महाराष्ट्र
नागपुर सोलर इंडस्ट्रीज विस्फोट से महा विधानसभा सत्र में हंगामा; मृतकों के परिजनों को ₹50 लाख की सहायता की मांग को लेकर विपक्ष ने किया वॉकआउट

नागपुर: नागपुर के पास बाजारगांव में एक सोलर इंडस्ट्रीज फैक्ट्री में एक शक्तिशाली विस्फोट के परिणामस्वरूप नौ श्रमिकों की मौत हो गई, जिससे राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में संयुक्त विपक्ष को पर्याप्त गोला-बारूद मिला, जिसने अन्यथा शांत सप्ताहांत के बाद सोमवार की ठंडी सुबह में कार्यवाही फिर से शुरू की। यह विस्फोट रविवार सुबह हुआ और मृतकों में छह महिला श्रमिक भी शामिल हैं। घटना की वीभत्सता इससे और बढ़ गई कि नौ पीड़ितों के शव टुकड़े-टुकड़े हो गए। राज्य विधानसभा में संयुक्त विपक्ष ने प्रत्येक मृतक को कम से कम 50 लाख रुपये का मुआवजा देने और अमरावती रोड स्थित फैक्ट्री में श्रमिकों की मौत के लिए मालिक-प्रबंधन के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत अपराध दर्ज करने की मांग को लेकर वाकआउट किया। सोलर इंडस्ट्रीज रक्षा क्षेत्र की अग्रणी निजी कंपनी है। भारतीय रक्षा को आपूर्ति करने के अलावा, यह कई देशों को उत्पाद निर्यात भी करता है। इस मुद्दे को उठाते हुए, विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार, समूह नेता नाना पटोले (दोनों कांग्रेस) और अनिल देशमुख (एनसीपी), जो काटोल निर्वाचन क्षेत्र (नागपुर जिले में) का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनके अधिकार क्षेत्र में फैक्ट्री आती है, ने आरोप लगाया कि निजी कंपनी ने श्रमिकों को काम पर लगाया था। अनुबंधित जिन्हें अल्प पारिश्रमिक दिया गया था।
विस्फोट की गंभीरता और बड़ी संख्या में हताहतों की संख्या को देखते हुए विपक्ष ने सदन के अन्य कामकाज को अलग रखकर विस्फोट मामले को प्राथमिकता के आधार पर बहस के लिए उठाने की मांग की। उन्होंने सरकार से पर्याप्त मौद्रिक मुआवजे और मालिक-प्रबंधन के खिलाफ हत्या के आरोपों को दबाने के आश्वासन के साथ पूर्ण चर्चा और एक विस्तृत बयान की मांग की। सदन को सूचित किया गया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों उपमुख्यमंत्रियों, देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार ने विस्फोट स्थल का दौरा किया था। वडेट्टीवार और अनिल देशमुख ने भी दौरा किया था; वास्तव में देशमुख वहां आने वाले पहले व्यक्ति थे। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने सदन को आश्वासन दिया कि वह सरकार को विस्तृत बयान देने का निर्देश दे रहे हैं और जरूरत पड़ने पर सरकारी बयान के बाद बहस हो सकती है। उनके फैसले से नाखुश विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया.
विधान परिषद में भी विपक्ष ने धमाके को लेकर सरकार पर हमला बोला. विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया कि सोलर इंडस्ट्रीज द्वारा श्रमिकों का शोषण किया गया क्योंकि उन्हें राज्य सरकार के नियमों के अनुसार मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया था। एनसीपी सदस्य शशिकांत शिंदे ने एक सूचना बिंदु पेश किया और कंपनी के खराब सुरक्षा रिकॉर्ड पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पिछली कम से कम दो घटनाएं हुई थीं। चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने कंपनी द्वारा प्रदान किए गए मुआवजे की पर्याप्तता पर सवाल उठाया, जो कि 20 लाख रुपये और सरकार से अतिरिक्त 5 लाख रुपये था। शिंदे ने कहा कि लगभग 4,000 कर्मचारी दैनिक वेतन के आधार पर मात्र 10,000 रुपये प्रति माह पर कार्यरत थे। उन्होंने कर्मियों की स्थायी नियुक्ति की मांग की.
