अपराध
प्रयागराज पहुंचने से पहले अतीक अहमद के हत्यारे लखनऊ गए थे

प्रयागराज, 24 अप्रैल। माफिया नेता अतीक अहमद और उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को यहां 15 अप्रैल को गोली मारने वाले तीन हमलावर लवलेश तिवारी, सन्नी सिंह और अरुण मौर्य घटना को अंजाम देने के लिए बस से प्रयागराज पहुंचने से पहले लखनऊ आए थे। तीनों ने यह खुलासा विशेष जांच दल (एसआईटी) से पूछताछ के दौरान किया। हालांकि उन्होंने लखनऊ आने का कारण नहीं बताया। अधिकारियों ने कहा कि प्रयागराज बस स्टैंड पर पहुंचने के बाद वे इधर-उधर घूमते रहे और फिर 13 अप्रैल को खुल्दाबाद थाने के पास एक होटल में एक कमरा लिया, जहां वे टेलीविजन देखते रहे, पुलिस हिरासत में अतीक की हरकतों के बारे में जानकारी जुटाई। अधिकारियों ने कहा कि यह पता लगाने के प्रयास जारी हैं कि क्या तीनों को स्थानीय समर्थन प्राप्त है। गौरतलब है कि 15 अप्रैल की रात अतीक और अशरफ को तीन हमलावरों ने मोतीलाल नेहरू (कॉल्विन) मंडलीय अस्पताल में गोलियों से भून दिया था.
आरोपी बांदा निवासी लवलेश तिवारी (22), हमीरपुर निवासी सन्नी सिंह (23) और कासगंज निवासी अरुण मौर्य (18) को पुलिस ने सरेंडर करने के बाद मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। मामले की जांच कर रहे और आरोपियों से पूछताछ कर रहे अधिकारियों ने बताया कि तीनों हमलावर हत्याओं से एक दिन पहले 14 अप्रैल को मोतीलाल नेहरू (कोल्विन) संभागीय अस्पताल भी गए थे। वे अस्पताल परिसर का मुआयना करने के बाद होटल लौट आए थे। अधिकारियों ने कहा कि 15 अप्रैल को वे संदेह से बचने के लिए बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा में अलग से अस्पताल पहुंचे थे। अधिकारियों ने कहा कि पुलिस के अतीक और अशरफ के साथ मौके पर पहुंचने से पहले तीनों अस्पताल के अंदर इकट्ठे हो गए और उन्हें गोली मार दी, जब दोनों को मेडिकल जांच के लिए पैदल अस्पताल के अंदर ले जाया जा रहा था।
जांचकर्ताओं ने होटल से अस्पताल तक हमलावरों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए अस्पताल के आसपास लगे 40 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज को स्कैन किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अन्य लोग उनकी मदद कर रहे थे। अधिकारियों ने आगे कहा कि अब तक किसी अन्य संदिग्ध की पहचान नहीं की गई है। एसआईटी ने उस होटल के कमरा नंबर 203 का भी निरीक्षण किया जहां हमलावर ठहरे थे। होटल खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है और प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन के शहर के सामने स्थित है। अधिकारियों ने होटल का रजिस्टर, सीसीटीवी फुटेज, डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) जब्त कर लिया और कमरे को सील कर दिया। पुलिस ने होटल के कमरे से दो मोबाइल फोन भी बरामद किए, जो बिना सिम कार्ड के थे। होटल प्रबंधक अखिलेश सिंह ने पुलिस को बताया कि तीनों हमलावरों ने नियमानुसार कमरा बुक कर लिया था और पहचान पत्र जमा कर दिया था. जब पुलिस होटल पहुंची तब कर्मचारियों को पता चला कि वे अतीक और अशरफ पर हमले में शामिल थे।
प्रबंधक ने अधिक जानकारी का खुलासा नहीं किया और दावा किया कि पुलिस को सभी जानकारी प्रदान की गई थी।
एसआईटी अधिकारियों ने कहा कि हमलावरों में से एक लवलेश तिवारी कुंभ-2019 के दौरान प्रयागराज आया था, लेकिन अन्य दो ने इस महीने पहली बार अतीक और अशरफ को मारने के लिए शहर का दौरा किया। होटल के कमरे से मिले इनपुट के आधार पर बरामद दो मोबाइल फोन लवलेश और अरुण द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे थे. हालांकि, मोहित उर्फ सन्नी सिंह, जिसका गंभीर अपराध करने का इतिहास रहा है, पकड़े जाने से बचने के लिए किसी भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहा था। कॉल डिटेल खंगालने पर कोई संदिग्ध मोबाइल नंबर नहीं मिला। अधिकारियों ने दावा किया कि हमलावर कई दिन पहले आमतौर पर अपने रिश्तेदारों को फोन करते थे।
