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Monday,15-December-2025
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राजनीति

राजस्थान के राज्यपाल ने विधानसभा सत्र का प्रस्ताव तीसरी बार लौटाया

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Kalraj-Mishra

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को राज्य सरकार के एक प्रस्ताव को तीसरी बार वापस लौटा दिया, जिसमें एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की गई थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के इस कदम को एक ‘प्रेम पत्र’ कहा है, और इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस के बागी विधायकों के प्रति नरमी भी दिखाई है।

अधिकारियों ने कहा कि राज्यपाल ने राजस्थान में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को लेकर आपत्ति उठाई है और फिर से जानना चाहा है कि विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में सोशल डिस्टैंसिंग कैसे रखी जाएगी।

इस बीच, मिश्रा द्वारा प्रस्ताव लौटाने के बारे में जानकारी मिलने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से मिलने पहुंचे।

गहलोत ने यहां राज्य कांग्रेस कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के राज्यपाल की तरफ से एक ‘प्रेम पत्र’ आया है। उन्होंने मुलाकात से पहले पार्टी कार्यालय में कहा, “मैं उनसे मिलने जा रहा हूं और पूछूंगा कि वह क्या चाहते हैं।”

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के इंकार को दूसरी बार प्रेम पत्र कहा है। इसके पहले उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल फेयरमोंट होटल में कांग्रेस विधायकों को संबोधित करते हुए किया था।

गहलोत ने दावा किया है कि उनकी सरकार को गिराने की एक साजिश रची गई है। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी एक राजनीतिक साजिश के खिलाफ मजबूती से खड़ी है।

असंतुष्टों पर नरमी बरतते हुए उन्होंने कहा कि जिन्होंने अतीत में कांग्रेस को धोखा दिया है, वे पार्टी खेमे में लौट सकते हैं और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी माग लें।

उन्होंने कहा, “70 सालों में पहली बार किसी राज्यपाल ने इस तरह के सवाल उठाए हैं। क्या आप समझ सकते हैं कि देश कहां जा रहा है?”

मुख्यमंत्री पीसीसी के कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां नए पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कार्यभार ग्रहण किया।

राजस्थान सरकार द्वारा भेजे गए प्रथम दो प्रस्तावों को राज्यपाल द्वारा खारिज किए जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए मंगलवार को एक तीसरा प्रस्ताव राज भवन भेजा था।

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राष्ट्रीय समाचार

भारत का ऊर्जा क्षेत्र दुनिया के लिए बनेगा मिसाल: पीयूष गोयल

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नई दिल्ली, 15 दिसंबर: वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि भारत ने बिजली उत्पादन, ग्रिड एकीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। पिछले 11 वर्षों में भारत के ऊर्जा क्षेत्र की यात्रा इस बात का सबूत है कि साहसिक सोच, ईमानदारी और लगातार प्रयास एक राष्ट्र की तकदीर बदल सकते हैं।

गोयल ने कहा कि यह बदलाव संयोग नहीं, बल्कि स्पष्ट विजन और लगातार प्रयासों का परिणाम है। भारत अब बिजली की कमी से बिजली सुरक्षा और आगे बिजली स्थिरता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि जैसे-जैसे भारत विकसित भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, हमारा ऊर्जा क्षेत्र वैश्विक उदाहरण बनेगा।

उन्होंने आगे कहा कि वित्तीय वर्ष 2024–25 में भारत ने 1,048 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया, जबकि कोयला आयात लगभग 8 प्रतिशत घटा। सौर ऊर्जा क्षमता पिछले 11 सालों में 46 गुना बढ़ी, इसमें भारत अब दुनिया में तीसरे स्थान पर है। पवन ऊर्जा क्षमता भी 2014 के 21 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 53 गीगावाट हो गई।

गोयल ने कहा कि भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनिंग हब बन चुका है और अपनी रिफाइनिंग क्षमता को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा, देश में 34,238 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन स्वीकृत की गई, जिसमें से 25,923 किलोमीटर काम कर रही है। इन सभी उपायों से भारत का ऊर्जा नेटवर्क और भी मजबूत हो रहा है, जो भविष्य में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगा।

उन्होंने शांति विधेयक का भी जिक्र किया, जिसका उद्देश्य निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भाग लेने की अनुमति देना है।

गोयल ने आगे बताया कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र की सफलता 5 प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। पहला स्तंभ, सभी तक बिजली पहुंच है। भारत ने सौभाग्य योजना के तहत हर घर में बिजली पहुंचाई है। इसके साथ ही, उजाला योजना के तहत 47.4 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे बिजली के बिलों में कमी आई और कार्बन उत्सर्जन भी कम हुआ है।

दूसरा स्तंभ सस्ती बिजली है। भारत सरकार ने सौर, पवन और अन्य साफ ऊर्जा उपकरणों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया है। इसके अलावा, ईथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को 2030 से पहले ही 20 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया।

