राजनीति
वैक्सीन की पहली खुराक लेने वाले हरियाणा के गृहमंत्री कोरोना पॉजिटिव
स्वेच्छा से कोविड-19 वैक्सीन का एक टेस्ट डोज लेने के कुछ दिनों बाद, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज शनिवार को कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए। विज ने ट्वीट किया कि वह जांच में कोरोनावायरस पॉजिटिव निकले हैं और यहां से लगभग 50 किलोमीटर दूर अंबाला छावनी के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती हैं।
20 नवंबर को विज को एक स्वयंसेवक (वॉलंटियर) के तौर पर भारत बायोटेक के टीके ‘कोवैक्सीन’ की एक डोज दी गई थी, जिसे उन्होंने स्वेच्छा से लिया था।
विज के अलावा इस ट्रायल में हरियाणा के 400 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था, जिनमें पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआईएमएस) रोहतक के कुलपति ओ. पी. कालरा भी शामिल थे।
पीजीआईएमएस में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर यूनिट विभाग के प्रमुख ध्रुव चौधरी ने कहा कि यह ज्ञात नहीं है कि विज को वैक्सीन दी गई या उन्हें प्लेसिबो दिया गया, क्योंकि कंप्यूटर द्वारा स्वयंसेवकों के लिए शॉट्स का चयन यादृच्छिक (रेंडमली) रूप से किया गया था।
शुक्रवार को हरियाणा सरकार की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए विज से मुलाकात की थी।
इसके अलावा योगगुरु बाबा रामदेव ने भी एक दिसंबर को चंडीगढ़ में विज से मुलाकात की थी।
हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने कहा कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन की प्रभावकारिता को दूसरी खुराक के 14 दिनों बाद ही निर्धारित किया जा सकता है।
विज के संक्रमित होने पर मचे बवाल के बाद भारत बायोटेक ने बयान जारी कर सफाई दी है।
भारत बायोटेक ने कहा कि कोवैक्सिन को दो डोज के लिए ही डिजाइन किया गया है और इसके 14 दिन के बाद ही ये प्रभावकारी होगी। कंपनी ने बताया कि कोवैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल दो खुराक पर आधारित है, जो 28 दिनों में दिया जाना है। वैक्सीन कितना प्रभावी है, ये दोनों खुराक के 14 दिन के बाद ही पता लगेगा। कंपनी ने कहा कि तीसरे चरण के ट्रायल डबल-ब्लाइंड और रैंडमाइज्ड होते हैं, जिसमें ट्रायल में भाग लेने वाले 50 प्रतिशत लोग टीका प्राप्त करते हैं और 50 प्रतिशत प्लेसीबो प्राप्त करते हैं।
पिछले महीने कोवैक्सिन की एक खुराक लेने वाले हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि विज ने सिर्फ पहली खुराक ली थी, जबकि वैक्सीन दो-खुराक की है।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के कुछ तय दिनों के बाद ही किसी व्यक्ति में संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण होता है। चूंकि, यह दो खुराक वाली वैक्सीन है, मंत्री ने वैक्सीन की सिर्फ एक खुराक ली है।”
राजनीति
आठवें वेतन आयोग के गठन को मिली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली, 16 जनवरी। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। मंत्रिमंडल ने गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी साझा करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के मद्देनजर लिया गया है। आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं, लेकिन इसका कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है। हालांकि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसके लिए 2025 तक पर्याप्त समय दिया गया है। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 तक लागू होने की उम्मीद है।”
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को लाभ मिलेगा। केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन लंबे समय से आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग कर रहे थे। ये संगठन सरकार पर लगातार दबाव बना रहे थे। ताकि कर्मचारियों के वेतन संबंधी मुद्दों का समाधान हो सके। कई बार कर्मचारी यूनियनों ने केंद्र सरकार से इस विषय में स्थिति स्पष्ट करने की मांग भी की थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा 28 फरवरी 2014 को गठित सातवें वेतन आयोग ने 19 नवंबर 2015 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। इस समय सीमा के आधार पर आठवें वेतन आयोग के 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होने की उम्मीद की जा रही है।
आठवें केन्द्रीय वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशें स्वीकार होने पर लगभग 49 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों के वेतन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा और उन्हें इसका लाभ मिलेगा।
केंद्रीय वेतन आयोग का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिशों के लिए किया जाता है।
राष्ट्रीय समाचार
दिसंबर 2024 में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात में 35 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल
नई दिल्ली, 16 जनवरी। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 में भारत के ‘इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात’ में 35.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2023 के इसी महीने में 2.65 बिलियन डॉलर से बढ़कर दो साल के उच्चतम स्तर 3.58 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। यह उच्च मूल्य वाले भारतीय सामानों की विदेशी मांग में वृद्धि और घरेलू उत्पादन क्षमताओं में वृद्धि को दर्शाता है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, “दिसंबर 2024 में इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात पिछले 24 महीनों में अब तक का सबसे अधिक रहा है।”
