खेल
रोहित शर्मा की चोट : बीसीसीआई में पारदर्शिता में कमी हुई जाहिर

रोहित शर्मा के मुंबई इंडियंस की तरफ से आईपीएल-13 में मंगलवार को सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ खेलने के बाद से उनकी मांसपेशियों में चोट वाला विवाद काफी बढ़ गया है। इसी चोट के कारण ही कुछ दिन पहले चयन समिति ने उन्हें आस्ट्रेलियाई दौरे पर किसी भी टीम में नहीं चुना।
न ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस बात पर सफाई दी कि क्यों शर्मा को आस्ट्रेलियाई दौर पर टी-20, वनडे और टेस्ट में से एक में भी जगह नहीं मिली और न ही चयन समिति के अध्यक्ष ने इस बात पर किसी तरह की जानकारी दी। आस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम की घोषणा एक प्रेस विज्ञिप्ति के जरिए दी गई थी। टीम चयन को लेकर बीसीसीआई के किसी भी अधिकारी ने मीडिया से किसी तरह की बातचीत भी नहीं की है।
बीसीसीआई ने 26 अक्टूबर को बयान जारी कर टीम की घोषणा की थी और रोहित तथा ईशांत शर्मा की चोट के बारे में सिर्फ इतना कहा था, “बीसीसीआई की मेडिकल टीम रोहित शर्मा और ईशांत शर्मा की स्थिति पर नजर रख रही है।”
इस बयान में ‘चोट’ शब्द का भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
बीसीसीआई में यहा पारदर्शिता की साफ कमी और आईपीएल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस के साथ उनके कप्तान को लेकर बातचीत की कमी भी ने सभी लोगों को हैरान किया। साफ तौर पर यह कुछ छूटा हुआ सा है।
शर्मा ने मंगलवार को हैदराबाद के साथ हुए मैच के बाद कहा था कि उनकी मांसपेशियों की चोट बिल्कुल ठीक है और वह फिट हैं।
शर्मा ने कहा था, “मैं यहां कुछ और मैच खेलने को तैयार हूं। देखते हैं, क्या होता है। यह (मांसपेशियों की चोट) बिल्कुल ठीक है।”
यह बयान उस दिन आया, जब बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने मीडिया के एक धड़े से कहा कि रोहित को आस्ट्रेलियाई दौरे के लिए इसलिए नहीं चुना गया, क्योंकि वे फिट नहीं हैं।
मौजूदा चयन समिति कहती है कि वह बीसीसीआई की मेडिकल टीम की रिपोर्ट के मुताबिक काम करेगी। रिपोर्ट कहती है कि शर्मा चोटिल हैं और उनका ध्यान रखा जा रहा है। उनके लिए और बीसीसीआई के लिए वह तब तक अनफिट हैं, जब तक वह अपनी फिटनेस साबित नहीं कर देते।
चयन समिति के करीबी सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “रोहित फिट नहीं हैं। हो सकता है कि वह खेलकर यह साबित करना चाहते हों कि वह फिट हैं। इसमें परेशानी क्या है? गांगुली ने कहा कि उन्हें (चयनकर्ताओं द्वारा) नजरअंदाज इसलिए किया गया, क्योंकि वह फिट नहीं हैं। गेंद मुंबई इंडियंस के पाले में है। उन्हें पता लगाना है कि क्या वह खेलने के लिए फिट हैं। अगर वह अपनी फिटनेस साबित कर देते हैं और हमें रिपोर्ट मिल जाती है तो हम उन्हें टीम में चुन लेंगे।”
समस्या यह है कि शर्मा की चोट मुंबई इंडियंस की तरफ से कभी गंभीर नहीं लगी।
गांगुली और चयनकर्ता यह कह रहे हैं कि रोहित चोटिल हैं और उन पर नजर रखी जा रही है, वहीं मुंबई इंडियंस ने शुरुआत से यह साफ किया है कि उनकी चोट ज्यादा गंभीर नहीं थी और उन्हें मांसपेशियों में थोड़ी सी परेशानी हुई थी।
मुंबई इंडियंस ने कहा कि रोहित बल्लेबाजी करने के लिए फिट थे, लेकिन वह अपनी मैच फिटनेस को लेकर आश्वास्त नहीं थे। अपनी मैच फिटनेस को रोहित ने मंगलवार को साबित किया और रोहित के जो आराम का समय था वह सावधानी बरतने के लिए था, क्योंकि आईपीएल सीजन काफी लंबा है।
फ्रेंचाइजी ने साफ कर दिया था कि रोहित को ग्रेड-2 की चोट नहीं है, जिससे ठीक होने को लिए सप्ताह लगते हैं।
रोहित ने मंगलवार को हैदराबाद के खिलाफ कुछ करीबी सिंगल ले अपनी मैच फिटनेस साबित की और मैदान पर टीम की कप्तानी करते हुए भी सही नजर आए।
अगर चोट गंभीर नहीं है तो चयन समिति रोहित को आस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुन सकती थी।
इससे दो बातें ही लगती हैं कि या तो बीसीसीआई फ्रेंचाइजी के संपर्क में नहीं थी या फिर उन्होंने रोहित को छोड़ लोकेश राहुल को उप-कप्तान बनाने का मन बना लिया था।
चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष एमएसके प्रसाद ने हालांकि इस मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, “क्या होता है कि रिपोर्ट रखी जाती है। फिर सवाल किया जाता है कि क्या वह उपलब्ध रहेंगे और नहीं तो वह कब तक उपलब्ध हो पाएंगे? इन चीजों पर बात की जाती है। मुझे नहीं लगता कि चयन समिति ने कुछ गलत किया है। बीसीसीआई ने पूरी तरह से उन्हें (रोहित और ईशांत) को बाहर नहीं रखा है। उनकी फिटनेस पर बीसीसीआई की मेडिकल टीम नजर रखे हुए है। शर्मा की तरफ से भी कुछ गलत नहीं है। वह अभ्यास कर रहे हैं और अपने आप को फिट रख रहे हैं।”
