राजनीति
राजस्थान कांग्रेस का असर उप्र में भी, जितिन प्रसाद हो सकते हैं बागी!

राजस्थान में सत्ता बचाने में लगी कांग्रेस ने बागी युवा चेहरे सचिन पायलट के खिलाफ बर्खास्तगी का अस्त्र चलाया है। हालांकि कांग्रेस की यह कार्रवाई वहां कितनी कारगर होगी, इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, मगर इसका असर उत्तर प्रदेश की राजनीति में जरूर दिखाई देने लगा है।
यहां यूथ कांग्रेस के चेहरा माने जाने वाले जितिन प्रसाद के भी बागी होने के संकेत मिलने लगे हैं।
जितिन प्रसाद ने जिस तरह से पायलट के प्रति अपनी सहनभूति दिखाई है। उससे कुछ और संकेत मिल रहे हैं। दरअसल मध्यप्रदेश में सिंधिया के हटने के कुछ महीने बाद सचिन पायलट के कांग्रेस से मनमुटाव के भी इसी तरह के संकेत मिल रहे थे और अब वह बागी हो भी गये हैं।
राजस्थान में चल रहे घटनाक्रम में जितिन खुलकर सचिन पायलट का साथ देते दिख रहे हैं। पायलट के पक्ष में उन्होंने ट्वीट भी किया है। लिखा है “सचिन पायलट सिर्फ मेरे साथ काम करने वाले शख्स ही नहीं, बल्कि मेरे दोस्त भी हैं। कोई इस बात को नकार नहीं सकता कि इन दिनों उन्होंने पूरे समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम किया है। उम्मीद करता हूं कि ये स्थिति जल्द सुधर जाएगी, दुखी भी हूं कि ऐसी नौबत आई।” जितिन के इस ट्वीट से उत्तर प्रदेश में कई सियासी मायने देखे जा रहे हैं।
अभी कुछ ही दिन पहले जितिन प्रसाद ने ट्विटर पर मायावती को आभार व्यक्त किया था। इससे भी कांग्रेसी काफी सकते में हैं। क्योंकि प्रियंका ने मायावती को भाजपा का प्रवक्ता बताया था। इन दोनों दलों में आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं। ऐसे में जितिन प्रसाद का मायावती को अभार जताना कहीं न कहीं खलबली पैदा करने जैसा है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट के जरिए कहा था कि विकास दुबे जैसे दुर्दात अपराधियों को लेकर किसी समुदाय विशेष पर उंगली नहीं उठाई जानी चाहिए या उन्हें कटघरे में नहीं खड़ा किया जाना चाहिए। उनके इसी बयान पर जितिन प्रसाद ने मायावती को आभार व्यक्त किया था।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं, “जितिन प्रसाद ने पहला रिएक्शन विकास दुबे की हत्या के बाद दिया था। जब उन्होंने ब्राह्मण चेतना परिषद बनाया। यह अपने आप में बड़ा संदेश है। जितिन प्रसाद कांग्रेस के अलावा अपनी अलग भूमिका ढूंढ रहे हैं। आने वाले समय में वह अपने को ब्राह्मण चेहरे के रूप में प्रस्तुत करें तो बड़ी बात नहीं है। वह कांग्रेस के एक नेता बने रहने के बजाय बड़ी भूमिका की तलाश में हैं। हालांकि वह राहुल गांधी के खास माने जाते थे, लेकिन देखा गया कि इनके पीछे राहुल गांधी खड़े नहीं हैं। ज्योतिरादित्य को पार्टी से जाने में नहीं बचा पाए। सचिन पायलट की बड़ी बेइज्जती हो गयी। इतना समय बीत जाने के बाद भी जितिन प्रसाद को कोई नई भूमिका नहीं मिली है। वह भूमिका चाहते हैं इसीलिए उन्होंने ब्राह्मण परिषद बनाया है। इसके माध्यम से वह ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। इसके अलावा सचिन पायलट पर उनकी प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि वह कांग्रेस में अपने प्रति हो रहे व्यवहार से खुश नहीं हैं।”
कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि जितिन प्रसाद बड़े सीनियर और ब्राह्मणों के नेता हैं, लेकिन प्रियंका गांधी के आने के बाद वह किनारे कर दिये गये हैं। वह प्रदेश में अपने लिए बड़ी भूमिका चाह रहे हैं, लेकिन वह मिल नहीं पा रही है। यह ठीक नहीं है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का मानना है, “जितिन हाल में कांग्रेस पार्टी के संगठन के लिए यूपी में ब्राह्मण चेहरों के साथ काम करने में जुटे हुए हैं। जितिन प्रसाद को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बेहद करीबी माना जाता है। लेकिन, कुछ वक्त से वह कांग्रेस पार्टी में हाशिये पर हैं। हालांकि अभी तक उन्होंने इसे लेकर कोई खुला विरोध नहीं किया है, लेकिन हाल की उनकी कुछ प्रतिक्रियाओं ने पार्टी से खुश न रहने का संकेत अवश्य दिया है।”
महाराष्ट्र
आई लव मुहम्मद स्टिकर को लेकर कुर्ला में हंगामा, सौम्या का अल्टीमेटम, जांच में प्रगति न होने पर सौम्या का दोबारा दौरा, हालात बिगाड़ने की कोशिश

मुंबई: महाराष्ट्र और मुंबई में आई लव मुहम्मद को लेकर विवाद गहरा गया है। भाजपा नेता कीरत सौम्या ने मुंबई के बाहरी इलाके कुर्ला इलाके में ट्रैफिक स्टॉप पर वाहनों पर आई लव मुहम्मद के स्टिकर चिपकाए जाने पर आपत्ति जताई है और एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। कुर्ला पुलिस स्टेशन को 48 घंटे का अल्टीमेटम देने के बाद, कीरत सौम्या ने आज फिर कुर्ला पुलिस स्टेशन का दौरा किया और वाहनों पर जबरन स्टिकर चिपकाने के लिए मामला दर्ज करने की मांग की।
इस मामले में पुलिस ने कीरत सौम्या से कानून विभाग से परामर्श करने और मामले में प्रगति के लिए मंगलवार तक का समय मांगा है। जब कीरत सौम्या से पूछा गया कि उन्हें आई लव मुहम्मद से क्या आपत्ति है और उन्होंने इसका विरोध क्यों किया, तो उन्होंने इससे इनकार किया और कहा कि सभी को पैगंबर मुहम्मद (उन पर शांति हो) का नाम लेने का अधिकार है, लेकिन इसकी आड़ में गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिस तरह से बिना अनुमति के सड़कों पर जबरन स्टिकर चिपकाए गए, वह वैसा ही है।
यह अवैध है। क्रेट सौम्या ने कहा कि पुलिस ने सभी वीडियो फुटेज और अन्य दस्तावेज़ उपलब्ध करा दिए हैं, लेकिन पुलिस ने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है। पुलिस ने मुझे मंगलवार तक का समय दिया है। अब पुलिस कानून विभाग से सलाह लेने के बाद कोई कार्रवाई करेगी। क्रेट सौम्या से जब पूछा गया कि क्या किसी ने थाने जाकर जबरन स्टिकर लगाने की शिकायत की है, तो उन्होंने कहा कि चूँकि मैं शिकायतकर्ता हूँ, इसलिए पुलिस को इस गुंडागर्दी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। क्रेट सौम्या की माँग के बाद कुर्ला में हालात बिगाड़ने की कोशिश की गई है, जिससे माहौल तनावपूर्ण है।
महाराष्ट्र
सड़कें नारे तकबीर अल्लाहु अकबर और अल्लाह के रसूल के नारे से गूंज उठीं। ‘आई लव मुहम्मद’ विवाद में गिरफ्तार मुस्लिम युवकों को रिहा किया जाए।

