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Monday,03-February-2025
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राजनीति

पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में बैठक, सिद्दू बोले ‘ऑल इस वेल’

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कांग्रेस वॉररूम में पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर बुधवार को हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक। बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल हुए। पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर बुधवार को दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की ये तीसरी बैठक हुई। शाम 6 बजे शुरू हुई इस बैठक में पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी, स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन, पंजाब के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ इसके साथ ही कई अन्य सदस्य मौजूद रहे। उम्मीद लगाई जा रही है कि अगले महीने तक कांग्रेस पंजाब विधानसभा के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर देगी।

इस बैठक के बाद स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने कहा, “पंजाब विधानसभा की ज्यादातर सीटों पर चर्चा हुई है। पार्टी अच्छे उम्मीदवार चुनाव में उतारेगी। पंजाब में भाजपा एग्जिस्ट नही कर रही है।”

वहीं सुनील जाखड़ ने कहा, “टिकट उन्हें दिया जा रहा है, जिनमें जीतने की क्षमता, एक परिवार में एकल टिकट, उन सीटों से वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारा जाएगा जो उन्होंने पहले जीत हासिल कर चुके हैं, आदि कई कारक हैं। आज सीटों पर चर्चा हुई लेकिन अंतिम सूची सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली सीईसी जारी करेगी।”

वहीं सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से लगातार मतभेद के बावजूद बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, “ऑल इस वेल, कांग्रेस विन।”

सूत्रों के अनुसार इस बार कांग्रेस पार्टी लगभग 60 मौजूदा विधायकों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इनमें से 17 ऐसे विधायक चिह्न्ति किए गए हैं, जिनकी टिकट पर संशय बना है। इनमें से अधिकतर विधायक पूर्व मुख्यमंत्री और पीएलसी के प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी बताए जा रहे हैं। तीन विधायक पहले ही कैप्टन के साथ जा चुके हैं, पार्टी के वरिष्ठ सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है। उम्मीद लगाई जा रही है कि जनवरी के पहले सप्ताह में पंजाब को लेकर कांग्रेस पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाकर पहली सूची पर अंतिम मुहर लगा देगी।

हालांकि पंजाब कांग्रेस में सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के बीच विवाद जल्द सुलझता हुआ नहीं दिख रहा है। उत्तराखंड के बाद अब तक उम्मीद लगाई जा रही थी कि जल्द ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पंजाब जाकर सीएम चन्नी और सिद्धू के विवाद को सुलझा आएंगे, जिसको लेकर पार्टी की ओर से 3 जनवरी को राहुल गांधी की पंजाब के मोगा में संभावित रैली बताई जा रही थी। इस रैली को लेकर पंजाब कांग्रेस के नेताओं ने बुधवार को दिल्ली में कहा कि फिलहाल अब तक इसको लेकर कोई तारीख तय नहीं की गई है।

राष्ट्रीय समाचार

आयकर कानून की पुरानी ‘खिचड़ी’ व्यवस्था के सरलीकरण के लिए सरकार ला रही न्यू इनकम टैक्स बिल

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नई दिल्ली, 3 फरवरी। देश में 1961 का इनकम टैक्स कानून अभी भी चल रहा है। आम बजट 2025-26 को संसद के पटल पर रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब एक नए इनकम टैक्स लॉ की देश को जरूरत है और इसके लिए सदन में एक बिल इसी सत्र में रखा जाएगा। ऐसे में देश में नए इनकम टैक्स कानून के लिए एक समीक्षा कमेटी बनाई गई थी।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान यह ऐलान किया था कि अब 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री होगी। इसके साथ ही नए इनकम टैक्स बिल का भी ऐलान किया। जिसको लेकर घोषणा की गई कि इसी बजट सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा। तब वित्त मंत्री ने सदन में कहा था कि यह नया बिल टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए लिया गया है।

सरकार की तरफ से 1961 के इसी इनकम टैक्स कानून के तहत नई टैक्स रिजीम लागू की गई थी। सरकार ने 2024-25 के बजट में यह कहा था कि देश में इनकम टैक्स को बदलने की जरूरत है।

