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Sunday,03-August-2025
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डिजिटल यूनिवर्सिटी है कॉलेजों में सीट (दाखिला) की समस्या का समाधान: पीएम मोदी

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 प्रधानमंत्री मोदी ने नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी को अपनी तरह का अनोखा कदम बताया है। उन्होंने कहा, “डिजिटल यूनिवर्सिटी में मैं वह ताकत देख रहा हूं जो हमारे देश में सीटों (दाखिला) की समस्या से पूरी तरह समाधान दे सकती है। जब हर विषय के लिए अनलिमिटेड सीट होगी तो आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा परिवर्तन शिक्षा जगत में आ जाएगा। यह डिजिटल यूनिवर्सिटी लनिर्ंग और री लनिर्ंग की मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के लिए युवाओं को तैयार करेगी।”

पीएम मोदी ने कहा, “शिक्षा मंत्रालय यूजीसी एआईसीटीई और सभी अन्य स्टेकहोल्डर से मेरा आग्रह है कि डिजिटल यूनिवर्सिटी शुरू से ही इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को लेकर चले। देश में ही ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंस्टिट्यूट निर्माण करने का सरकार का इरादा है और इसके लिए पॉलिसी फ्रेमवर्क भी आपके सामने हैं। अब आपको अपने प्रयासों से इसको जमीन पर उतारना है।”

इस वर्ष केंद्रीय बजट में शिक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई गई है। अब शिक्षा मंत्रालय द्वारा इन योजनाओं को लागू करने की बारी है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षा मंत्रालय के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों एवं शिक्षाविदों का इस विषय पर मार्गदर्शन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एजुकेशन सेक्टर की क्षमता बढ़े और उसकी क्वालिटी में सुधार हो इसके लिए अहम निर्णय लिए गए हैं। दूसरा है स्किल डेवलपमेंट, देश में डिजिटल स्किल डेवलपमेंट इकोसिस्टम बने।

तीसरा महत्वपूर्ण पक्ष है अर्बन प्लेनिंग और डिजाइन चौथा अहम पक्ष है वैश्वीकरण। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में विदेशी यूनिवर्सिटी आए। इसके अलावा जो हमारे औद्योगिक क्षेत्र है फिनटेक से जुड़े संस्थान हैं इसे भी प्रोत्साहित किया जाए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पांचवा महत्वपूर्ण पक्ष है एबीजीसी यानी एनीमेशन विजुअल इफेक्ट। इन सभी में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। एक बहुत बड़ा ग्लोबल मार्केट है इसे पूरा करने के लिए हम भारतीय टैलेंट का कैसे इस्तेमाल बढ़ाए इस पर भी ध्यान दिया गया है। बजट नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को जमीन पर उतारने में बहुत मदद करने वाला है।

पीएम ने कहा, “कोरोना आने से काफी पहले से मैं डिजिटल फ्यूचर की बात करता रहा हूं। हम अपने गांव को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ रहे हैं। हम डाटा की कीमत कम से कम रखने के प्रयास कर रहे हैं। कनेक्टिविटी से जुड़े इन्फ्राट्रक्च र को सुधार रहे हैं। कुछ लोग सवाल उठाते थे कि इसकी क्या जरूरत है। महामारी के समय में हमारे इन प्रयासों को सब ने देख लिया है यह डिजिटल कनेक्टिविटी ही है जिसने वैश्विक महामारी के समय हमारी शिक्षा व्यवस्था को बचाए रखा।”

पीएम ने कहा कि हम देख रहे हैं कि कैसे भारत में तेजी से डिजिटल डिवाइड कम हो रहा है। अगले एक दशक में हम शिक्षा के क्षेत्र में क्या हासिल करना चाहते हैं इसकी रूपरेखा बजट में दिखी। डिजिटल यूनिवर्सिटी हो, ई विद्या हो ऐसा एजुकेशनल इन्फ्राट्रक्च र युवाओं को बहुत मदद करने वाला है। यह सभी को चाहे गांव हो, गरीब हो, दलित, पिछड़े आदिवासी सभी को शिक्षा के बेहतर समाधान देने का प्रयास करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज विश्व मातृभाषा दिवस भी है मातृभाषा में शिक्षा सीधे कई राज्यों में मेडिकल की पढ़ाई भी मातृभाषा में शुरू हो चुकी है। यह सभी की जिम्मेदारी है कि स्थानीय भारतीय भाषाओं में फ्रेश कंटेंट और उसके डिजिटल निर्माण को जगह दी जाए। भारतीय भाषाओं में मोबाइल टीवी रेडियो इंटरनेट के माध्यम से सभी के लिए एक्सेस हो इसके लिए काम करना है। भारतीय साइन लैंग्वेज में भी काम किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यदि इन योजनाओं को लागू करने के लिए हम एक अच्छा रोड मैप बना देते हैं तो इसका फायदा मिलेगा बजट।

