अनन्य
एक गांव ऐसा, जहां अनहोनी के भय से राखी नहीं बांधती बहनें

रक्षाबंधन के त्योहार को भाई-बहनों के प्रेम और सुरक्षा की कसमें खाने के पर्व के रूप में जाना जाता है लेकिन गोंडा जिले के वजीरगंज विकासखंड के ग्राम पंचायत डुमरियाडीह के भीखमपुर जगतपुरवा में पर्व मनाना तो दूर कोई इसका जिक्र करना भी पसंद नहीं करता है। ऐसा करने पर सभी लोगों की आंखों के सामने पूर्व घटित हुई घटनाएं जैसे नाचने लगतीं हैं और उन्हें इस पर्व से दूरी बनाए रखने को आगाह करती हैं।
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के जगतपुरवा में 20 ऐसे घर हैं, जिनमें करीब 200 बच्चे, बूढ़े व नौजवान भाई रक्षासूत्र का नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं। ग्राम पंचायत डुमरियाडीह की राजस्व गांव भीखमपुर जगतपुरवा घरों में आजादी के 8 सालों के बाद करीब पांच दशक से अधिक बीत जाने के बाद बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र नहीं बांधा है।
यहां तक कि आसपास के गांव पहुंचे, यहां के बाशिंदे रक्षाबंधन के दिन जब सिर्फ अपने गांव का नाम बताते हैं और वहां की बहनें उन्हें रखी बांधने से खुद माना कर देतीं हैं।
इधर, जगतपुरवा के नौजवानों के मन मे इस त्योहार को लेकर उल्लास तो रहता है लेकिन पूर्वजों की बनाई परंपरा को न तोडना ही ही इनका मकसद बन चुका है।
जगतपुरवा निवासी डुमरियाडीह ग्राम पंचायत की मुखिया ऊषा मिश्रा के पति सूर्यनारायण मिश्र के अलावा ग्रामीण सत्यनारायण मिश्र, सिद्घनारायन मिश्र, अयोध्या प्रसाद, दीप नारायण मिश्र, बाल गोविंद मिश्र, संतोष मिश्र, देवनारायण मिश्र, धुव्र नारायण मिश्रा और स्वामीनाथ मिश्र ने बताया कि बहनों ने जब कभी हमारे घरों में अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे, तब-तब इस गांव में अनहोनी हुई।
बकौल सूर्यनारायण मिश्रा वर्ष ने बताया कि आजादी के आठ साल बाद करीब 5 दशक पहले (1955) में रक्षाबंधन के दिन सुबह हमारे परिवार के पूर्वज में एक नौजवान की मौत हो गई थी। तब से इस गांव में बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र नहीं बांधतीं हैं। एक दशक पूर्व रक्षाबंधन के दिन बहनों के आग्रह पर रक्षासूत्र बंधवाने का निर्णय लिया गया था, लेकर उस दिन भी कुछ अनहोनी हुई थी। इसके बाद ऐसा करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। आज भी यही भय, बहनों को अपने भाइयों को कलाई पर रक्षासूत्र बांधने से रोकती है।
सूर्य नारायण ने बताया कि रक्षा बंधन वाले दिन अगर इस कुल में कोई बच्चा जन्म लेगा, तभी त्यौहार मनाया जाएगा। इसका इंतजार करीब तीन पीढ़ियों से चल रहा है। अभी तक यह अवसर आया नहीं है।
उन्होंने बताया कि जगतपुरवा गांव में भले ही रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता है, लेकिन आसपास के गांवों की बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं। बावजूद इसके जगतपुरवा गांव के भाई-बहनों में जरा भी निराशा नहीं है। कहते हैं कि जो बड़ो ने बताया, उसी पर अमल करते हैं। अपने पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरा को नहीं तोड़ेंगे। परंपरा को निभाते रहेंगे।
सूर्यनरायण मिश्रा ने बताया कि रक्षा सूत्र के बंधन सिर्फ सुनते हैं, लेकिन उसका आनन्द नहीं उठा पाते हैं। रक्षाबंधन के दिन अगर यह 20 घर के लोग आसपास के किसी दूसरे गांव में जाते हैं तो सिर्फ जगतपुरवा निवासी कहने पर बहनें रक्षासूत्र नहीं बांधती।
दूसरे को देखकर रक्षा सूत्र में बंधे रहने का मन हर किसी को करता है। लेकिन, गांव की परंपरा की जब याद आती है तो लोग स्वत: ही रक्षा सूत्र नहीं बंधवाते।
ग्रामीणों ने बताया कि रक्षा सूत्र के दिन इस गांव के अधिकांश लोग गांव से बाहर नहीं जाते। जगतपुरवा गांव रक्षा सूत्र के दिन सन्नाटा रहता है।
अनन्य
यमन के हूती समूह ने दागी बैलेस्टिक मिसाइल, इजरायली सेना ने हवा में किया नष्ट

