व्यापार
एलन मस्क फिर बने दुनिया के सबसे अमीर आदमी
टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क फ्रांसीसी लक्जरी टाइकून बर्नार्ड अरनॉल्ट से खिताब वापस लेते हुए एक बार फिर दुनिया के सबसे अमीर आदमी बन गए हैं।
ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, 2022 में 138 अरब डॉलर खोने के बाद टेस्ला और स्पेसएक्स की सफलता से उत्साहित मस्क ने गुरुवार के अंत तक अतिरिक्त 95.4 अरब डॉलर कमाए।
लक्जरी उत्पादों की मांग में वैश्विक मंदी के कारण एलवीएमएच मोएट हेनेसी लुई वुइटन एसई के शेयरों में गिरावट के बाद उनकी कुल संपत्ति अब अरनॉल्ट से 50 अरब डॉलर से अधिक हो गई है।
इंडेक्स के मुताबिक मस्क की कुल संपत्ति अब 232 अरब डॉलर आंकी गई है।
अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने इस साल अपने खाते में 70 अरब डॉलर से अधिक जोड़े और अब वे अरनॉल्ट के साथ दूसरे स्थान पर हैं, जबकि मेटा के संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग की संपत्ति में 80 अरब डॉलर से अधिक की वृद्धि हुई है।
अर्नाल्ट 179 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के दूसरे सबसे अमीर हैं, इसके बाद बेजोस (178 अरब डॉलर), माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स (141 अरब डॉलर), पूर्व माइक्रोसॉफ्ट सीईओ स्टीव बाल्मर (131 अरब डॉलर) और जुकरबर्ग (130 अरब डॉलर) हैं।
सूचकांक के अनुसार 2023 में 500 सबसे अमीर व्यक्तियों की सामूहिक नेट वर्थ में 1.5 लाख करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 1.4 लाख करोड़ डॉलर के नुकसान से पूरी तरह से उबर गई।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को लेकर भारी चर्चा के कारण तकनीकी अरबपतियों की संपत्ति में 48 प्रतिशत या 658 अरब डॉलर की वृद्धि हुई।
व्यापार
भारत में करीब 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को एआई से नौकरी खोने का डर : रिपोर्ट

मुंबई, 3 नवंबर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते चलन के कारण भारत में 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को अगले तीन से पांच वर्षों में नौकरी खोने का डर है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय कर्मचारी काम पर एआई के बढ़ते असर के साथ कैसे तालमेल बिठा रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि पूरे भारत में 54 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि उनकी ऑर्गनाइजेशन अभी एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर हैं। यह ज्यादा टेक-पावर्ड और कुशल काम के माहौल की ओर लगातार हो रही तरक्की को दिखाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से चार कर्मचारियों को लगता है कि एआई अगले तीन से पांच सालों में उनकी जगह ले सकता है। यह डर किसी एक खास ग्रुप तक सीमित नहीं है, बल्कि हर स्तर के कर्मचारियों में है।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई की वजह से अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित कम से कम 40 परसेंट कर्मचारी अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। यह एचआर डिपार्टमेंट और सीनियर लीडरशिप के लिए एक जरूरी और गंभीर मुद्दा है।
ग्रेट प्लेस टू वर्क, इंडिया के सीईओ, बलबीर सिंह ने कहा, “जैसे-जैसे अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ऑर्गनाइजेशन एआई को लागू करने में आगे बढ़ रहे हैं, लीडर्स ऐसे हाई-इम्पैक्ट एआई स्ट्रेटेजी बना रहे हैं जो इंसानी क्षमताओं को बढ़ाते हैं। अभी जिन रुकावटों पर ध्यान देने की जरूरत है, वह ऑर्गनाइजेशनल रेसिस्टेंस, साथ ही कर्मचारियों की तैयारी है।”
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा, जिन कंपनियों ने अभी तक एआई को नहीं अपनाया है, उनमें लगभग 57 प्रतिशत कर्मचारियों ने इनसिक्योर महसूस किया, जबकि एआई अपनाने के एडवांस्ड स्टेज वाली कंपनियों में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत है।
राष्ट्रीय समाचार
भारत में अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ीं, पीएमआई 59.2 रहा

