अंतरराष्ट्रीय
राज्यों के जीएसटी बकाया का हो भुगतान: पी. चिदंबरम

केंद्र सरकार के राज्यों को जीएसटी भुगतान के लिए दिए जाने वाले ‘आश्वासन पत्र’ (लेटर ऑफ कंफर्ट) पर निशाना साधते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है ये सभी आश्वासन के ही शब्द हैं और इसका कोई मतलब नहीं है। जरूरत है हार्ड कैश की। केंद्र सरकार के पास कई तरीके हैं जिसका उपयोग कर वो राज्यों को जीएसटी का भुगतान कर सकती है, चिदंबरम ने कहा।
उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकारें कर्ज लेती हैं तो इसका सीधा असर उनके कैपिटल एक्सपेंडीचर पर पड़ेगा।
इस लेटर ऑफ कंफर्ट यानी आश्वासन पत्र की पेशकश को पंजाब, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्य ठुकरा चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मांग की है कि केंद्र सरकार 2,828 करोड़ रूपए तुरंत उपलब्ध कराए जो कि 2020-21 की बकाया राशि है।
उधर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलनिस्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है और मांग की है कि राज्यों को जीएसटी से हुए नुकसान की पूरी भरपाई हो। उन्होंने कहा कि ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि राज्यों से ये कहना कि वो खुद ही कर्ज ले, इससे राज्यों के संसाधनों पर असर पड़ेगा।
अंतरराष्ट्रीय
प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को मिलेगी नई दिशा

नई दिल्ली, 28 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे। इस दौरान उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात होगी, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम होगा।
भारत और चीन ने 1 अप्रैल 1950 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। लेकिन 1962 के सीमा संघर्ष ने इन संबंधों को झटका दिया। 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन यात्रा ने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की शुरुआत की। इसके बाद 2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा ने विशेष प्रतिनिधि प्रणाली का गठन किया और इसके बाद 2005 में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की भारत यात्रा ने रणनीतिक और सहयोगात्मक साझेदारी को बढ़ावा दिया।
2014 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा ने घनिष्ठ विकासात्मक साझेदारी की नींव रखी, जबकि 2015 में प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा ने इस गति को बनाए रखा। दोनों देशों ने 2018 में वुहान और 2019 में चेन्नई में अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों के जरिए आपसी विश्वास बढ़ाया। हालांकि, 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव ने संबंधों को प्रभावित किया। 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और जिनपिंग की मुलाकात से रिश्ते और बेहतर हुए।
इस यात्रा से पहले भी दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय मुलाकातें होती रही हैं। 2016 में जी20 हांग्जो और ब्रिक्स गोवा, 2017 में ब्रिक्स ज़ियामेन, 2018 में एससीओ क़िंगदाओ और 2019 में एससीओ बिश्केक और जी20 ओसाका जैसे आयोजनों में दोनों देशों के नेता मिले। 2022 में जी20 बाली में भी संक्षिप्त बातचीत हुई।
सीमा विवाद के समाधान के लिए 2003 से विशेष प्रतिनिधि प्रणाली के तहत 24 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत का दौरा कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री से मुलाकात की। परामर्श और समन्वय तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 27 बैठकें और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की 19 बैठकें हो चुकी हैं, जिनका फोकस 2020 से लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर है। जल संसाधन सहयोग के लिए 2006 से विशेषज्ञ स्तरीय तंत्र (ईएलएम) काम कर रहा है, जिसकी 14 बैठकें हो चुकी हैं। उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और सहयोग बढ़ाने का एक और अवसर होगी।
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत ने शीर्ष 40 देशों में निर्यात बढ़ाने की कोशिशों को तेज किया

