अपराध
सरकारी अस्पतालों में पैसा लेकर कोटे से ऐडमिशन दिलाने का गोरखधंधा करने वाला आरोपी गिरफ्तार

सायन पुलिस ने सायन मेडिकल कॉलेज ऐंड रिसर्च सेंटर के 54 वर्षीय जिस डेप्युटी डीन राकेश रामनारायण वर्मा को पैसा लेकर मेडिकल कॉलेजों में ऐडमिशन दिलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है, वह सोमवार को करीब 6 महीने तक निलंबित रहने के बाद दोबारा असिस्टेंट डीन के पद पर नियुक्त होने वाला था। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राकेश वर्मा उत्तर भारत के एक छोटे से शहर का रहने वाला है और यहां वह डॉक्टर्स क्वार्टर में रहकर देशभर के नामचीन मेडिकल कॉलेजों में सरकारी और मैनेजमेंट कोटे से स्टूडेंट्स को ऐडमिशन दिलाने के नाम पर उनसे मोटी कमाई किया करता था। कहा यह भी जा रहा है कि राकेश वर्मा ऐडमिशन दिलाने के लिए जिस कॉलेज के नाम पर पैसा लेता था, हकीकत में वह उन कॉलेजों में कभी स्टूडेंट्स को ऐडमिशन दिला ही नहीं पाता था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, राकेश वर्मा की पहुंच ही ऐसी नहीं थी कि वह नामचीन कॉलेजों में ऐडमिशन दिला सके। वह एक ऐडमिशन रैकेट का सिर्फ मीडिएटर है। ऐडमिशन नहीं मिलने पर आरोपी वर्मा स्टूडेंट्स से बहाने बनाता था और ऐडमिशन हो जाने को आश्वासन देता रहता था। यह काम वह पिछले कई सालों से कर रहा है। बताया जा रहा है उसका मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने वाले एक बड़े गिरोह से मिली-भगत है। इस गिरोह के मुखिया को पुलिस तलाश रही है। राकेश वर्मा के खिलाफ पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं होने के चलते वह अब तक पुलिस की गिरफ्तारी से बचता आ रहा था। उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं कर रहा था। हालांकि, पुलिस को उसके निलंबन की जानकारी थी, लेकिन पुलिस उचित मौके की तलाश में थी, जो पिछले दिनों झारखंड निवासी राजीव पांडे (46) और मध्य प्रदेश निवासी अलीशा शेख (28) की शिकायत के बाद मिल गया। इन लोगों की शिकायत के बाद पुलिस ने डेप्युटी डीन समेत इस फर्जीवाड़ा ऐडमिशन गिरोह का पर्दाफाश किया है।
आरोपी डेप्युटी डीन राकेश वर्मा के खिलाफ एक छात्र ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता वर्षा गायकवाड से शिकायत की थी। इस शिकायत में कहा गया कि राकेश वर्मा ने छात्र से पैसा लेकर ऐडमिशन दिलाने का वादा किया और बाद में न तो पैसा लौटाया और न ही ऐडमिशन दिलाया। वर्षा गायकवाड ने सायन हॉस्पिटल प्रबंधन समिति से इसकी शिकायत की। अस्पताल की साख को देखते हुए समिति ने अंदरूनी विभागीय जांच की और राकेश वर्मा को दोषी मानते हुए उसे 6 महीने के लिए निलंबित कर दिया था। निलंबन की यह अवधि बीते रविवार को खत्म हो चुकी थी, जिसके बाद सोमवार को अस्पताल समिति राकेश वर्मा को दोबारा असिस्टेंट डीन के पद पर ड्यूटी करने का निर्देश दिया था।
सायन पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के अनुसार, कुछ दिन पहले सायन मेडिकल कॉलेज में भारी भरकम राशि लेकर अवैध रूप से ऐडमिशन दिलाने की शिकायत मिली थी। पहली शिकायत मध्यप्रदेश निवासी डॉक्टर अलीशा शेख (28) ने की थी, जबकि दूसरी शिकायत झारखंड निवासी राजीव पांडे (46) ने की थी। डॉ. अलीशा ने आरोप लगाया कि सायन मेडिकल कॉलेज ऐंड रिसर्च सेंटर में उनसे एम.डी कोर्स में ऐडमिशन लेने के लिए डेप्युटी डीन राकेश वर्मा ने 50 लाख रुपये की मांग की है। उनके पिता ने 21 लाख 10 हजार रुपये राकेश वर्मा के कॉर्पोरेशन बैंक में ट्रांसफर भी कर दिए हैं। वहीं, रमेश पांडे ने आरोप लगाया कि 4 लोगों ने उनके बेटे को
सायन अस्पताल में एमबीबीएस कोर्स में ऐडमिशन दिलाने के लिए कैश में 30 लाख रुपये और 1 लाख रुपये का डीडी लिया है। डॉ. अलीशा ने सायन पुलिस स्टेशन में ऐडमिशन दिलाने वाले डेप्युटी डीन राकेश वर्मा (54) और राजीव पांडे ने इसी आरोप में माधव यादव (26), विनय मिश्रा (28), सिद्दीकी अकबर (40) और राहुल सिंह (25) के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि इस मामले में कुछ और गिरफ्तारी होने की संभावना है।
