अपराध
डीएसपी मामला : जम्मू-कश्मीर में एनआईए ने हिजबुल लिंक की तलाश के लिए छापेमारी की
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने निलंबित उप पुलिस अधीक्षक दविंदर सिंह के मामले में शनिवार को जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। एनआईए के अधिकारियों ने एक कालीन व्यापारी साहिल जारू के ठिकानों पर भी छापेमारी की है, जिसके पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के साथ वित्तीय संबंधों को लेकर जांच की जा रही है।
दिल्ली में एनआईए के शीर्ष सूत्रों ने शनिवार को कहा, “दविंदर सिंह मामले में श्रीनगर के कई स्थानों पर और जम्मू-कश्मीर के अन्य स्थानों पर तलाशी चल रही है।”
सूत्र ने कहा कि श्रीनगर में जारू के परिसर पर भी छापेमारी की गई। उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी जांच एजेंसी दविंदर सिंह और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी साजिश मामले में वित्तीय कड़ी की जांच कर रही है।
इस कार्रवाई से करीब एक महीना पहले ही एनआईए द्वारा जम्मू में एक विशेष एनआईए अदालत में निलंबित जम्मू-कश्मीर के पुलिस उपाधीक्षक सहित छह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।
एनआईए ने अपने आरोपपत्र में दविंदर सिंह के अलावा नावेद मुश्ताक उर्फ नावेद बाबू, इरफान शफी मीर, रफी राथर, तनवीर अहमद वानी और सैयद इरफान का नाम भी जोड़ा है।
निलंबित पुलिस अधिकारी जम्मू संभाग के हीरानगर में कठुआ जेल में बंद है। उसे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11 जनवरी को दो हिजबुल आतंकवादियों नावेद बाबू और रफी अहमद राठेर के साथ ही एक लॉ स्कूल के छात्र रहे इरफान शफी मीर को जम्मू ले जाने में मदद करते समय पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
नावेद के भाई इरफान को साजिश में उसकी ‘भूमिका’ के लिए 23 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था।
सिंह की गिरफ्तारी के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से पहले प्रारंभिक जांच की गई थी।
पुलिस ने कहा था कि दोनों आतंकवादियों और वकील ने पाकिस्तान की यात्रा करने की योजना बनाई थी।
एनआईए ने पहले दावा किया था कि इसकी जांच से पता चला है कि आरोपी हिजबुल और पाकिस्तान द्वारा हिंसक कार्रवाई करने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए रची गई एक गहरी साजिश का हिस्सा थे।
जांच से पता चला है कि हिजबुल का पाकिस्तान स्थित नेतृत्व जम्मू-कश्मीर आधारित आतंकी संगठन के कैडर और कमांडरों को समर्थन दे रहा है।
जांच में यह भी पता चला कि आरोपी इरफान शफी मीर ने न केवल पाकिस्तान में हिजबुल नेतृत्व से मुलाकात की, बल्कि उमर चीमा, अहशान चौधरी, सोहेल अब्बास और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अन्य लोगों से भी मुलाकात की।
एनआईए के प्रवक्ता ने पहले कहा था कि उसे नए हवाला चैनल की पहचान करने और सक्रिय करने का काम सौंपा गया था, ताकि कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बनाए रखने के लिए धनराशि भेजी जा सके।
एनआईए ने यह भी दावा किया था कि उसकी जांच से पता चला है कि नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारी मीर के साथ लगातार संपर्क में थे, जिसे भारत सरकार के खिलाफ जनता को जुटाने के लिए जम्मू-कश्मीर में सेमिनार आयोजित करने के लिए धन मुहैया कराया गया था।
मीर कथित तौर पर पाकिस्तान उच्चायोग से निर्देश और धन प्राप्त करता था और उसने कई कश्मीरियों के वीजा आवेदनों को अपनी पाकिस्तान यात्राओं के लिए इस्तेमाल किया।
पता चला है कि दविंदर सिंह को उच्च सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया था।
जांच से पता चला कि संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा उसका उपयोग किया जा रहा था।
दिल्ली की एक अदालत ने 19 जून को एक आतंकी मामले में दविंदर सिंह को जमानत दे दी थी, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने उसके और सह-अभियुक्तों के खिलाफ निर्धारित समय के भीतर आरोपपत्र दायर करने में असमर्थता जताई थी।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
अपराध
जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
अपराध
सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।
मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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