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Tuesday,07-October-2025
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भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षित अफगानी सैनिक तालिबान के शीर्ष नेताओं में शामिल

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तालिबान की तेज जीत के बाद, मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति बनने की संभावना है, जबकि दोहा कार्यालय में उनके डिप्टी शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई के नई सरकार में एक प्रमुख पद पर होने की उम्मीद है।

स्टानिकजई, जो पिछले तालिबान शासन में उप विदेश मंत्री थे, अपने साथियों के विपरीत हैं, जिसे उच्च शिक्षित माना जाता है, क्योंकि वह देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट है। उसे 1970 के दशक में भारत-अफगान रक्षा सहयोग कार्यक्रम के तहत अधिकारी अकादमी में प्रशिक्षित किया गया था। इसके विपरीत अधिकांश अन्य तालिबान नेताओं ने अफगानिस्तान या पाकिस्तान के मदरसों से अध्ययन किया है।

1963 में अफगानिस्तान के लोगार प्रांत के बाराकी बराक जिले में जन्मे स्टानिकजई जातीय रूप से एक पश्तून हैं।

1980 के दशक में, उसने अफगान सेना को छोड़ दिया और सोवियत सेना के खिलाफ ‘जिहाद’ में शामिल हो गया। उसने नबी मोहम्मदी के हरकत-ए इंकलाब-ए इस्लामी और अब्द उल रसूल सयाफ के इत्तेहाद-ए-इस्लामी के साथ अपने दक्षिण-पश्चिमी मोर्चे के कमांडर के रूप में लड़ाई लड़ी।

हरकत मुजाहिदीन गुट है, जिसे विश्व²ष्टि और कर्मियों दोनों के मामले में तालिबान के सबसे करीब माना जाता है और इसके रैंकों में मुल्ला उमर भी शामिल रहा है। जब 1996 में तालिबान सत्ता में आया, तो स्टानिकजई ने विदेश मामलों के उप मंत्री और बाद में विद्रोही शासन के सार्वजनिक स्वास्थ्य के उप मंत्री के रूप में कार्य किया।

विश्लेषक केट क्लार्क के अनुसार, अंग्रेजी बोलने वाला ‘सैनिक’ पश्चिम के लिए तालिबान का चेहरा रहा, लेकिन उनके सीनियर, तत्कालीन विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवकिल अब्दुल गफ्फार ने उस पर कभी भरोसा नहीं किया, जो बाद में तालिबान से अलग हो गया, जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन की खोज में अफगानिस्तान पर हमले शुरू किए थे।

स्टानिकजई के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि उसकी बेटी उसी अमेरिका में पढ़ रही है, जिसकी सभ्यता, तौर-तरीके और पूंजीवाद का तालिबान हमेशा विरोधी रहा है।

2001 में तालिबान शासन को उखाड़ फेंकने के बाद, वह पहले सभी तालिबान नेताओं की तरह पाकिस्तान गया और फिर कतर चला गया। कतर की सरकार पूर्व तालिबान नेता और उनके परिवार को आर्थिक रूप से समर्थन देने के लिए सहमत हो गई है। दो साल पहले, टोलो के पूर्व समाचार रिपोर्टर ने अब्बास स्टानिकजई की बेटी की एक तस्वीर साझा की, जो अमेरिका में पढ़ रही थी। 2015 में, उसने दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में कार्यभार संभाला।

इसे तालिबान की दोहरी मानसिकता और पाखंड ही कहेंगे कि अब्बास स्टानिकजई की बेटी तो विदेश में पढ़ रही है, जबकि वे अफगानिस्तान में लड़कियों को स्कूल तक नहीं जाने देते हैं।

स्टानिकजई को कंधार द्वारा पर्याप्त रूप से ‘प्रस्तुत करने योग्य’ समझा जाने वाले एक अधिकारी के रूप में भी याद किया जाता है, जिसे अक्सर विदेशी आगंतुकों से बातचीत करने और कभी-कभी अंग्रेजी में मीडिया साक्षात्कार देने का काम सौंपा जाता रहा है। जब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर ने अफगानिस्तान पर शासन किया था, तब उसे इस प्रकार की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी।

तालिबान के राजदूत के रूप में स्टानिकजई 1996 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मिलने गया था, ताकि क्लिंटन प्रशासन को तालिबान शासित अफगानिस्तान को राजनयिक मान्यता देने के लिए मनाया जा सके। यह वह समय था, जब पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने आतंकी संगठन के शासन को मान्यता दी थी।

हालांकि स्टानिकजई और अन्य पर संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देशों के तहत अंतर्राष्ट्रीय यात्रा का प्रतिबंध था, मगर कथित तौर पर उसे कतर की यात्रा करने की अनुमति देने के लिए व्यवस्था की गई थी।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद के अनुसार, स्टानिकजई ने ‘अमेरिका और अफगान सरकार के साथ कई दौर की शांति वार्ता’ में तालिबान का प्रतिनिधित्व किया है।