शिक्षा विभाग ने मेडिकल कॉलेजों में एमडी कोर्स के लिए NEET (नीट) पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस एग्जाम को हजारों स्टूडेंट्स पास नहीं कर पाते हैं। इसलिए ऐसे स्टूडेंट्स को शिक्षा के दलाल और शिक्षा माफिया विभिन्न मेडिकल कालेजों के मैनेजमेंट कोटे से सीट यानी ऐडमिशन दिलाने का झांसा देकर उनसे लाखों रुपये ठगते हैं।
अपराध
महाराष्ट्र : शिरडी साईं बाबा संस्थान में 76 लाख का विद्युत घोटाला, 47 अधिकारियों-कर्मचारियों पर एफआईआर

शिरडी, 18 अक्टूबर: देशभर के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के सबसे बड़े केंद्र शिरडी के श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट में एक बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आया है। संस्थान के विद्युत विभाग में 76 लाख रुपए के विद्युत सामान के गबन का खुलासा लेखा परीक्षण (ऑडिट) के दौरान हुआ है। इस मामले में शिरडी पुलिस ने संस्थान के 47 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज किया है।
न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जांच में खुलासा हुआ कि यह बात एक साल पहले हुए ऑडिट में सामने आई थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया था। प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय बाबुताई काले ने न्याय के लिए औरंगाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की।
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, दिनांक 15 अक्टूबर को शिरडी पुलिस को सभी 47 आरोपियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद ही शिर्डी पुलिस ने मामला दर्ज करने की कार्रवाई पूरी की।
एक रिपोर्ट के अनुसार, विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर साजिश रची। उन्होंने अपने अधीनस्थ विद्युत सामग्री का सही पंजीकरण नहीं किया। कई कीमती वस्तुओं को जानबूझकर ‘डेड स्टॉक रजिस्टर’ में फर्जी तरीके से दर्ज कर दिया गया, जबकि हकीकत में वे सामग्री संस्थान से गायब थीं। इस तरह, अधिकारियों-कर्मचारियों ने संस्थान को करोड़ों का आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
पुलिस जांच में सामने आया है कि 39 आरोपियों ने अपनी जिम्मेदारी की राशि संस्थान को चुका दी है, लेकिन 8 आरोपी पर अभी भी बकाया हैं।
फरियादी संजय काले ने इस पूरे घोटाले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत हासिल किए थे। उनकी गहन छानबीन ने विद्युत विभाग में चल रही गैरव्यवस्था, फर्जी प्रविष्टियां और सामग्री की हेराफेरी का पूरा ब्यौरा सामने ला दिया। स्थानीय स्तर पर शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने पर उन्हें अंततः उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद, शिरडी पुलिस ने दस्तावेजों, ऑडिट रिपोर्टों और जवाबदेही की समीक्षा के लिए एक टीम का गठन किया है।
इस घटना ने ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों और उनकी निगरानी प्रणाली के लिए एक बड़ी चेतावनी जारी की है कि अब उन्हें आर्थिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कड़ाई से लेखापरीक्षण लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
अपराध
मुंबई अपराध: फर्जी BARC पहचान पत्र रखने के आरोप में वर्सोवा में 60 वर्षीय व्यक्ति गिरफ्तार

CRIME
मुंबई: मुंबई अपराध शाखा ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) से जुड़े फर्जी पहचान दस्तावेज रखने के आरोप में मुंबई के वर्सोवा इलाके से एक 60 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
अख्तर हुसैनी नामक इस व्यक्ति के पास से BARC के पहचान पत्र, जाली दस्तावेज और कई संदिग्ध कागजात मिले।
तलाशी के दौरान, अधिकारियों ने हुसैनी के कब्जे से नकली BARC पहचान पत्र, जाली दस्तावेज और कई संदिग्ध कागजात बरामद किए।
मुंबई अपराध शाखा के अनुसार, जालसाज फिलहाल हिरासत में है और फर्जी दस्तावेज बनाने के पीछे के मकसद का पता लगाने के लिए उससे पूछताछ की जा रही है।
