अंतरराष्ट्रीय समाचार
‘अमेरिका सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी, सहयोगी 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान छोड़ सकें’

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि वाशिंगटन यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि अमेरिकी और अफगान साथी काबुल से जारी निकासी के लिए निर्धारित 31 अगस्त की समय सीमा से परे अफगानिस्तान छोड़ सकें। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को पुष्टि की कि उनके प्रशासन का लक्ष्य 31 अगस्त तक लोगों को निकालने का काम पूरा करने का है, जबकि जरूरत पड़ने पर समयसीमा को बढ़ाया भी जा सकता है।
बुधवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिकियों और उन अफगान भागीदारों की मदद करने के लिए काम करने की कोई समय सीमा नहीं है जो देश में रह गए हैं।
उन्होंने कहा कि यह प्रयास 31 अगस्त से बाद भी हर दिन जारी रहेगा।
ब्लिंकन ने कहा कि हम हर राजनयिक, आर्थिक सहायता उपकरण का उपयोग करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करते हुए, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि जो लोग 31 तारीख के बाद अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं, वे ऐसा करने में सक्षम हों।
उन्होंने उल्लेख किया कि तालिबान ने अमेरिकियों के लिए, तीसरे देश के नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करने और अनुमति देने के लिए सार्वजनिक और निजी प्रतिबद्धताएं की थीं।
हालांकि, तालिबान के नवीनतम बयान से पता चलता है कि वे इस मुद्दे पर वाशिंगटन के साथ सहयोग करने के इच्छुक नहीं हैं।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने मंगलवार को कहा कि हम अफगानों के जाने से खुश नहीं हैं।
“हवाई अड्डे के बाहर भीड़ को हटाया नहीं गया है। हम चाहते हैं कि अमेरिकी अफगानों को देश छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की अपनी नीति में बदलाव लाएं।”
तालिबान द्वारा 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर कब्जा करने के बाद से अमेरिका अपने नागरिकों और उसके अफगान सहयोगियों को देश से निकालने की कोशिश में लगा हुआ है।
ब्लिंकन ने बुधवार की ब्रीफिंग के दौरान कहा कि 14 अगस्त से अब तक कम से कम 4,500 अमेरिकी नागरिकों को निकाला गया है।
उन्होंने कहा कि उनमें से कुछ पहले से ही देश छोड़ चुके हैं, कुछ रहना चाहते हैं, और कुछ अमेरिकी नागरिक नहीं हैं।
ब्लिंकन ने कहा कि बुधवार की सुबह 24 घंटे की अवधि के दौरान लगभग 19,000 लोगों को निकाला गया था।
14 अगस्त से अब तक कुल 82,300 से अधिक लोगों को काबुल से बाहर निकाला गया है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
अगर भारत पीछे हटेगा तो हम भी तनाव खत्म कर देंगे : पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

