राजनीति
किसान सम्मेलन के जरिए राजस्थान में किसानों को जोड़ेंगे पायलट

राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के मद्देनजर राज्य के किसानों को इकट्ठा करने के लिए किसान सम्मेलन कर रहे हैं। इसके तहत शुक्रवार को दौसा में पहला आयोजन किया गया। अब अगले किसान सम्मेलन 9 फरवरी को भरतपुर में और 17 फरवरी को चाकसू में होने हैं। यह सम्मेलन 2 महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किए जा रहे हैं। पायलट ने कहा, “हम चाहते हैं कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार किसानों की शिकायतों को सुने और तीनों कृषि कानूनों को वापस ले। साथ ही मैं चाहता हूं कि राज्य में कांग्रेस मजबूत हो और प्रधानमंत्री तक किसानों का संदेश पहुंचाकर हम उनकी मदद करें।”
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि 2020 में हुए वाकये के बाद से पायलट साइडलाइन हैं और वे इस मुद्दे के जरिए राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही किसान सम्मेलन के जरिए वे अपने राजनीतिक समर्थन को लेकर पार्टी नेतृत्व को संदेश भी भेजना चाह रहे हैं।
बता दें कि राजस्थान में पार्टी मामलों के प्रभारी अजय माकन मंगलवार और बुधवार को जयपुर में थे लेकिन उन्होंने इस दौरान ना तो राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कोई घोषणा की और ना ही राज्य में मंत्रिमंडल के विस्तार पर कुछ कहा। जाहिर है, इससे पायलट समर्थकों को निराशा हुई है। पायलट कैंप के ये नेता राज्य के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के बाद से ही विभाग पाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इन नेताओं को उम्मीद है कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी।
राष्ट्रीय समाचार
कम मूल्य वाले सामान पर जीएसटी रिफंड के लिए मूल्य सीमा को समाप्त करने के डीजीएफटी के प्रस्ताव को मिली मंजूरी

नई दिल्ली, 5 सितंबर। ई-कॉमर्स निर्यातकों को राहत देते हुए, जीएसटी परिषद ने कम मूल्य वाले सामान पर जीएसटी रिफंड के लिए मूल्य सीमा को समाप्त करने के डीजीएफटी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की संबंधित धारा में संशोधन किया जाएगा ताकि कर भुगतान के साथ किए गए निर्यातों के लिए, चाहे उनका मूल्य कुछ भी हो, रिफंड की अनुमति मिल सके।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि यह बहुप्रतीक्षित सुधार छोटे निर्यातकों, विशेष रूप से कूरियर या डाक सेवाओं के माध्यम से माल भेजने वालों की चिंताओं का समाधान करता है। इससे प्रक्रियाओं को सरल बनाने और कम मूल्य वाले ई-कॉमर्स निर्यात को सुगम बनाने की उम्मीद है।
सरकार ने लागत कम करने, शुल्क-संबंधी विकृतियों को दूर करने और कागज, चमड़ा, लकड़ी, हस्तशिल्प, वाणिज्यिक वाहन, ट्रैक्टर, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र, खिलौने और पैकेजिंग सामग्री जैसे विविध क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से जीएसटी दरों को रेशनलाइज बनाने के उपायों की एक सीरीज शुरू की है।
जीएसटी रिफंड के लिए मूल्य सीमा को हटाने से छोटे और ई-कॉमर्स निर्यातकों को काफी लाभ होगा क्योंकि इससे कम मूल्य के शिपमेंट भी रिफंड के लिए पात्र हो जाएंगे।
इससे नकदी प्रवाह में सुधार होगा, कार्यशील पूंजी की कमी कम होगी, अनुपालन सरल होगा और धनवापसी प्रक्रियाएं, विशेष रूप से कूरियर या डाक सेवाओं के माध्यम से भेजे गए माल के लिए, सुव्यवस्थित होंगी।
मंत्रालय ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, एमएसएमई और छोटे विक्रेता अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अधिक प्रभावी ढंग से भाग ले सकेंगे, जिससे कम मूल्य वाले ई-कॉमर्स निर्यात में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
उद्योग निकायों ने इन सुधारों का स्वागत किया है और इस बात पर जोर दिया है कि तेज निर्यात रिफंड, इंवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत अस्थायी राहत और प्रमुख क्षेत्रों में दरों को रेशनलाइज बनाने जैसे उपायों से नकदी का दबाव कम होगा, कार्यशील पूंजी की रुकावटें कम होंगी और सप्लाई चेन मजबूत होंगी।
इन कदमों से विनिर्माण को बढ़ावा मिलने, एमएसएमई को समर्थन मिलने, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने और लागत लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचने की उम्मीद है।
कागज पैकेजिंग, कपड़ा, चमड़ा और लकड़ी पर जीएसटी को 12-18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से उत्पादन लागत कम होगी, जिससे निर्यातक अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य प्रदान कर सकेंगे।
कपड़ा, हस्तशिल्प, चमड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और खिलौनों में तेजी से रिफंड और रेट्स को रेशनलाइज बनाने से एमएसएमई और उच्च मांग वाले निर्यात क्षेत्रों को मदद मिलेगी।
ट्रकों और डिलीवरी वैन पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने और पैकेजिंग सामग्री पर जीएसटी कम करने से माल ढुलाई और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
खिलौनों और खेल के सामानों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने से घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा, सस्ते आयात का मुकाबला होगा और बढ़ती वैश्विक मांग का लाभ उठाया जा सकेगा।
जीएसटी के रेशनलाइज होने से एमएसएमई और निर्यातकों के लिए इनपुट लागत कम होने, उपभोक्ताओं पर मुद्रास्फीति का दबाव कम होने जैसी संरचनात्मक विसंगतियों को ठीक करने की उम्मीद है।
ये उपाय ‘वोकल फॉर लोकल’ को भी बढ़ावा देंगे, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देंगे और कपड़ा, ट्रैक्टर, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो कंपोनेंट और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में एक ग्लोबल हब के रूप में उभरने की भारत की महत्वाकांक्षा का समर्थन करेंगे, साथ ही यह सुनिश्चित करेंगे कि लागत लाभ अंततः उपभोक्ताओं तक पहुंचें।
राजनीति
मराठा आंदोलन पर संजय राउत बोले, ‘जब दोनों पक्ष संतुष्ट हैं तो तीसरे को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए’

