राजनीति
माफियाओं की जमीन पर गरीबों के लिए घर बनाएगी सरकार : योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के माफियाओं से खाली कराई जा रही जमीन पर सरकार गरीबों के लिए घर बनाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को देवरिया की जनसभा से गरीबों के लिए ये बड़ा एलान किया। शनिवार को देवरिया और मल्हनी विधान सभा क्षेत्र की जनसभा के मंच से मुख्यमंत्री योगी ने सपा और बसपा पर भी जमकर हमला बोला।
योगी ने कहा, “अवैध तरीके से जुटाई गई माफियाओं की हर संपत्ति सरकार जब्त करेगी। व्यापारियों और उद्यमियों की जिन जमीनों पर पिछली सरकारों के समर्थन से गुंडों ने कब्जा कर लिया था, उसे मुक्त कराने के बाद व्यापारियों, उद्यमियों को वापस किया जाएगा । गुंडों के कब्जे से मुक्त कराई जा रही शेष जमीनों पर सरकार उन गरीबों के लिए आवास बनाएगी, जिनके पास रहने के लिए घर नहीं है। समाजवादी पार्टी प्रदेश में दंगे और अराजकता कराने के लिए गुंडों की नई श्रृंखला तैयार कर रही है, लेकिन भाजपा की सरकार में ऐसा संभव नहीं है।”
उन्होंने कहा, “दंगे की साजिश रचने वालों को जेल भेजेंगे। गुंडों और दंगाइयों के लिए उत्तर प्रदेश में कोई जगह नहीं है।”
योगी ने जनसभा के मंच से लव जेहाद पर भी चेतावनी दी । शादी के लिए धर्म बदलने को गलत ठहराने के हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “लव जेहाद नहीं चलने देंगे। लव जेहाद पर सरकार बहुत जल्द नया और प्रभावी कानून बनाने जा रही है । छद्म नाम और वेष बदल कर बेटियों के साथ छल करने वालों से सख्ती से निपटेंगे।”
योगी ने कहा, “सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए परिवार और पार्टी ही देश और समाज है। कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने जनता की सेवा की। दूसरे राज्यों में संघर्ष कर रहे मजदूरों को घर तक पहुंचाने का काम किया। उनके भोजन की व्यवस्था की। सभी वर्गों को भरण पोषण भत्ता दिया गया।”
उन्होंने कहा, “सरकार की योजनाओं का लाभ देश के गरीब, किसान, नौजवान और महिलाओं तक पहुंचाने का काम किया, लेकिन तुष्टिकरण नहीं किया। प्रदेश में निवेश का माहौल बनाया। अब बड़ी संख्या में कंपनियां आ रही हैं। लोगों को रोजगार और व्यापार मिल रहा है। सपा,बसपा अपने लिए जी रहे थे। सपा की सहानुभूति माफियाओं के साथ है और हमारी सहानुभूति जनता से। इसी लिए, हम गुंडों की संपत्ति पर बुलडोजर चलवा रहे हैं।”
योगी ने कहा, “अपराधियों से सहानुभूति रखने वाली पार्टियों को समर्थन नहीं मिलना चाहिए। सपा गुंडों की नई श्रृंखला बना रही है, ताकि दंगे कराए जा सकें, लेकिन सरकार ऐसा नहीं होने देगी। राज्य सरकार मिशन शक्ति के जरिये बेटियों के अपराधियों को जेल भेजने के साथ ही उनके पोस्टर चौराहों पर लगा रही है।”
राष्ट्रीय समाचार
सार्वजनिक स्थानों और हाईवे से आवारा पशुओं को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देश

suprim court
नई दिल्ली, 7 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आवारा कुत्तों के मामले में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे से बचाने और राजमार्गों से आवारा मवेशियों व अन्य जानवरों को हटाने के लिए कई निर्देश जारी किए।
देश भर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन मामले पर स्वतः संज्ञान मामले न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उचित बाड़ लगाई जाए।
न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थानीय नगर निकायों को ऐसे परिसरों की नियमित तौर पर निगरानी करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत अनिवार्य टीकाकरण और नसबंदी के बाद जानवरों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इन सार्वजनिक स्थानों से हटाए गए कुत्तों को उसी स्थान पर वापस नहीं लाया जाना चाहिए। साथ ही, कोर्ट ने समय-समय पर निरीक्षण करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजमार्गों से आवारा पशुओं और अन्य जानवरों को तुरंत हटाने का भी आदेश दिया। पीठ ने कहा कि ऐसे जानवरों को बिना किसी देरी के निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए।