यह पता लगाने के लिए आगे की जांच चल रही है कि क्या इसमें कोई बड़ा नेटवर्क या आपराधिक गतिविधि शामिल है।
एक दिन पहले एक अन्य मामले में, दिल्ली अपराध शाखा के साइबर सेल ने एक लक्षित ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसके परिणामस्वरूप 12 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और कई राज्यों में संचालित सुव्यवस्थित साइबर घोटाला सिंडिकेट को ध्वस्त किया गया।
यह ऑपरेशन एसीपी अनिल शर्मा की देखरेख में किया गया, जिसमें इंस्पेक्टर संदीप सिंह, इंस्पेक्टर अशोक कुमार, इंस्पेक्टर शिवराम और इंस्पेक्टर सुभाष के नेतृत्व वाली टीमें शामिल थीं।
पुलिस ने बताया कि पहले ऑपरेशन में, दिल्ली की अपराध शाखा की साइबर सेल ने तीन आरोपियों को सफलतापूर्वक गिरफ्तार किया और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश से संचालित एक डिजिटल गिरफ्तारी धोखाधड़ी मॉड्यूल को ध्वस्त किया।
5 जुलाई को धारा 308/318(4)/319/340 बीएनएस, पीएस साइबर साउथ, दिल्ली के तहत मामला एफआईआर, एक विस्तृत डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले के माध्यम से 42.49 लाख रुपये की धोखाधड़ी के लिए दर्ज किया गया था।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि जालसाजों ने पुलिस अधिकारी बनकर बुजुर्ग पीड़ित पर धन शोधन के मामले में संलिप्त होने का झूठा आरोप लगाया और भय तथा मनोवैज्ञानिक हेरफेर के माध्यम से उसे राजस्थान और मध्य प्रदेश में स्थित कई खातों में धन हस्तांतरित करने के लिए प्रेरित किया।
अपराध
मुंबई: फर्जी पुलिस बनकर दीपावली पर गरीबों के नाम पर ठगी, दो गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 18 अक्टूबर: मुंबई की सांताक्रूज पुलिस ने एक सामाजिक कार्यकर्ता को ठगने के आरोप में दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। ये दोनों दीपावली के दौरान गरीबों को उपहार और खाना बांटने का दावा कर रहे थे और इसके लिए फर्जी तरीके से चंदा जमा कर रहे थे।
सांताक्रूज इलाके में रहने वाले 67 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता आनंद जोशी ने पुलिस को सूचना दी कि उसके घर कुछ लोग नकली पुलिसकर्मी बनकर आए और चंदा लेकर गए थे।
उन्होंने अपनी पहचान एक पुलिस स्टेशन में होने की दी और कहा कि ये लोग दीपावली पर गरीब लोगों के लिए कपड़े और खाना बांटने के लिए पैसा ले रहे हैं। जो भी सहायता करना चाहे वह कर सकता है।
इसके साथ ही उन्होंने एक रजिस्टर भी दिखाया जिसमें पहले से कुछ लोगों के पैसे देने की बात लिखी थी। रजिस्टर देखकर सामाजिक कार्यकर्ता आनंद जोशी ने भी दो हजार रुपए दे दिए, जिसके बाद उन्हें उनकी हरकतों पर शक हुआ और मामले की जानकारी पुलिस को दी।
सूचना मिलते ही वरिष्ठ निरीक्षक योगेश शिंदे के नेतृत्व में पुलिस टीम पहुंची और मौके पर सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जालसाजों की पहचान की और कुछ ही घंटों में गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान मध्य प्रदेश निवासी दशरथ दीपनाथ व्यास (24) और राधेश्याम चौहान (38) के रूप में हुई है।
जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि आरोपी व्यास पर मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में भी धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से ठगी में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल और कपड़े भी जब्त कर लिए हैं।
पुलिस इन जालसाजों से पूछताछ कर इनके गिरोह का पता लगाने में लगी है कि अभी इनके साथ के कितने लोग शहर में घूम-घूम कर इस तरह का काम कर रहे हैं। इसके लिए पुलिस एक टीम का भी गठन कर रही है।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर इस तरह के कोई भी लोग किसी के पास आएं या दिखाई दें तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी जाए, जिससे इनको पकड़ा जा सके।
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