राजनीति
खालिदा जिया की जेल से रिहाई की अवधि और 6 महीने बढ़ी
कानून मंत्रालय के अनुसार, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की सुप्रीमो खालिदा जिया और छह महीने तक जेल से बाहर रह सकती हैं, लेकिन इस अवधि में वह देश से बाहर नहीं जा सकतीं और उन्हें अपने आवास पर ही इलाज कराना होगा।
खालिदा जिया के परिवार द्वारा दायर एक आवेदन पर विचार करते हुए, मंत्रालय ने पूर्व प्रधानमंत्री के जेल से बाहर रहने की अवधि को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया है।
कानून मंत्री अनीसुल हक ने गुरुवार को ढाका ट्रिब्यून को बताया, “हमारी राय है कि उनकी रिहाई की अवधि को उनकी पुरानी शर्तों के आधार पर बढ़ाया जा सकता है। उन्हें बांग्लादेश में ही रहना होगा और उन्हें घर पर इलाज कराना होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “इन दो शर्तों पर, उनकी सजा निलंबित करने और उन्हें रिहा करने के पुराने आदेश के अंतिम तारीख से अगले और छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है।”
देश में कोविड-19 महामारी के प्रसार के मद्देनजर जिया को 25 मार्च को छह महीने के लिए जेल से रिहा किया गया था। उनकी रिहाई की समय सीमा आगामी 24 सितंबर को खत्म होगी।
हक ने आगे कहा, “हमने फाइल को गृह मंत्रालय को वापस भेज दिया है। प्रधानमंत्री (शेख हसीना) राज्य की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। मंत्रालय, फाइल को मंजूरी दिलाने के लिए उसे उनके कार्यालय भेजेगा।”
बीएनपी सुप्रीमो के छोटे भाई शमीम इस्कंदर ने 25 अगस्त को गृह मंत्रालय को भेजे गए अपने आवेदन में खालिदा जिया की जेल से रिहाई की अवधि को बढ़ाने का अनुरोध किया था।
खालिदा के वकीलों में से एक ए.के.एम. एहसानुर रहमान ने पहले कहा था कि जिया को महामारी के कारण उचित उपचार नहीं मिल रहा था और इसलिए उनके परिवार ने रिहाई की अवधि बढ़ाने की अपील की थी।
गृह मंत्रालय ने उनके आवेदन पर विचार करने के लिए फाइल को कानून मंत्रालय भेज दिया था।
सरकार ने बांग्लादेश की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 401 की सब-सेक्शन 1 के तहत उनकी जेल की सजा को निलंबित किया था। सब-सेक्शन के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को अपराध के लिए सजा सुनाई जाती है, तो सरकार किसी भी समय या बिना किसी शर्त के किसी भी स्थिति में सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा को निलंबित कर सकती है या पूरी सजा या फिर कुछ अवधि के लिए कैदी को क्षमा कर सकती है।
एंटी करप्शन कमीशन (एसीसी) ने 3 जुलाई, 2008 को पूर्व प्रधानमंत्री, उनके बेटे और बीएनपी कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान और चार अन्य के खिलाफ जिया ऑरफेनेज ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार का मामला दायर किया था, जिसमें उनके पति के नाम पर ट्रस्ट गठन के लिए दान के 2.1 करोड़ टाका का दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
इसके बाद 8 फरवरी, 2018 को, एक विशेष अदालत ने जिया को दोषी ठहराया और उन्हें इस मामले में पांच साल की सजा सुनाई।
उन्हें नाजि़मुद्दीन रोड पर स्थित ओल्ड ढाका केंद्रीय जेल की एक विशेष जेल में भेज दिया गया।
इसके बाद 28 जनवरी, 2019 को, हाईकोर्ट ने अपने पूरे फैसले को सुनाते हुए जिया के कारावास की सजा को 10 साल कर दिया।
इस बीच बीएनपी प्रमुख और तीन अन्य को 29 अक्टूबर, 2018 को जिया चैरिटेबल ट्रस्ट ग्राफ्ट मामले में सात साल की जेल की सजा सुनाई गई।
एसीसी ने 8 अगस्त 2011 को जिया और तीन अन्य के खिलाफ अनाथों के नाम पर स्थापित ट्रस्ट के लिए धन जुटाने में सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था।
