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Friday,07-November-2025
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राजनीति

एडीजी अभिनव कुमार समेत उत्तराखंड के छह पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति का पुलिस पदक

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एडीजी अभिनव कुमार को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा जाएगा। उन्हें यह सम्मान गणतंत्र दिवस पर प्रदान किया जाएगा। इनके अलावा पांच अधिकारियों और कर्मियों को सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक के लिए चुना गया है। सराहनीय सेवा के लिए पदक पाने वालों में चमोली के डीएसपी धन सिंह तोमर, पुलिस मुख्यालय में तैनात डीएसपी (एम) नंदन सिंह बिष्ट, पौड़ी के डीएसपी गणेश लाल, इंटेलिजेंस के इंस्पेक्टर महेश चंद चंदोला और सब इंस्पेक्टर विशेष श्रेणी चंपावत रमेश चंद भट्ट शामिल हैं। एडीजी अभिनव कुमार विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक पाने वाले उत्तराखंड के इकलौते अधिकारी हैं। अभिनव इस वक्त मुख्यालय में एडीजी प्रशासन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इससे पहले उन्होंने केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए कई जिम्मेदारियों को संभाला था। वह 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।

दून के रोचीपुरा निरंजनपुर देहरादून निवासी सीआईएसएफ सहायक कमांडेंट मधु सूदन सेमवाल को राष्ट्रपति पदक के लिए चुना गया है। मधुसूदन सेमवाल ने अपने 35 वर्ष के कार्यकाल में सीआईएसएफ के अलावा सीबीआई, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग व एनआईए में रहते हुए महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान की हैं। इनकी एनआईए को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान में अपनी बटालियन से इनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में रही है। सेमवाल की प्राथमिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय हरिद्वार और डीएवी कॉलेज देहरादून से हुई है।

देहरादून निवासी डीआईजी सीआरपीएफ विमल कुमार बिष्ट को राष्ट्रपति का विशिष्ट पदक दिया जाएगा। डीआईजी बिष्ट इस वक्त बिहार में तैनात हैं। वह 1989 को सीआरपीएफ में बतौर डीएसपी भर्ती हुए थे। बिष्ट ने अपने इस लंबे कार्यकाल में देश के लगभग हर हिस्से में सेवाएं दी हैं। जम्मू-कश्मीर के अशांत दिनों में भी उन्होंने अपने साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए बड़े काम किए हैं। उनकी शिक्षा भी देहरादून में ही हुई थी।

राष्ट्रीय समाचार

भारत के ‘मिशन मून’ का वह ऐतिहासिक दिन, जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ ‘चंद्रयान’

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नई दिल्ली, 7 नवंबर: अंतरिक्ष सिर्फ एक मंजिल नहीं है। यह जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति का उद्घोष है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा इसी जज्बे को दर्शाती है। 1963 में एक छोटा रॉकेट लॉन्च करने से लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने तक, भारत की यह यात्रा बेहद शानदार रही है। इन ऐतिहासिक उपलब्धियों में ‘चंद्रयान मिशन’ बेहद अहम है, जिसने दुनिया को बताया कि चांद पर पानी है।

इसरो ने लगभग 17 साल पहले चंद्रयान-1 को जब श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से छोड़ा था तो सिर्फ करोड़ों भारतवासी गर्व नहीं कर रहे थे, बल्कि पूरी दुनिया एक नई उम्मीद की निगाहों से देख रही थी। उम्मीद एक ऐसे ग्रह को तलाशने की, जहां हवा-पानी हो और इंसानों की नई दुनिया को बसाया जा सके।

इसी खोज में भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रमा की ओर अपनी पहली उड़ान भरी थी। चंद्रयान-1, चंद्रमा की परिक्रमा करने और सतह पर एक प्रभावक (इम्पैक्टर) भेजने के लिए लॉन्च किया गया था। वैज्ञानिक लक्ष्यों में चंद्रमा के रासायनिक, खनिज और फोटो-भूवैज्ञानिक मैपिंग का अध्ययन शामिल था।

चंद्रयान-1 को 17.9 डिग्री झुकाव पर पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा गया और फिर इसके इंजन को कई बार चलाकर इसे धीरे-धीरे ऊंची कक्षा में पहुंचाया गया।

