राजनीति
सरकार ना काम कर रही हैं, न करने दे रही हैं : तेजस्वी यादव
बिहार में कोरोना को लेकर अब सियासत तेज हो गई है। बुधवार को दिनभर राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा सरकारी आवास में कोविड केयर सेंटर पर हुई बयानबाजी के बाद गुरुवार को तेजस्वी एक बार फिर फेसबुक लाइव आए और सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ना खुद काम कर रही है और न करने दे रही है।
उन्होंने सत्ता पक्ष पर नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा ” हमने अपने सरकारी बंगले में हमने बेड, ऑक्सीजन, भोजन और दवाइयों का इंतजाम कर सरकार से नियमानुसार अपनाने की अपील की थी, लेकिन सरकार इसे लेकर नकारात्मक राजनीति कर रही है। ”
उन्होंने कहा, ” सरकार ना खुद काम करती हैं ना हमें करने देती हैं। सरकार का असली चेहरा अब सबके सामने आ गया है।”
उन्होंने कहा कि बिहार के अस्पतालों में कोई व्यवस्था नहीं है, लोग अस्पताल में जाना नहीं चाह रहे हैंे।
तेजस्वी ने कहा, ” राज्य की राजग सरकार अगर गंभीर होती तो एक साल में प्रमंडल स्तर पर कोविड केयर अस्पताल खुल चुका होता। लेकिन सरकार से बिहार नहीं संभल रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरी तरह से थक चुके हैं।”
उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग अगर सड़कों पर उतरते हैं कि तब उनपर मामला दर्ज करवा दिया जाता है।
उन्होंने कहा, ” राज्य में वंेटिलेटर आए तो उन्हें चलाने वाला कोई नहीं। मैं प्रारंभ से ही कह रहा हूं कि राज्य में डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया। सत्ता पक्ष के नेता मुझे काम करने बोलते हैं। जब मैं करता हूं तो उसे नौटंकी करार देते हैं।”
पूर्व उपमुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता तेजस्वी ने कहा कि देश भर में बिहार में सबसे अधिक डॉक्टरों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार को हरसंभव मदद करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि बिहार की स्थिति ठीक नहीं है।
उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय शाम तक उनके पत्रों का जवाब देंगे।
उल्लेखनीय है कि उल्लेखनीय है कि मंगलवार को तेजस्वी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य के सभी विधायकों के लिए किसी अस्पताल, पीएचसी, कोविड केयर सेंटर आदि के अंदर जाकर मरीजों और उनके परिजनों से मिलने और उन्हें राहत पहुंचाने के लिए अनुमति मांगी थी। इसके अलावे पत्र में कोविड केयर सेंटर खोलने और सामुदायिक किचेन चलाने के लिए भी अनुमति की मांग की थी।
महाराष्ट्र
मुंबई मौसम अपडेट: शहर में सुबह धुंध छाई, AQI 207 पर अस्वास्थ्यकर श्रेणी में रहा

मुंबई: बुधवार सुबह मुंबई में सुबह आसमान साफ़ था और धुंध की एक पतली परत छाई हुई थी। ठंडी सुबह की हवाएँ घने कोहरे के साथ मिलकर शहर के क्षितिज को धुंधला कर रही थीं। पश्चिमी उपनगरों से लेकर दक्षिण मुंबई तक, क्षितिज पर एक धूसर रंग छाया हुआ था, जो पिछले हफ़्ते थोड़े समय के सुधार के बाद वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट का संकेत था।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, शहर में दिन भर आसमान साफ रहेगा। हालाँकि, धुंध की चादर के कारण सुबह के समय दृश्यता काफी कम रही। दिन का तापमान 34°C के आसपास रहने की संभावना है, जबकि न्यूनतम तापमान 21°C तक गिरने की संभावना है, जिससे सुबह की हवा में हल्की सर्दी जैसी ठंडक रहेगी।
प्रदूषण के स्तर में यह ताज़ा वृद्धि भारी बारिश के कुछ ही दिनों बाद हुई है, जिसने वातावरण को अस्थायी रूप से साफ़ कर दिया था। बारिश ने कणीय पदार्थों में भारी कमी ला दी थी और आर्द्रता में सुधार किया था, जिससे निवासियों को कुछ समय के लिए राहत मिली थी। हालाँकि, यह सुधार क्षणिक ही रहा, क्योंकि एक हफ़्ते के भीतर ही प्रदूषण का स्तर फिर से अस्वस्थ स्तर पर पहुँच गया है।
AQI.in के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, बुधवार सुबह मुंबई का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 207 रहा, जिसे अस्वस्थ श्रेणी में रखा गया है। यह इस महीने की शुरुआत में दर्ज किए गए मध्यम स्तर से भारी गिरावट दर्शाता है। कई निवासियों ने धुंधलेपन और हल्की जलन की गंध की शिकायत की, जो PM2.5 की बढ़ी हुई सांद्रता के सामान्य लक्षण हैं।
शहर के निगरानी केंद्रों में, वडाला ट्रक टर्मिनल ने 380 के खतरनाक AQI के साथ सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की, जिससे यह गंभीर श्रेणी में आ गया। जुहू (305) और विले पार्ले पश्चिम (302) में भी गंभीर रूप से प्रदूषित हवा दर्ज की गई। कोलाबा (297) और बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (273) सहित अन्य इलाके अस्वस्थ श्रेणी में बने रहे।
तुलनात्मक रूप से, पश्चिमी उपनगरों में स्थिति थोड़ी बेहतर रही। मानखुर्द (87) और कांदिवली पूर्व (88) मध्यम श्रेणी में रहे, जबकि सांताक्रूज़ पूर्व (93), मलाड पश्चिम (97) और जोगेश्वरी (113) मध्यम और खराब स्तर के बीच रहे। इन मामूली बदलावों के बावजूद, शहर का अधिकांश हिस्सा घने कोहरे में डूबा रहा।
AQI दिशानिर्देशों के अनुसार, 0-50 के बीच रीडिंग अच्छी, 51-100 मध्यम, 101-150 खराब, 151-200 अस्वास्थ्यकर और 200 से ऊपर की रीडिंग गंभीर या खतरनाक मानी जाती है।
महाराष्ट्र
‘द बैडेस्ट ऑफ बॉलीवुड’ में समीर वानखेड़े निशाने पर, दिल्ली हाईकोर्ट मानहानि केस में विवादित सीरीज से आपत्तिजनक कंटेंट हटाने का आदेश

