राष्ट्रीय
भारत को पहली महिला वित्तीय नियामक प्रमुख मिलने की संभावना
भारत को वित्तीय नियामक की पहली महिला प्रमुख मिल सकती है, क्योंकि आईआरडीएआई अध्यक्ष पद के लिए शीर्ष उम्मीदवारों में दो महिलाएं शामिल हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि पूर्व दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्णकालिक सदस्य माधबी पुरी बुच भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अगले अध्यक्ष की दौड़ में हैं।
केंद्र ने बीमा नियामक के पद के लिए कुछ पूर्व और वर्तमान नौकरशाहों और अधिकारियों का चयन किया है।
चार महीने से पद खाली होने के कारण चयन प्रक्रिया अब जोर पकड़ रही है। यह पद अभी तक सुभाष चंद्र खुंटिया के पास था, जिन्हें 2018 में नियुक्त किया गया था।
उद्योग जगत के प्रतिभागियों ने चिंता जताई है, क्योंकि महामारी के बीच बीमा नियामक में शीर्ष पद काफी समय से खाली था।
अरुणा सुंदरराजन इस समय लार्सन एंड टुब्रो इन्फोटेक के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1982 बैच की केरल कैडर की अधिकारी, अरुणा 31 जुलाई, 2019 को डिजिटल संचार आयोग की अध्यक्ष और दूरसंचार सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुईं।
डीओटी सचिव के रूप में वह राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 की एक प्रमुख वास्तुकार थीं। इस नीति का उद्देश्य भारत को डिजिटल संचार में वैश्विक नेता के रूप में आगे बढ़ाना है। उनके कार्यकाल के दौरान प्रमुख उपलब्धियां देश के 5जी रोडमैप का शुभारंभ, स्वदेशी परीक्षण बिस्तर की स्थापना, राष्ट्रीय आवृत्ति आवंटन योजना-2018 का शुभारंभ और भारतनेट के पहले चरण को पूरा करना रहा।
दूसरी ओर, माधबी पुरी को अक्टूबर 2020 में सेबी में पूर्णकालिक सदस्य (डब्ल्यूटीएम) के रूप में एक साल का विस्तार मिला।
सेबी में एकमात्र महिला बोर्ड सदस्य के रूप में उन्होंने 5 अप्रैल, 2017 को कार्यभार संभाला था।
वह निवेश प्रबंधन विभाग, सामूहिक निवेश योजनाओं, एकीकृत निगरानी विभाग, आर्थिक और नीति विश्लेषण विभाग और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग को संभालती हैं।
इससे पहले, उन्होंने शंघाई में न्यू डेवलपमेंट बैंक के सलाहकार के रूप में कार्य किया। उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल के सिंगापुर कार्यालय में निजी इक्विटी फर्म के प्रमुख के रूप में भी काम किया। उन्होंने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड में प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी और आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड में कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया।
माधबी ने विभिन्न कंपनियों के बोर्ड में गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया। वह नई दिल्ली स्थित सेंट स्टीफंस कॉलेज से गणित में स्नातक हैं। उन्होंने अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान से एमबीए किया है।
महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम, इतिहास, महत्व और समारोह के बारे में अधिक जानें।
भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के सत्तर से अधिक वर्षों का प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव और गहरी देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों के बहादुर कार्यों और स्वायत्तता और विकास की दिशा में राष्ट्र की प्रगति को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख 2024 में भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समारोहों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
क्या यह स्वतंत्रता दिवस की 77वीं या 78वीं वर्षगांठ है?
2024 में 78वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक होगा। भले ही यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से 77वाँ वर्ष है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यह दिन 78 बार मनाया जा चुका है। जानकारी का यह दोहरा स्रोत भ्रम पैदा कर सकता है, फिर भी प्रत्येक आंकड़ा अपने संदर्भ में सही है।
4 जुलाई 2024 की थीम
इस वर्ष की थीम, “विकसित भारत” या “विकसित भारत”, 2047 तक भारत को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य को दर्शाती है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है।
इतिहास में स्वतंत्रता दिवस का महत्व
इस विशेष दिन पर, भारत ने लगभग दो सौ वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद ब्रिटिश नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त की। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व को समाप्त करने में मदद की और परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का भाषण: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम भाषण देंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर, हम उन कई लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
नागरिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और देशभक्तिपूर्ण शैक्षिक पहल देशभक्ति गतिविधियों के उदाहरण हैं।
ध्वजारोहण: सरकारी भवनों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्रीय
शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव
भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव रहा।
हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स एक समय 337.63 अंक यानि 0.47 प्रतिशत टूटकर 71.674.42 अंक तक तक लुढ़क गया था। हालाँकि बाद में वापसी करते हुए 124.73 अंक की तेजी के साथ 72,136.78 अंक पर पहुँच गया।
निफ्टी भी 107.25 अंक टूटकर एक समय 21,710.20 अंक तक उतर गया था। लेकिन दोपहर होते-होते यह 39.50 अंक की बढ़त से साथ 21,852.80 अंक तक चढ़ गया।
निफ्टी50 में एशर मोटर के शेयर चार प्रतिशत और मारुति सुजुकी के तीन प्रतिशत की बढ़त में थे। वहीं, टाटा कंज्यूमर और टाटा मोटर्स में करीब ढाई-ढाई फीसदी की गिरावट रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर निर्णय बुधवार को जारी करेगी। इससे अमेरिकी बाजार में रुझान तय होगा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि फेडरल रिजर्व इस साल दर में कटौती के धीमे रुख का संकेत दे सकता है। इस चिंता के कारण बुधवार को एशियाई शेयरों में नरमी रही।
राष्ट्रीय
सेंसेक्स 600 अंक टूटा, एफएमसीजी शेयर हुए धड़ाम
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्टॉक मंगलवार को सेक्टोरल इंडेक्स में 1.9 फीसदी की गिरावट के साथ कमजोर कारोबार कर रहे हैं। एफएमसीजी इंडेक्स टॉप सेक्टर लूजर्स में से एक है। नेस्ले में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
कोलगेट पामोलिव करीब 4 फीसदी नीचे है। होनासा कंज्यूमर 3.7 फीसदी, टाटा कंज्यूमर 3.4 फीसदी, पतंजलि फूड्स 3.2 फीसदी, यूनाइटेड ब्रुअरीज 3 फीसदी, गोदरेज कंज्यूमर 2 फीसदी से ज्यादा और ब्रिटानिया 2 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक नीचे है। ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में मांग सुस्त है।
रिटेल डेटा पर नज़र रखने वाली नील्सन ने इस सेक्टर के लिए 4.5-6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, अल-नीनो का प्रभाव मई तक रहने के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि कम रहेगी जिससे खपत में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है।
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