चंद्रमा की ओर बढ़ते कदम भारत के लिए एक नई गाथा लिख रहे थे। इस सफर का सबसे अहम दिन 8 नवंबर 2008 था, जब धरती से भेजा गया चंद्रयान एक ग्रह से दूसरे ग्रह के परिवेश में प्रवेश कर रहा था। कई महत्वपूर्ण मिशन प्रक्रियाओं और प्रचालनों के माध्यम से चंद्रयान-1 को 8 नवंबर को शाम 5:05 बजे चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया।

8 नवंबर और 12 नवंबर के बीच चंद्रयान-1 की कक्षा धीरे-धीरे कम की गई, जिससे आखिर में यह चंद्र सतह से लगभग 62 मील (100 किलोमीटर) ऊपर अपनी परिचालन ध्रुवीय कक्षा में पहुंच गया।

14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने एक छोटा यान मून इम्पैक्ट प्रोब छोड़ा। यह भारत का पहला उपकरण था, जिसने चंद्र सतह पर उतरने का प्रयास किया। इसी प्रोब से मिले आंकड़ों से चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के शुरुआती संकेत मिले थे।

मिशन के कुछ महीनों बाद अंतरिक्ष यान को अत्यधिक हीट की समस्या का सामना करना पड़ा। तापमान नियंत्रित रखने के लिए इसकी कक्षा को 200 किलोमीटर ऊंचाई पर कर दिया गया। बाद में इसके स्टार सेंसर (जो दिशा तय करते हैं) खराब हो गए, लेकिन वैज्ञानिकों ने जाइरोस्कोप की मदद से मिशन जारी रखा।

लगभग दस महीने के सफल संचालन के बाद 28 अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया। यह अपने दो साल के निर्धारित मिशन अवधि से पहले ही समाप्त हो गया, लेकिन इसरो ने बताया कि तब तक 95 प्रतिशत मिशन लक्ष्य पूरे हो चुके थे।

चंद्रयान-1 की सबसे बड़ी उपलब्धि रही चंद्रमा पर पानी का पता लगाना। इस ऐतिहासिक मिशन ने भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल किया, जिन्होंने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में उपग्रह भेजे।

चंद्रयान-1 ने न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को विश्व स्तर पर साबित किया, बल्कि चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे आगे के अभियानों की राह भी तैयार की।

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अपराध

फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में ईडी की तीसरी गिरफ्तारी, 768 करोड़ रुपए का नुकसान

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ED

नई दिल्ली, 7 नवंबर: धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को फर्जी बैंक गारंटी मामले में तीसरी गिरफ्तारी की। अमर नाथ दत्ता नामक आरोपी को गिरफ्तार कर नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-04 ने उन्हें 10 नवंबर तक चार दिनों की ईडी हिरासत में भेज दिया।

पूरा मामला रिलायंस पावर लिमिटेड की सहायक कंपनी रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड से जुड़ा है। इसने सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को 768 करोड़ रुपए से अधिक की जाली बैंक गारंटी (बीजी), फर्जी समर्थन और स्ट्रक्चर फाइनेंस मेसेजिंग सिस्टम (एसएफएमएस) पुष्टिकरण जमा कराए थे। इससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एसईसीआई को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ।

ईडी की जांच के अनुसार, यह धोखाधड़ी टेंडर प्रक्रिया को प्रभावित करने और जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से की गई। मामले में कुल तीन एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में एसईसीआई द्वारा दर्ज शिकायत प्रमुख है। एसईसीआई नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रम है, जो सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए टेंडर जारी करता है। रिलायंस की सहायक कंपनी ने बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) टेंडर में फर्जी दस्तावेज जमा कर बोली जीतने की कोशिश की।

जांच एजेंसी ने खुलासा किया कि अपराधियों ने फर्जी ईमेल डोमेन का इस्तेमाल कर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की आड़ में जाली समर्थन पत्र भेजे। एसईसीआई को ऐसा लगाया गया कि बीजी वैध है। जांच में और भी नकली डोमेन सामने आए, जिनमें मूल बैंक डोमेन में मामूली बदलाव (जैसे अक्षर स्वैप) कर धोखा दिया गया। ये सभी डोमेन एक ही गिरोह द्वारा संचालित थे, जो कमीशन के बदले फर्जी गारंटी जारी करता था।

इससे पहले अगस्त 2025 में ईडी ने ओडिशा-आधारित मेसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया था। उनकी कंपनी पर 8 प्रतिशत कमीशन लेकर फर्जी बीजी जारी करने का आरोप है। फिर 11 अक्टूबर को रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अशोक कुमार पाल को पकड़ा गया, जिन्हें ईडी ने ‘मुख्य साजिशकर्ता’ बताया।