मुंबई, 5 सितंबर। मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर शिवसेना (यूबीटी) नेता और सांसद संजय राउत ने कहा है कि जब मांग करने वाले और मांगों को मंजूर करने वाले दोनों पक्ष संतुष्ट हैं, तो किसी तीसरे पक्ष को अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। संजय राउत शुक्रवार सुबह मुंबई में मीडिया से बात कर रहे थे।
पिछले दिनों, मनोज जरांगे पाटिल मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर थे। सरकार की ओर से उनकी अधिकांश मांगें मान लेने के बाद मनोज जरांगे ने भूख हड़ताल खत्म कर दी।
हालांकि, मामले में अभी भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इस बारे में पूछे जाने पर संजय राउत ने कहा कि मीडिया को इस मुद्दे पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए या इसे ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहिए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक समाधान निकाला। मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे ने उस समाधान को स्वीकार कर लिया है और वे संतुष्ट हैं।
राउत ने यह भी कहा, “मनोज जरांगे पाटिल अपने गांव पहुंच गए हैं। मैंने उनका बयान सुना। इसमें अनावश्यक तनाव पैदा करने का कोई मतलब नहीं है। इससे महाराष्ट्र को नुकसान होगा। ओबीसी समुदाय भी संतुष्ट है कि उनकी मांगें मान ली गई हैं, मराठा समुदाय संतुष्ट है, तो हम इस पर चर्चा करके माहौल क्यों खराब करें? जो भी ऐसा कर रहा है, उसे महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।”
इस दौरान, संजय राउत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते नजर आए। उन्होंने कहा, “फडणवीस का संयम सराहनीय है। उन्होंने कहीं भी अपना संयम नहीं खोया।”
एकनाथ शिंदे ने कहा था कि राज ठाकरे के साथ उनकी दोस्ती कम हो गई है। इस बारे में पूछे जाने पर संजय राउत ने कहा कि उनकी दोस्ती का एकमात्र उद्देश्य यह था कि दोनों भाई (उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे) एक साथ न आएं। उनकी दोस्ती इसलिए शुरू हुई थी ताकि वे हमेशा अलग-थलग और दूर रहें। लेकिन, अब यह ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ हो गया है।
राष्ट्रीय समाचार
उपमुख्यमंत्री अजित पवार फिर से जीएसटी परिषद की बैठक में शामिल नहीं हुए, महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व मंत्री अदिति तटकरे ने किया

AJIT PAWAR
मुंबई: बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित जीएसटी परिषद की बैठक में बहुप्रतीक्षित 5% और 18% के फार्मूले को अंतिम रूप दिया गया, लेकिन उपमुख्यमंत्री अजित पवार एक बार फिर इससे दूर रहे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में कुछ मुख्यमंत्रियों और राज्यों के वित्त मंत्रियों ने भाग लिया। हालाँकि, महाराष्ट्र के वित्त विभाग के प्रमुख पवार इसमें शामिल नहीं हुए और उनका प्रतिनिधित्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने किया।
जीएसटी परिषद की बैठकों से पवार की अनुपस्थिति 2021 से चर्चा का विषय रही है। उन्होंने 2023 और 2024 में भी इसी तरह की बैठकों में भाग नहीं लिया था। पिछले साल, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने उनकी बार-बार अनुपस्थिति की आलोचना की थी।
बुधवार की बैठक के लिए कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया। पिछली बैठकों के लिए, उनके कार्यालय ने मुंबई में पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला दिया था। बुधवार को, पवार पुणे रवाना होने से पहले राज्य कैबिनेट की बैठक के लिए मुंबई में थे। इस बीच, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की सराहना करते हुए इसे नागरिकों पर कर का बोझ कम करने वाला कदम बताया।
फडणवीस ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता के कारण ही महाराष्ट्र जीएसटी में अग्रणी है और इसमें सबसे ज़्यादा योगदान देता है। ये सुधार बेहद ज़रूरी हैं। कुछ स्लैब हटा दिए गए हैं और आम नागरिक पर कर का बोझ कम किया गया है।”
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