मुंबई: मुंबई के मदनपुरा हरि मस्जिद से 71 साल पुराना ऐतिहासिक गौसिया जुलूस बड़े ही धूमधाम से निकाला गया। गौसिया जुलूस का नेतृत्व विद्वानों ने किया, जबकि गौस-ए-आज़म के भक्तों ने पैगंबर मोहम्मद का झंडा लेकर जुलूस में भाग लिया। मुंबई की सड़कें तकबीर अल्लाहु अकबर, हम गौस के झुंड को नहीं छोड़ेंगे जैसे नारों से गूंज उठीं। बरेली में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। आई लव मुहम्मद पर विवाद के बाद मुंबई में भी हाई अलर्ट था। गौसिया जुलूस में विद्वान पुरानी और प्राचीन कारों में नजर आए, जबकि मदरसों के छात्रों सहित गौस-ए-आज़म के सभी विद्वान और भक्त जुलूस का हिस्सा थे। जुलूस मदनपुरा से गौसिया तक पारंपरिक राजमार्गों से गुजरा और मस्तान तालाब पर नमाज के साथ समाप्त हुआ।
गौस-ए-आज़म दस्तगीर (अल्लाह उनसे प्रसन्न हो) की शिक्षाओं पर अमल करने में ही सफलता निहित है, इसलिए मुसलमानों के लिए नमाज़ की पाबंदी और शरीयत का पालन करना ज़रूरी है। यह नसीहत मौलाना मकसूद अली खान ने आज गौसिया जुलूस से पहले गौस-ए-पाक की जीवनी सुनाते हुए दी। उन्होंने कहा कि गौसिया जुलूस को 70 साल पूरे हो गए हैं। मुसलमानों के लिए आपस में एकता और सद्भाव बनाए रखना समय की मांग है। गौस-ए-आज़म दस्तगीर (अल्लाह उनसे प्रसन्न हो) ने मानवता का संदेश फैलाया है। मुहम्मद साहब को लेकर उठे विवाद पर मौलाना मकसूद अली खान ने कहा कि मुहम्मद मुस्तफा (उन पर शांति हो) ने प्रेम का संदेश फैलाया है। वह मानवता के लिए रहमत बनकर आए, लेकिन आज इस आकर्षक युग में नफरत का बाजार गर्म है। मुहम्मद साहब के नाम पर भी राजनीति चल रही है और हालात बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है, जो पूरी तरह से गलत है। मौलाना मकसूद अली खान ने कहा कि गौस-ए-आज़म दस्तगीर के पास अनगिनत खोजें और चमत्कार हैं और उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने की सलाह दी है। उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के लिए जिलानी से बगदाद तक की यात्रा भी की है, इसलिए इस्लाम में शिक्षा का बहुत महत्व है।
उन्होंने कहा कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के नाम का पहला अक्षर ‘म’ है, इसीलिए सभी लोग मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से प्रेम करते हैं। बरेली हिंसा पर मौलाना मकसूद अली खान ने कहा कि हिंसा के आरोप में गिरफ्तार मुस्लिम युवकों को सशर्त रिहा किया जाना चाहिए। मुसलमानों ने पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की मोहब्बत में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन किया था। इसके साथ ही मौलाना तौकीर रजा को भी रिहा किया जाना चाहिए। ख्वाजा गरीब नवाज (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सहित सभी मठों में मुसलमानों से ज़्यादा गैर-मुस्लिम हाज़िर होते हैं और यह भाईचारे और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के नाम का विरोध करना बिल्कुल भी उचित नहीं है। वह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने दुश्मनों से भी प्रेम करते थे। जो व्यक्ति उनके प्रति समर्पित होता है, वह केवल प्रेम का संदेश फैलाता है।
