुरू कर रहे हैं।”

गोपाल राय ने आगे कहा कि वो लोगों के बीच अरविंद केजरीवाल का संदेश लेकर जाएंगे। आप के मुख्यमंत्री जेल में हैं। 25 मई को दिल्ली की जनता जेल का जवाब अपने वोट से देगी। बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर आएं और वोट करें तभी अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे।

मनोरंजन

‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म पर जमीयत चीफ अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट में जताई आपत्ति

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। उन्होंने फिल्म पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भारतीय मुसलमानों को आतंकवाद के समर्थक के रूप में दर्शाती है, जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दे सकती है।

मदनी ने दावा किया कि कथित तौर पर फिल्म में भारतीय मुसलमानों को पाकिस्तान के आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाला या उनके इशारे पर काम करने वाला दिखाया गया है। उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए खतरा बताया और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से गठित स्क्रीनिंग कमेटी के आदेश पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय उनकी आपत्तियों का समाधान करने में विफल रहा और केवल कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा किया। कमेटी ने फिल्म में सिर्फ छह मामूली बदलावों का सुझाव दिया, जो उनके मुताबिक अपर्याप्त हैं। मदनी ने आरोप लगाया कि सरकार ने सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्यों को ही स्क्रीनिंग कमेटी में शामिल किया, जबकि जमीयत ने सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट को ही चुनौती दी थी। यह हितों के टकराव का मामला है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी कमेटी का गठन नहीं करना चाहिए था। जमीयत ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि फिल्म के निर्माताओं को निर्देश दिया जाए कि वे एक निजी स्क्रीनिंग आयोजित करें, ताकि कोर्ट में सुनवाई कर रहे जज फिल्म की सामग्री और मंशा को समझ सकें।

मदनी का कहना है कि यह फिल्म न केवल भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर केंद्रित है, बल्कि यह भारतीय मुसलमानों को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है, जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है।

‘उदयपुर फाइल्स’ एक अपकमिंग हिंदी क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जो 28 जून 2022 को उदयपुर में कन्हैया लाल साहू की निर्मम हत्या की वास्तविक घटना से प्रेरित है। भारत एस. श्रीनाथ और जयंत सिन्हा की ओर से निर्देशित इस फिल्म में विजय राज, रजनीश दुग्गल और प्रीति झांगियानी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म दर्जी कन्हैया लाल की हत्या, इसके बाद की सामाजिक-राजनीतिक चुप्पी और न्याय की लड़ाई को दर्शाती है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

ब्रिटेन दौरे पर पीएम मोदी: ऐतिहासिक संबंधों से लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट तक, 1993 की नींव पर 2025 की साझेदारी

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नई दिल्ली, 24 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन दौरे पर हैं। दो दिवसीय यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। खासकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के जरिए द्विपक्षीय व्यापार को एक नई ऊंचाई देने की कोशिश है। यह पीएम मोदी की चौथी ब्रिटेन यात्रा है, जबकि कीर स्टार्मर के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला दौरा है।

लंदन पहुंचने पर पीएम मोदी का स्वागत किया गया, जहां खासतौर पर भारतीय नागरिक उनके बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लंदन का माहौल इस दौरान पूरी तरह ‘मोदीमय’ हो गया था, जहां भारतीय मूल के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। खैर, इस यात्रा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन से उनके जुड़ाव की कुछ पुरानी तस्वीरें भी चर्चा में हैं। ‘मोदी आर्काइव’ ने 1993 के बाद की यात्राओं का ब्योरा साझा किया है, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक कार्यकर्ता के तौर पर गए थे।

1993 में उनका पहला ब्रिटेन दौरा हुआ था, जब वे भाजपा के महासचिव और राष्ट्रीय राजनीति में एक उभरती हुई हस्ती थे। अपनी पहली अमेरिकी यात्रा से लौटते वक्त उनका अचानक ब्रिटेन जाना हुआ, जहां वह कुछ समय रुके। न कोई तय कार्यक्रम था, न कोई भव्य मंच। यह बस अमेरिका से लौटते समय एक सहज, अनौपचारिक पड़ाव था।

