राष्ट्रीय
जगह की तलाश कर रहे स्टार्टअप्स के लिए एक हब के तौर पर उभर रहा गुरुग्राम

भारत में कुल मिलाकर 61,400 स्टार्टअप और 83 यूनिकॉर्न हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस की घोषणा के बाद यह संख्या लगातार बढ़ने वाली है। यह उस विश्वास को भी दर्शाता है जो सरकार को स्टार्टअप और यूनिकॉर्न पर है। इसे विश्वास है कि इसमें जीडीपी और रोजगार सृजन में योगदान के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था की गतिशीलता को बदलने की क्षमता है।
सरकार ने 2021 में 14,000 नए स्टार्टअप को मान्यता दी थी। जनवरी 2022 तक, भारत के 83 यूनिकॉर्न की वैल्यूएशन 277 अरब अमेरिकी डॉलर तक आंकी गई है। कई रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि भारत में जल्द ही कम से कम 50 और यूनिकॉर्न देखने को मिलेंगे।
कोई आश्चर्य नहीं कि भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनकर उभरा है।
स्टार्टअप और यूनिकॉर्न लगातार विस्तार कर रहे हैं और उन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्र में भी जबरदस्त नई ऊर्जा डाली है, क्योंकि वे अपने कर्मचारियों के लिए कार्यालय और आवासीय स्थान (रिजेडेंशियल स्पेस) दोनों की तलाश कर रहे हैं।
इसके अलावा, संस्थागत निवेश और एफडीआई में भी रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी जा रही है।
नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र बेंगलुरु को पीछे छोड़ते हुए ‘भारत की नई स्टार्टअप राजधानी’ के रूप में उभरा है।
बेंगलुरु में 4,514 की तुलना में पिछले दो वर्षों में 5,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप दिल्ली-एनसीआर में स्थापित किए गए हैं।
चूंकि दिल्ली में जगह की कमी देखी जा रही है और किराया लगातार बढ़ रहा है, इसलिए अब गुरुग्राम स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न के लिए केंद्र बनकर उभरा है।
एक बार द्वारका एक्सप्रेसवे चालू हो जाने के बाद (2023 तक शुरू होने की संभावना है) गुरुग्राम, दिल्ली और दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के और भी करीब हो जाएगा। इसके बाद गुरुग्राम में मांग को और बढ़ावा मिलेगा।
एम3एम इंडिया के निदेशक पंकज बंसल रियल एस्टेट क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है, जिन्होंने पहले कहा था कि जिस तरह से गुरुग्राम बढ़ रहा है और जिस तरह से द्वारका एक्सप्रेसवे आकार ले रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं कि गुरुग्राम रियल्टी निवेशकों, विशेष रूप से स्टार्टअप्स और यूनिकॉर्न्स के लिए पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरेगा।
एक बार द्वारका एक्सप्रेसवे चालू हो जाने के बाद, गुरुग्राम में रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश रुकने वाला नहीं है। गुरुग्राम में 250 से ज्यादा फॉर्च्यून-500 कंपनियां कमर्शियल स्पेस पर कब्जा कर रही है।
नई परियोजनाओं का निर्माण कंपनियों द्वारा आवश्यक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है और आवासीय परियोजनाओं के लिए भी यही नीति लागू की जा रही है।
एम3एम इंडिया, गुरुग्राम में अग्रणी रियल-एस्टेट डेवलपर में से एक रहा है और शहर के विकास में एक बड़ा योगदानकर्ता रहा है।
एम3एम इंडिया ने 10 वर्षों में लगभग 40 प्रोजेक्ट डेवलप किए हैं, जो कुल मिलाकर 2 करोड़ वर्ग फीट है, जिसमें गुरुग्राम में 40 लाख वर्ग फीट का रिटेल स्पेस शामिल है। एम3एम गोल्फ एस्टेट और एम3एम ट्रम्प टावर्स विकास के उस स्तर की गवाही दे रहे हैं, जिसे गुरुग्राम ने रियल्टी क्षेत्र में देखा है।
दिल्ली-एनसीआर एसपीआर और एनपीआर में विस्तार कर रहा है और गुरुग्राम आवासीय और वाणिज्यिक दोनों जगहों में पर्याप्त निवेश आकर्षित कर रहा है। कई राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने गुरुग्राम में कार्यालय की जगह और आवासीय स्थान पर अपना कब्जा किया है और यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। एसपीआर और एनपीआर के माध्यम से दिल्ली-एनसीआर का विस्तार एक संकेत है कि रियल एस्टेट में निवेश की मांग बढ़ रही है और डेवलपर्स को अचल संपत्ति की मांग में इस तरह की वृद्धि से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है।