राजनीति
‘वंदे मातरम’ विवाद पर आक्रोश: मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने विधायक अबू आसिम आज़मी के रुख और मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा के पलटवार की निंदा की

Abu Asim Azmi & Mangal Prabhat Lodha
मुंबई: महाराष्ट्र में देशभक्ति गीत ‘वंदे मातरम’ की 150वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह हंगामा समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आसिम आज़मी के इस बयान से शुरू हुआ कि वह यह गीत नहीं गाएंगे और उनका दावा है कि यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।
इस बयान की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने तीव्र निंदा की थी और बदले में, मुस्लिम कार्यकर्ताओं और समुदाय के सदस्यों ने भी तीखी आलोचना की थी, जो विधायक के ‘अनावश्यक’ उकसावे और राज्य मंत्री की जवाबी कार्रवाई दोनों की निंदा कर रहे थे।
यह पहली बार नहीं है जब आज़मी ने ऐसा बयान दिया हो। उन्होंने 2023 में औरंगाबाद में एक रैली में भाग लेने के दौरान वंदे मातरम का नारा लगाने पर आपत्ति जताई थी।
हाल ही में, उन्होंने यह कहकर बहस को फिर से हवा दे दी कि वंदे मातरम गाना अनिवार्य करना सही नहीं है क्योंकि हर किसी की धार्मिक मान्यताएँ अलग-अलग होती हैं। उन्होंने कहा, “इस्लाम माँ के सम्मान को बहुत महत्व देता है, लेकिन उसके आगे सजदा करने की इजाज़त नहीं देता।”
आग में घी डालते हुए मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा ने दावा किया कि वह विरोधी विधायकों के आवासों के बाहर राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन आयोजित करेंगे, जिसमें आजमी के साथ-साथ मलाड पश्चिम से कांग्रेस विधायक असलम शेख और मुंबादेवी से अमीन पटेल भी शामिल हैं।
हालांकि यह स्थिति नई नहीं है, लेकिन 7 नवंबर को 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्कूलों में पूरा गीत अनिवार्य करने के राज्य के निर्देश के बीच इसकी समय-सीमा को कई मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने राजनीति से प्रेरित और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए हानिकारक माना है।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेक्युलरिज्म के निदेशक इरफान इंजीनियर के अनुसार, यह विवाद स्वतंत्रता संग्राम के समय से चला आ रहा है और यह गीत के अनुवाद के तरीके पर निर्भर करता है।
“मुस्लिम लीग ने यह तर्क दिया कि यह गीत भारत को देवी के रूप में पूजने की बात करता है और इसे इस्लाम विरोधी करार दिया क्योंकि यह धर्म केवल एक ईश्वर की पूजा की अनुमति देता है। यह कांग्रेस और राष्ट्रवाद का विरोध करने और खुद को मुसलमानों का एकमात्र प्रतिनिधि बताने के कई अन्य विभाजनकारी तरीकों में से एक था।”
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का वास्तविक अनुवाद “मातृभूमि को सलाम” है, जिसका इस्लाम की प्रथाओं से कोई विवाद नहीं है और यही बात एआर रहमान द्वारा ‘मां तुझे सलाम’ गीत के हिंदी संस्करण में भी देखी जा सकती है।
उन्होंने कहा, “मैं मातृभूमि और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को सलाम करते हुए इस गीत को एक हजार बार गाऊंगा, जिन्होंने इस छंद का जाप करते हुए शहादत प्राप्त की।”
इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी के राष्ट्रीय संयोजक जावेद आनंद ने कहा, “एक शुद्धतावादी दृष्टिकोण से, इस्लाम में वंदे मातरम का नारा लगाना आपत्तिजनक है, लेकिन ज़्यादातर मुसलमान ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि संदर्भ अलग है। इसके अलावा, यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की किताब से लिया गया है, जिसे इस्लाम विरोधी माना जाता है।”
सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे कम्युनिटी कनेक्ट के संस्थापक अली भोजानी ने इस मुद्दे की तुलना इस्लाम में शराब पीने पर प्रतिबंध से की।
“यद्यपि इस्लाम में शराब पीना वर्जित है, फिर भी अगर इसे किसी दवा में मिलाकर पिया जाए तो यह जायज़ है क्योंकि इसका उद्देश्य जीवन बचाना है। हालाँकि एक मुसलमान होने के नाते मैं एक ईश्वर में विश्वास करता हूँ, फिर भी एक भारतीय होने के नाते मैं गर्व से वंदे मातरम गाऊँगा, अगर इसे सिर्फ़ मेरी धार्मिक मान्यताओं का विरोध करने के लिए मुझ पर थोपा न जाए। हिंदुओं की तरह, मुसलमान भी उसी भारतीय संविधान का पालन करते हैं और वही राष्ट्रीय गीत गाते हैं, लेकिन वही संविधान मुझे अपने धर्म का पालन करने का अधिकार भी देता है।”
मुस्लिम कार्यकर्ता जहां वंदे मातरम के नारे के समर्थन में खड़े हुए हैं, वहीं उन्होंने राजनीतिक नेताओं के आवासों के बाहर सामूहिक गायन आयोजित करने की योजना की भी निंदा की है, इसे राजनीतिक धमकी और दबाव का एक रूप बताया है।
इंजीनियर ने कहा, “यह एक सांप्रदायिक मुद्दा है और इसका देश के प्रति वफ़ादारी से कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा और उसके नेता जानबूझकर मुसलमानों को भड़काने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाते हैं। ऐसा नहीं है कि ये नेता मातृभूमि के प्रेम में इसे गा रहे हैं। क़ानूनी और संवैधानिक रूप से, हमें राष्ट्रगान न गाने का भी अधिकार है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी फैसला सुनाया है। लाखों मुसलमान इसे गाते हैं, लेकिन सिर्फ़ राजनीति करने वाले लोग ही इसका विरोध करते हैं और इसका इस्लाम के प्रति उनके प्रेम से कोई लेना-देना नहीं है।”
भोजानी ने कहा, “एक भारतीय नागरिक होने के नाते, मैं मंत्री के समूह में शामिल होकर वंदे मातरम गाना पसंद करूँगा, लेकिन अगर मकसद किसी के धर्म को ठेस पहुँचाना हो तो नहीं। अगर मैं लोढ़ा से अल्लाहु अकबर का नारा लगाने को कहूँगा, तो उन्हें भी बुरा लगेगा।” उन्होंने आगे कहा कि हर राजनेता के घर के बाहर सामूहिक गायन का आयोजन होना चाहिए, जिसमें आजमी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हैं।
आनंद ने कहा, “वंदे मातरम को मुसलमानों के ख़िलाफ़ हथियार बनाकर उन लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है जो समुदाय को परेशान करने के तरीके ढूंढ रहे हैं। सांप्रदायिक राजनीति इसके मूल में है और राजनीतिक नेता इस घिनौनी राजनीति में लिप्त हैं। इसका कोई अंत नज़र नहीं आता, लेकिन इसे ख़त्म करना ज़रूरी है।”
राजनीति
लालू-राहुल की पार्टी का सूपड़ा साफ : अमित शाह

AMIT SHAH
जमुई, 7 नवंबर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को पहले चरण की 121 सीटों पर हुए बंपर मतदान के बाद जमुई पहुंचे। यहां उन्होंने राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि पहले चरण की वोटिंग प्रतिशत के बाद महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया है।
अमित शाह ने कहा कि जमुई में महागठबंधन के उम्मीदवारों को हराना है, उनका खाता नहीं खुलना चाहिए। जनता से उन्होंने अपील करते हुए कहा कि यहां की सभी चारों सीटें एनडीए के पाले में आनी चाहिए।
नक्सलवाद और जंगलराज का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी ने देश से नक्सलवाद और नीतीश कुमार ने बिहार से जंगलराज को खत्म किया। अब बिहार सुशासन से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। बिहार की जनता ने चुनाव के पहले चरण में ही डंके की चोट पर ये ऐलान कर दिया है कि जंगलराज भेष बदलकर, कपड़े बदलकर और चेहरा बदलकर आना चाहता है, लेकिन हम उसे आने नहीं देंगे।
