अपराध
नवी मुंबई: अनंत करमुसे मारपीट मामले में गिरफ्तार जितेंद्र आव्हाड का बॉडीगार्ड रेलवे ट्रैक पर मृत पाया गया

ठाणे पुलिस से जुड़े पुलिस कांस्टेबल, जो पूर्व आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड के अंगरक्षक भी थे, बुधवार 29 मार्च को सुबह नवी मुंबई में निलजे और तलोजा स्टेशनों के बीच एक रेलवे ट्रैक पर मृत पाए गए। आव्हाड के कांस्टेबल और एक अंगरक्षक की पहचान वैभव कदम के रूप में की गई है, वह उन पुलिसकर्मियों में से एक था, जिसे ठाणे पुलिस ने 2020 में पूर्व आव्हाड के बंगले पर एक व्यक्ति को सोशल मीडिया पर मंत्री की छवि से छेड़छाड़ करने के आरोप में पीटने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
मामले में एडीआर दायर की
ठाणे सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने इस घटना में दुर्घटनावश मौत की रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज की है। ठाणे जीईओ के एक अधिकारी ने कहा, “प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि निलजे और तलोजा रेलवे स्टेशनों के बीच सुबह करीब 9 बजे रेलवे ट्रैक पर एक टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने एक शव मिला था। शव को छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल (सीएसएमएच) ले जाया गया था। ) कलवा में। इसकी पहचान वैभव कदम के रूप में हुई। हम यह पता लगाने के लिए परिजनों और चश्मदीदों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया में हैं कि यह आत्महत्या का मामला है या आकस्मिक मौत का।” मंत्री आव्हाड के बंगले पर हुई घटना के बाद कदम को ठाणे पुलिस के सुरक्षा विभाग से संबद्ध कर दिया गया था। उन्हें दो अन्य पुलिसकर्मियों और दस अन्य लोगों के साथ कथित रूप से अनंत करमुसे का अपहरण करने और उन्हें आव्हाड के बंगले पर लाने और 5 और 6 अप्रैल की रात को कथित रूप से मंत्री की तस्वीर से छेड़छाड़ करने और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
अपराध
सीबीआई ने पासपोर्ट सेवा केंद्र लोअर परेल के जूनियर पासपोर्ट असिस्टेंट और एजेंट को भ्रष्टाचार के मामले में किया गिरफ्तार

नकली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करने के मामले में कार्रवाई, पांच दिन की पुलिस कस्टडी में भेजे गए आरोपी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK), लोअर परेल, मुंबई में तैनात एक ऑफिस असिस्टेंट/वेरिफिकेशन ऑफिसर और एक निजी व्यक्ति (एजेंट) को गिरफ्तार किया है। यह मामला नकली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी कराने और इसके बदले रिश्वत लेने से जुड़ा है।
सीबीआई ने इस संबंध में ऑफिस असिस्टेंट/वेरिफिकेशन ऑफिसर और अन्य निजी पासपोर्ट एजेंटों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था। प्राथमिकी (FIR) में आरोप लगाया गया कि वर्ष 2023-2024 के दौरान उक्त सरकारी कर्मचारी ने निजी व्यक्तियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और उसके तहत पासपोर्ट संबंधित कार्यों के लिए अनुचित लाभ प्राप्त किया।
जांच में सामने आया कि आरोपी कर्मचारी ने एजेंट और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर कई अज्ञात आवेदकों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट जारी करवाए। इन आवेदनों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता विवरण और जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज लगाए गए थे, जो जांच में नकली पाए गए।
इसके अलावा, आरोपी कर्मचारी और एजेंट के बीच बातचीत के चैट में इन फर्जी पासपोर्ट आवेदकों से संबंधित रिश्वत की लेन-देन की चर्चा भी उजागर हुई है। जांच में यह भी सामने आया कि पासपोर्ट आवेदन में दिए गए मोबाइल नंबर काम नहीं कर रहे हैं और तत्काल योजना के तहत जारी किए गए इन पासपोर्टों की बाद में हुई पुलिस सत्यापन रिपोर्ट नकारात्मक पाई गई, क्योंकि दिए गए पते फर्जी थे।
जांच में सहयोग न करने और टालमटोल रवैया अपनाने पर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें विशेष सीबीआई अदालत, मुंबई में पेश किया गया, जहां से उन्हें 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। यह हिरासत 2 जून 2025 तक जारी रहेगी।
मामले की जांच जारी है।
अपराध
दिल्ली : जनकपुरी में तेज रफ्तार कार ने मचाई तबाही, 2 की मौत 3 घायल