रियल-एस्टेट क्षेत्र स्थिर गति से चल रहा है और इसके 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 13 प्रतिशत का योगदान करने की उम्मीद है। इसके अलावा यह 2030 तक 1 खरब अमेरिकी डॉलर के बाजार के आकार तक पहुंचने के लिए पूरी तरह तैयार है।
रिपोर्ट में यह भी भविष्यवाणी की गई है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में 2040 तक 9.30 अरब अमेरिकी डॉलर (65,000 करोड़ रुपये) की बाजार वृद्धि देखी जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय
डोनाल्ड ट्रंप का 50 प्रतिशत वाला टैरिफ बम, भारत के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’

PM MODI
नई दिल्ली, 8 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा रह-रहकर भारत को टैरिफ का दिखाया जा रहा डर अब उनके लिए ही परेशानी का कारण बनता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से अमेरिका भारत के खिलाफ टैरिफ बम फोड़ने की धमकी दे रहा है, उसका माकूल जवाब भारत सरकार की तरफ से दिया जा रहा है।
दरअसल, भारत एक ऐसा वैश्विक बाजार बन चुका है, जिसकी जरूरत दुनिया के देशों को अपना व्यापार चलाने के लिए है। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत की परचेजिंग पावर पैरिटी है। भारत इस मामले में अमेरिका से आगे है और यही वजह है कि भारत के बाजार पर पूरी दुनिया की नजर है।
पिछले कुछ दिनों में भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी जा रही टैरिफ धमकी का जवाब जिस तरह से दिया जा रहा है, वह भारत की वैश्विक ताकत को दिखाता है। एक तरफ जहां भारत के खिलाफ टैरिफ की धमकी अमेरिका के राष्ट्रपति दे रहे हैं तो उनका जवाब भारत की तरफ से देने के लिए विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता सामने आ रहे हैं। मतलब दुनिया के सबसे ताकतवर देश होने का दंभ भरने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति की धमकी का जवाब भी भारत के प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री स्तर के नेता के द्वारा नहीं दिया जा रहा है।
अब एक बार भारत की तरफ से किए गए निश्चय पर ध्यान दें तो आपको पता चल जाएगा कि आखिर भारत अमेरिका की टैरिफ वाली धमकी को इतनी गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा है। भारत ने ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी पर जो जवाब दिया है, उसका संदेश साफ है। भारत की तरफ से दिए गए जवाब को देखेंगे तो इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका के टैरिफ की भारत को कोई चिंता नहीं है और इसकी सबसे बड़ी वजह भारत का खुद आत्मनिर्भर बनना है। चाहे वह रक्षा का मामला हो या सुरक्षा का। दूसरी तरफ यह भी देखा जा रहा है कि अमेरिका से डील की किसी डेडलाइन की चिंता भारत में दिख नहीं रही है और सरकार की तरफ से साफ संदेश जा रहा है कि भारत प्रेशर में आने वाला नहीं है, ना ही प्रेशर में आकर कोई डील करेगा। इसके साथ ही भारत ट्रंप की मंशा भी अच्छी तरह से समझ रहा है कि अमेरिका भारत के पूरे बाजार में बेरोकटोक एक्सेस चाहता है जो किसी हाल में भारत देने को तैयार नहीं है।
इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार देश के किसानों और छोटे व्यवसायियों को किसी भी हाल में नुकसान होने देने के मूड में नहीं दिख रही है। वहीं, अमेरिका की तरफ से इस टैरिफ धमकी के जरिए इस पर भी दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत अपने सबसे पुराने मित्र रूस से अपनी दोस्ती समाप्त कर ले तो भारत का यह संदेश भी स्पष्ट है कि ऐसा कभी होने वाला नहीं है।
भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को भी पता है कि भारत का बाजार जिस दिन अमेरिका के लिए बंद हुआ, उस दिन उनकी कई कंपनियों पर ताले लग जाएंगे। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत की परचेजिंग पावर पैरिटी है। अब एक बार जानिए कि परचेजिंग पावर पैरिटी है क्या?