अपने पहले ब्रिटेन के पड़ाव में उन्होंने भारतीय प्रवासी समुदाय से जुड़ने का अवसर नहीं छोड़ा। उन्होंने ‘सनराइज रेडियो’ और एक गुजराती अखबार जैसी सामुदायिक संस्थाओं का दौरा किया। उन्होंने क्रॉयडन और हेस्टिंग्स में कई परिवारों से मुलाकात की। यह अनौपचारिक बातचीत थी। लंदन अंडरग्राउंड में उन्होंने ब्रिटेन में रहने वाले आम भारतीयों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया। अहम यह है कि वह जो बीज उस समय बोए गए, उन्होंने आने वाले दशकों तक भारत की प्रवासी कूटनीति को मजबूती दी।

भाजपा जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही थी तो गुजरात में नरेंद्र मोदी इस जिम्मेदारी को निभा रहे थे। उस समय 1985 और 1995 के बीच पार्टी का जमीनी नेटवर्क एक से बढ़कर 16 हजार से ज्यादा ग्राम इकाइयों तक पहुंचा था। इसका फायदा 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिला। उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे। गुजरात में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 26 में से 20 लोकसभा सीटें जीतीं।

इस शानदार जीत के बाद 1999 में दूसरी बार ब्रिटेन दौरे पर गए थे। उनकी 5 दिवसीय ब्रिटेन यात्रा का केंद्र बिंदु नीसडेन के स्वामीनारायण स्कूल में आयोजित ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी (यूके) का ऐतिहासिक कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी, “भाजपा राष्ट्रवाद और देशभक्ति का प्रतीक है।”

उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और एनडीए के नीतिगत दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। नरेंद्र मोदी ने भाजपा को सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि परंपरा, धर्म, संस्कृति और आधुनिकता से जुड़ा हुआ एक आंदोलन बताया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की दुनिया भर में प्रशंसा की जाती है।

इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी का लोहाना महाजन समुदाय ने गर्मजोशी से स्वागत किया था, जहां उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भारतीय सभ्यता के ‘सच्चे राजदूत’ कहा।

सितंबर 2000 में भी नरेंद्र मोदी लंदन में एक छोटी यात्रा पर गए। कैरेबियन में विश्व हिंदू सम्मेलन और अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र शांति सम्मेलन की यात्रा पर जाते समय वो लंदन में ठहरे। ब्रिटेन की इस संक्षिप्त यात्रा में भी नरेंद्र मोदी ने एक अमिट छाप छोड़ी।

उन्होंने ब्रिटिश उप-प्रधानमंत्री जॉन प्रेस्कॉट से मुलाकात के दौरान एशिया में राजनीतिक स्थिरता और भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति के बारे में चर्चा की। इस चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण विषय ‘वैश्विक आतंकवाद’ था। वहां एक बयान में नरेंद्र मोदी ने कहा, “आतंकवाद मानवता के विरुद्ध एक बुराई है, चाहे वह भारत में हो, मध्य पूर्व में हो या उत्तरी आयरलैंड में।”

यह उल्लेखनीय है कि 9/11 के आतंकी हमलों से लगभग एक साल पहले ही नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आतंकवाद को मानवता के लिए एक साझा खतरा बताया था, जब अधिकतर वैश्विक नेतृत्व इस चुनौती की गंभीरता को समझने में पीछे था।

यही नहीं, नरेंद्र मोदी उन लोगों को नहीं भूलते जो भारत के साथ खड़े होते हैं, 2003 में इसका उदाहरण देखने को मिला।

अगस्त 2003 में भूकंप ने भुज ही नहीं पूरे गुजरात को हिला दिया। उस समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। भुज भूकंप के बाद वे धन्यवाद देने के लिए ब्रिटेन दौरे पर गए। खचाखच भरे वेम्बली कॉन्फ्रेंस सेंटर में उनकी आवाज गूंज रही थी। नरेंद्र मोदी ने कहा था, “आप सभी गुजरात के सच्चे मित्र हैं और मैं दोस्ती का ऋण चुकाने आया हूं।”

उन्होंने हजारों प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया, जिन्होंने 2001 के भूकंप के दौरान गुजरात के लिए सहायता, समर्थन और संसाधन जुटाए थे। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की न सिर्फ उनकी उदारता के लिए, बल्कि भारत के साथ उनके भावनात्मक जुड़ाव के लिए भी प्रशंसा की और उन्हें “गुजरात के सच्चे दोस्त” कहा।

इस यात्रा में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी मुलाकात हुई, जो उस समय लंदन में थे।

