राजनीति
अब हरीश रावत का पलटवार, बोले ‘दाढ़ी रखने से कोई गुरु रविंद्रनाथ टैगोर नहीं बन जाता’

‘दाढ़ी रखने से कोई गुरु रविंद्रनाथ टैगोर नहीं बन जाता’। सीएम धामी के बयान पर अब हरीश रावत ने जवाब दिया है। सीएम धामी की ओर से राहुल गांधी पर तंज किया गया। जो पूर्व सीएम रावत को भी नगवार गुजरा। पीएम मोदी की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने जवाब दिया है।
सीएम धामी ने एक दिन पहले राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा था कि दाढ़ी बढ़ाने से कोई प्रधानमंत्री नहीं बन जाता। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दाढ़ी पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी उन्हीं की भाषा में जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि दाढ़ी रखने से कोई गुरु रविंद्रनाथ टैगोर नहीं बन जाता।
राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं। और अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी को लेकर चर्चा में हैं। सीएम धामी की ओर से राहुल गांधी पर किया गया तंज पूर्व सीएम रावत को भी नगवार गुजरा। पीएम मोदी की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने जवाब दिया है। बताते चलें कि पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दाढ़ी बढ़ाई थी। उस वक्त बंगाल में हुए चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा था। रावत ने कहा कि दाढ़ी सम्मान का प्रतीक है और देश के एक प्रतिष्ठित समाज के लिए वह धर्म का हिस्सा भी है। संत-महात्मा, पीर, फकीर, सब दाढ़ी रखते हैं। दाढ़ी रखने वाले हमारे देश में राष्ट्रपति भी हुए हैं और प्रधानमंत्री भी हुए हैं। हां एक बात सत्य है कि दाढ़ी रखने से कोई गुरु रविंद्रनाथ टैगोर नहीं बन जाता है।
मनोरंजन
गूगल और मेटा को पेशी के लिए ईडी ने फिर भेजा समन, 21 जुलाई को नहीं पहुंचे थे इनके प्रतिनिधि

नई दिल्ली, 28 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देने के मामले में टेक दिग्गज गूगल और मेटा को दोबारा 21 जुलाई को समन भेजा था। इन दोनों टेक कंपनियों के प्रतिनिधियों को 28 जुलाई (सोमवार) को ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। इससे पहले इन दोनों टेक कंपनियों को 21 जुलाई को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे पेश नहीं हो पाए थे।
ऐसे में ईडी ने दोनों कंपनियों को दोबारा समन भेज कर 28 जुलाई को पेश होने के लिए कहा। बता दें कि ईडी की जांच उन ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर केंद्रित है जो कथित तौर पर अवैध जुए और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। इनमें महादेव बेटिंग ऐप और फेयरप्ले आईपीएल जैसे ऐप्स शामिल हैं।
ईडी का आरोप है कि गूगल और मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स पर इन अवैध सट्टेबाजी ऐप्स को विज्ञापनों के जरिए बढ़ावा दिया और इनकी पहुंच को व्यापक बनाने में मदद की। जांच में पाया गया कि ये ऐप्स स्किल-बेस्ड गेमिंग के नाम पर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई, जिसे हवाला चैनलों के माध्यम से छिपाया गया ताकि जांच से बचा जा सके।
ईडी ने इन ऐप्स के विज्ञापनों को गूगल और मेटा के प्लेटफॉर्म्स पर प्रमुखता से प्रदर्शित होने का आरोप लगाया है, जिससे इनके यूजर्स बढ़े।
10 जुलाई को ईडी ने इस मामले में 29 मशहूर हस्तियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इनमें अभिनेता विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती, प्रकाश राज, निधि अग्रवाल, प्रणिता सुभाष, मंचू लक्ष्मी और अनन्या नगेला शामिल थें। इसके अलावा, टीवी कलाकार, होस्ट और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स जैसे श्रीमुखी, श्यामला, वर्षिणी सौंदर्यराजन, वसंती कृष्णन, शोभा शेट्टी, अमृता चौधरी, नयनी पावनी, नेहा पठान, पांडु, पद्मावती, हर्षा साय और बय्या सनी यादव के नाम भी जांच में हैं।
इन पर जंगली रम्मी, ए23, जीतविन, परिमैच और लोटस365 जैसे प्लेटफॉर्म्स के प्रचार का आरोप है, जो मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। यह जांच पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हो रही है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में दर्ज पांच एफआईआर के आधार पर ईडी ने यह कार्रवाई शुरू की।
मार्च में, साइबराबाद पुलिस ने भी विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती और प्रकाश राज सहित कई हस्तियों के खिलाफ अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के प्रचार का मामला दर्ज किया था। हालांकि, इन हस्तियों ने सफाई दी कि वे किसी अवैध ऐप का प्रचार नहीं कर रहे थे। ईडी अब इन सभी मामलों की गहन जांच कर रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
पाकिस्तान में फ्लैश फ्लड का कहर: टीवी एंकर समेत 15 लोग लापता, स्थानीय लोग सरकार की व्यवस्थाओं से नाराज