सैनिक स्कूलों को हम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए आगे बढ़ाएंगे रक्षा मंत्रालय इसके लिए बजट देने वाला है। पीएम ने कहा कि क्या कभी हमने सोचा है जिस देश में नालंदा तक्षशिला इतने बड़े शिक्षा संस्थान थे, आज वहां हमारे देश के बच्चे विदेशों में जाकर पढ़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं। क्या यह ठीक है, बच्चे हमारे देश से पढ़ने के लिए बाहर जा रहे हैं, इतना धन खर्च हो रहा है। क्या हम हमारे देश में दुनिया की बेस्ट यूनिवर्सिटी लाकर हमारे बच्चों को हमारी ही एनवायरमेंट में कम खर्च पर पढ़ाई के लिए माहौल उपलब्ध करा सकते हैं? प्री प्राइमरी से लेकर पोस्टग्रेजुएट तक पूरा हमारा जो खाका है वह 21वीं सदी के अनुकूल कैसे बने इसपर हमें विचार करना है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक बजट घोषणाओं के कुशल और त्वरित कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए, भारत सरकार कई प्रमुख क्षेत्रों में वेबिनार की एक श्रृंखला आयोजित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां इसके सत्र को संबोधित किया।

इस प्रकार के वेबिनार आयोजित करने का उद्देश्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों एवं शिक्षा और उद्योग जगत के विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करना है। साथ ही प्रमुख क्षेत्रों में विभिन्न मुद्दों के कार्यान्वयन की दिशा में आगे बढ़ने के लिए रणनीतियों की पहचान करना है।

इस श्रृंखला के हिस्से के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय 21 फरवरी को शिक्षा और कौशल क्षेत्र पर एक वेबिनार का आयोजन किया।

अपराध

महाराष्ट्र : मीठी नदी सफाई घोटाले में ईडी की कार्रवाई, 47 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त

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मुंबई, 2 अगस्त। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), मुंबई जोनल कार्यालय ने मीठी नदी की सफाई घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 31 जुलाई को मुंबई के 8 ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई। ईडी की टीम ने ये छापेमारी बीएमसी ठेकेदारों और एक इंजीनियर के ठिकानों पर की। इसमें 47 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति को फ्रीज कर दिया गया है।

जिन ठेकेदारों और कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी हुई, उनमें एक्यूट डिजाइन्स, कैलाश कंस्ट्रक्शन कंपनी, निखिल कंस्ट्रक्शन कंपनी, एन. ए. कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और जे.आर.एस इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम शामिल हैं। इनके साथ ही बीएमसी के इंजीनियर प्रशांत कृष्ण तायशेते के ठिकानों पर भी कार्रवाई की गई।

अलग-अलग बैंक खातों, एफडीआर और डिमैट खातों में 47 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम फ्रीज की गई। डिजिटल डिवाइस, जमीन से जुड़े दस्तावेज और कई कागजात जब्त किए गए हैं। इस घोटाले की जांच आजाद मैदान पुलिस स्टेशन, मुंबई में दर्ज एफआईआर नंबर 0075/2025 (तारीख 6 मई 2025) के आधार पर शुरू हुई थी।

एफआईआर में 13 व्यक्तियों और कंपनियों पर भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत मामला दर्ज है। इन पर बीएमसी को 65 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। जांच में सामने आया है कि बीएमसी के ठेकेदारों ने झूठे दस्तावेज, जैसे कि जमीन मालिकों के फर्जी समझौते (एमओयू) और ग्राम पंचायतों से फर्जी एनओसी, जमा कराए थे। यह दस्तावेज उस जमीन के लिए दिए गए थे, जहां पर मलबा (सिल्ट) डंप किया गया था।

इसके अलावा, बीएमसी के स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज (एसडब्लयूसी) विभाग के अधिकारियों पर भी आरोप हैं कि उन्होंने सिल्ट पुशर और मल्टीपर्पज एम्फीबियस पोंटून मशीनों की खरीद और उपयोग में गड़बड़ियां की। ये मशीनें 2021-2022 में टेंडर के जरिए खरीदी गई थीं।

ईडी ने इसी मामले में 6 जून को 18 ठिकानों पर भी छापेमारी की थी। अब तक इस केस में ईडी की ओर से कुल 49.8 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति जब्त या फ्रीज की जा चुकी है। जांच अभी भी जारी है और अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में और भी खुलासे हो सकते हैं।