2016 में, वह बीजिंग गया था और चीनी नेतृत्व से मिला था, ताकि तालिबान और चीन के बीच सीधा संपर्क स्थापित हो सके। अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद वह मास्को, उज्बेकिस्तान, चीन और अन्य स्थानों की यात्रा कर रहा था। चर्चा यह है कि शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई फिर से तालिबान के विदेश मंत्रालय में जिम्मेदारी मिल सकती है और उसे विदेश मंत्री बनाया जा सकता है।

(यह आलेख इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)

अंतरराष्ट्रीय समाचार

वियतनाम में बुआलोई तूफान ने 51 लोगों की ली जान, 14 लोग अब भी लापता; 608 मिलियन यूएसडी नुकसान का अनुमान

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हनोई, 2 अक्टूबर : वियतनाम में तूफान बुआलोई और उसके बाद आई बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार बुआलोई तूफान की चपेट में आने से मौत का आंकड़ा 51 तक पहुंच गया। 14 लोगों का अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है, जबकि 164 लोग घायल हुए।

वियतनाम आपदा एवं डाइक प्रबंधन प्राधिकरण ने शुक्रवार को आपदा से जुड़ी एक रिपोर्ट साझा की। इसके अनुसार तूफान बुआलोई और उसके बाद आई बाढ़ और भूस्खलन से उत्तरी और मध्य वियतनाम में 51 लोगों की मौत हो गई, 14 अन्य लापता हो गए और 164 लोग घायल हो गए। शुरुआती आर्थिक क्षति का अनुमान लगभग 15.9 ट्रिलियन वियतनामी डोंग (लगभग 608 मिलियन अमेरिकी डॉलर) लगाया जा रहा है।

इस तूफान में 238,000 से अधिक घर क्षतिग्रस्त या जलमग्न हो गए, लगभग 89,000 हेक्टेयर चावल और अन्य फसलें बर्बाद हो गई। इसके अलावा, 17,000 हेक्टेयर से अधिक जलीय कृषि और लगभग 50,300 हेक्टेयर जंगलों को नुकसान पहुंचा है।

रिपोर्ट के अनुसार, तूफान ने बुनियादी ढांचे को भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया, 8,800 से अधिक बिजली के खंभे गिर गए और लगभग 468,500 घरों में अभी भी बिजली नहीं है। इसके साथ ही लगभग।

स्थानीय अधिकारी राहत कार्य जारी रखे हुए हैं, क्षतिग्रस्त हुई सड़कों को साफ करने, सभी आवश्यक सेवाओं को बहाल करने और प्रभावित समुदायों की सहायता के लिए उपकरण जुटा रहे हैं।

इस बीच, वियतनाम न्यूज एजेंसी ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने गुरुवार को आपातकालीन राहत के लिए 15 प्रभावित इलाकों के लिए सहायता पैकेज को मंजूरी दी। इससे पहले, उन्होंने 30 सितंबर को स्थानीय अधिकारियों और विभागों को प्रभावित निवासियों की सहायता और प्रभावितों को तत्काल मदद पहुंचाने का निर्देश दिया था।

प्रधानमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों, पार्टी संगठनों, प्रशासन और आपदाओं से हुए नुकसान और कठिनाइयों को झेल रहे निवासियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई। उन्होंने जन समितियों के अध्यक्षों को आदेश दिया कि वे जल्द से जल्द अलग-थलग पड़े इलाकों में पहुंचने के लिए सेना और वाहन जुटाएं। क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत करवाएं और प्रभावित निवासियों के लिए आश्रयों की व्यवस्था करें। इसके साथ ही उन्होंने 5 अक्टूबर से पहले क्षतिग्रस्त शैक्षणिक और चिकित्सा सुविधाओं की मरम्मत कराने का निर्देश भी दिया है।

वियतनाम के कई हिस्सों में 300 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई है। उत्तरी मध्य वियतनाम के कई गांव जलमग्न हो गए थे और यातायात व बिजली गुल थी।

बुआलोई एक हफ्ते में एशिया के लिए खतरा बनने वाला दूसरा बड़ा तूफान था। पिछले कई वर्षों में आए सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक, रागासा तूफान ने उत्तरी फिलीपींस और ताइवान में कम से कम 28 लोगों की जान ले ली। इससे पहले कि यह चीन में पहुंचा और वियतनाम में फैल गया।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

वियतनाम में ‘बुआलोई’ से 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान, 34 लोगों ने गंवाई जान

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हनोई, 2 अक्टूबर : वियतनाम में तूफान बुआलोई और उसके बाद आई बाढ़ और भूस्खलन में 34 लोगों की मौत हो गई, जबकि 140 लोग घायल हो गए। इस प्राकृतिक आपदा में 20 लोग लापता हो गए। करीब 8.78 ट्रिलियन वियतनामी डोंग (करीब 3,156 करोड़ रुपए) का आर्थिक नुकसान का अनुमान लगाया गया है।

सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक तूफान से बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा। 8,200 से ज्यादा बिजली के खंभे गिर गए और लगभग 27 लाख घरों की बिजली गुल हो गई, जबकि बाढ़ और भूस्खलन के कारण 3,000 से ज्यादा सड़कें ब्लॉक हो गईं।