नई दिल्ली, 27 अगस्त : अमेरिका की ओर से भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद, भारत ने 40 देशों में निर्यात बढ़ाने के लिए कोशिशों को तेज कर दिया है। इन देशों में यूके, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली का नाम शामिल है। यह जानकारी एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से दी गई।
इन प्रयासों में ट्रेड फेयर, वायर-सेलर मीट्स और सेक्टर-विशेष प्रमोशन कैंपेन शामिल हैं।
अन्य देशों में नीदरलैंड, पोलैंड, कनाडा, मैक्सिको, रूस, बेल्जियम, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
वरिष्ठ अधिकारी ने आगे बताया कि वाणिज्य मंत्रालय भारत के निर्यात में विविधता लाने और वैश्विक बाजारों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए नए सिरे से प्रयास के तहत इस सप्ताह निर्यातकों के साथ परामर्श की एक श्रृंखला आयोजित करने वाला है।
सूत्रों ने कहा कि इन बैठकों में कपड़ा, केमिकल और जेम्स एवं ज्वेलरी सहित प्रमुख क्षेत्रों के उद्योग प्रतिनिधि एक साथ आएंगे।
इन बैठकों में चर्चाएं सीमित उत्पादों और बाजारों पर निर्भरता कम करने की रणनीतियों और नए भौगोलिक क्षेत्रों में प्रवेश के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर केंद्रित रहने की उम्मीद है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब सरकार प्रस्तावित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन पर काम तेज कर रही है, जिसका उद्देश्य निर्यातकों को लक्षित समर्थन और बाजार संबंधी जानकारी प्रदान करना है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अमेरिका द्वारा घोषित शुल्कों में भारी वृद्धि के बाद, सरकार देश के निर्यात को अन्य देशों में विविधता लाने के प्रयास कर रही है।
सरकार मुक्त व्यापार समझौतों को तेजी से लागू करने और यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ओमान, आसियान, न्यूजीलैंड, पेरू और चिली जैसे मौजूदा समझौतों की समीक्षा करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम के लिए विदेशों में मिशनों को संगठित करके शीर्ष 50 आयातक देशों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। आगे कहा कि विभिन्न एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम्स पर भी प्रयास तेज किए जा रहे हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने निर्यात केंद्रित उद्योगों की सहायता के लिए 25,000 करोड़ रुपए की योजानओं का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य छह वर्ष की अवधि के लिए एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और समुद्री उत्पादों जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में छोटे निर्यातकों की फंडिंग करने में सहायता करना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया गया है, जिसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और फिर यह लागू होगा।
इन योजनाओं को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुरूप तैयार किया गया है और यह ट्रे़ड फाइनेंस और निर्यातकों के लिए बाजार पहुंच में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
राजनीति
भारत की जीडीपी अगले तीन वर्षों में सालाना 6.8 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान : एसएंडपी ग्लोबल

नई दिल्ली, 14 अगस्त। एसएंडपी ग्लोबल ने गुरुवार को कहा कि भारत दुनिया की सबसे अच्छी प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है और हमें उम्मीद है कि मध्यम अवधि में विकास की गतिशीलता जारी रहेगी। इसी के साथ, अगले तीन वर्षों में देश की जीडीपी में सालाना 6.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
भारत राजकोषीय कंसोलिडेशन को प्राथमिकता दे रहा है, जो मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखते हुए सस्टेनेबल पब्लिक फाइनेंस प्रदान करने के लिए सरकार की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने एक नोट में कहा, “हमारा अनुमान है कि इस वर्ष भारत की रियल जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी, जो व्यापक वैश्विक धीमी गति के बीच उभरते बाजारों के समकक्षों की तुलना में अनुकूल है।”
इसमें कहा गया है, “मजबूत आर्थिक विस्तार का भारत के क्रेडिट मेट्रिक्स पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और हमें उम्मीद है कि मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे अगले दो से तीन वर्षों में विकास की गति को सहारा देंगे। इसके अलावा, मौद्रिक नीति सेटिंग्स मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाओं के प्रबंधन के लिए तेजी से अनुकूल हो गई हैं।”
पिछले पांच-छह वर्षों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वर्तमान प्रशासन ने बजट आवंटन को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने के लिए तेजी से स्थानांतरित किया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) वित्त वर्ष 2026 में बढ़कर 11.2 ट्रिलियन रुपए या सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.1 प्रतिशत हो जाएगा।
यह एक दशक पहले के सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत से ज्यादा है। राज्यों द्वारा किए गए पूंजीगत व्यय को जोड़ने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में कुल सार्वजनिक निवेश सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5.5 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो अन्य संप्रभु समकक्षों के बराबर या उससे अधिक है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा, “हमारा मानना है कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में सुधार से वे रुकावटें दूर होंगी, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास में बाधा बन रही हैं।”
पिछले तीन वर्षों में, वैश्विक ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति-पक्ष के झटकों के बावजूद, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की वृद्धि दर औसतन 5.5 प्रतिशत रही। हाल के महीनों में, यह भारतीय रिजर्व बैंक के 2 प्रतिशत-6 प्रतिशत के लक्ष्य की निचली सीमा पर रही।
ये घटनाक्रम, घरेलू पूंजी बाजार की मजबूती के साथ, मौद्रिक परिदृश्य के लिए एक अधिक स्थिर और सहायक वातावरण को दर्शाते हैं।
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