अब सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से कमेटी की सिफारिश पर नए इनकम टैक्स का बिल पूरी तरह से तैयार कर दिया गया है। ऐसे में जब नया इनकम टैक्स कानून पारित होगा तो यह कानून 1961 के इनकम टैक्स कानून की जगह लेगा।

सरकार के सूत्रों की मानें तो यह नया इनकम टैक्स एक्ट 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से बनाया जा रहा है। इस तकनीक के दौर में टैक्सपेयर को काफी चीजें खुद करना होता है। ऐसे में लोगों के लिए इस इनकम टैक्स में ऐसा बदलाव होगा जो सामान्य मानवीय को अच्छी तरह से समझ में आ सके। यह सिस्टम इतना सरल बनाने की कोशिश है कि लोगों को इसमें कोई परेशानी न हो।

सूत्रों की मानें तो 6 फरवरी को यह बिल संसद के पटल पर रखा जाएगा। इसके साथ ही इस बिल के सरलीकरण को ऐसे समझा जा सकता है कि पुराने आयकर कानून में लगभग 6 लाख के करीब शब्द हैं जो इस नए बिल में 3 लाख के करीब रह जाएंगे और यह करदाताओं को समझने के लिए भी आसान होगा।

सूत्रों की मानें तो नए इनकम टैक्स की भाषा को सरल बनाने पर भी सरकार काम कर रही है। दरअसल अभी जो इनकम टैक्स रूल है उसमें एक कोट में किसी चीज की व्याख्या अलग होती है, दूसरे में अलग। यानी यह कानून पूरी तरह से खिचड़ी की तरह बन गया है। सूत्रों के अनुसार इनकम टैक्स का जो वर्तमान मूल कानून है उसमें हर बार कोई न कोई चीज जोड़ी जाती रही। इस तरह इसमें सैकड़ों बार बदलाव किया गया। ऐसे में अब देश के लिए नए इनकम टैक्स कानून की जरूरत पड़ी।

भारतीय संसद ने आयकर अधिनियम पारित किया था, जो 1 अप्रैल 1962 को लागू हुआ था। तब से इसी कानून में बार-बार संशोधन कर नई चीजें जोड़ी जा रही थीं। जो कई मायनों में बेहद पेचीदा हो गया था। अब इसके सरलीकरण की प्रक्रिया के तहत इस नए कानून को बनाने की जरूरत सरकार को महसूस हुई ताकि लोगों को यह बेहद आसानी से समझ में आए। सूत्रों की मानें तो इसके लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है वह काफी सरल और लोगों के लिए समझने के लिए आसान होगा।

वहीं सूत्रों की मानें तो लोगों को इस बात का भी अंदेशा है कि नए इनकम टैक्स रूल्स के लागू हो जाने के बाद कहीं पुरानी टैक्स रिजीम को तो सरकार समाप्त नहीं कर देगी। लेकिन, सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से ऐसी कोई सोच अभी सामने नहीं आई है। सरकार भी यह मानती है कि 78 प्रतिशत के करीब टैक्सपेयर अभी तक नई टैक्स रिजीम में शिफ्ट कर चुके हैं। फिर भी सूत्र बताते हैं कि सरकार पुरानी टैक्स रिजीम को लेकर कोई ज्यादा छेड़छाड़ करने के मूड में नहीं है।

दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो सरकारी योजनाओं पर सरकार लोगों की निवेश को लेकर निर्भरता भी कम करने का प्रयास कर रही है ताकि लोग अन्य जगहों पर ज्यादा निवेश करें और इससे सामान्य जन को ज्यादा फायदा मिल सके। ऐसे में म्यूचुअल फंड, एसआईपी से लेकर शेयर मार्केट तक के ऑप्शन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके साथ ही टैक्सपेयर को इतना बड़ा रिलीफ देने के पीछे भी सूत्रों के अनुसार सरकार की मंशा यह है कि बाजार में क्रयदारी बढ़े और इससे बाजार की गति में परिवर्तन हो और इसका भी सीधा लाभ अर्थव्यवस्था की सेहत को होगा।