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राजनीति

‘वंदे मातरम्’ केवल शब्दों का संग्रह नहीं, भारत की आत्मा का स्वर है: अमित शाह

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AMIT SHAH

नई दिल्ली, 7 नवंबर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर इस महान गीत के स्मरणोत्सव पर इसके पूर्ण संस्करण का अपने परिजनों के साथ सामूहिक गान करने की अपील की।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल शब्दों का संग्रह नहीं, भारत की आत्मा का स्वर है। अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध ‘वंदे मातरम्’ ने देश को संगठित करके आजादी की चेतना को बल दिया। साथ ही, क्रांतिकारियों के मन में मातृभूमि के प्रति अटूट समर्पण, गर्व और बलिदान की भावना जगाई। ‘वंदे मातरम्’ देशवासियों के हृदय में राष्ट्रवाद की अलख प्रज्वलित कर आज भी युवाओं में एकता, राष्ट्रभक्ति और नवऊर्जा का स्रोत बना हुआ है। हमारे इस अद्वितीय राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ को इस वर्ष 150 वर्ष हो रहे हैं। आइए, इस महान गीत के स्मरणोत्सव पर इसके पूर्ण संस्करण का अपने परिजनों के साथ सामूहिक गान करें, जिससे भावी पीढ़ियों तक यह गीत प्रेरणा का केंद्र रहे। वंदे मातरम्।

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक्स पोस्ट में लिखा कि वन्दे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ का यह गौरवशाली अवसर हमारे आत्मगौरव, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का अद्वितीय क्षण है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा रचित यह गीत भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा बनकर उभरा। स्वदेशी आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक, हर निर्णायक मोड़ पर इस उद्घोष ने असंख्य क्रांतिकारियों के भीतर त्याग, एकता और राष्ट्रधर्म की ज्वाला प्रज्वलित की। वन्दे मातरम्, वास्तव में, ‘भारत माता की जय’ के शाश्वत संकल्प और हमारी राष्ट्रीय आस्था का सर्वोच्च प्रतीक है।

सीएम ने आगे लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश “विकसित भारत” के महाअभियान की ओर सुदृढ़ गति से बढ़ रहा है। वन्दे मातरम् का यह अनंत राष्ट्र-प्रेम हमें ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना और सामूहिक संकल्प के साथ नये भारत के निर्माण हेतु प्रेरित कर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा इस 150वीं वर्षगांठ को राष्ट्रव्यापी जन-उत्सव के रूप में मनाया जाना, इसी गौरवशाली विरासत को जन-जन तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस ऐतिहासिक अवसर पर हम सब यह संकल्प लें कि वन्दे मातरम् की यह अक्षय ऊर्जा हमारे कर्म, चरित्र और राष्ट्रसेवा की दिशा को निरंतर प्रकाशित करती रहे और हम ‘विकसित भारत’ के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। वन्दे मातरम्।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्स पोस्ट में लिखा कि पीएम मोदी के आह्वान पर गांव-गांव, जन-जन के मन में वंदे मातरम् का अमर गीत गूंज रहा है। यह वह स्वर है जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को शक्ति दी, जिसकी ध्वनि में देश की धरती का स्पंदन है और प्रत्येक पंक्ति में राष्ट्रभाव का अभिनव आलोक है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित यह गीत करोड़ों भारतीयों के हृदय की धड़कन है और 150 वर्ष बाद भी प्रत्येक देशवासी के मन में राष्ट्रभक्ति तथा देशप्रेम की अलख जगाता है।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूलते थे, उनके होठों पर यही गीत होता था। जेलों की काल कोठरियों में जब यह गीत गूंजता था, तो अंग्रेज भी कांप उठते थे। आज जब हम राष्ट्र की सामूहिक चेतना के इस अमर स्वर के 150 वर्षों का उत्सव मना रहे हैं, तो मन में गर्व और उत्साह की अनंत लहरें उठ रही हैं। यह गीत हमें याद दिलाता है कि राष्ट्र सर्वोपरि है। ऐसे में आवश्यकता है कि हम वंदेमातरम् को केवल गाएं नहीं, बल्कि उसे जिएं और अपने कर्म, अपने संकल्प तथा अपने चरित्र में उतारें। आइये, इस 150वें वर्ष पर वंदे मातरम् के स्वर को जन-जन तक पहुंचाएं। उत्साह, एकता और राष्ट्रभक्ति के साथ इस अमर वंदना को उत्सव के रूप में मनाएं। भारत माता की जय।

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