इस्लामाबाद, 7 मई। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि अगर भारत अपने आक्रामक रुख से पीछे हटता है, तभी यह तनाव खत्म हो सकता है।
यह बयान तब आया जब भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ जगहों पर हवाई हमले किए। भारत का कहना है कि ये हमले आतंकवादी ठिकानों पर किए गए थे। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास जवाबी कार्रवाई का दावा किया है।
ब्लूमबर्ग से बात करते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा का पूरा हक है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमला शुरू नहीं किया, बल्कि केवल भारत के हमले का जवाब दिया है।
उन्होंने कहा, “यह सब भारत ने शुरू किया है। अगर भारत पीछे हटेगा तो हम भी तनाव खत्म कर देंगे। लेकिन जब तक हम पर हमला होता रहेगा, हमें अपनी रक्षा करनी होगी।”
पाकिस्तान के इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) के प्रमुख जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने बताया कि इन हवाई हमलों में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई और 46 घायल हुए हैं। ये हमले पीओके और पंजाब प्रांत के उन इलाकों में हुए जहां भारत के अनुसार आतंकियों के ठिकाने थे।
इस स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों को तैयार रहने को कहा गया है, देश की हवाई सीमाएं 24 से 36 घंटे के लिए बंद कर दी गई हैं, इस्लामाबाद और पंजाब के सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और सुरक्षा बलों को सतर्क कर दिया गया है।
इन हमलों और जवाबी कार्रवाई से आम लोग डरे हुए हैं। उन्हें चिंता है कि कहीं यह हालात दो देशों के बीच बड़े युद्ध का रूप न ले लें।
भारत ने पाकिस्तान के अंदर छह अलग-अलग जगहों पर हमले किए। जिनमें मस्जिद सुभानअल्लाह भी शामिल है – जो पाकिस्तान के दक्षिण पंजाब प्रांत के बहावलपुर शहर के अहमदपुर शरकिया इलाके में जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का ठिकाना बताया गया है।
इसके अलावा मुरिदके में भी हमले हुए, जिसे लश्कर-ए-तैयबा और जमात उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद का मुख्यालय माना जाता है। अन्य हमले मुजफ्फराबाद, कोटली और बाग शहरों में भी किए गए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने स्थिति पर चर्चा के लिए एक आपात बैठक बुलाई है। इसमें सुरक्षा स्थिति और भारत को लेकर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
यह बैठक यह भी तय करेगी कि अमेरिका समेत बाकी देशों द्वारा दिए गए शांति और संयम के संदेशों पर पाकिस्तान क्या रुख अपनाएगा, ताकि दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच बढ़ता तनाव रोका जा सके।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों की भारतीय बंदगाहों में ‘नो एंट्री’, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 3 मई। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने पाकिस्तानी झंडे वाले जहाजों के भारतीय बंदरगाहों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही भारतीय झंडे वाले जहाजों के पाकिस्तान के बंदरगाहों पर जाने पर रोक लगा दी है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए नवीनतम आदेश इसी सिलसिले की एक कड़ी है।
ये प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की धारा 411 के तहत भारतीय परिसंपत्तियों, कार्गो और बंदरगाह अवसंरचना की सुरक्षा के लिए लगाए गए हैं।
मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया, “अधिनियम का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए सर्वोत्तम तरीके से भारतीय व्यापारिक नौवहन के विकास को बढ़ावा देना और उसका कुशल रखरखाव सुनिश्चित करना है।”
सुरक्षा को मजबूत करने और भारत के समुद्री हितों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत यह आदेश अगली सूचना तक लागू रहेगा।
आदेश के मुताबिक, “पाकिस्तान का झंडा लगे जहाज को किसी भी भारतीय बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और भारतीय झंडा लगे जहाज को पाकिस्तान के किसी भी बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं मिलेगी।”
इसमें यह भी कहा गया कि आदेश से किसी भी छूट की “जांच की जाएगी और मामले-दर-मामला आधार पर निर्णय लिया जाएगा।”
इससे पहले भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पड़ोसी देश के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान से सभी प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयात पर प्रतिबंध लगा दिया।
वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, “पाकिस्तान में उत्पन्न या वहां से निर्यातित सभी वस्तुओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन, चाहे वे स्वतंत्र रूप से आयात योग्य हों या अन्यथा अनुमत हों, तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक प्रतिबंधित रहेगा।”
अधिसूचना में कहा गया, “यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हित में लगाया गया है। इस प्रतिबंध में किसी भी अपवाद के लिए भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होगी।”
2 मई की अधिसूचना में कहा गया कि इस संबंध में विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 में एक प्रावधान जोड़ा गया है, ताकि ‘पाकिस्तान में उत्पन्न या वहां से निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात या पारगमन पर रोक लगाई जा सके।’
अंतरराष्ट्रीय समाचार
बांग्लादेश : अवमानना के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को कारण बताओ नोटिस

ढाका, 2 मई। बांग्लादेश के अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और अवामी लीग की प्रतिबंधित छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) के नेता शकील आलम बुलबुल को अदालत की कथित अवमानना के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि आईसीटी अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने दोनों व्यक्तियों को 15 मई तक कारण बताओ नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया है।
न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गुलाम मुर्तुजा मुजुमदार की अध्यक्षता में सोशल मीडिया पर लीक हुए एक वायरल ऑडियो क्लिप की सामग्री पर यह आदेश पारित किया गया, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री को दिखाया गया था, जिसके माध्यम से उन्होंने कथित तौर पर न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और न्यायाधिकरण को धमकी दी।
आईसीटी अभियोजक ने कहा कि जांच एजेंसी ने फोरेंसिक परीक्षण कराया और पुष्टि की कि आवाज शेख हसीना की है।
पिछले वर्ष अगस्त में सत्ता में आने के बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री, उनके परिवार के सदस्यों और अवामी लीग समर्थकों के खिलाफ कई गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं।
पिछले महीने बांग्लादेश के एक न्यायाधिकरण ने 2013 में ढाका के शापला छत्तर में हुए कथित सामूहिक हत्याकांड के लिए हसीना और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) बेनजीर अहमद सहित चार अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
इससे पहले जनवरी में ढाका में एक विशेष न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री हसीना और 11 अन्य लोगों के खिलाफ जबरन गायब किए जाने की घटनाओं के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
विडंबना यह है कि इस न्यायाधिकरण की स्थापना शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अपराध (न्यायाधिकरण) अधिनियम के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश के भूभाग में पाकिस्तानी सेना द्वारा अपने स्थानीय सहयोगियों की मदद से किए गए नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अन्य अपराधों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगाना, उन पर मुकदमा चलाना और उन्हें दंडित करना था।
विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा किया जा रहा एक बड़ा राजनीतिक प्रतिशोध है, क्योंकि अगस्त 2024 में उनके पद से हटने के तुरंत बाद पूर्व प्रधानमंत्री और उनके समर्थकों के खिलाफ तुच्छ आधार पर कई मामले दर्ज किए गए थे।
देश में लोकतंत्र की बहाली के संघर्ष में अग्रणी आवाज रहीं बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हसीना को अपमानजनक तरीके से देश छोड़कर 5 अगस्त को भारत में शरण लेनी पड़ी थी।
फरवरी में भारत से अवामी लीग समर्थकों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए अपदस्थ प्रधानमंत्री ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर देश को कथित तौर पर ‘आतंकवाद’ और ‘अराजकता’ के केंद्र में बदलने का आरोप लगाया था।
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