दरअसल, क्रय-शक्ति समता (परचेजिंग पावर पैरिटी- पीपीपी) अंतरराष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत है। जिसको आसान भाषा में समझिए कि यह एक-दूसरे देश में जीवन शैली पर किए गए व्यय के अनुपात को दर्शाता है। इसके अनुसार विभिन्न देशों में एकसमान वस्तुओं की कीमत समान रहती है। मतलब परचेजिंग पावर पैरिटी विभिन्न देशों में कीमतों का माप है, जो देशों की मुद्राओं की पूर्ण क्रय शक्ति की तुलना करने के लिए विशिष्ट वस्तुओं की कीमतों का उपयोग करती है।
यानी प्रत्येक देश में सामान और सेवाएं खरीदने के लिए एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में परिवर्तित करना होता है। अब इसे ऐसे समझें कि भारत के मध्यम वर्ग के लिए एक साल का बजट अगर 25 लाख का होता है, तो अमेरिका के मध्यम वर्गीय परिवार के लिए यही बजट यहां की मुद्रा के अनुसार 80 लाख से ज्यादा होता है।
अब भारत ने अमेरिका के उस दोहरे रवैये को भी उजागर कर दिया है, जिसमें अमेरिका भारत को रूस से दोस्ती और व्यापार खत्म करने के लिए धमकी दे रहा है। वहीं, वह खुद रूस से भारी मात्रा में तेल, गैस और फर्टिलाइजर खरीदता है।
हालांकि, भारत का विपक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत के ‘डेड’ इकोनॉमी वाले दावे पर सरकार को घेरने की कोशिश तो कर रहा है। लेकिन, विपक्ष के शशि थरूर, मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला के साथ कई अन्य नेता भी हैं, जो ट्रंप के इस दावे को भद्दा मजाक तक बता दे रहे हैं। मतलब भारत में तो ट्रंप के दावे को भी मजाक में ही लिया जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता में वापसी के बाद दुनिया के 70 से ज्यादा देशों पर टैरिफ बम फोड़ रखा है और उसे भी यह पता है कि इससे अमेरिका को भी बड़ा नुकसान होने वाला है। इसको सबसे पहले टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने समझा और उन्होंने सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का विरोध करते हुए उनका साथ छोड़ दिया। ट्रंप के टैरिफ बम वाले दिखावे की वजह से अमेरिका के उद्योगपति भी घबराए हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप के साथ जिन देशों ने ट्रेड डील करने का दावा किया, उन्हें भी इस टैरिफ के मामले में नहीं बख्शा गया है। अब पाकिस्तान को हीं देख लें, जिस देश का सेना प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर रहा है, उस पर भी ट्रंप ने 19 प्रतिशत टैरिफ ठोंक रखा है।
वैसे भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की व्यापक सफलता के बाद से भारत में निर्मित हथियारों की दुनिया में तेजी से मांग बढ़ी है। ऐसे में अमेरिका, जो अपने आप को आधुनिक हथियारों का सबसे बड़ा डीलर मानता है, उसकी चिंता ज्यादा बढ़ गई है।
दूसरा, भारत तेल की खरीदारी भी भारी मात्रा में रूस से करता है, जबकि अमेरिका इस पर भी नजरें गड़ाए बैठा है कि भारत रूस को छोड़कर उससे तेल का सौदा करे। लेकिन, इस सब के बीच जैसे ही ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50 प्रतिशत टैरिफ की बात कही, उससे पहले पीएम मोदी के चीन दौरे और फिर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे की खबर ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी है। अमेरिका जानता है कि रूस, चीन और भारत अगर एक बेस पर आ गए तो अमेरिका के लिए यह बड़ा महंगा पड़ सकता है। डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत के खिलाफ जो उनका टैरिफ बम है, वह उनके देश की सेहत को भी नुकसान पहुंचाएगा। अमेरिका में दवाएं, ज्वेलरी, गोल्ड प्लेटेड गहने, स्मार्टफोन, तौलिये, बेडशीट, बच्चों के कपड़े तक महंगे हो जाएंगे।
अभी ये तो भारत की बात थी, लेकिन देखिए कैसे अमेरिका के खिलाफ दुनिया के और देश आगे आए हैं। भारत की वैश्विक ताकत का अंदाजा इससे लगाइए कि अभी कुछ दिन पहले विदेशी मीडिया की खबरों के अनुसार ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे को सुलझाने के लिए ट्रंप से बात करने के सवाल पर साफ कह दिया कि उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके बजाय वे भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को कॉल कर लेंगे, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कॉल कर लेंगे, लेकिन वे ट्रंप को कॉल नहीं करेंगे।