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया, “सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। अन्यथा, अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।” साथ ही, निर्देशों को लागू करने के लिए अपनाई गई व्यवस्थाओं के लिए आठ हफ़्तों के अंदर अनुपालन स्थिति रिपोर्ट (कंप्लायंस स्टेटस रिपोर्ट) मांगी।
इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने एबीसी नियमों के क्रियान्वयन में खामियों को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रति नाराजगी व्यक्त की थी। न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है। पीठ इस बात पर जोर दे रही है कि आवारा पशुओं से जुड़ी कई घटनाएं न केवल जन सुरक्षा से समझौता करती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को भी खराब करती हैं।
पीठ ने टिप्पणी की, “लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी खराब होती है। हम समाचार रिपोर्ट भी पढ़ रहे हैं।”
महाराष्ट्र
‘जीवन का कोई मूल्य नहीं है’: मुंबई में मोटरमैन हड़ताल के कारण ट्रेनें देरी से चल रही हैं, यात्री जान जोखिम में डालते हुए देखे गए

मुंबई: मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेन नेटवर्क गुरुवार शाम अचानक ठप हो गई जब मोटरमैनों ने अघोषित हड़ताल शुरू कर दी, जिससे लाखों यात्री अफरा-तफरी में फंस गए। व्यस्त समय में हुए इस विरोध प्रदर्शन के कारण भारी भीड़भाड़, खतरनाक यात्रा हालात और कम से कम चार लोगों की मौत की खबर है।
यह हड़ताल तब शुरू हुई जब राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने पिछले सप्ताह मुंब्रा दुर्घटना के लिए जिम्मेदार कथित लापरवाही के लिए मध्य रेलवे के दो इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
रेलवे यूनियनों ने दावा किया कि इंजीनियरों को गलत तरीके से निशाना बनाया गया, जबकि अधिकारियों का कहना था कि एफआईआर जाँच प्रक्रिया का हिस्सा है। हालाँकि, अचानक हुए बंद से यात्रियों में व्यापक आक्रोश फैल गया, जिन्होंने रेलवे कर्मचारियों पर शहर को बंधक बनाने का आरोप लगाया।
“रेलवे कर्मचारियों ने व्यस्त समय में मुंबई लोकल न चलाकर शहर को बंधक बनाने का फैसला किया, जिससे दो लोगों की मौत हो गई। यह अपनी बात साबित करने का कोई तरीका नहीं है,” एक्स पर यात्री जीत मशरू ने कहा। एक अन्य यूजर गणेश ने पोस्ट किया, “तो फिर आधी रात को हड़ताल की घोषणा करो और मंत्रालय के सामने विरोध प्रदर्शन करो, लेकिन आम आदमी की ज़िंदगी बर्बाद मत करो। यह उन कामकाजी महिलाओं के लिए नर्क है जिनके बच्चे अपनी माँ के लिए रोते हैं।”
ज़मीनी हालात बेहद खराब थे। सीएसएमटी, दादर, कुर्ला और ठाणे स्टेशनों पर स्थानीय लोगों ने बताया कि ट्रेनें एक घंटे से ज़्यादा समय तक रुकी रहीं और अफरा-तफरी मच गई। कई यात्री नीचे उतर गए और घर पहुँचने के लिए रेल की पटरियों पर पैदल चलने लगे। एक अन्य एक्स यूज़र ने लिखा, “मेरी ट्रेन स्टेशन से ठीक पहले रुकी। मैंने 20 मिनट तक इंतज़ार किया और फिर पूरे प्लेटफ़ॉर्म पर पैदल चला।”
ठाणे और कल्याण में, बेताब यात्री एसी लोकल ट्रेन के दरवाज़े खुले रखकर उसमें सवार हो गए, जो एक जोखिम भरा कदम था और शहर में घर पहुँचने की बेचैनी को दर्शाता था। इस बीच, मुंबई मेट्रो भी हड़ताल का सबसे ज़्यादा शिकार हुई, जहाँ प्लेटफ़ॉर्म खचाखच भरे हुए थे और दफ़्तर जाने वालों ने इसे ही एकमात्र विकल्प मान लिया।
एक यूज़र ने पोस्ट किया, “इस देश में अब ज़िंदगी की कोई क़ीमत नहीं रही। यह जानते हुए कि लोकल ट्रेनें मुंबई की जीवनरेखा हैं, अघोषित हड़ताल करना अपराध है।”
