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Friday,19-September-2025
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26/11 के 14 साल बाद भी मारे गए मछुआरों के परिजन को नहीं मिला पूरा मुआवजा, संघर्ष जारी

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after 14 years

ऐसा कहा जाता है कि सुबह होने से पहले सबसे गहरा अंधेरा होता है और फिर सूर्य की किरणे अंधेरे को उजाले में बदल देती हैं, लेकिन एमवी कुबेर के चालक दल के सदस्यों के परिवारों के लिए, 26 नवंबर, 2008 को डूबने वाला सूरज चौदह साल बाद भी नहीं निकला है। 12 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत ने चालक दल के चार सदस्यों को मृत घोषित किया और सावधि जमा के रूप में 5 लाख रुपये का आंशिक मुआवजा दिया। उन्हें केवल हर तीन महीने में ब्याज निकालने की अनुमति मिली।

दक्षिण गुजरात में नवसारी जिले के वंशी बोरसी गांव की धर्मिष्ठा नटूभाई राठौड़ 26/11 हमले के वक्त 23 साल की थीं और उनका चार साल का बेटा नितिन और सात महीने की बेटी अस्मिता थीं। 27 नवंबर, 2008 की सुबह उन्हें पता चला कि उनके पति नटूभाई लापता हैं, जिस नाव कुबेर पर वह मछली पकड़ने गए थे, उसे आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था, टंडेल (कप्तान) अमरसिंह का शव मिला था, जबकि नटूभाई और अन्य लापता थे।

आईएएनएस से बात करते हुए धर्मिष्ठा ने कहा, मैं अनपढ़ हूं, लेकिन वंशी बोरसी पंचायत के सरपंच और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से हमने मिसिंग सर्टिफिकेट या डेथ सर्टिफिकेट हासिल करने की लड़ाई लड़ी, जिसे न तो महाराष्ट्र और न ही गुजरात सरकार जारी करने को तैयार थी, हमने उम्मीद लगभग छोड़ दी थी, लेकिन एक एनजीओ की मदद से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देने के लिए अदालत में एक याचिका दायर की गई। उन्होंने कहा कि लगभग दस साल लग गए, 2019 में अदालत ने उनके पति को मृत घोषित किया और राज्य सरकार को मुआवजा जारी करने का निर्देश दिया।

इन सभी वर्षों के दौरान धर्मिष्ठा ने घर चलाने के लिए गांव में नौकरानी के रूप में काम किया। उस दौरान, उनका बेटा नितिन भी बड़ा हो गया और वह भी मजदूरी करके घर का आर्थिक बोझ उठाने लगा। हालांकि, यह ज्यादा समय तक नहीं चला, सात महीने पहले बीमारी की वजह से धर्मिष्ठा के बेटे नितिन की भी मौत हो गई।

धर्मिष्ठा को अन्य तीन परिवारों के साथ, 2020 में मुआवजे के रूप में पांच लाख रुपये मिले, जो सावधि जमा के रूप में है, इसलिए केवल ब्याज निकालने की अनुमति है। हर तीन महीने में उसे 3000 रुपये ब्याज के रूप में मिलते हैं, जिससे उसे अपना और 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली अपनी बेटी अस्मिता का खर्चा चलाना पड़ता है। यहां तक कि धर्मिष्ठा को नौकरानी की नौकरी भी आसानी से नहीं मिलती क्योंकि गांव छोटा है और अधिकांश ग्रामीण मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। उसे बमुश्किल 50 रुपये से 100 रुपये प्रति दिन का भुगतान किया जाता है, और यहां तक की महीने में पूरे 30 दिन काम नहीं मिलता है।

वंशी बोरसी पंचायत के सरपंच भरत पटेल को मुआवजे की कम राशि पर दुख जताया। उन्होंने कहा- दो लोगों का परिवार 1000 रुपये महीने में कैसे गुजारा कर सकता है। राज्य सरकार को अधिक मुआवजा देना चाहिए ताकि परिवार सम्मान के साथ जी सके। समुद्र श्रमिक सुरक्षा संघ के अध्यक्ष बालूभाई सोशा ने कहा- राज्य सरकार गंभीर नहीं है, पांच लाख रुपये का मुआवजा आंशिक है, वह प्रति व्यक्ति 20 लाख रुपये चाहते हैं, जिसे अपीलीय अदालत में चुनौती दी है।

उन्होंने गिर गढ़ा गांव (गिर सोमनाथ जिले) के रमेश बंभानिया का मामला उठाया, जिसे भी आतंकवादियों ने एमवी कुबेर पर मार डाला था। हाईकोर्ट में अधिवक्ता आनंद याज्ञनिक द्वारा लड़ी गई कानूनी लड़ाई के कारण रमेश की पत्नी जेसीबन और अन्य को 5 लाख रुपये मिले। उन्होंने उन्हें समूह बीमा योजना से 45000 रुपये का बीमा लाभ भी दिलवाया।