लूला ने जो कहा उसके अनुसार, ”मैं ट्रंप को कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे बात ही नहीं करना चाहते हैं, मैं शी जिनपिंग को कॉल करूंगा, मैं पीएम मोदी को कॉल करूंगा, मैं पुतिन को इस समय कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे अभी यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन मैं कई और राष्ट्रपतियों को कॉल करूंगा।”
लूला के इस बयान से ट्रंप को कैसी मिर्ची लगी होगी, यह तो सभी जानते हैं। उधर, पीएम मोदी का जिस अंदाज में लूला ने नाम लिया, वह भी ट्रंप के लिए चुभने वाला है। लूला ने तो ट्रंप की नीतियों को “ब्लैकमेल” बताते हुए साफ कर दिया कि अमेरिका ब्राजील पर टैरिफ लगाकर देखे, ब्राजील भी इसका जवाब शुल्क लगाकर देगा।
इसके साथ ही भारत और रूस की दोस्ती ही केवल अमेरिकी राष्ट्रपति की घबराहट की वजह नहीं है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान और कंबोडिया और थाइलैंड के बीच सीजफायर को लेकर ट्रंप ने जैसे अपनी पीठ बिना किसी बात के थपथपाई वही कोशिश वह रूस-यूक्रेन के बीच भी सीजफायर होने के बाद करना चाह रहे थे। लेकिन, यूक्रेन-रूस की जंग रोकने के लिए ट्रंप ने जितने हथकंडे अपनाए सब फेल हो गए। पुतिन को ट्रंप ने हाई टैरिफ की धमकी भी दी, लेकिन रूस पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ा तो ट्रंप बैखला गए। इसके बाद ट्रंप ने रूस के मित्र देशों और उनके साथ व्यापार करने वालों को निशाना बनाना शुरू किया। इसमें सबसे पहले ट्रंप के निशाने पर भारत, चीन और ब्राजील आए, लेकिन तीनों ही देशों पर ट्रंप की धमकी का वैसा ही असर पड़ा, जैसा रूस पर पड़ा था। अब ट्रंप गुस्से से आग बबूला होकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।
वहीं, ट्रंप ब्रिक्स देशों के फाउंडर रहे भारत के खिलाफ तो टैरिफ की धमकी दे ही रहे हैं। वह ब्रिक्स में शामिल अन्य देशों के खिलाफ भी 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दे चुके हैं। ब्रिक्स दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें, ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। इन ब्रिक्स देशों की तरफ से एक-दूसरे से अपनी करेंसी में ट्रेड किया जाता है, वहीं इस समूह ने एक प्रपोजल भी दिया था कि इन देशों के बीच ट्रेड के लिए एक इंटरनेशनल करेंसी तैयार की जाए, ऐसे में डॉलर पर बड़े देशों या कहें कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की निर्भरता कम हो जाने से अमेरिका का विश्व में प्रभुत्व बरकरार रखने पर भी खतरा मंडराएगा। ट्रंप को यह चिंता भी सता रही है।
जिस तरह से भारत डोनाल्ड ट्रंप की तमाम धमकियों के बाद भी अपने रुख पर अड़ा हुआ है और भारतीय बाजार को अमेरिका के लिए उसकी शर्तों पर खोलने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। इससे भी ट्रंप के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ उभर आई हैं। ऐसे में अब ट्रंप को भारत से जिस भाषा में जवाब मिल रहा है, वह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि अमेरिका की टैरिफ धमकी भारत के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’ जैसी है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा देने के लिए नौ देशों में चार प्रोजेक्ट्स शुरू

नई दिल्ली, 2 अगस्त। ‘साउथ-साउथ कोऑपरेशन’ यानी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने नौ साझेदार देशों में चार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पहले चरण की शुरुआत की है। यह पहल ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने में देशों की मदद करना है।
इस पहल का शुभारंभ शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया।
इन नौ सहयोगी देशों में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) की कार्यान्वयन संस्थाओं के अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठनों ने भी हिस्सा लिया।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा! ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत नौ साझेदार देशों में चार परियोजनाओं के पहले चरण की सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने शुरुआत की। मिशनों के प्रमुख, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी संस्थाओं के अधिकारी, यूएन एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठन कार्यक्रम में शामिल हुए। ये परियोजनाएं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों पर केंद्रित हैं।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा कि “एसडीजी-17 और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना में, वैश्विक क्षमता निर्माण के लिए यह नई भारत-संयुक्त राष्ट्र पहल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। इसका उद्देश्य एसडीजी से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में अनुभव साझा करना और वैश्विक दक्षिण साझेदारों को सशक्त बनाना है।”
‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत, संयुक्त राष्ट्र अपनी वैश्विक पहुंच का उपयोग करते हुए भारत की श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और संस्थानों को अन्य देशों से जोड़ने में मदद करेगा, ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने की गति तेज की जा सके। इस पहल में स्किल्स ट्रेनिंग, नॉलेज एक्सचेंज, और साझेदार देशों में पायलट प्रोजेक्ट्स जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें नए ‘यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड’ और आईटीईसी कार्यक्रम के जरिए लागू किया जाएगा।
यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा, “वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत, भारत एसडीजी को गति देने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ में अपनी लंबे समय से चली आ रही नेतृत्वकारी भूमिका को विस्तार दे रहा है, जिसमें भारतीय संस्थानों और यूएन प्रणाली की नवाचार और साझेदारी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को टाला, जानें नई तारीख

TRUMP
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 1 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है। अब यह टैरिफ 1 अगस्त की बजाय 7 अगस्त से प्रभावी होगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 92 देशों पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ये 7 अगस्त से लागू होंगे। इसमें भारत पर 25 फीसदी और पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। साउथ एशिया में सबसे कम टैरिफ पाकिस्तान पर लगाया गया है; पहले ये 29 फीसदी था।
वहीं दुनियाभर में सबसे ज्यादा टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है, जो 41 प्रतिशत है। लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है।
ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन 7 दिन बाद ही इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया था। कुछ दिनों बाद 31 जुलाई तक का समय दिया था। फिर 90 दिनों में 90 सौदे कराने का टारगेट रखा गया था। हालांकि इस बीच अमेरिका का महज 7 देशों से समझौता हो पाया।
डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को नए टैरिफ की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत हमेशा से रूस से अधिकांश सैन्य आपूर्ति खरीदता आया है और अब चीन के साथ मिलकर रूस से ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। ऐसे समय में जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध के समाप्त होने की उम्मीद कर रही है, भारत का यह रुख उचित नहीं है। ये चीजें अच्छी नहीं हैं।”
ट्रंप ने आगे कहा कि इसलिए भारत को 25 प्रतिशत टैरिफ देना होगा और इन कारणों को लेकर उसे एक अतिरिक्त जुर्माना भी भुगतना होगा। वहीं, ट्रंप के इस ऐलान पर भारत ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए इस टैरिफ पर विपक्ष ने सवाल उठाया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत पर 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के बाद सरकार की पॉलिसी पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा को देश चलाना नहीं आता है। इस सरकार ने देश की पूरी इकॉनमी को खत्म कर दिया है।
पहले यह टैरिफ 1 अगस्त, शुक्रवार से लागू होने थे, लेकिन ट्रंप ने इस निर्णय को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। ‘पारस्परिक टैरिफ दरों में और संशोधन’ नामक एक कार्यकारी आदेश में राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया भर के लगभग 70 देशों के लिए टैरिफ दरों की घोषणा की थी। भारत इनमें से एक प्रमुख देश है।
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