स्थानीय अधिकारी बिजली और दूरसंचार बहाल करने और प्रभावित निवासियों की सहायता के लिए नुकसान की रिपोर्ट बना रहे हैं।

इससे पहले, 30 सितंबर को, वियतनामी प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह ने स्थानीय अधिकारियों और विभागों को प्रभावित निवासियों की सहायता और प्रभावितों को तत्काल मदद पहुंचाने का निर्देश दिया था।

प्रधानमंत्रीने शोक संतप्त परिवारों, पार्टी संगठनों, प्रशासन और आपदाओं से हुए नुकसान और कठिनाइयों को झेल रहे निवासियों के प्रति अपनी गहरी संवेदना और सहानुभूति भी व्यक्त की।

उन्होंने जन समितियों के अध्यक्षों को आदेश दिया कि वे जल्द से जल्द अलग-थलग पड़े इलाकों में पहुंचने के लिए सेना और वाहन जुटाएं। क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत करवाएं और प्रभावित निवासियों के लिए आश्रयों की व्यवस्था करें। उन्होंने 5 अक्टूबर से पहले क्षतिग्रस्त शैक्षणिक और चिकित्सा सुविधाओं की मरम्मत कराने को कहा है।

वियतनाम के कई हिस्सों में 300 मिलीमीटर से अधिक बारिश हुई है। उत्तरी मध्य वियतनाम के कई गांव जलमग्न हो गए थे और यातायात व बिजली गुल थी।

बुआलोई एक हफ्ते में एशिया के लिए खतरा बनने वाला दूसरा बड़ा तूफान था। पिछले कई वर्षों में आए सबसे शक्तिशाली तूफानों में से एक, रागासा तूफान ने उत्तरी फिलीपींस और ताइवान में कम से कम 28 लोगों की जान ले ली। इससे पहले कि यह चीन में पहुंचा और वियतनाम में फैल गया।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

विश्व व्यापार को मिल रही चुनौतियों का मुकाबला करे ब्रिक्स : एस. जयशंकर

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संयुक्त राष्ट्र, 27 सितंबर। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि ब्रिक्स देशों को वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर हो रहे दबाव और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।

उन्होंने कहा कि बढ़ते संरक्षणवाद, ऊंचे-नीचे शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं व्यापार को प्रभावित कर रही हैं, ऐसे में ब्रिक्स को बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने यह बात शुक्रवार को ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में कही।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही धमकी दी थी कि ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने अन्य आधारों पर भारत और ब्राजील पर कुल 50 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका से होने वाले अधिकांश आयातों पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया है।

हालांकि जयशंकर ने अपने बयान में अमेरिका का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया।

बैठक में भाग लेने वाले इथियोपिया के विदेश राज्य मंत्री हदेरा अबेरा अदमासु ने भी संयुक्त कार्रवाई का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को शांति स्थापित करने, वैश्विक संस्थाओं में सुधार लाने और विकासशील देशों के लिए न्यायपूर्ण व सुरक्षित माहौल बनाने में अहम भूमिका निभानी चाहिए।

जयशंकर ने यह भी कहा कि जब बहुपक्षीय व्यवस्था दबाव में है, तब ब्रिक्स ने हमेशा विवेकपूर्ण और सकारात्मक बदलाव की आवाज उठाई है।

उन्होंने आईबीएसए (भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का समूह) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लिया। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की जरूरत पर जोर दिया गया। साथ ही आईबीएसए के शैक्षणिक मंच, समुद्री अभ्यास, ट्रस्ट फंड और आपसी व्यापार पर चर्चा हुई।

ब्रिक्स मंत्रियों की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर भी चर्चा हुई। जयशंकर ने मंत्रियों से कहा, “व्यापार प्रणाली से परे, ब्रिक्स को संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार के लिए भी जोरदार प्रयास करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “एक अशांत विश्व में, ब्रिक्स को शांति स्थापना, संवाद, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन के संदेश को सुदृढ़ करना चाहिए।”

ब्रिक्स एक संगठन है जिसका नाम इसके पहले पांच सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के शुरुआती अक्षरों से बना है। अब इसमें कुल दस उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। इन देशों का मकसद आर्थिक और सामाजिक विकास के मुद्दों पर मिलकर काम करना है।

अगले साल भारत ब्राज़ील की जगह ब्रिक्स का अध्यक्ष बनेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की प्राथमिकता खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास होगी। इसके लिए डिजिटल बदलाव, स्टार्टअप्स, नवाचार और मजबूत विकास साझेदारी पर ज़ोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार ब्रिक्स सहयोग के अगले चरण को परिभाषित करेंगे।

दूसरी ओर, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि ब्रिक्स अपनी अलग मुद्रा बनाकर अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर को चुनौती देना चाहता है। हालांकि भारत ने साफ कर दिया कि ब्रिक्स की कोई नई मुद्रा लाने की योजना नहीं है।

ब्रिक्स का एक अहम कार्यक्रम न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) है। यह बैंक विकासशील देशों को कम ब्याज पर कर्ज देता है।

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