राजनीति
दिल्ली : पौधे लगाने वाली एजेंसियों को जिंदा रखने होंगे कम से कम 80 फीसदी पौधे
दिल्ली की ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी के अंतर्गत पौधे लगाने वाली एजेंसियों को, लगाए गए पौधों में से कम से कम 80 प्रतिशत को बचाना होगा। पर्यावरण मंत्रालय की पॉलिसी में यह प्रावधान है कि जो एजेंसी ट्री ट्रांसप्लांटेशन कर रही है, अगर वह 80 प्रतिशत पेड़ों का रखरखाव नहीं कर पा रही है, तो उसका भुगतान रोक दिया जाएगा। यह बात बुधवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कही। दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे धूल प्रदूषण विरोधी अभियान के तहत बुधवार को पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने चांदनी चौक में चल रहे पुनर्निमाण कार्य का औचक निरीक्षण किया। पर्यावरण मंत्री ने निर्माण साइट पर दिल्ली सरकार द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों का पालन होता पाया।
धूल के प्रदूषण को रोकने के लिए मौके पर पानी के चार टैंकर लगे पाए गए। गोपाल राय ने कहा, “प्रदूषण का मसला किसी एजेंसी का नहीं है, बल्कि यह मसला लोगों की जिंदगी का है। किसी भी तरह से हो रहे प्रदूषण को रोकना होगा और सभी एजेंसियों को मिलकर प्रदूषण के विरूद्ध लड़ाई लड़नी पड़ेगी। कोई यह कह कर अपनी जिम्मेदरी से नहीं बच सकता कि यह दूसरे विभाग का काम है। सरकार ने पहले ही निर्माण कार्यों के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।”
उन्होंने सभी विभागों और लोगों से अपील की कि वे इन दिशा-निर्देंशों का पालन करें और प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान दें।
उन्होंने ने कहा, “हमारे पास पिछले कई दिनों से यहां की शिकायत आ रही थी कि यहां पर दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर निर्माण कार्य चल रहा है। इस शिकायत पर हम यहां पर औचक निरीक्षण करने आए हैं।”
उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान हमने मौके पर पाया कि निर्माण साइट पर अभी तक सारे मानदंड का पालन किया जा रहा है। यहां के अधिकारी बता रहे हैं कि धूल उड़ने से रोकने के लिए यहां पर पानी के चार टैंकर लगाए गए हैं और पानी का लगातार छिड़काव किया जा रहा है।
चांदनी चौक के इस निर्माण स्थल पर रात में मलबा लाकर डाल देते हैं, इसलिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि यहां पर जो भी मलबा पड़ रहा है, उसको पीडब्ल्यूडी, एमसीडी के साथ मिलकर साफ करे, क्योंकि इसकी पहरेदारी कोई नहीं कर सकता है।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “अधिकारियों को निर्माण साइट पर सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि यहां पर घनी आबादी है। इसलिए यहां पर किसी तरह की लापरवाही पाई जाएगी, तो कार्रवाई की जाएगी।
एक सवाल का जवाब देते हुए राय ने कहा कि निर्माण साइट पर पानी का छिड़काव हमारे निरीक्षण के चलते हो रहा है, तो हम इसकी अलग से भी जांच कराएंगे। उन्होंने बताया कि इस इलाके में मोटर व्हीकल्स पर संभवत प्रतिबंध है और अगर ई-रिक्शा चलने से धूल उड़ने की शिकायत है, तो उसकी हम जांच कराएंगे।
अपराध
दिल्ली साइबर पुलिस ने क्यूआर कोड फ्रॉड के मास्टरमाइंड को राजस्थान से गिरफ्तार किया

CRIME
नई दिल्ली, 23 दिसंबर: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल, नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट ने एक सनसनीखेज क्यूआर कोड फ्रॉड केस को सुलझाया है। आरोपी ने दुकानों के मूल क्यूआर कोड में छेड़छाड़ कर ग्राहकों के पेमेंट को अपने अकाउंट में डायवर्ट कर दिया था। पुलिस ने इंटर-स्टेट ऑपरेशन कर राजस्थान के जयपुर से 19 साल के आरोपी मनीष वर्मा को गिरफ्तार किया।