Sameer Wankhede
मुंबई: मुंबई-दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनसीबी के जोनल निदेशक आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ मानहानि के मामले में रेड चिलीज एंटरटेनमेंट शाहरुख खान, गौरी खान और अन्य की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि कलात्मक स्वतंत्रता का मतलब किसी व्यक्ति का मजाक उड़ाना नहीं है। इसके बाद, उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि विवादास्पद नेटफ्लिक्स सीरीज द बैड्स ऑफ बॉलीवुड से समीर वानखेड़े से जुड़े विवादास्पद फुटेज को हटाया जाए। समीर वानखेड़े ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दलील दी थी कि द बैड्स ऑफ बॉलीवुड में उनके किरदार की हत्या की गई है और यह सीरीज उन्हें निशाना बनाने के लिए बनाई गई है। इसका मकसद समीर वानखेड़े को अपमानित करना और उनका मजाक उड़ाना है। इस सीरीज के कुछ हिस्सों को देखने के बाद, उच्च न्यायालय ने फिल्म से विवादास्पद हिस्सों को हटाने का आदेश दिया।
समीर वानखेड़े के वकील ने अदालत को बताया था कि फिल्म में दिखाया गया किरदार समीर वानखेड़े से तुलना है और यह सीरीज वानखेड़े की छवि खराब करने के इरादे से बनाई गई है। बॉलीवुड की बुराई दुर्भावनापूर्ण है, इसलिए, उपरोक्त विवादित दृश्यों और आपत्तिजनक संवादों को श्रृंखला से हटा दिया जाना चाहिए, जिस पर अदालत ने विवादास्पद और आपत्तिजनक सामग्री और सामग्री को हटाने का आदेश जारी किया है। इससे पहले, समीर वानखेड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने शाहरुख खान की रेड चिलीज, नेटफ्लिक्स, मेटा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस पर, रेड चिलीज ने फिल्म और श्रृंखला को एक नाटक कहा था और स्पष्ट किया था कि इसका तथ्यों से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, इसके बावजूद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूछा कि क्या एक फिल्म नाटक का मतलब यह नहीं है कि किसी के चरित्र को मार दिया जाए और यह कहते हुए, उसने शाहरुख खान और फिल्म कंपनी को फटकार लगाई। समीर वानखेड़े ने अपनी दलील के ज़रिए यह साबित करने की कोशिश की कि फ़िल्म में दिखाया गया किरदार समीर वानखेड़े से मिलता-जुलता है और उन्हें निशाना बनाने के लिए इस किरदार को नकारात्मक तरीक़े से पेश किया गया है और इसमें इस किरदार के ज़रिए समीर वानखेड़े का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की गई है जिससे वानखेड़े को अपमानित किया गया है, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए आपत्तिजनक और विवादित कंटेंट को हटाने का निर्देश जारी किया है। यह समीर वानखेड़े के लिए एक बड़ी कामयाबी है, जबकि शाहरुख़ ख़ान को बहुत बड़ा झटका लगा है।
राष्ट्रीय समाचार
निठारी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सुरेंद्र कोली को रिहा करने का आदेश

नई दिल्ली, 11 नवंबर: निठारी हत्याकांड के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली को रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कोली पर लगाए गए सभी आरोपों से उसे बरी किया जाता है और उसकी सभी सजाएं रद्द की जाती हैं।
जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2011 के पुनर्विचार फैसले को वापस लेते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अपील स्वीकार की जाती है और इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाता है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि सुरेंद्र कोली को तत्काल रिहा किया जाए।
यह फैसला निठारी हत्याकांड के बाद आया, जिसने साल 2006 में पूरे देश को दहला दिया था, जब नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल बरामद हुए थे। इस वारदात ने पुलिस और समाज दोनों को झकझोर कर रख दिया था।
मामले में पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि कोली बच्चों और महिलाओं को बहला-फुसलाकर लाता था, उनके साथ दुष्कर्म करता और फिर हत्या कर शवों को नाले में फेंक देता था। मामला सामने आने के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। जांच सीबीआई को सौंपी गई, जिसने कई मामलों में चार्जशीट दाखिल की।
कोली पर 13 मामलों में आरोप लगाए गए, जबकि पंढेर का कुछ मामलों में सहआरोपी के रूप में नाम आया। समय के साथ अदालतों ने सुनवाई की और कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया गया, लेकिन एक मामले में 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी।
अब सुप्रीम कोर्ट ने उस पुराने फैसले को पलटते हुए कहा है कि कोली के खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं हैं और जांच में गंभीर खामियां रही हैं। इसलिए न्याय के हित में उसे बरी किया जाता है।
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