नई दिल्ली, 28 जुलाई। पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान में रविवार को हाईवे पर अचानक पानी भर गया। फ्लैश फ्लड की चपेट में आई एक टीवी एंकर और उसके परिवार के सदस्यों समेत 15 लोगों के बह जाने की आशंका है। वहीं कई दिनों से प्रकृति की मार झेल रहे इस इलाके के विस्थापितों ने स्वच्छ पेयजल, बिजली, सड़क पहुंच और संचार सेवाओं की गंभीर कमी की शिकायत की है।
बाढ़ से प्रभावित डायमर की बाबूसर और थोर घाटियों में बचे लोगों ने कहा कि वे हाल के दिनों की सबसे घातक बाढ़ की चपेट में आ गए हैं, जिसमें कई लोग बेघर हो गए और उनका सारा सामान बह गया। मीडिया हाउस डॉन के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि फ्लैश फ्लड से बाबूसर हाईवे पर अचानक पानी बढ़ गया और इसमें 10 से 15 पर्यटक बह गए। अब तक सात शव बरामद किए जा चुके हैं।
पर्यटकों में एक निजी चैनल की टीवी एंकर, उनके पति और उनके चार बच्चे भी शामिल हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार के प्रवक्ता फैजुल्लाह फारक ने बताया कि एक पश्तो भाषा के टीवी चैनल की एंकर के परिवार ने अधिकारियों से संपर्क कर बताया है कि वह, उनके पति और उनके चार बच्चे लापता हैं।
फारक ने बताया कि उन्हें एंकर का एक बटुआ मिला है। वहीं, चिलास के मीनार इलाके में सिंधु नदी से एक अज्ञात महिला का शव बरामद हुआ है। माना जा रहा है कि यह महिला उन पर्यटकों में शामिल है जो बाबूसर हाईवे पर आई बाढ़ में बह गए थे।
उन्होंने कहा, “खोजी कुत्तों और ड्रोन की मदद से बाकी लापता लोगों की तलाश जारी है।”
उन्होंने मीडिया को बताया कि भारी मशीनरी का उपयोग करके मरम्मत कार्य जारी है, 15 स्थानों पर सड़क अवरुद्ध है, और उनमें से 13 स्थानों पर आंशिक रूप से मार्ग साफ कर दिया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सोमवार तक राजमार्ग आंशिक रूप से यातायात के लिए फिर से खोल दिया जाएगा।
गिलगित क्षेत्र में, दान्योर नाले से आई अचानक बाढ़ के कारण मुख्य आपूर्ति पाइपलाइन और कई सिंचाई नहरें क्षतिग्रस्त होने के बाद, दान्योर और सुल्तानाबाद इलाकों के हजारों निवासी लगातार तीन दिनों तक पीने के पानी के बिना रहे।
वहीं आम लोग सरकार की अनदेखी से भी खासा नाराज हैं। गिलगित के पूर्व मंत्री मुहम्मद इकबाल के नेतृत्व में क्षेत्र के बुजुर्गों ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि सरकार बार-बार आश्वासन के बावजूद बाधित जल आपूर्ति बहाल करने में विफल रही है।
उन्होंने कहा कि हालांकि निवासियों ने पाइपलाइन को अस्थायी रूप से बहाल करने में कामयाबी हासिल की थी, लेकिन बाद में आई बाढ़ ने इसे फिर से नष्ट कर दिया। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि अभी तक कोई मरम्मत कार्य शुरू नहीं किया गया है और सरकार को कार्रवाई के लिए एक दिन का अल्टीमेटम दिया है, अन्यथा वे विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।
इस बीच, घांचे जिले के कोंडस और हल्दी के निवासियों ने भी राहत सामग्री, बिजली, पेयजल और सड़क मार्ग की कमी की शिकायत की।
कोंडस में हुए विनाशकारी भूस्खलन में 50 से ज्यादा घर बह गए, जिससे कई परिवार बेघर हो गए और उन्हें भोजन, आश्रय, चिकित्सा देखभाल, और आपातकालीन सेवाओं की तत्काल आवश्यकता है। स्थानीय लोगों ने इंटरनेट की अनुपलब्धता पर भी दुख जताया, जिससे बातचीत करना या मदद के लिए फ़ोन करना और भी मुश्किल हो गया।
जुटल और गिलगित-बाल्टिस्तान के अन्य बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों ने भी बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत की और सरकार की धीमी प्रतिक्रिया और समय पर राहत पहुंचाने में विफलता की आलोचना की।
राजनीति
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

suprim court
नई दिल्ली, 28 जुलाई। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया ने राजनीतिक और कानूनी बहस छेड़ दी है। विपक्ष का आरोप है कि इससे कई वैध मतदाताओं को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
जस्टिस सूर्य कांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं ने मतदाता सूची संशोधन की समय और वैधता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों या जनता को स्पष्ट जानकारी दिए व्यापक संशोधन प्रक्रिया शुरू की।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मतदाता सूची की संशोधन प्रक्रिया से कई वैध मतदाताओं के नाम हट सकते हैं। उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी और पारदर्शिता के बिना शुरू की गई है। उनका तर्क है कि इससे मतदाताओं की भागीदारी और चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर असर पड़ सकता है।
चुनाव आयोग ने अपनी सफाई में कहा है कि विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) मतदाता सूची को साफ करने के लिए एक वैध और जरूरी कदम है। आयोग के हलफनामे के अनुसार, इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के 1.5 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंटों को शामिल किया गया था।
आयोग का कहना है कि इस संशोधन का उद्देश्य अयोग्य या डुप्लिकेट नामों को हटाना है।
इससे पहले, एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सलाह दी थी कि वह मतदाता सत्यापन के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड या पहले जारी किए गए वोटर आईडी कार्ड को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने पर विचार करें। हालांकि, चुनाव आयोग ने अपने जवाब में स्पष्ट किया है कि केवल इन दस्तावेजों के आधार पर किसी को मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता, क्योंकि सत्यापन के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी है।
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