अपराध
महाराष्ट्र : सपा नेता फहद आजमी पर मारपीट का आरोप, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

FIR
महाराष्ट्र, 15 अक्टूबर: मुंबई के गोवंडी इलाके में बैगनवाड़ी डंपिंग ग्राउंड पर बने एक ओपन जिम के उद्घाटन समारोह में उस समय तनाव पैदा हो गया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता फहद आजमी पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। उस वक्त पार्टी विधायक तथा महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी भी मौके पर मौजूद थे।
मामला तब शुरू हुआ जब अब्दुल करीम बादशाह खान नामक एक युवक विधायक अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने गया था। उसी समय वहां पर मौजूद करीम ने आरोप लगाया कि सपा नेता फहद आजमी और उनके साथियों ने उसे धक्का दिया और हमला कर भी किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। फिर देखते ही देखते यह घटना दो समूहों के बीच हिंसक झड़प में बदल गई।
इस मामले में मुंबई की शिवाजीनगर पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं और जांच शुरू कर दी है।
पहली एफआईआर करीम की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता फहद आजमी और दो अज्ञात लोगों पर मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है।
करीम ने तहरीर में बताया कि 13 अक्टूबर की शाम जब वह अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने आगे बढ़ा, तो फहद आजमी ने उसे धक्का दिया और कान पर थप्पड़ जड़ा था। इसके बाद फहद के साथ मौजूद दो अज्ञात व्यक्तियों ने भी उसकी पिटाई कर दी।
वहीं, दूसरी एफआईआर सपा कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज कराई गई है, जिसमें करीम और उसके तीन साथियों पर मारपीट और डकैती का आरोप लगाया गया है। शेख ने बताया कि उद्घाटन समारोह के बाद, बुर्का पहने एक महिला ने विधायक को इलाके में हो रही बदमाशी की शिकायत की थी।
पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना विधायक की पुलिस सुरक्षा में चूक को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है, क्योंकि हिंसा उनके काफिले के ठीक बीच में भड़की थी।
अपराध
मुंबई : 48 साल से फरार हत्या के प्रयास का आरोपी गिरफ्तार, 1977 में दर्ज हुआ था मामला

मुंबई, 15 अक्टूबर: मुंबई पुलिस ने हत्या के प्रयास के एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 48 सालों से फरार था। कोलाबा पुलिस ने 71 वर्षीय चंद्रशेखर मधुकर कालेकर को लालबाग से गिरफ्तार किया है, जिसके खिलाफ 1977 में मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस के अनुसार, 1977 में, जब वह 23 वर्ष का था, कालेकर को अपनी प्रेमिका पर धोखा देने का शक हुआ और उसने कथित तौर पर कोलाबा में उसे चाकू मार दिया। उस समय उसे गिरफ्तार किया गया, लेकिन बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई।
हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद वह किसी भी अदालती तारीख पर हाजिर नहीं हुआ। इसके चलते अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था और पुलिस कई सालों से उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन चॉल के पुनर्विकास के कारण वह कई बार ठिकाना बदल चुका था, जिससे पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली।
छह महीने पहले कोलाबा पुलिस ने इस पुराने मामले को फिर से खोला। टीम ने लालबाग स्थित उसके पुराने घर का दौरा किया, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। पुलिस ने मुंबई के कई इलाकों में उसकी खोज की, मतदाता सूची की जांच की, लेकिन उसका नाम कहीं नहीं मिला।