महाराष्ट्र
निहारिका रॉय निभाएंगी एण्ड टीवी के सुपरनैचुरल कॉमेडी शो ‘घरवाली पेड़वाली‘ में सावी का किरदार!

एण्डटीवी शो ‘घरवाली पेड़वाली ‘ दर्शकों को भावनाओं, हंसी और डरावने सरप्राइज से भरी एक मज़ेदार रोलरकोस्टर राइड पर ले जाने के लिए तैयार है। इस अनोखी और ताज़गी भरी कहानी में चार चांद लगाने आ रही हैं जोशीली और प्रतिभाशाली अभिनेत्री निहारिका रॉय । इस शो में वह ‘ सावी ‘ का किरदार निभाती नजर आएंगी। सावी एक जेन-ज़ी लड़की है- जो निडर, आत्मविश्वास से भरपूर और फैशन में सबसे आगे इस अनोखे लव ट्राएंगल में ‘घरवाली‘ के रूप में सावी की एंट्री कई दिलचस्प मोड़ लाने वाली है। अपने स्टाइलिश एटीट्यूड और दिलकश अंदाज़ के साथ, निहारिका दर्शकों पर एक गहरी छाप छोड़ने को पूरी तरह तैयार हैं। ‘सावी‘ के अपने किरदार के बारे में बात करते हुए निहारिका रॉय ने कहा, ‘‘सावी सिर्फ़ एक किरदार नहीं है, वह एक पूरी वाइब है। वह आज की आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और निडर लड़कियों का प्रतिनिधित्व करती है, जो अपनी ज़िंदगी की कमान खुद संभालना जानती हैं। मुझे उसका बेझिझक बोलना, बिंदास अंदाज़ और अपनी बात बेबाक़ी से रखने वाला स्वभाव बहुत पसंद है। वह टीवी पर दिखाए जाने वाले पारंपरिक महिला किरदारों से बिल्कुल अलग है। उसकी सबसे खास बात है उसका आधुनिक नजरिया, भावनात्मक मैच्योरिटी, और साथ ही छोटे शहर की एक हल्की-सी मासूम सी झलक। मुझे भी असल ज़िंदगी में मस्ती भरी नोंक-झोंक और अचानक की गई शरारतें पसंद हैं, इसलिए सावी का किरदार निभाना मेरे लिए काफी नैचुरल है। यह रोल मेरे लिए न सिर्फ़ रोमांचक है बल्कि इमोशनल रूप से भी बेहद खास है।”
शो को लेकर अपनी उत्सुकता ज़ाहिर करते हुए निहारिका रॉय कहती हैं, ‘‘घरवाली पेड़वाली‘ मेरे लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसका कॉन्सेप्ट जितना अनोखा है, उतना ही अनप्रेडिक्टेबल और एंटरटेनिंग भी है। यह कोई आम रोमांटिक शो या डेली सोप जैसा नहीं है; इसमें है एक एनर्जेटिक लव ट्राएंगल, एक रहस्यमयी भूत और भरपूर हास्य से भरे मज़ेदार ट्विस्ट। इस शो का टाइटल सुनने में जितना सिंपल लगता है, असल में कहानी में जैसे-जैसे किरदार सामने आते हैं, इसकी गहराई और क्रिएटिविटी समझ आती है। इंसानों और अलौकिक शक्तियों के बीच लगातार चलती खींचतान शो को और दिलचस्प बना देती है। ‘घरवाली’ बनकर ‘पेड़वाली’ के मुकाबले में होना अपने आप में एक मज़ेदार टकराव है, जिसे ऑन-स्क्रीन एक्सप्लोर करने के लिए मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रही हूं।”
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में विधायक रईस शेख का पत्ता कटा, यूसुफ अब्राहनी ने ली जगह

मुंबई: (कमर अंसारी) महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में चल रही आंतरिक खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। पिछले कई दिनों से पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू असीम आज़मी, अपने ही विधायक रईस शेख से नाराज़ चल रहे थे। कई बार उन्होंने अपने बयानों में भी इस नाराज़गी का परोक्ष रूप से उल्लेख किया था। अब यह मामला पूरी तरह उजागर हो चुका है — महाराष्ट्र में अबू असीम आज़मी ने रईस शेख की जगह कांग्रेस छोड़कर आए यूसुफ अब्राहनी को तरजीह दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि रईस शेख को बाहर का रास्ता दिखाने की पूरी तैयारी हो चुकी है।
अगर जमीनी हकीकत पर नज़र डालें, तो रईस शेख की लोकप्रियता भी इस पूरे घटनाक्रम की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। मुंबई और भिवंडी में रईस शेख ने अपने कार्यकाल के दौरान जनहित में कई अहम कार्य किए हैं, जिससे उनकी पकड़ जनता में मजबूत हुई है। भिवंडी विधानसभा क्षेत्र से वह लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। क्षेत्र की जनता का भी मानना है कि उन्होंने रईस शेख को उनके काम के आधार पर ही दोबारा मौका दिया।