केंद्र की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की सफलता से प्रेरित होकर देश में नई मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी सामने आने के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स सामान भारत के निर्यात बास्केट में सबसे तेजी से बढ़ने वाले सेगमेंट के रूप में उभरे हैं।
देश का इलेक्ट्रॉनिक निर्यात 2024-25 के अप्रैल-नवंबर में 27.4 प्रतिशत बढ़कर 22.5 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में इसी अवधि में यह 17.66 बिलियन डॉलर था।
उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने कहा है कि पिछले दो वर्षों में इस सेक्टर में निरंतर वृद्धि हुई है, क्योंकि भारत से अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात जनवरी-सितंबर 2023 के दौरान सालाना आधार पर दोगुना बढ़कर 6.6 बिलियन डॉलर हो गया है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान अब भारत के निर्यात सेक्टर में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में तीसरे स्थान पर आ गए हैं, जो पिछले साल छठे स्थान से इंजीनियरिंग उत्पादों और पेट्रोलियम के बाद अब तीसरे स्थान पर है। इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में स्मार्टफोन निर्यात में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, क्योंकि एप्पल और सैमसंग जैसी प्रमुख कंपनियां देश में उत्पादन का विस्तार कर रही हैं।
पीएलआई योजना और सरकार द्वारा तुरंत मंजूरी एक बड़ी सफलता साबित हो रही है क्योंकि वैश्विक दिग्गज अल्टरनेटिव सप्लाई चेन स्थापित करने के लिए अलग-थलग पड़े चीन से आगे बढ़कर देख रहे हैं।
भारत में एप्पल के प्रवेश ने इस वर्ष स्मार्टफोन निर्यात को बढ़ावा दिया है। उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर मॉड्यूल, डेस्कटॉप और राउटर के निर्यात में भी शानदार वृद्धि दर्ज की गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षमताएं स्थापित होने के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में और तेजी आने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में गुजरात के साणंद में 3,307 करोड़ रुपये के निवेश से सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के लिए केनेस सेमीकॉन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
यह भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के तहत स्वीकृत की जाने वाली पांचवीं सेमीकंडक्टर यूनिट है और साणंद में स्थापित होने वाली दूसरी इकाई है।
अपराध
कोलकाता : मां को चढ़ाई गई थी एक्सपायर्ड सेलाइन , नवजात ने तोड़ा दम
कोलकाता, 16 जनवरी। सरकारी मेदनीपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एमएमसीएच) में पिछले हफ्ते कथित तौर पर एक्सपायर्ड रिंगर लैक्टेट दिए जाने के बाद बीमार पड़ी पांच में से एक महिला की नवजात की गुरुवार को मौत हो गई।
पिछले सप्ताह पांच महिलाओं में से एक, मामोनी रुइदास, की उसी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।
गुरुवार को अन्य चार जीवित महिलाओं में से एक, रेखा शॉ, की नवजात की कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई।
चार में से तीन महिलाओं की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें कि जन्म के तुरंत बाद बच्चे को भी उसी अस्पताल में रखा गया था।
रेखा की सास, पुष्पा शॉ, ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा, “हमें बच्चे को जन्म के बाद सिर्फ एक बार दिखाया गया था और तब से उसे अलग-थलग रखा गया था। अब हमें बताया गया है कि बच्चे की मौत हो गई है।”
बुधवार को, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मांग की कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) जैसी केंद्रीय एजेंसियों को मामले की चल रही जांच में शामिल किया जाए।
बता दें कि पिछले हफ्ते, पश्चिम मेदिनापुर जिले के उक्त सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर्ड रिंगर लैक्टेट दिए जाने के बाद पांच महिलाएं बीमार पड़ गई थीं, जिसमें से रुइदास की पिछले शुक्रवार को मौत हो गई थी। वहीं अन्य चार को उसी अस्पताल में रखा गया था। हालांकि, बाद में हालत बिगड़ने के बाद उन्हें कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ले जाया गया।
इस घटना ने गंभीर चिंताएं पैदा कर दीं। एक्सपायर्ड आरएल सलाइन कथित तौर पर पश्चिम बंगाल फार्मास्युटिकल लिमिटेड से आई थी, जो पहले से ही कर्नाटक सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रतिबंधित थी।
सबसे पहले, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक-सह-उप-प्रिंसिपलों और जिलों के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कंपाउंड सोडियम लैक्टेट इंजेक्शन (आरएल) के मौजूदा स्टॉक को पूरी तरह से रोक दें।”
बाद में, राज्य सरकार ने राज्य की सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थाओं से उक्त कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई सभी दवाओं के स्टॉक को हटाने का भी निर्देश दिया।
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