नई दिल्ली, 29 मई। पश्चिम दिल्ली के जनकपुरी थाना क्षेत्र में गुरुवार तड़के 3:30 बजे पंखा रोड पर एक तेज रफ्तार कार कहर बन कर लोगों पर टूटी। अनियंत्रित कार साइकिल सवार को रौंदते हुए झुग्गी में जा घुसी। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपी ड्राइवर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पुलिस के अनुसार, हादसा उस समय हुआ जब तेज रफ्तार कार ने पहले एक साइकिल सवार को टक्कर मारी। इसके बाद कार अनियंत्रित होकर पास की झुग्गी में जा घुसी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि साइकिल सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे में तीन अन्य लोग घायल हुए, जिन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। डीसीपी वेस्ट विचित्र वीर ने बताया कि कार को जब्त कर लिया गया है और उसे थाने लाया गया है।
मृतकों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। पुलिस का कहना है कि हादसे की जांच चल रही है और यह पता लगाया जा रहा है कि ड्राइवर की लापरवाही या अन्य कारणों से यह दुर्घटना हुई।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, कार की तेज रफ्तार हादसे का मुख्य कारण हो सकती है। पुलिस आसपास के सीसीटीवी फुटेज की भी जांच कर रही है ताकि घटना की पूरी जानकारी मिल सके।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे यातायात नियमों का पालन करें और तेज रफ्तार से बचें। मामले में आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस ड्राइवर से पूछताछ कर रही है और मृतकों की पहचान के प्रयास जारी हैं।
इससे पहले, 6 अप्रैल को दिल्ली के पुराने राजेंद्र नगर स्थित बड़ा बाजार रोड पर एक बड़ा हादसा हो गया था। तेज रफ्तार कार ने पैदल चल रहे 6 लोगों को टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में 6 लोग घायल हो गए थे। इनमें से 5 यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्र थे, जबकि एक व्यक्ति इलाके में घूमने आया था।
अपराध
अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न मामला, 2 जून को सजा का ऐलान

चेन्नई, 28 मई। अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में तमिलनाडु के चेन्नई में महिला अदालत ने आरोपी ज्ञानशेखरन को बलात्कार सहित 11 मामलों में दोषी पाया।
न्यायाधीश एम. राजलक्ष्मी की अध्यक्षता वाली अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद घोषणा की कि सजा 2 जून को सुनाई जाएगी।
इस मामले में आरोप पत्र 24 फरवरी को विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दायर किया गया था, जिसने ग्रेटर चेन्नई पुलिस से अपने हाथ में केस लिया था।
स्थानीय पुलिस ने सड़क किनारे बिरयानी बेचने वाले और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले डीएमके के स्थानीय नेता ज्ञानशेखरन को घटना के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना 23 दिसंबर, 2024 को हुई। पीड़िता इंजीनियरिंग की छात्रा थी और अपने पुरुष मित्र के साथ परिसर में थी।
ज्ञानशेखरन ने उनके अंतरंग संबंधों का एक फर्जी वीडियो दिखाकर उन्हें धमकाया और चेतावनी दी कि वह इसे विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ साझा कर देगा, जिससे उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा।
इसके बाद उसने लड़के को जबरन वहां से जाने के लिए मजबूर किया और लड़की को अपने साथ कैंपस के एक सुनसान हिस्से में ले गया। लड़के की यूनिवर्सिटी स्टाफ की ओर से जांच का दिखावा करते हुए उसने पीड़िता को और भी डरा दिया।
जब उसने उसकी मांगें मानने से इनकार कर दिया तो ज्ञानशेखरन ने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया और इस कृत्य को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया।
बाद में उसने उसका फोन नंबर ले लिया और उसे ब्लैकमेल कर, धमकी दी कि अगर वह उससे दोबारा नहीं मिली तो वह वीडियो उसके पिता और कॉलेज के अधिकारियों को भेज देगा। हालांकि, लड़की ने चुप रहने से इनकार करके साहस का परिचय दिया।
अपने परिवार और कॉलेज प्रशासन की मदद से उसने अगले ही दिन कोट्टूरपुरम ऑल विमेन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की तुरंत कार्रवाई के कारण ज्ञानशेखरन को गिरफ्तार कर लिया गया।
मुकदमे के दौरान, उनके वकील ने व्यक्तिगत आधारों का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने की अपील की। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने अपराध की जघन्य प्रकृति और अभियुक्त के आपराधिक इतिहास को देखते हुए सजा पर कड़ी आपत्ति जताई।
न्यायाधीश राजलक्ष्मी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सजा पर फैसला 2 जून के लिए सुरक्षित रख लिया।
इस फैसले को पीड़िता के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम तथा शैक्षणिक परिसरों में महिलाओं को निशाना बनाकर किए जाने वाले अपराधों के विरुद्ध एक कड़ा संदेश बताया गया।
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