अपराध
अफगान शांतिवार्ता में रोड़ा बन रही अफगानिस्तान में व्याप्त हिंसा

दोहा, कतर में बहुप्रतीक्षित अंतर-अफगान वार्ता से पहले अफगानिस्तान में व्यापक तौर पर हिंसा देखने को मिली है। वार्ता शुरू होने के कुछ दिन पहले ही अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह को काबुल में बम विस्फोट के साथ निशाना बनाया गया, जिसमें दस नागरिकों की मौत हो गई। वार्ता के दौरान ही देश के 34 प्रांतों में से 18 पर हमले हुए और हिंसा हुई है।
दूसरी ओर, असंभव प्रतीत होने वाली वार्ता को संभव बनाने और एक अनुकूल माहौल बनाने के लिए अफगान सरकार ने कुछ कट्टर आतंकवादियों सहित 5,000 कैदियों को न चाहते हुए भी छोड़ना पड़ा है। वहीं तालिबान ने भी 1,000 सैनिकों को रिहा कर दिया है, जिन्हें उसने पकड़ लिया था।
अफगान सरकार और तालिबान के बीच 12 सितंबर को अंतर-अफगान वार्ता शुरू हुई। संयोग से यह वार्ता अमेरिका में 11 सितंबर को हुए हमले की 19वीं वर्षगांठ के एक दिन बाद शुरू हुई। यह अमेरिकी कूटनीति का ही परिणाम है, जिसने दोनों पक्षों को वार्ता की मेज पर लाने के लिए मजबूर कर दिया। 29 फरवरी को दोहा में ऐतिहासिक अमेरिका-तालिबान समझौते के दस दिनों के भीतर इसके सिरे चढ़ जाने की संभावना थी, मगर दोनों पक्षों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों के कारण वार्ता में देरी हुई। दरअसल कई मुद्दों पर दोनों पक्ष एक दूसरे के साथ बात नहीं करना चाहते थे।
विशेष रूप से राष्ट्रपति अशरफ गनी के नेतृत्व वाली अफगान सरकार इस तथ्य से भी नाखुश है कि अमेरिकी और नाटो सैनिक युद्ध-ग्रस्त देश से वापस जा रहे हैं। गनी ने बताया कि तालिबान ने अफगान सुरक्षा बलों पर हमलों को नहीं रोककर अमेरिका-तालिबान समझौते के प्रावधानों का लगातार उल्लंघन किया है।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात पर स्पष्ट हैं कि वह अपने सैनिकों को अफगान के युद्ध के मैदान से हटा रहे हैं और दोनों पक्षों में एक समाधान का पता लगाने के लिए बातचीत करना चाहते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ऐसा लगता है कि अफगान सरकार को छोड़कर बाकी सभी उत्सुक हैं कि अमेरिकी सेना बाहर निकल रही है। तालिबान भी इससे खुश है, क्योंकि उसे भी सत्ता के दरवाजे खुलते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान संतुष्ट है कि अमेरिका वापस हट रहा है, क्योंकि वह अफगानिस्तान में एक प्रॉक्सी सरकार चाहता है। असंख्य आतंकवादी समूह इससे खुश हैं। ट्रंप भी उत्सुक हैं कि अमेरिकियों का अफगानिस्तान में कोई खास वास्ता नहीं है और उन्हें इसे अपने बीच ही हल करना चाहिए। अफगानिस्तान में सुलह कराने के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जल्माय खलीलजाद के माध्यम से वह सैनिकों को वापस लाने के लिए अमेरिकी मतदाताओं से किए गए अपने वादे को पूरा करने के लिए उत्सुक हैं।
फिलहाल 12 सितंबर की वार्ता 21-सदस्यीय वार्ता टीमों के बीच तालिबान के प्रमुख वार्ताकार मौलवी शेख अब्दुल हकीम और अफगान सरकार के लिए एक पूर्व खुफिया प्रमुख मासूम स्टेनकेजई द्वारा अंजाम दी गई है।
नेशनल काउंसिल फॉर नेशनल रिकंसिलिएशन के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला और चार महिलाएं भी अफगान सरकार की ओर से बातचीत में शामिल हैं।
अमेरिका-तालिबान समझौते के आधार पर, वार्ता केवल दो चीजों पर केंद्रित है-एक व्यापक युद्ध विराम और एक शक्ति-साझाकरण व्यवस्था। दोनों ही जटिल हैं। 29 फरवरी से अब तक तालिबान ने अपने हमलों को वापस लेने के लिए झुकाव नहीं दिखाया है। बिल्कुल इसके विपरीत इसने दोनों सरकारी बलों के साथ-साथ नागरिकों पर भी हमले बढ़ा दिए हैं। तालिबान और सरकार के बीच शक्ति-साझेदारी के बारे में तालिबान ने स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं किया है कि वह दोनों प्रावधानों के तहत क्या चाहता है।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
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जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
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सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।
मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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