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नई दिल्ली, 3 नवंबर: भारत में अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी देखी गई है, जिससे एचएसबीसी मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) बढ़कर 59.2 हो गया है, जो कि सितंबर में 57.7 पर था। यह जानकारी एसएंडपी ग्लोबल की ओर से सोमवार को जारी किए गए डेटा में दी गई।
मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में बढ़त की वजह मजबूत घरेलू मांग, जीएसटी सुधार, उत्पादकता में वृद्धि और उच्च तकनीकी निवेश था।
एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट, प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अक्टूबर में बढ़कर 59.2 हो गया है, जो कि इससे पहले के महीने में 57.7 पर था। बीते महीने मजबूत मांग ने आउटपुट को बढ़ावा दिया। इससे नौकरियों के अवसर पैदा हुए और कंपनियों को नए ऑर्डर मिले।
उन्होंने आगे कहा कि इनपुट की कीमतों में अक्टूबर में नरमी देखी गई है। हालांकि, औसत बिक्री मूल्य में वृद्धि हुई है, इसकी वजह मैन्युफैक्चरर्स की ओर से अतिरिक्त लागत को ग्राहकों को पास करना था।
डेटा के मुताबिक, मजबूत मांग, विज्ञापन और हाल में लागू हुए जीएसटी सुधार के कारण अक्टूबर में नए ऑर्डर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। ग्रोथ सितंबर के मुकाबले अधिक तेज थी, और फैक्ट्री आउटपुट भी तेजी से बढ़ा। एक्सपेंशन रेट अगस्त के लेवल के बराबर था, जो पिछले पांच सालों में सबसे मजबूत लेवल में से एक था।
जब भी पीएमआई 50 से ऊपर होता है तो यह आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि को दिखाता है। इसके 50 से नीचे होने पर गतिविधियों में गिरावट होती है। वहीं, 50 की रीडिंग का मतलब है कोई बदलाव नहीं।
अक्टूबर में अधिकतक सेल्स ग्रोथ घरेलू मार्केट से हुई, जबकि एक्सपोर्ट ऑर्डर धीमी गति से बढ़े। हालांकि भारतीय सामानों की विदेशी मांग में सुधार हुआ, लेकिन यह इस साल अब तक सबसे कमजोर रही।
रिपोर्ट के अंत में बताया गया कि मैन्युफैक्चरर्स भविष्य के कारोबार को लेकर आशावादी बने हुए है। इसकी वजह जीएसटी सुधार से बढ़ती मांग, क्षमता विस्तार और मजबूत मार्केटिंग के प्रयास हैं।
राष्ट्रीय समाचार
ईडी ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की 3,000 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किया

मुंबई, 3 नवंबर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पब्लिक फंड की कथित हेराफेरी और लॉन्ड्रिंग को लेकर रिलायंस अनिल अंबानी समूह की कंपनियों से जुड़ी लगभग 3,084 करोड़ रुपए की संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।
इन संपत्तियों में मुंबई के पाली हिल में मौजूद घर, नई दिल्ली में रिलायंस सेंटर और दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई (कांचीपुरम सहित) और पूर्वी गोदावरी में कई संपत्तियां शामिल हैं।
इन संपत्तियों में ऑफिस एवं रेजिडेंशियल यूनिट्स और लैंड पार्सल शामिल हैं।
इन संपत्तियों को जब्त करने का आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 5(1) के तहत 31 अक्टूबर, 2025 को जारी किया गया था।
यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (आरसीएफएल) द्वारा जुटाए गए बैंकिंग लोन के हेरफेर और लॉन्ड्रिंग से संबंधित है।
2017-19 के दौरान, यस बैंक ने आरएचएफएल इंस्ट्रूमेंट्स में 2,965 करोड़ रुपए और आरसीएफएल इंस्ट्रूमेंट्स में 2,045 करोड़ रुपए का निवेश किया।
दिसंबर 2019 तक ये इन्वेस्टमेंट नॉन-परफॉर्मिंग (एनपीए) बन गए थे, जिसमें आरएचएफएल पर 1,353.50 करोड़ रुपए और आरसीएफएल पर 1,984 करोड़ रुपए बकाया थे।
ईडी की जांच में पता चला कि सेबी के म्यूचुअल फंड कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट फ्रेमवर्क के कारण पहले के रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड द्वारा अनिल अंबानी ग्रुप की फाइनेंशियल कंपनियों में सीधा इन्वेस्टमेंट कानूनी तौर पर संभव नहीं था।
इन गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए, आम जनता द्वारा म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट किया गया पैसा यस बैंक के एक्सपोजर के जरिए इनडायरेक्टली रूट किया गया, जो आखिरकार अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के पास पहुंचा।
जांच में यह भी पता चला कि फंड यस बैंक के आरएचएफएल और आरसीएफएल के एक्सपोजर के जरिए इनडायरेक्टली रूट किए गए थे, जबकि आरएचएफएल औरआरसीएफएल ने रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी संस्थाओं को लोन दिए थे।
इस बीच, ईडी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (आरकॉम) और संबंधित कंपनियों के लोन फ्रॉड स्कैम में भी जांच तेज कर दी है।
पिछले हफ्ते, इन्वेस्टिगेटिव न्यूज वेबसाइट कोबरापोस्ट ने आरोप लगाया था कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने एक बड़ा बैंकिंग फ्रॉड किया है और इसमें 2006 से अब कर 28,874 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का हेरफेर किया गया है।
रिलायंस ग्रुप ने कोबरापोस्ट की रिपोर्ट को “एक दुर्भावनापूर्ण, आधारहीन और मकसद से चलाया गया अभियान” बताकर खारिज कर दिया था।
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