अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की मिस्रवासी पिता से मुक्ति की अर्जी पर कहा, मामला दिल दहला देने वाला

एक महिला अपने नाबालिग भतीजे को उसके मिस्रवासी पिता से मुक्ति और उसे हिरासत में लेने की मांग को लेकर एक गहन कानूनी लड़ाई लड़ रही है। पिता ने कथित तौर पर बच्चे का यौन उत्पीड़न किया और बच्चे के साथ पीडोफिलिक कृत्य किए। वह व्यक्ति फरवरी 2020 में भारत से बच्चे के साथ फरार हो गया था, और वे अब तक लापता हैं।
पुणे में बच्चे के जन्म के तुरंत बाद याचिकाकर्ता की बहन की 17 अप्रैल 2019 को मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता उस व्यक्ति के साथ नवजात बच्चे की देखभाल के लिए मिस्र चली गई। उसने याचिका में आरोप लगाया कि अगस्त 2019 में, पिता ने बच्चे के साथ यौन संबंध बनाए। बाद में पता चला कि 4 महीने के बच्चे के प्रति उसकी पीडोफिलिक प्रवृत्ति थी। याचिकाकर्ता बच्चे के साथ सितंबर 2019 में पुणे लौट आया। उसने पुणे में शिकायत दर्ज कराई कि मिस्र के व्यक्ति ने बच्चे का यौन उत्पीड़न किया और उसके साथ पीडोफिलिक कृत्य भी किया था।
बाद में, पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि बच्चे को मौसी और दादी के पास अवैध हिरासत में रखा गया।
30 जनवरी, 2020 को, उच्च न्यायालय ने बच्चे की कस्टडी उसके पिता को बहाल कर दी और उसे 27 मार्च, 2020 के बाद बच्चे को अबू धाबी में अपने कार्यस्थल पर ले जाने की अनुमति भी दी।
महिला और उसकी मां ने इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया और आरोप लगाया कि 16 फरवरी, 2020 को उन्हें उस व्यक्ति का एक ईमेल मिला, जिसमें कहा गया था कि वह बच्चे को अपने साथ मिस्र ले गया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार, व्यक्ति को वर्ष में चार बार बच्चे को भारत लाना था, लेकिन उसने नियम का उल्लंघन किया। साथ ही याचिकाकर्ता वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बच्चे तक नहीं पहुंच सकीं।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में कहा कि बच्चे के पिता अत्यधिक मनमौजी, दबंग और पीडोफिलिक हैं और उन्हें कई जुनूनी-बाध्यकारी विकार हैं, और बच्चे को उनकी हिरासत में छोड़ना सुरक्षित नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने बच्चे को भारत वापस लाने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की मांग की।
मार्च 2021 में, शीर्ष अदालत ने मिस्र के व्यक्ति के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा पारित अपने बेटे के हिरासत के आदेशों का उल्लंघन करने पर जमानती वारंट जारी किया।
शीर्ष अदालत ने भारतीय दूतावास से यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अच्छे कार्यालयों का उपयोग करने का भी अनुरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ताओं को बच्चे के साथ बातचीत करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर पहुंच प्रदान की जाए।
इस सप्ताह की शुरुआत में यह जानने के बाद कि आदमी अभी भी लापता है, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने कहा, “यह एक दिल दहला देने वाला मामला है।”
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को सूचित किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय काहिरा में भारतीय दूतावास के संपर्क में है और भारतीय दूतावास ने मिस्र सरकार से संपर्क किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसके द्वारा जारी जमानती वारंट के नोटिस की तामील हो।
पीठ ने 3 अगस्त को पारित अपने आदेश में कहा, “न्यायालय को इस तथ्य से भी अवगत कराया गया है कि भारत सरकार और मिस्र सरकार के बीच पारस्परिक कानूनी सहायता के लिए 2008 की एक संधि है।”
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 सितंबर मुकर्रर की है।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
अपराध
जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
अपराध
सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।
मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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