राजनीति
MSME के जरिए ‘रोजगार’ के लक्ष्य को साधेगी सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार हर परिवार को रोजागर देने के वादे पर अमल करने जा रही है। इसके लिए एमएसएमई ढाल बनेगा। विधानसभा चुनाव-2022 के पहले पार्टी की ओर से जारी लोक कल्याण संकल्पपत्र-2022 में भी इसका जिक्र है। योगी-2.0 में इस लक्ष्य के प्रति सरकार मजबूती से कदम भी बढ़ा रही है। हर परिवार के एक युवा सदस्य को रोजगार मिले यह सुनिश्चित कराने के लिए सरकार परिवार कार्ड भी बनाने जा रही है।
बजट में भी एमएसएमई सेक्टर पर खास फोकस है। युवा स्थानीय स्तर पर लगने वाली इकाइयों के लिए दक्ष हों इसके लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान के बजट में करीब 6 गुना की वृद्धि की गई है। 2021-2022 में इस मद में 2040 लाख रुपये का प्रावधान था जबकि मौजूदा बजट में 11250 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। कलस्टर में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से इनकी संभावना बढ़ जाती है। चूंकि ऐसी जगहों पर बल्क में उत्पादन होता है।
लिहाजा खरीदने वाले आसानी के चलते खुद यहां आते हैं। सरकार ने लघु उद्योग क्लस्टर विकास योजना के मद में बजट बढ़ाकर 3200 लाख रुपए से 6500 लाख रुपये कर दिया है। जिला स्तर पर स्थापित इंडस्ट्रियल स्टेट में बेहतर बुनियादी सुविधाएं और परिवेश हों इसके लिए इस बजट में पिछले बजट की तुलना में करीब दोगुने 500 लाख का प्रावधान किया गया है।
औद्योगिक क्षेत्रों में महिलाओं एवं लड़कियों की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए बजट में 1200 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। यही नहीं बजट में छह जिलों में नए इंडस्ट्रियल स्टेट की स्थापना का भी बजट में प्रावधान है। इसके लिए बजट में 5000 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इंडस्ट्रियल स्टेट में अवस्थापना सुविधाओं के उच्चीकरण के लिए बजट को 560 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2000 लाख रुपए कर दिया गया है। अयोध्या में सीपेट केंद्र के लिए 3000 लाख और वाराणसी के सीपेट केंद्र में वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए 1000 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।
सरकार का दावा है कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में एमएसएमई सेक्टर के निर्यात में 30 फीसद की वृद्धि इसका सबूत है। इस निर्यात में भी 70 फीसद से अधिक योगदान ओडीओपी का है। सरकार के पहले कार्यकाल में अकेले ओडीओपी से 25 लाख लोगों को रोजगार और स्वरोजगार मिला था। सरकार का लक्ष्य ओडीओपी के जरिए अगले पांच साल में निर्यात एवं रोजगार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर बजट 2022-2023 में सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए उदारता से बजट का प्रावधान भी किया है।
राजनीति
दुनिया को बताएंगे आतंकियों की फैक्ट्री बनाने वाला देश है पाकिस्तान: राजीव राय

नई दिल्ली, 22 मई। ऑपरेशन सिंदूर की जरूरत और सच्चाई से रूबरू कराने के लिए बनी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय भी हैं। उन्होंने दावा किया कि उनका लक्ष्य दुनिया को पाकिस्तान की असलियत बताना है। वो बताएंगे कि भारत और पाकिस्तान एक ही तराजू में तोला नहीं जा सकता है।
गुरुवार को मिडिया से बातचीत के दौरान सपा सांसद राजीव राय ने कहा कि हम सभी विपक्षी दलों के सांसद 140 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश जा रहे हैं। हम दुनिया को बताएंगे कि एक देश है भारत, जो सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और दूसरा आतंकवादियों को पैदा करने वाला देश। इसीलिए दोनों देशों को एक तराजू में तोलना बेईमानी है। क्योंकि, भारत शांति और अहिंसा में विश्वास रखने वाला देश है और पाकिस्तान का इतिहास ही रहा है कि उसे शांति और अहिंसा पसंद नहीं है। पाकिस्तान को पसंद है तो बस खून और आतंकवाद। पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देने वाला देश है। इस देश में आतंकियों को बनाने की फैक्ट्री चलाई जाती है। अगर आतंकवाद पैदा करने वाले देश का कोई दूसरा देश समर्थन करता है, तो वह आतंकवादियों को समर्थन करने वाला देश है। ऐसे देश को अलग करने की जरूरत है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं अब वह जिम्मेदारी ले रहा हूं जिसके लिए मुझे मेरे पार्टी अध्यक्ष ने नामित किया है और सरकार ने मंजूरी दी है। इसलिए इस समय, जबकि अन्य लोग स्थानीय मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं, मैं मुझे सौंपी गई जिम्मेदारी से विचलित नहीं होऊंगा। मैं कोई अन्य टिप्पणी नहीं करना चाहता जो मुझे सौंपी गई भूमिका से विचलित करे। मैं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करता हूं कि मुझे प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है।
सपा सांसद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “देश के 140 करोड़ देशवासियों की तरफ़ से आतंकी देश पाकिस्तान को दुनिया के मंचों पर बेनकाब करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पांच देशों की यात्रा पर रवाना।”
महाराष्ट्र
मुंबई लोकल ट्रेन के विकलांग डिब्बे में अंधी महिला की पिटाई करने वाला आरोपी गिरफ्तार