जनता को आगाह करते हुए अमित शाह ने कहा कि अगर आपसे जरा भी गलती हुई तो फिर से जंगलराज आने वाला है।
अमित शाह ने कहा कि जंगलराज के दौरान औरंगाबाद और जमुई में इनका ही दबदबा था। बिहार के कुछ जिले ऐसे थे, जहां 3 बजे तक ही मतदान होता था। इसके बाद मतदान नहीं होता था, लेकिन पीएम मोदी ने नक्सलवाद को समाप्त किया। इस बार 5 बजे तक वोटिंग हो रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पीएम मोदी की लाभकारी योजनाओं से जनता को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि किसान सम्मान निधि योजना के तहत अभी तक 85 लाख किसानों को हर साल छह हजार रुपए सहायता के तौर पर दिए जाते हैं। बिहार में अगली एनडीए की सरकार में किसानों को सालाना 9 हजार दिए जाएंगे।
अमित शाह ने जमुई की जनता को भरोसा दिलाया है कि रोजगार के उद्देश्य से यहां पर चीनी मिल शुरू किया जाएगा। इसलिए, दूसरे चरण में भी एनडीए के उम्मीदवारों के पक्ष में वोट करना है।
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने 10 साल के अंदर बिहार के हर कोने में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर, रोड, पुल, पुलिया, बिजली के कारखाने, गन्ने की फैक्ट्रियां, इथेनॉल और खाद की फैक्ट्रियां लगाकर विकास की शुरुआत की है। अगले 5 साल बिहार को विकसित बनाने के 5 साल हैं।
राजनीति
हरियाणा में चुनाव नहीं, होलसेल में चोरी हुई थी : राहुल गांधी

RAHUL GANDHI
नई दिल्ली, 7 नवंबर: लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में वोट चोरी के गंभीर आरोप को दोहराया। उन्होंने कहा, “मैंने प्रजेंटेशन में दिखाया कि हरियाणा चुनाव वास्तव में चुनाव नहीं था। वहां पर होलसेल में चोरी हुई है।”
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके हरियाणा चुनाव 2024 में धांधली का आरोप लगाया था। उन्होंने भारतीय निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इस दौरान उन्होंने बिहार चुनाव में भी धांधली की आशंका जताई थी।
शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए राहुल गांधी ने अपने पुराने आरोपों को दोहराया। राहुल गांधी ने कहा, “मैंने जो फेक फोटो और फेक फोटोग्राफ के आरोप लगाए थे, उस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। चुनाव आयोग ने इस पर कुछ नहीं बताया, जबकि भाजपा उसे बचाने का काम कर रही है और स्पष्ट जवाब नहीं दे रही है। मीडिया छोटे-छोटे उदाहरण को उठा रही है कि ब्राजील की औरत ने वोट किया, लेकिन जिसकी आईडी नहीं है, उसने कैसे वोट किया?”
दूसरी ओर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने पटना में पत्रकारों से बात करते हुए बिहार में इस बार महागठबंधन की सरकार आने का दावा किया।
उन्होंने कहा, “भाजपा वाले हमेशा कहते रहे हैं कि जब भी ज्यादा वोट पड़ता है तो एंटी-इनकंबेंसी का वोट होता है। उनके सारे नेताओं ने यह बात बोली है। उनके पुराने बयान लाइब्रेरी में देख लीजिए, लेकिन वे आज इससे पलट रहे हैं।”
कांग्रेस सांसद ने कहा, “ये सच्चाई है कि बिहार में एनडीए सरकार के खिलाफ जनक्रांति हुई है। युवाओं ने खूब वोट डाला है। बिहार में बेरोजगारी और सत्ताधारी दल में आपस की लड़ाई दिख रही है। बिहार में इस बार स्पष्ट रूप से महागठबंध के बहुमत की सरकार आ रही है।”
बिहार चुनाव के पहले फेज में गुरुवार को राज्य के 121 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार मतदान के मामले में बेगूसराय शीर्ष पर, जबकि शेखपुरा सबसे पीछे रहा।
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