तीसरा स्तंभ बिजली की उपलब्धता है। भारत ने 2013 में जहां 4.2 प्रतिशत बिजली की कमी अनुभव की थी, वही अब यह कमी 2025 तक 0.1 प्रतिशत रह गई है। इसके साथ ही, देश ने 250 गीगावाट की रिकॉर्ड बिजली मांग को पूरा किया।

चौथा स्तंभ आर्थिक स्थिरता है। पीएम-उदय योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों में सुधार हुआ है और डिस्कॉम की देनदारी को 1.4 लाख करोड़ रुपए से घटाकर 6,500 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

पांचवां और आखिरी स्तंभ सतत विकास और वैश्विक जिम्मेदारी है। भारत ने पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा किया है और अब देश की 50 प्रतिशत बिजली क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधन से आ रही है।

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महाराष्ट्र

मुंबई महानगरपालिका चुनाव 15 जनवरी को, मतगणना 16 जनवरी को

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मुंबई: (कमर अंसारी) राज्य निर्वाचन आयोग ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) सहित राज्य की 29 नगर निगमों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। आयोग के अनुसार, सभी नगर निगम चुनावों के लिए नामांकन पत्र केवल ऑफलाइन माध्यम से ही स्वीकार किए जाएंगे। मतदाता सूची 25 जुलाई 2025 की अंतिम निर्वाचक नामावली के आधार पर तैयार की जाएगी।

मुंबई के ये चुनाव महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों का अहम हिस्सा हैं। बीएमसी कई वर्षों से बिना निर्वाचित सदन के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य कर रही है। आगामी चुनावों से शहर में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की वापसी की उम्मीद जताई जा रही है।

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनाव कार्यक्रम इस प्रकार है:

चुनाव कार्यक्रम

  • नामांकन अवधि: 23 दिसंबर से 30 दिसंबर 2025
  • नामांकन पत्रों की जांच: 31 दिसंबर 2025
  • नाम वापसी की अंतिम तिथि: 2 जनवरी 2026
  • अंतिम उम्मीदवार सूची एवं चुनाव चिन्ह आवंटन: 3 जनवरी 2026
  • मतदान: 15 जनवरी 2026
  • मतगणना: 16 जनवरी 2026

चुनाव को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। सड़कों की हालत, जल आपूर्ति, कचरा प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण, आवास पुनर्विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे चुनावी चर्चा में प्रमुख रहने की संभावना है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष, पारदर्शी और शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्थाएं शुरू कर दी हैं।

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राष्ट्रीय समाचार

कांग्रेस के मंच से पीएम मोदी पर नहीं की गई कोई अमर्यादित टिप्पणी : प्रियंका गांधी वाड्रा

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नई दिल्ली, 15 दिसंबर: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी को लेकर बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मंच से इस तरह की कोई टिप्पणी नहीं की गई थी।

उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि कांग्रेस के मंच से प्रधानमंत्री के संबंध में किसी भी प्रकार की अर्मादित टिप्पणी का इस्तेमाल नहीं किया गया। हमने खुद यह सुनिश्चित किया था कि मंच पर किसी के भी बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी का इस्तेमाल नहीं हो। हमें जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक किसी ने भीड़ में इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी साक्षात्कार के दौरान की थी। अब किसने यह टिप्पणी की थी, हमें ( कांग्रेस) इस बारे में जानकारी नहीं है।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि इस मुद्दे का सहारा लेकर भाजपा के लोग शीतकालीन सत्र को बाधित कर रहे हैं। अगर आप लोगों को संसद का सत्र नहीं चलाना है, तो यह बात खुद ही स्पष्ट कर दीजिए। इस तरह से किसी अन्य मुद्दों का सहारा मत लीजिए।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि संसद के शीतकालीन सत्र में दिल्ली में मौजूद प्रदूषण को लेकर चर्चा हो, लेकिन यह अफसोस की बात है कि सत्तापक्ष के लोग संसद के सत्र को बाधित कर रहे हैं।

प्रियंका गांधी ने कहा कि अगर आप लोगों को संसद में चर्चा ही नहीं करानी है, तो हम लोग यहां पर नहीं आएंगे। यहां किसी भी प्रकार की सार्थक चर्चा का गुंजाइश नहीं बन रही है। यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकार के लोग खुद संसद के शीतकालीन सत्र को बाधित कर रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्री खुद सत्र को बाधित कर रहे हैं। पत्रकारों को इस संबंध में सवाल करना चाहिए।

मनरेगा का नाम बदलने पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि भला ये लोग नाम क्यों बदल रहे हैं, जब सरकार की तरफ से किसी परियोजना का नाम बदला जाता है, तो उस पर बहुत बड़ी राशि खर्च होती है। ऐसी स्थिति में भला ये लोग किसी योजना का नाम क्यों बदल रहे हैं, ये समझ से परे है। ये लोग अब महात्मा गांधी नाम भी हटा रहे हैं। आखिर इन लोगों की मंशा क्या है?

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