सोशा ने कहा कि नौका कप्तान अमरसी दीव के रहने वाले थे, केंद्र सरकार ने न केवल उनकी मौत पर मुआवजा दिया, बल्कि उनके परिवार के एक सदस्य को केंद्र शासित प्रदेश में नौकरी दी। उसकी तुलना में गुजरात सरकार संवेदनहीन तरीके से काम कर रही है और चालक दल के सदस्यों के बुरे समय में उनके परिवारों के साथ नहीं खड़ी है।

राष्ट्रीय समाचार

मैसूर दशहरा से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, कहा- भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र

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suprim court

नई दिल्ली, 19 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को इस साल के मैसूर दशहरा समारोह का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किए जाने का विरोध किया गया था। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर आधारित है और राज्य सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम किसी निजी संस्था का आयोजन नहीं होता।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि मैसूर दशहरा केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हिंदू धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं से जुड़ा पवित्र अनुष्ठान है। इसकी शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चार और चामुंडेश्वरी देवी की पूजा से होती है। ऐसे में बानू मुश्ताक के रूप में एक मुस्लिम महिला को समारोह का उद्घाटन करने के लिए बुलाना परंपरा और धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि 2017 में भी प्रसिद्ध मुस्लिम कवि निसार अहमद ने मैसूर दशहरा का उद्घाटन किया था। अदालत ने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट करती है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। ऐसे में किसी भी धर्म विशेष के आधार पर भेदभाव करना न्यायोचित नहीं है।

बता दें कि बेंगलुरु के एक निवासी, एचएस गौरव की ओर से दायर पीआईएल में कहा गया कि दशहरा के उद्घाटन को हिंदू परंपरा का अभिन्न हिस्सा घोषित किया जाना चाहिए और इसे हिंदू गणमान्य व्यक्ति द्वारा ही किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एसएलपी में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें मैसूर दशहरा के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं (पीआईएल) को खारिज कर दिया गया था।

मैसूर दशहरा के उद्घाटन के दौरान देवी चामुंडेश्वरी को फूल चढ़ाने की परंपरा है और विपक्षी बीजेपी इस बात पर आपत्ति जता रही है कि बानू मुश्ताक दूसरे धर्म से हैं।

कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विभू बाखरू और जस्टिस सीएम जोशी की बेंच ने 15 सितंबर को अपने फैसले में कहा था कि किसी के भी अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है और कहा कि विजय दशमी का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

हालांकि, विपक्ष ने मैसूर दशहरा के उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को ‘गलत’ बताया है और याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि बुकर प्राइज विजेता ने हिंदू विरोधी बयान दिए थे और कन्नड़ भाषा के खिलाफ टिप्पणी की थी। वहीं, कर्नाटक सरकार का कहना है कि मैसूर दशहरा इस क्षेत्र का त्योहार है, न कि कोई धार्मिक कार्यक्रम।

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अपराध

दिल्ली क्राइम ब्रांच की बड़ी सफलता, गैंगरेप केस में फरार घोषित अपराधी गिरफ्तार

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CRIME

नई दिल्ली, 19 सितंबर। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (डब्ल्यूआर-2) ने संगीन अपराधों में फरार घोषित अपराधियों पर शिकंजा कसते हुए एक बड़ी सफलता हासिल की है। टीम ने तिमारपुर के रहने वाले भरत को गिरफ्तार किया है। गैंगरेप के मामले में वह प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर (पीओ) घोषित था।

आरोपी के खिलाफ साल 2017 में थाना सुल्तानपुरी में एफआईआर संख्या 471/2017 दर्ज की गई थी, जिसमें धारा 323/376D/506 आईपीसी और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत गंभीर आरोप लगाए गए थे।

डब्ल्यूआर-2 क्राइम ब्रांच की टीम लंबे समय से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में फरार और संगीन मामलों में लिप्त अपराधियों की तलाश कर रही थी। हेड कांस्टेबल अजय को एक पुख्ता सूचना मिली कि फरार अपराधी भारत अपने साथियों से मिलने राजपुरा रोड, एपीएल गेट के पास आने वाला है। सूचना के आधार पर इंस्पेक्टर सतीश मलिक के नेतृत्व में एसीपी राजपाल दबस की निगरानी में एक टीम गठित की गई। इस टीम में हेड कांस्टेबल अजय, संदीप और संदीप कादयान शामिल थे। मौके पर जाल बिछाया गया और आरोपी को घेरकर दबोच लिया गया।