कुछ इसी तरह पीएम मोदी का ब्रिटेन के प्रति जुड़ाव 2011 में गुजरात की स्वर्ण जयंती पर देखने को मिला। हालांकि, वह स्वयं ब्रिटेन नहीं गए थे, बल्कि गांधीनगर से ही डिजिटल माध्यम (‘जूम’) के जरिए लंदन के मेफेयर में मौजूद श्रोताओं को संबोधित किया था। उत्साही श्रोताओं से मोदी ने कहा, “गुजरात और विकास एक-दूसरे के पर्याय हैं। गुजरात इतिहास रच रहा है।”

फ्रेंड्स ऑफ गुजरात, गुजरात समाचार और ‘एशियन वॉयस’ की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में ब्रिटिश सांसद, लॉर्ड्स और समुदाय के नेताओं समेत 90 विशिष्ट अतिथि शामिल थे। इनमें लॉर्ड गुलाम नून भी शामिल थे, जिन्होंने नरेंद्र मोदी के साथ सीधे तौर पर जीवंत संवाद किया।

उस समय नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि महात्मा मंदिर 18 हजार गांवों की मिट्टी से बनेगा और ब्रिटेन में रहने वाले गौरवशाली गुजराती भी इसमें योगदान देंगे।

यह संदेश स्पष्ट था कि नरेंद्र मोदी के लिए प्रवासी भारतीय सिर्फ दर्शक नहीं हैं, बल्कि वे भारत-निर्माण के सक्रिय भागीदार हैं।

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राजनीति

‘जितनी निंदा की जाए कम ’, मस्जिद में अखिलेश यादव की बैठक पर बोले मौलाना तौकीर रजा

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बरेली, 24 जुलाई। संसद में मानसून सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से संसद भवन के पास स्थित मस्जिद में कथित तौर पर बैठक करने पर सियासी घमासान मचा हुआ है। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि अगर मस्जिद के अंदर बैठक की गई है तो इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। मस्जिद में किसी भी तरह की सियासत मंजूर नहीं है। सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी, जो उस मस्जिद के इमाम भी हैं उन्हें भी ध्यान देना होगा कि मस्जिद इबादत की जगह है न कि वहां पर बैठकें आयोजित की जाए।

मुस्लिम धर्मगुरुओं के अलावा इस पूरे मामले में भाजपा समाजवादी पार्टी पर हमलावर है और अखिलेश यादव के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करने की चेतावनी भी दी है। वहीं, सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी के खिलाफ भी विरोध किया जा रहा है। इस पूरे मामले में हो रही सियासत के बीच कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने निंदा की है।

गुरुवार को मिडिया से बातचीत के दौरान मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि मैंने इसके बारे में सुना है और कुछ तस्वीरें भी वायरल हुई हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मस्जिद के अंदर कोई बैठक हुई होगी। हो सकता है कि संसद से बाहर आने के बाद स्थानीय इमाम, जो सांसद भी हैं उन्होंने उन्हें चाय या जलपान के लिए रोका हो। वरना, जहां तक मस्जिद के अंदर बैठक की बात है, मेरा मानना है कि न तो इमाम इसकी इजाजत देंगे और न ही अखिलेश यादव इतने भोले हैं कि मस्जिद के अंदर बैठक करेंगे।

हालांकि, उन्होंने मस्जिद के दुरुपयोग की कड़ी निंदा की और कहा कि अगर मस्जिद के अंदर बैठक की गई है तो इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। यह गलत है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि आजादी की लड़ाई के दौरान मस्जिदों का इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से अंग्रेजों के खिलाफ छिपकर मीटिंग के लिए हुआ था, लेकिन सियासत के लिए इसका उपयोग अस्वीकार्य है।

उन्होंने सांसदों को सतर्क रहने की सलाह दी ताकि मस्जिद के नियमों का उल्लंघन न हो। साथ ही, उन्होंने धर्मनिरपेक्षता और इंसानियत पर जोर देते हुए कहा कि टोपी पहनकर या हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत फैलाने की कोशिश गलत है। अच्छे अमल और दोस्ती को बढ़ावा देना चाहिए।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुसलमानों को मुसलमान कहलाने पर गर्व होना चाहिए न कि शर्मिंदगी। अगर कोई मुसलमान खुद की पहचान को छिपाता है तो हमें ऐसे मुसलमानों की जरूरत नहीं है।

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