जांच के दौरान, पुलिस ने आरटीओ और अदालती मामलों की जानकारी के लिए आवेदनों की जांच की, जिसमें रत्नागिरी जिले के दापोली पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दर्ज 2015 के एक आपराधिक मामले का रिकॉर्ड मिला, जिसमें गाड़ी चलाते समय एक व्यक्ति को घायल करने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी हुई थी।
दापोली पुलिस स्टेशन से मिली जानकारी के आधार पर, कोलाबा पुलिस की एक टीम उसके घर पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। 48 साल बाद पुलिस को अपने दरवाजे पर देखकर 71 वर्षीय कालेकर हैरान रह गया और लगभग उस मामले को भूल चुका था।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुरानी तस्वीरों से उसे पहचानना मुश्किल था, लेकिन पूछताछ करने पर उसने अपराध स्वीकार कर लिया। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
अपराध
सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामला: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईडी ने घर खरीदारों को लौटाई संपत्ति

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) धोखाधड़ी मामले में जब्त की गई ‘रॉयल राजविलास’ परियोजना की संपत्तियों को लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के 10 अक्टूबर को दिए गए आदेश के बाद उठाया गया है।
यह मामला 2011 से 2016 के बीच सिंडिकेट बैंक से मुख्य आरोपी भरत बंब और अन्य द्वारा की गई 1267.79 करोड़ रुपए की बड़ी धोखाधड़ी से संबंधित है। सीबीआई ने इस संबंध में प्राथमिकी और आरोपपत्र दायर किए थे। ईडी ने इस धोखाधड़ी की आय को ‘रॉयल राजविलास’ परियोजना के अधिग्रहण और विकास में लगाने के आरोप में मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम 2002 के तहत जांच शुरू की थी।
जांच के दौरान, ईडी ने 2 अप्रैल 2019 को एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया था, जिसके तहत 365 बिना बिके फ्लैट, 17 वाणिज्यिक इकाइयां और 2 प्लॉट कुर्क किए गए थे। इस कुर्की की पुष्टि एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने भी की थी।
इसके बाद, याचिकाकर्ता कंपनी को कॉर्पोरेट देनदार के रूप में दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में लाया गया। सीआईआरपी के तहत, मुंबई स्थित एनसीएलटी ने 24 फरवरी 2022 को न केवल समाधान योजना को मंजूरी दी, बल्कि ईडी के कुर्की आदेश को भी रद्द कर दिया।
ईडी ने एनसीएटी के इस आदेश को यह कहते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में चुनौती दी कि एनसीएलटी के पास पीएमएलए के तहत पारित कुर्की आदेश को रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह कानूनी लड़ाई उच्च न्यायालय की एकल पीठ और खंडपीठ दोनों में चली। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 28 मार्च 2025 को अपने निर्णय में एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया।
इसके बाद मामला मेसर्स उदयपुर वर्ल्ड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर एक एसएलपी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए ईडी को निर्दोष घर खरीदारों को संपत्ति वापस करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर के अपने आदेश में निदेशालय के इस प्रयास की सराहना करते हुए निपटारा कर दिया। हालांकि, ईडी ने यह स्पष्ट किया है कि पीएमएलए के तहत सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामले में उसकी जांच अभी भी जारी है और यदि किसी घर खरीदार द्वारा किए गए भुगतान की राशि भविष्य की जांच में अपराध की आय से जुड़ी पाई जाती है, तो निदेशालय कानून के अनुसार उचित कदम उठाने का हकदार होगा।
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