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राजनीति

‘कृषि कानून पर धमकाने के लिए भेजे गए थे अरुण जेटली’, राहुल गांधी ने लगाए आरोप

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नई दिल्ली, 2 अगस्त। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि कृषि कानून पर विरोध प्रदर्शन के बीच उन्हें धमकाने के लिए अरुण जेटली को भेजा गया था। राहुल गांधी शनिवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वार्षिक विधि सम्मेलन में बोल रहे थे।

राहुल गांधी ने कहा, “मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था और वे (अरुण जेटली) अब नहीं हैं, इसलिए शायद मुझे यह नहीं कहना चाहिए, लेकिन मैं कहूंगा, अरुण जेटली को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था। उन्होंने (जेटली) कहा कि अगर आप सरकार का विरोध करते हुए इसी रास्ते पर चलते रहे, तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।’ मैंने उनकी तरफ देखा और कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हैं, क्योंकि हम कांग्रेस के लोग हैं, हम कायर नहीं हैं।”

इस दौरान कांग्रेस सांसद ने सरकार पर लोकतांत्रिक ढांचों को कमजोर करने और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से समझौता करने का आरोप लगाया। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद बड़े पैमाने पर कथित तौर पर मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप दोहराए।

उन्होंने कहा, “मुझे हमेशा शक था कि कुछ गलत है। यह गुजरात से शुरू हुआ। कांग्रेस ने कुछ राज्यों में एक भी सीट नहीं जीती, जो समझ में नहीं आया। जब हमने सवाल किया तो हमें कहा गया, ‘सबूत कहां है?”

महाराष्ट्र के मतदाता डेटा की गहन जांच का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा, “हमने लाखों मतदाताओं के फोटो और नामों का मैन्युअल रूप से मिलान किया। एक निर्वाचन क्षेत्र में 6.5 लाख वोट पड़े, जिनमें से 1.5 लाख फर्जी थे। हमें चुनाव आयोग की ओर से फिजिकल कॉपियां मिलीं, क्योंकि उन्होंने हमें इलेक्ट्रॉनिक कॉपियां नहीं दीं।”

राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग गायब हो गया है। अब उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है।

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महाराष्ट्र

जमील मर्चेंट ने ईशनिंदा के लिए घृणित यूट्यूबर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, मुंबई पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की मांग की

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मुंबई: सामाजिक कार्यकर्ता जमील मर्चेंट ने देश में ईशनिंदा और इस्लाम विरोधी दुष्प्रचार के खिलाफ मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। अपनी लिखित शिकायत में जमील मर्चेंट ने कहा है कि पाँच यूट्यूबर और सोशल मीडिया कार्यकर्ता सस्ती प्रसिद्धि पाकर विवादास्पद और आपत्तिजनक वीडियो वायरल करके दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने की साजिश में शामिल हैं। साथ ही, इन वीडियो से मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँची है और ईशनिंदा की गई है। ऐसे में इन पाँचों यूट्यूबर और सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

सामाजिक कार्यकर्ता जमील मर्चेंट ने नफ़रत भरे भाषणों के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। अभिषेक ठाकुर, दास चौधरी, डॉ. प्रकाश सिंह, गुरु और अमित सिंह राठौर सोशल मीडिया पर इस्लाम विरोधी और पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार और भड़काऊ बयान देकर समाज में नफ़रत फैला रहे हैं। इनमें से ज़्यादातर यूट्यूबर हैं जो ख़ुद को एक ख़ास समुदाय का नेता बताकर मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं।

जमील मर्चेंट ने उन लोगों की इंस्टाग्राम आईडी भी शेयर की है जो ऐसे भाषणों के ज़रिए दो समुदायों के बीच नफ़रत फैला रहे हैं। शिकायत में मांग की गई है कि ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ तुरंत एफ़आईआर दर्ज की जाए। मर्चेंट ने पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ राज्य मानवाधिकार संगठनों से भी अपनी शिकायत दर्ज कराई है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब चलाने वाली मेटा को भी इस संबंध में लिखित शिकायत देकर उनकी आईडी बंद करने को कहा गया है। जमील मर्चेंट ने इससे पहले नफ़रत भरे भाषणों के मामले में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और भड़काऊ भाषणों के मामले में जमील मर्चेंट ने याचिका दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख़्त आदेश जारी किए थे और संस्थाओं व सरकारों को भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने और ऐसे तत्वों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने के आदेश भी जारी किए थे जो नफ़रत दिखाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं और एक वर्ग को निशाना बनाते हैं। जमील मर्चेंट उन पाँच याचिकाकर्ताओं में से एक हैं जिन्होंने वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अभी फ़ैसला आना बाकी है।

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