शिक्षा, सड़क, पानी जैसी मूलभूत समस्याओं को हल करने के साथ-साथ रईस शेख का आम जनता से सीधे जुड़ाव उनकी लोकप्रियता में इज़ाफा कर रहा है। यही नहीं, दक्षिण मुंबई में नगरसेवक के रूप में उनके किए गए कार्यों को आज भी लोग सराहते हैं। यही कारण है कि आगामी नगर निगम चुनावों में उनके समर्थित उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, अबू असीम आज़मी को रईस शेख की इसी बढ़ती लोकप्रियता से खतरा महसूस होने लगा था। पार्टी हाईकमान अखिलेश यादव की आज़मी से नाराज़गी भी इसी क्रम में देखी जा रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, रईस शेख को और अधिक सशक्त होने से रोकने के लिए उन्हें अबू असीम द्वारा पार्टी से बाहर किया जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए यूसुफ अब्राहनी को अब पार्टी में नई जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन यह वही यूसुफ अब्राहनी हैं, जिन्होंने करीब 20 साल पहले समाजवादी पार्टी के दर्जनों नगरसेवकों को साथ लेकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी और मुंबई में समाजवादी पार्टी को लगभग तोड़ दिया था। कांग्रेस ने उन्हें मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर विधायक बना दिया, लेकिन अगली बार वह चुनाव नहीं जीत सके।
बाद में मानखुर्द से अबू असीम आज़मी ने चुनाव लड़ा और यूसुफ अब्राहनी को हराया। दिलचस्प बात यह है कि आज़मी की इस जीत में रईस शेख की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। लेकिन अब पार्टी से रईस शेख को निकालने के लिए आज़मी ने उन्हीं यूसुफ अब्राहनी को पुनः पार्टी में शामिल कर लिया है, इस उम्मीद में कि वह फिर से दर्जनों नगरसेवक पार्टी में ला सकेंगे।
रईस शेख जिस पार्टी कार्यालय से वर्षों से कार्य कर रहे थे, उसे भी अब यूसुफ अब्राहनी को सौंप दिया गया है — एक स्पष्ट संकेत कि पार्टी में अब रईस शेख के लिए कोई स्थान नहीं है।
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के हाईकमान और अखिलेश यादव के करीबी सूत्रों के अनुसार, पार्टी महाराष्ट्र में अब एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो अबू असीम आज़मी की जगह ले सके। पार्टी को भविष्य में किसी नुकसान से बचाने के लिए आज़मी के हर निर्णय को अब अनदेखा किया जा रहा है।
महाराष्ट्र
उर्दू पत्रकारों के लिए पेंशन की मांग, विधायक अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखा पत्र

मुंबई: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उर्दू पत्रकारों को पेंशन और वजीफा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन, चिकित्सा सहायता और उनके बच्चों की शादी में सहायता प्रदान करनी चाहिए और इसके लिए एक कोष आवंटित किया जाना चाहिए। अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि महाराष्ट्र में कई दैनिक और मासिक पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं, जिनमें कार्यरत पत्रकार सेवानिवृत्ति के बाद भी कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन उनका खर्चा पूरा नहीं हो पाता और वे बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। इसलिए, ऐसे सेवानिवृत्त वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दी जानी चाहिए जो अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और गरीबी से जूझ रहे हैं। आज़मी ने पत्र में मांग की है कि इन पत्रकारों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए और उनके बच्चों की शादी में भी मदद की जाए ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी से बचाया जा सके और उनकी दैनिक ज़रूरतें पूरी हो सकें।
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