केस की शुरुआत 13 दिसंबर 2025 को हुई, जब एक शख्स चांदनी चौक की मशहूर कपड़े की दुकान पर 2.50 लाख रुपए का लहंगा खरीदने गया। उसने दुकान पर दिखाए QR कोड को स्कैन कर 90,000 और 50,000 रुपए के दो पेमेंट किए। लेकिन दुकान वाले ने कहा कि पैसे उनके ऑफिशियल अकाउंट में नहीं आए। स्क्रीनशॉट दिखाने के बावजूद दावा किया गया कि कोई पेमेंट नहीं हुआ। पीड़ित ने ऑनलाइन शिकायत की, जिस पर साइबर नॉर्थ पुलिस स्टेशन में बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत ई-एफआईआर दर्ज हुई।
जांच डीसीपी नॉर्थ के निर्देशन, एसीपी ऑपरेशंस विदुषी कौशिक की लीडरशिप और एसएचओ साइबर नॉर्थ रोहित गहलोत के सुपरविजन में हुई। टीम ने दुकान का स्पॉट इंस्पेक्शन किया, बिलिंग प्रोसेस वेरिफाई की और स्टाफ के बयान लिए। यूपीआई ट्रांजेक्शन ट्रेल से पता चला कि पैसे एक अलग अकाउंट में गए, जो राजस्थान से ऑपरेट हो रहा था।
टेक्निकल एनालिसिस, बैंक रिकॉर्ड और डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर आरोपी की लोकेशन ट्रेस की गई। जयपुर के चाकसू इलाके में छापेमारी कर मनीष वर्मा को पकड़ा गया। पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसने एआई-बेस्ड इमेज एडिटिंग ऐप से मूल क्यूआर कोड में बदलाव कर मर्चेंट की डिटेल्स अपनी बदल दीं। फ्रॉड का आइडिया उसे साउथ इंडियन फिल्म ‘वेट्टैयान’ के एक सीन से मिला।
पुलिस ने उसके मोबाइल फोन जब्त किए, जिनमें 100 से ज्यादा एडिटेड क्यूआर कोड, चैट और फाइनेंशियल रिकॉर्ड मिले। ठगी की रकम उसके अकाउंट में ट्रेस हो गई। जांच से खुलासा हुआ कि आरोपी ने सिस्टमैटिक तरीके से कई दुकानों को टारगेट किया था। इससे अन्य पीड़ितों और ट्रांजेक्शनों की पहचान के लिए नई लाइन्स खुली हैं।
पर्यावरण
अरावली को बचाने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है : भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली, 23 दिसंबर: अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर उठ रहे सवालों और देशभर में चल रही चर्चाओं के बीच सरकार का पक्ष जानना अहम हो गया है। इसी संदर्भ में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने न्यूज एजेंसी मीडिया से विशेष बातचीत की और अरावली से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात स्पष्ट रूप से रखी। इस बातचीत में उन्होंने सरकार की मंशा, नीतिगत सोच और पर्यावरण संरक्षण को लेकर उठाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा की। प्रस्तुत हैं इस खास बातचीत के प्रमुख अंश।
सवाल: अरावली को बचाने की बात अब पूरे देश में हो रही है। क्या यह सिर्फ अरावली तक सीमित मुद्दा है?
जवाब: अरावली को बचाना केवल एक पहाड़ी श्रृंखला को बचाने का सवाल नहीं है। यह देश के पर्यावरण, जल सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन से जुड़ा विषय है। सरकार अरावली के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट फैसला भी आ चुका है। खनन के उद्देश्य से अरावली और अरावली पहाड़ियों की परिभाषा तय की गई है। सबसे अहम बात यह है कि अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगे। जब तक एक वैज्ञानिक और ठोस मैनेजमेंट प्लान नहीं बन जाता, तब तक किसी भी तरह के नए खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस योजना को तैयार करने की जिम्मेदारी आईसीएफआरई को सौंपी गई है।
सवाल: क्या सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में किसी तरह की छूट दी है?