सना, 26 सितंबर। यमन के हूती समूह ने गुरुवार रात इजरायल पर मिसाइल दागी। इसके बाद बेन गुरियन हवाई अड्डे पर हवाई यातायात अस्थायी रूप से रोक दिया गया। जान बचाने के लिए हजारों इजरायली लोगों को शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
शुक्रवार को हूती द्वारा संचालित अल-मसीरा टीवी पर प्रसारित एक बयान में, हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सरिया ने कहा कि गुरुवार रात दक्षिणी तेल अवीव के जाफा क्षेत्र में एक ‘संवेदनशील लक्ष्य’ की ओर हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई।
यह मिसाइल हमला गाजा पट्टी के फिलिस्तीनी क्षेत्र पर इजरायल के अटैक और यमन की राजधानी सना पर कुछ घंटे पहले हुए इजरायली हवाई हमलों के जवाब में किया गया था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सरिया ने चेतावनी दी कि बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य और लाल सागर के संकरे पानी से गुजरने वाले सभी वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों को हूती बलों को अपनी पहचान बतानी होगी। ऐसा नहीं करने पर उन पर हमला किया जाएगा।
गुरुवार रात एक बयान में इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि हवाई रक्षा प्रणालियों ने यमन में हूतियों द्वारा दागी गई एक मिसाइल को रोक दिया।
यह हमला गुरुवार शाम सना में हूती ठिकानों पर इजरायल के कई हवाई हमलों के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई और 142 लोग घायल हो गए।
आईडीएफ ने कहा कि सना पर हमले दक्षिणी इजरायली शहर ईलात पर 25 सितंबर को हूती ड्रोन हमले के जवाब में किए गए, जिसमें 20 लोग घायल हो गए थे।
सरकारी प्रसारक कान के अनुसार, ड्रोन एक बड़े समुद्र तट परिसर में फटा था। इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली ने ड्रोन को रोकने का दो बार प्रयास किया, लेकिन असफल रही थी। यह हमला यहूदी नववर्ष रोश हशाना के दौरान हुआ था, जब ईलात में इजरायली पर्यटकों की भीड़ थी।
राजधानी सना सहित उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती नवंबर 2023 से इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहा है और लाल सागर में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहा है।
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पश्चिम रेलवे आरपीएफ, जीआरपी ने मीरा रोड स्टेशन पर महिला क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपी को पकड़ा

मुंबई: भयंदर स्थित पश्चिम रेलवे की आरपीएफ टीम ने वसई रोड स्थित राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) टीम के साथ मिलकर हाल ही में मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर एक महिला वाणिज्यिक बुकिंग क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने वाले एक आरोपी का पता लगाया और उसे पकड़ लिया।
पश्चिम रेलवे के अनुसार, भयंदर चौकी की आरपीएफ टीम और वसई रोड जीआरपी ने मिलकर बदमाश की तलाश में एक संयुक्त अभियान चलाया। आरोपी की पहचान मीरा रोड (पूर्व) निवासी 48 वर्षीय अशलम अनवर खान के रूप में हुई है।
पूछताछ के दौरान आरोपी ने घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली। इसके बाद, जीआरपी/वसई रोड के पुलिस निरीक्षक ने आगे की कानूनी कार्रवाई करते हुए उसे 10 सितंबर, 2025 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया।
आरपीएफ भयंदर और जीआरपी वसई रोड द्वारा की गई यह त्वरित और समन्वित कार्रवाई, न केवल यात्रियों, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा, संरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के प्रति पश्चिम रेलवे की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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बिहार एसआईआर मामला: सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को बड़ा झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा बढ़ाने से इनकार

नई दिल्ली, 1 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार एसआईआर (में विशेष गहन पुनरीक्षण) मामले में विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे।
आयोग ने स्पष्ट किया कि नामांकन की अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने कहा, “आज की सुनवाई में दो याचिकाएं दायर की गईं। मुख्य मांग थी कि आधार कवरेज को 65 प्रतिशत की बजाय सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ाया जाए और समयसीमा को भी बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई का डाटा नोट किया है कि 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन हो चुका है और कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया है कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर लोग अपनी आपत्ति या दावा पेश कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मांग को भी नकारा है। कोर्ट ने माना है कि आधार का उद्देश्य नागरिकता को साबित करने का नहीं बल्कि पहचान को साबित करने का है। आधार कार्ड को ‘डेट ऑफ बर्थ’ का आधार माना जा सकता है।”
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है। समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। आयोग ने कहा कि 1 सितंबर से 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय है और इसके बाद भी कोई रोक नहीं है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और सही दावों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ‘बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी’ के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वे पैरा-लीगल वॉलेंटियर्स को मतदाताओं की मदद के लिए नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि दावे और आपत्तियां दर्ज करने में सहायता मिल सके।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश केवल 65 लाख लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि आधार कार्ड के कारण किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ, तो उनकी सूची 8 सितंबर को कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
इससे पहले, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि 22 अगस्त को कोर्ट ने आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का आदेश दिया था, लेकिन चुनाव आयोग पारदर्शिता के अपने निर्देशों का पालन नहीं कर रहा।
उन्होंने आशंका जताई कि कई ‘रिन्यूमेरेशन फॉर्म’ ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) द्वारा भरे गए हैं। भूषण ने यह भी कहा कि आयोग कुछ मतदाताओं को नोटिस जारी कर रहा है, जिसमें दस्तावेजों में कमी का हवाला दिया जा रहा है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए लोग आधार कार्ड के साथ दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि, आधार की अहमियत को मौजूदा कानूनी प्रावधानों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को कानून के तहत आधार की वैधानिकता को स्वीकार करना होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें कोर्ट आधार कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की सूची पर विचार करेगा।
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