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राजनीति

दिल्ली : मंगलवार को समाप्त होगा चुनाव प्रचार, अमित शाह और केजरीवाल लगाएंगे जोर

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नई दिल्ली, 3 फरवरी। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सोमवार शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में जंगपुरा, बिजवासन और द्वारका विधानसभा क्षेत्रों में तीन महत्वपूर्ण जनसभाएं करेंगे। वहीं, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कालकाजी और छतरपुर विधानसभा क्षेत्रों में आप प्रत्याशियों के लिए चुनावी अभियान करते हुए नजर आएंगे।

आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार चौथी बार सत्ता में आने की उम्मीद कर रहे हैं।

केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से चौथी बार चुनावी मैदान में हैं। केजरीवाल के सामने भाजपा के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं।

वहीं, कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री आतिशी लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। उन्हें भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस की अलका लांबा से कड़ी टक्कर मिल रही है।

मुख्यमंत्री आतिशी ने पहली बार 2020 में कालकाजी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। आतिशी को इस सीट पर जीत मिली थीं। विधायक बनने के बाद उन्होंने पार्टी की प्रवक्ता के तौर पर सरकार की नीतियों को सामने रखा।

केजरीवाल सरकार में उन्हें कई विभागों की जिम्मेदारी भी दी गई थी। केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें पार्टी ने दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बनाया गया था।

आतिशी को विश्वास है कि वह कालकाजी विधानसभा सीट से दूसरी बार चुनाव जीतेंगी।

कालकाजी के अलावा छतरपुर विधानसभा क्षेत्र मुख्य चुनावी मैदान बना हुआ है, जहां मुख्य रूप से आप के ब्रह्म सिंह तंवर, भाजपा के करतार सिंह तंवर और कांग्रेस के राजेंद्र सिंह तंवर के बीच मुकाबला है।

गौरतलब है कि 2020 में आप के टिकट पर सीट जीतने वाले करतार सिंह तंवर पिछले साल भाजपा में शामिल हो गए और अब चुनाव लड़ रहे हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में 5 फरवरी को मतदान होगा, जबकि मतों की गिनती और परिणामों की घोषणा 8 फरवरी को होगी।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

हमास ने गाजा में मानवीय संकट की चेतावनी दी, अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई का किया आग्रह

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गाजा, 3 फरवरी। हमास ने गाजा पट्टी को “आपदा क्षेत्र” घोषित किया है और कहा है कि यहां अभूतपूर्व तबाही हो रही है, जिससे 24 लाख से अधिक लोगों के जीवन को खतरा है। इस विनाश से सभी मौजूदा संसाधन खत्म हो चुके हैं।

हमास के मीडिया कार्यालय ने बताया कि गाजा में 61,709 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें से 47,487 की अस्पतालों में मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 14,222 लोग मलबे में लापता हैं। बयान में यह भी कहा गया कि घायलों की संख्या 111,588 तक पहुंच चुकी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध के कारण 20 लाख से अधिक फिलिस्तीनियों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। इनमें से कई को बार-बार भागने की स्थिति का सामना करना पड़ा है।

कार्यालय ने बताया कि युद्ध में 450,000 घरों को नुकसान हुआ, जिनमें से 170,000 पूरी तरह से नष्ट हो गए। इस युद्ध ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को भी बुरी तरह प्रभावित किया, जिसके कारण 34 अस्पतालों और 80 स्वास्थ्य केंद्रों को बंद करना पड़ा।

बयान में बताया गया कि औद्योगिक, वाणिज्यिक, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और संचार क्षेत्रों के नुकसान के कारण 50 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है।

बयान में चेतावनी दी गई कि गाजा में चल रही इजरायली नाकाबंदी के कारण हालात और खराब हो रहे हैं, जिससे खाने, पानी और दवाइयों की कमी हो गई है और सैकड़ों हजारों लोगों की जान खतरे में है।

इसने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से तुरंत मदद भेजने और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

कार्यालय ने इजरायल पर अमेरिका के समर्थन से “संगठित युद्ध अपराध” करने का आरोप भी लगाया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने की मांग की।

15 महीने के जबरन विस्थापन के बाद, हजारों फिलिस्तीनियों ने गाजा शहर और तटीय क्षेत्र के उत्तरी हिस्सों में अपने घरों की ओर लौटना शुरू कर दिया था।

समझौते के तहत, इजरायल ने विस्थापित लोगों को उत्तरी गाजा पट्टी में अपने घरों पर लौटने की अनुमति दी है।

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