पूर्व भारतीय विकेटकीपर ने कहा, “यह टैगलाइन है कि बीसीसीआई शर्मा और ईशांत की स्थिति पर नजर रख रही है। बीसीसीआई ने साफ तौर पर यह बता दिया है। हम भी यही करते थे। फिटनेस से हमें लेना देना होता है, सिर्फ कहने का तरीका अलग है।”
राजनीति
आतंकवाद को बख्शा नहीं जाएगा, तिरंगा रैली देश की शान : सतपाल शर्मा

जम्मू, 21 मई। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के हालिया बयानों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को जुबानी हमला किया। जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष सतपाल शर्मा ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्षी नेताओं पर हमला बोला।
सतपाल शर्मा ने मंगलवार को मिडिया से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती के हालिया बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ उन 26 निर्दोष नागरिकों की शहादत का जवाब है, जिन्हें 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने धर्म पूछकर मार डाला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जो भी इस हमले के पीछे होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कोई व्यक्ति हो या कोई देश। थल सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर उसके लॉन्चिंग पैड तबाह कर दिए। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यह कार्रवाई एक सशक्त संदेश है कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का झुकाव उग्रवादियों के प्रति आज भी बना हुआ है। वे ऐसे बयान देते हैं जिससे आतंकवादियों का मनोबल बढ़ता है, लेकिन देश की सेना ने यह दिखा दिया है कि हमलावरों को छोड़ा नहीं जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की टिप्पणी पर जवाब देते हुए सतपाल शर्मा ने कहा कि ऐसे समय में जब देशभर में तिरंगा रैलियों के जरिए भारतीय सेना और वायुसेना का सम्मान हो रहा है, खड़गे का बयान निराशाजनक है। चूक हो सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री ने पुलवामा हमले के बाद भी यही कहा था कि हमारे जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। पाकिस्तान को उसी की जमीन पर जाकर करारा जवाब दिया गया।
शर्मा ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान भारत में धार्मिक विभाजन फैलाने की साजिश रच रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म पूछकर की गई हत्याएं और उसके बाद की पाकिस्तान समर्थित गतिविधियां इसी दिशा में इशारा करती हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि विपक्ष ऐसे संवेदनशील समय में भी पाकिस्तान की साजिशों पर चुप रहता है।
तिरंगा रैली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सतपाल शर्मा ने कहा कि यह किसी राजनीतिक दल की पहल नहीं, बल्कि आम नागरिकों का देश प्रेम है। यह हमारा प्रथम कर्तव्य है कि जब तिरंगा रैली निकाली जाए, तो उसमें हम सब शामिल हों। मेरा विपक्ष के नेताओं से भी निवेदन है कि वे इस राष्ट्रीय प्रतीक के सम्मान में हिस्सा लें। तिरंगा हमारे देश की आन, बान और शान है, इसके लिए न जाने कितने वीर सैनिकों ने अपनी जान कुर्बान की है।
राजनीति
भाजपा का तंज, ‘राहुल बोल रहे पाकिस्तान की भाषा’, ‘निशान-ए पाकिस्तान’ को लेकर पूछा चुभता सवाल

नई दिल्ली, 20 मई। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर कांग्रेस लगातार प्रश्न उठा रही है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष विदेश मंत्री एस जयशंकर की टिप्पणी को आधार बनाकर सवाल दाग रहे हैं तो कई नेता सबूत की तलाश कर रहे हैं। भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल के इस रवैए पर तंज कसा है। असम सरकार के मंत्री अशोक सिंघल के विवादित पोस्ट के बाद पार्टी की मीडिया सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने भी कुछ सवाल पूछे हैं।
अशोक सिंघल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने राहुल गांधी की तस्वीर को पाक आर्मी चीफ की तस्वीर के साथ जोड़कर शेयर किया। इस तस्वीर के आधे हिस्से में राहुल गांधी का चेहरा और आधे में पाकिस्तान आर्मी चीफ असीम मुनीर का चेहरा लगाया गया है। अशोक सिंघल ने अपने पोस्ट में लिखा, “सीमाओं से अलग एजेंडे पर एक।”