जवाब: नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कोई छूट नहीं मिली है। कोर्ट ने दो अहम बातें कही हैं। पहली, पर्यावरण मंत्रालय के ‘ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट’ को मान्यता दी गई है। दूसरी, आईसीएफआरआई को यह जिम्मेदारी दी गई है कि जब तक पूरी वैज्ञानिक योजना नहीं बन जाती, तब तक कोई नया खनन नहीं होगा। इस योजना में अरावली पहाड़ियों और पूरे अरावली क्षेत्र की पहचान की जाएगी, उनकी इको-सेंसिटिविटी तय की जाएगी और उसके बाद ही आगे कोई निर्णय लिया जाएगा। यह फैसला अवैध खनन को रोकने और भविष्य में केवल सस्टेनेबल तरीके से खनन की अनुमति देने के लिए है।
सवाल: कहा जा रहा है कि पहली बार अरावली में 100 मीटर ऊंची पहाड़ियों तक खनन की अनुमति दी जाएगी। क्या यह सच है?
जवाब: यह बात पूरी तरह गलत तरीके से फैलाई जा रही है। 100 मीटर ऊंचाई की कोई अलग से अनुमति नहीं दी गई है। दरअसल, अरावली पहाड़ी की पहचान की जा रही है। यह ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर का सवाल नहीं है, बल्कि धरातल से जुड़े वैज्ञानिक मानकों का मामला है। अगर कोई पहाड़ी 200 मीटर ऊंची है, तो उसके आसपास का 500 मीटर का इलाका भी अरावली रेंज का हिस्सा माना जाएगा। जहां तक संरक्षित क्षेत्रों की बात है, वे पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। खेती योग्य भूमि का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा खनन क्षेत्र से बाहर रहेगा।
सवाल: इसे 100 मीटर के रूप में कैसे परिभाषित किया जाएगा, ऊपर से या नीचे से?
जवाब: इसे ऊपर या नीचे से नहीं, बल्कि उस जिले की भौगोलिक संरचना के आधार पर तय किया जाएगा। यानी सबसे निचले जमीनी स्तर से ऊपर तक की पूरी संरचना को ध्यान में रखकर परिभाषा तय होगी।
सवाल: सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण मंत्रालय का रुख क्या नया है या यह पहले से चला आ रहा है?
जवाब: अवैध खनन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एफएसआई, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और सीईसी के साथ मिलकर एक संयुक्त समिति बनाई थी। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी, जिसके आधार पर यह फैसला आया। यह कोई नया रुख नहीं है, बल्कि लंबे समय से चल रही प्रक्रिया का नतीजा है।
सवाल: कांग्रेस सरकार के समय अरावली में खनन की स्थिति क्या थी?
जवाब: उस समय बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा था। इसी वजह से लोग अदालत गए थे और यह याचिका भी उसी दौर की है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खनन को सतत, वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और सीमित तरीके से लागू किया जाएगा ताकि अरावली को बचाया जा सके।
सवाल: आपने 2018 में कहा था कि खनन की वजह से 31 पहाड़ पूरी तरह खत्म हो गए। अगर खनन से पहाड़ खत्म होंगे तो क्या होगा?
जवाब: इसी कारण हर जिले के लिए अलग-अलग मैनेजमेंट प्लान बनाया जाएगा। बिना वैज्ञानिक योजना के किसी भी तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी। उद्देश्य पहाड़ों और पर्यावरण को बचाना है।
सवाल: कहा जा रहा है कि चित्तौड़गढ़ और माधोपुर को नए मैनेजमेंट प्लान से बाहर रखा गया है। इसमें कितनी सच्चाई है?
जवाब: यह पूरी तरह गलत है। अरावली के सभी हिस्सों को इस योजना में शामिल किया जाएगा। किसी भी जिले या क्षेत्र को बाहर नहीं रखा जा रहा है।
सवाल: आप कह रहे हैं कि अरावली को लेकर एक तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है। क्या इसके पीछे विदेशी फंडिंग का हाथ है?