मुंबई: रेलवे पीआरपी ने मुंबई लोकल ट्रेन के विकलांग डिब्बे में एक नेत्रहीन महिला की पिटाई करने के आरोप में मुहम्मद इस्माइल हसन अली को गिरफ्तार करने का दावा किया है। मोहम्मद इस्माइल हसन अली अपनी गर्भवती पत्नी और 10 वर्षीय बेटी के साथ मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन से टाटवाला जाने वाली ट्रेन में विकलांग डिब्बे में यात्रा कर रहे थे। इस दौरान एक 33 वर्षीय नेत्रहीन महिला डिब्बे में दाखिल हुई। अन्य यात्रियों ने हसन अली से अनुरोध किया कि वह विकलांग महिला के लिए अपनी सीट छोड़ दें। उसने इनकार कर दिया। इस दौरान पीड़िता ने उसके साथ गाली-गलौज की तो 40 वर्षीय हसन अली भड़क गया और उसने महिला की पिटाई शुरू कर दी। किसी तरह डिब्बे में मौजूद यात्रियों ने अंधी महिला को बचाया और पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इस पर टिप्पणियां भी शुरू हो गईं। इस पर संज्ञान लेते हुए कल्याण जीआरपी ने कार्रवाई करते हुए मुंब्रा निवासी मोहम्मद इस्माइल हसन को गिरफ्तार कर लिया और आगे की जांच के लिए मामला पुलिस को सौंप दिया गया है। हसन अली के खिलाफ बिना किसी बहाने के विकलांग डिब्बे में यात्रा करने, मारपीट करने और अंधे यात्री के अधिकारों का उल्लंघन करने का मामला भी दर्ज किया गया है।
महाराष्ट्र
यातायात पुलिस ने 10 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला। 556 करोड़

मुंबई: ‘मुंबई वन स्टेट वन चालान’ डिजिटल पोर्टल के जरिए मुंबई ट्रैफिक पुलिस विभाग ने 1 जनवरी 2024 से 28 फरवरी 2025 के बीच 556 करोड़ 64 लाख 21 हजार 950 रुपये (₹5,564,219,050) के चालान वसूले हैं। यह खुलासा एक आरटीआई आवेदन के जरिए हुआ है। उक्त अवधि के दौरान पोर्टल पर कुल 1,81,613 ऑनलाइन शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 1,07,850 शिकायतें खारिज कर दी गईं। यानि लगभग 59% शिकायतें खारिज कर दी गईं।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अनिल गलगली ने ई-चालान शिकायतों के बारे में मुंबई यातायात पुलिस से जानकारी मांगी थी। मुंबई यातायात पुलिस के अनुसार, वाहन के प्रकार (जैसे दोपहिया, चार पहिया, माल वाहन, यात्री वाहन, आदि) के आधार पर प्राप्त शिकायतों का वर्गीकरण ‘एक राज्य एक चालान’ पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण वर्तमान में विशिष्ट वाहन श्रेणियों पर की गई कार्रवाई का विश्लेषण करना असंभव है।
शिकायत जांच प्रक्रिया:
सभी शिकायतों की जांच मल्टीमीडिया सेल, यातायात मुख्यालय, वर्ली, मुंबई में की जाती है। इसमें वाहन की तस्वीरों और आसपास के दृश्य साक्ष्यों की समीक्षा शामिल है। यदि चित्र या साक्ष्य स्पष्ट नहीं हैं, तो उसे जांच के लिए संबंधित यातायात विभाग या पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है। चालान को बरकरार रखने या रद्द करने का अंतिम निर्णय स्थानीय जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ही किया जाएगा।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि ई-चालान प्रणाली को पारदर्शी बनाना समय की मांग है। नागरिकों को अपने विचार प्रस्तुत करने का पूर्ण एवं निष्पक्ष अवसर दिया जाना चाहिए तथा प्रत्येक शिकायत की निष्पक्ष एवं गहन जांच की जानी चाहिए।
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