जहाँ कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन का बचाव करते हुए एफआईआर को “प्रतिशोधात्मक” बताया, वहीं ज़्यादातर मुंबईकर दुःख और गुस्से में एकजुट थे। देर रात तक, सेवाएँ धीरे-धीरे बहाल हो गईं।
राष्ट्रीय समाचार
भारत के ‘मिशन मून’ का वह ऐतिहासिक दिन, जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ ‘चंद्रयान’

नई दिल्ली, 7 नवंबर: अंतरिक्ष सिर्फ एक मंजिल नहीं है। यह जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति का उद्घोष है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा इसी जज्बे को दर्शाती है। 1963 में एक छोटा रॉकेट लॉन्च करने से लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने तक, भारत की यह यात्रा बेहद शानदार रही है। इन ऐतिहासिक उपलब्धियों में ‘चंद्रयान मिशन’ बेहद अहम है, जिसने दुनिया को बताया कि चांद पर पानी है।
इसरो ने लगभग 17 साल पहले चंद्रयान-1 को जब श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से छोड़ा था तो सिर्फ करोड़ों भारतवासी गर्व नहीं कर रहे थे, बल्कि पूरी दुनिया एक नई उम्मीद की निगाहों से देख रही थी। उम्मीद एक ऐसे ग्रह को तलाशने की, जहां हवा-पानी हो और इंसानों की नई दुनिया को बसाया जा सके।
इसी खोज में भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रमा की ओर अपनी पहली उड़ान भरी थी। चंद्रयान-1, चंद्रमा की परिक्रमा करने और सतह पर एक प्रभावक (इम्पैक्टर) भेजने के लिए लॉन्च किया गया था। वैज्ञानिक लक्ष्यों में चंद्रमा के रासायनिक, खनिज और फोटो-भूवैज्ञानिक मैपिंग का अध्ययन शामिल था।
चंद्रयान-1 को 17.9 डिग्री झुकाव पर पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा गया और फिर इसके इंजन को कई बार चलाकर इसे धीरे-धीरे ऊंची कक्षा में पहुंचाया गया।
चंद्रमा की ओर बढ़ते कदम भारत के लिए एक नई गाथा लिख रहे थे। इस सफर का सबसे अहम दिन 8 नवंबर 2008 था, जब धरती से भेजा गया चंद्रयान एक ग्रह से दूसरे ग्रह के परिवेश में प्रवेश कर रहा था। कई महत्वपूर्ण मिशन प्रक्रियाओं और प्रचालनों के माध्यम से चंद्रयान-1 को 8 नवंबर को शाम 5:05 बजे चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया।
8 नवंबर और 12 नवंबर के बीच चंद्रयान-1 की कक्षा धीरे-धीरे कम की गई, जिससे आखिर में यह चंद्र सतह से लगभग 62 मील (100 किलोमीटर) ऊपर अपनी परिचालन ध्रुवीय कक्षा में पहुंच गया।
14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने एक छोटा यान मून इम्पैक्ट प्रोब छोड़ा। यह भारत का पहला उपकरण था, जिसने चंद्र सतह पर उतरने का प्रयास किया। इसी प्रोब से मिले आंकड़ों से चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के शुरुआती संकेत मिले थे।
मिशन के कुछ महीनों बाद अंतरिक्ष यान को अत्यधिक हीट की समस्या का सामना करना पड़ा। तापमान नियंत्रित रखने के लिए इसकी कक्षा को 200 किलोमीटर ऊंचाई पर कर दिया गया। बाद में इसके स्टार सेंसर (जो दिशा तय करते हैं) खराब हो गए, लेकिन वैज्ञानिकों ने जाइरोस्कोप की मदद से मिशन जारी रखा।
लगभग दस महीने के सफल संचालन के बाद 28 अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया। यह अपने दो साल के निर्धारित मिशन अवधि से पहले ही समाप्त हो गया, लेकिन इसरो ने बताया कि तब तक 95 प्रतिशत मिशन लक्ष्य पूरे हो चुके थे।
चंद्रयान-1 की सबसे बड़ी उपलब्धि रही चंद्रमा पर पानी का पता लगाना। इस ऐतिहासिक मिशन ने भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल किया, जिन्होंने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में उपग्रह भेजे।
चंद्रयान-1 ने न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को विश्व स्तर पर साबित किया, बल्कि चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे आगे के अभियानों की राह भी तैयार की।
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