जवाब: जो लोग झूठ फैला रहे हैं, वे अपनी मर्जी से ऐसा कर रहे हैं। लेकिन वे सफल नहीं हो रहे हैं। अब जनता को सच्चाई समझ में आ गई है।
सवाल: क्या यह वही स्थिति है जैसी कभी नर्मदा परियोजना को लेकर गुजरात में बनाई गई थी?
जवाब: यह कांग्रेस के राजनीतिक माहौल में फैलाया गया एक और झूठ है। लेकिन अब लोग सच्चाई पहचान चुके हैं।
सवाल: एक समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुडनकुलम प्लांट के विरोध में एनजीओ सिस्टम की बात की थी और विदेशी एजेंसियों का जिक्र किया था। क्या अरावली के मामले में भी ऐसा कुछ है?
जवाब: अरावली को लेकर राजनीतिक विरोधी भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका यह भ्रम पूरी तरह नाकाम हो गया है। सरकार पूरी पारदर्शिता और वैज्ञानिक सोच के साथ अरावली के संरक्षण के लिए काम कर रही है।
राजनीति
एसआईआर : मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में जारी होगी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट

ELECTIONS
नई दिल्ली, 23 दिसंबर: भारतीय चुनाव आयोग मंगलवार को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में डेढ़ महीने से ज्यादा चले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के वोटरों की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करेगा।
मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन कार्यालय के आधिकारिक सूत्रों ने मीडिया को बताया कि शुरुआती आकलन से पता चलता है कि एसआईआर से प्रदेश में लगभग 41.8 लाख वोटरों के नाम, यानी लगभग 7.2 प्रतिशत वोटरों के नाम हटाए जा सकते हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शुरुआती डेटा से पता चलता है कि 41.8 लाख नामों में से, 8.4 लाख वोटर मृत पाए गए, 8.4 लाख अनुपस्थित पाए गए, 22.5 लाख दूसरी जगहों पर चले गए थे और 2.5 लाख कई पतों पर रजिस्टर्ड थे।
भोपाल में, जहां 21.25 लाख रजिस्टर्ड वोटर हैं, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में लगभग 4.3 लाख नाम 20.23 प्रतिशत हटाए जा सकते हैं।
जबकि इंदौर में, 28.67 लाख वोटरों में से 4.4 लाख नाम हटाए गए, ग्वालियर में 16.49 लाख वोटरों में से 2.5 लाख नाम हटाए जा सकते हैं और जबलपुर में 19.25 लाख में से 2.4 लाख नाम हटाए जा सकते हैं।
अधिकारी ने बताया कि ये सभी संख्याएं सिर्फ एक आकलन हैं और हटाए गए वोटरों की सही संख्या मंगलवार को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा अंतिम वोटर लिस्ट प्रकाशित होने के बाद ही पता चलेगी।
65,000 से ज्यादा बूथ लेवल अधिकारियों को 4 नवंबर से वोटरों के वेरिफिकेशन के लिए घर-घर जाकर दौरा करने का काम सौंपा गया था, जबकि 2023 में मध्य प्रदेश में 6.65 करोड़ से ज्यादा वोटर रजिस्टर्ड हुए थे। मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें और 29 लोकसभा क्षेत्र हैं, जो 55 जिलों में फैले हुए हैं, जिन्हें भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, चंबल, नर्मदापुरम, रीवा, सागर, शहडोल और उज्जैन जैसे 10 डिवीजनों में बांटा गया है।
4 नवंबर से, जब राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण का काम शुरू हुआ, तब से 65,000 से ज्यादा बूथ-लेवल अधिकारियों ने शहरों, कस्बों और गांवों में घरों का दौरा करके वोटर डिटेल्स वेरिफाई किए।
खास बात यह है कि पूरे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान, मध्य प्रदेश में मुख्य विपक्षी कांग्रेस चुनाव आयोग के कदमों का विरोध करती रही और राजनीतिक आरोप लगाकर उसकी आलोचना करती रही।
राज्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल भोपाल में मुख्य चुनाव अधिकारी से मिला और एसआईआर अभ्यास में अनियमितताओं का आरोप लगाया।
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