पूछताछ के दौरान आरोपी भरत ने बताया कि वह तिमारपुर का रहने वाला है। वर्ष 2017 में उसने अपने साथियों के साथ मिलकर एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और शारीरिक हमला भी किया। मामले के दर्ज होने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई।

सुनवाई के दौरान सजा के डर से आरोपी अदालत में पेश नहीं हुआ और फरार हो गया। इसके बाद वर्ष 2023 में अदालत ने उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित कर दिया।

जानकारी के अनुसार, आरोपी भरत के खिलाफ 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं।

इससे पहले, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की ईआर-2 टीम ने 9 सितंबर को डेबिट कार्ड स्वैपिंग फ्रॉड में शामिल एक फरार अपराधी को गिरफ्तार किया था। आरोपी की पहचान कादिर उर्फ कादिर पुत्र नूर मोहम्मद के रूप में हुई थी, जो गाजियाबाद का रहने वाला है। आरोपी 2017 से फरार चल रहा था और 10 अप्रैल 2019 को अदालत द्वारा प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित किया गया था।

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राष्ट्रीय समाचार

पश्चिम रेलवे ने महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए ‘स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान’ शुरू किया

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SWASTH NARI ABHIYAN

पश्चिम रेलवे ने 17 सितम्बर, 2025 को राष्ट्रव्यापी पहल “स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान” का शुभारंभ करके महिलाओं के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया यह अनूठा अभियान निवारक स्वास्थ्य सेवा, जागरूकता कार्यक्रमों और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है, जिससे मजबूत परिवारों और स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक के अनुसार, मुंबई सेंट्रल डिवीजन के चिकित्सा विभाग ने मुंबई सेंट्रल रेलवे स्वास्थ्य इकाई में उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक पंकज सिंह ने डॉक्टरों और वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की उपस्थिति में औपचारिक रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर आरती परिहार, अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक, मुंबई सेंट्रल; निशा सिंह, अतिरिक्त मुख्य स्वास्थ्य निदेशक, पश्चिम रेलवे; डॉ. सोनाली घुमरे, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (एसीएमएस); डॉ. स्वाति सिंह (एसीएमएस); डॉ. मीना कुमारी (एसीएमएस); डॉ. रोजलिन बेबी – मंडल चिकित्सा अधिकारी और डॉ. भारती भी उपस्थित थीं।

अपने संबोधन में, पंकज सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य और शिक्षा एक प्रगतिशील समाज की आधारशिला हैं। श्रीमती आरती परिहार ने इस पहल की सराहना की और महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जाँच शिविरों के आयोजन को प्रोत्साहित किया।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत, एक विशेष स्वास्थ्य अभियान चलाया गया जिसमें रक्त शर्करा, रक्तचाप, हीमोग्लोबिन स्तर, स्तन एवं स्त्री रोग संबंधी जाँच, पैप स्मीयर परीक्षण, मुख कैंसर और टीबी की जाँच शामिल थी। किशोरियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता पर परामर्श सत्र आयोजित किए गए। डॉ. स्वाति सिंह ने महिलाओं के पोषण और सर्वाइकल कैंसर, स्तन कैंसर और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूकता पर एक प्रभावशाली प्रस्तुति दी। जेजे अस्पताल के टीबी सुपरवाइज़र ने क्षय रोग जाँच पर एक व्याख्यान भी दिया।

अभियान के क्रम में, वलसाड के उप-विभागीय अस्पताल में महिला लाभार्थियों और बच्चों के लिए एक ऐसा ही स्वास्थ्य जाँच शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में डॉ. सिम्मी गुप्ता (सीएमएस) और अन्य विशेषज्ञों ने भाग लिया और कार्यक्रम के उद्देश्यों, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का शीघ्र पता लगाने, एनीमिया, कैंसर जागरूकता, पोषण के महत्व आदि और स्वस्थ जीवन जीने के तरीकों पर चर्चा की। पोषण माह के शुभारंभ के उपलक्ष्य में, वलसाड अस्पताल में प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम युक्त खाद्य उत्पादों की एक प्रदर्शनी लगाई गई, जिसे उपस्थित लोगों ने खूब सराहा।

विनीत अभिषेक ने बताया कि मुंबई सेंट्रल और वलसाड में आयोजित स्वास्थ्य जांच शिविरों में 200 से ज़्यादा महिलाओं और किशोरियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस दौरान रक्तचाप और रक्त शर्करा की निगरानी, ​​स्तन कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच, स्त्री रोग संबंधी जाँच और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षण सहित कई तरह की जाँचें की गईं।

इन कार्यक्रमों ने सफलतापूर्वक इस संदेश को पुष्ट किया कि स्वस्थ महिलाएं मजबूत परिवारों और स्वस्थ राष्ट्र की नींव हैं, और यह महिलाओं को अपने कल्याण की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त भी बनाता है।

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