वहीं, भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने भी मंगलवार को सिलसिलेवार तरीके से एक्स पर कुछ पोस्ट डाले। एक कार्टून पोस्ट किया जिसमें पाक जनरल की पीठ पर खड़े होकर एक शख्स सरहद के पार देख गिराए गए रफेल की जानकारी मांग रहा है। इसके साथ ही मालवीय ने एक दूसरी पोस्ट में सिंघल वाली तस्वीर साझा कर लिखा- यह आश्चर्य की बात नहीं है कि राहुल गांधी पाकिस्तान और उसके हितैषियों की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए बधाई नहीं दी, जो स्पष्ट रूप से भारत के प्रभुत्व को दर्शाता है। इसके बजाय, वे बार-बार पूछते हैं कि हमने कितने जेट खो दिए- एक सवाल जिसका जवाब पहले ही डीजीएमओ ब्रीफिंग में दे चुके हैं। मजे की बात यह है कि उन्होंने एक बार भी यह नहीं पूछा कि संघर्ष के दौरान कितने पाकिस्तानी जेट मार गिराए गए, या भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी एयरबेस पर बमबारी के दौरान कितने विमान अपने हैंगर में खड़े रहते हुए नष्ट हो गए।
इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस से चुभता सवाल पूछा कि क्या अब ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ राहुल गांधी को दिया जाएगा?
दरअसल, कांग्रेस ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लगातार सवाल उठा रही है। हाल ही में सांसद राहुल गांधी ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के उस बयान को लेकर सवाल पूछे थे जिसमें विदेश मंत्री यह कह रहे हैं कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के तहत होने वाली एयर स्ट्राइक के बारे में पाकिस्तान को सूचना दी थी। हालांकि, राहुल के इन दावों पर 18 मई को विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयान को लेकर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के दावों का खंडन किया।
कांग्रेस नेता ने एक्स पोस्ट पर भी अपनी बात रखी। इसके जवाब में भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने एक वीडियो पोस्ट किया था। राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा, ‘राहुल गांधी की मूर्खता महज आकस्मिक नहीं है, यह भयावह है। वह पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं।’ मालवीय ने भारत के सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई के एक बयान का वीडियो साझा किया। इसके साथ कहा कि वह भारत के लाभ और विपक्ष के नेता की मंशा को उजागर करने के लिए घई के 11 मई के बयान को दोबारा पोस्ट कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय
अवामी लीग समर्थकों ने संयुक्त राष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किया, पार्टी से प्रतिबंध हटाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र, 20 मई। बांग्लादेश में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में उसके समर्थकों ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की कि संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित करे कि देश में लोकतंत्र फिर से कायम हो।
यूएसए अवामी लीग के अध्यक्ष सिद्दीक रहमान ने कहा, “मोहम्मद यूनुस की गैरकानूनी सरकार ने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि यह एक कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई पार्टी है।”
उन्होंने कहा कि अगर चुनाव संयुक्त राष्ट्र की मंशा के मुताबिक सभी को साथ लेकर कराए जाने हैं, तो अवामी लीग से प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए और उसे चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोकतंत्र बहाल हो।
रहमान ने कहा कि भले ही यूनुस को नोबेल पुरस्कार मिला हो, लेकिन अब वह एक तानाशाह बन गए हैं। वह बिना चुनाव के सरकार चला रहे हैं और उन्होंने एक चुनी हुई वैध सरकार को हटा दिया है।
विरोध प्रदर्शन में बोलने वालों ने कहा कि अमेरिका को बांग्लादेश में लोकतंत्र फिर से बहाल करने की मांग करनी चाहिए।
यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पिछले सप्ताह बांग्लादेश चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण रद्द कर दिया, जिससे वह चुनाव में भाग लेने के लिए अयोग्य हो गई।
बांग्लादेश ने चुनाव की तारीख तय नहीं की है।
विरोध प्रदर्शन के आयोजक प्रदीप कर ने कहा कि उन्होंने अपनी मांगों के साथ संयुक्त राष्ट्र को एक पत्र सौंपा है।
उन्होंने कहा कि शेख हसीना ‘वैध प्रधानमंत्री हैं’, जबकि यूनुस ने “जमात-ए-इस्लामी और आतंकवादियों” की मदद से सत्ता हासिल की है।
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