मौलाना खलील-उर-रहमान ने कहा कि सफलता का रहस्य गौस-ए-पाक (अल्लाह उन पर रहम करे) की शिक्षाओं पर चलने में निहित है। इसलिए मुसलमानों को इस्लाम की रस्सी को मजबूती से पकड़ना चाहिए और पवित्र शरीयत का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के आकर्षक युग में, फिरकापरस्त ताकतें इस्लाम के खिलाफ साजिशें रच रही हैं, जिसके साथ ही मुसलमानों पर अत्याचार करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन गौस-ए-पाक की कृपा हम मुसलमानों पर हमेशा बनी रहेगी। सरकार को बरेली और उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में गिरफ्तार किए गए मुस्लिम युवाओं को तुरंत रिहा करना चाहिए और अनावश्यक गिरफ्तारियों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
मौलाना मनान रजा खां मनानी मियां, मौलाना सैयद कौसर रब्बानी, अल्हाज सईद नूरी रजा अकादमी, मौलाना अब्दुल कादिर अल्वी, मौलाना फरीद-उल-जमां, मौलाना खलील-उर-रहमान नूरी, मौलाना इजाज कश्मीरी, मौलाना अमानुल्लाह रजा, मुफ्ती जुबैर बरकाती, हाफिज अब्दुल कादिर, कारी नियाज अहमद, कारी नाजिम अली बरकाती, कारी अब्दुल रहमान जिया, मौलाना इब्राहीम आसी, हाफिज शादाब, हाजी बरकत अहमद अशरफी सहित अन्य विद्वान एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय समाचार
वाराणसी में हनुमान चालीसा पाठ बजाने पर विवाद, पुजारी को धमकाने का आरोप, हिंदू संगठनों ने जताया विरोध

वाराणसी, 4 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मंदिर के पुजारी को धमकाने का मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है। विवाद उस समय उत्पन्न हुआ, जब मंदिर में स्पीकर पर हनुमान चालीसा पाठ बजाया जा रहा था। इस घटना के कारण हिंदू संगठन से जुड़े लोगों में भारी गुस्सा है। उन्होंने विरोध करते हुए मौके पर जाकर फिर से हनुमान चालीसा पाठ किया।
जानकारी सामने आई कि वाराणसी के मदनपुर क्षेत्र में स्थित एक हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा पाठ बजाया जा रहा था। आरोप है कि हनुमान चालीसा पाठ पर विशेष समुदाय के लोगों ने आपत्ति जताई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक व्यक्ति को पुजारी के साथ बहस करते हुए देखा गया। इसके बाद वहां अन्य लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई।
मंदिर के पुजारी ने विशेष समुदाय के लोगों पर धमकी दिए जाने का भी आरोप लगाया है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले पर संज्ञान लिया और आरोपी शख्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया। दशाश्वमेध के एसीपी शुभम कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की।
हालांकि, इस घटना के बाद हिंदू संगठन भड़के हुए हैं। हिंदू संगठन हनुमान सेना ने घटना के विरोध में मंदिर के नजदीक जांगमबाड़ी मठ पर हनुमान चालीसा का पाठ किया।
संगठन के लोगों का कहना है कि मंदिर में मोबाइल पर सुबह-शाम हनुमान चालीसा का पाठ बजाया जाता है, लेकिन दूसरे समुदाय के लोग काशी में दिन में 5 बार नमाज पढ़ते हैं, जिससे पूरी काशी परेशान है।
उन्होंने कहा, “मस्जिदों पर लाउडस्पीकर हटवाने के लिए संगठन की तरफ से कई बार प्रयास किए गए। प्रशासन ने भी कई बार कोशिश की है। विरोध के समय लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी जाती है, लेकिन बाद में वे लोग फिर से तेज आवाज में लाउडस्पीकर पर नमाज पढ़ते हैं। सुबह 4 बजे ये लोग तेज स्पीकर में लाउडस्पीकर पर अजान करते हैं।”
हिंदू संगठन के लोगों ने चेतावनी दी कि अगर काशी में हनुमान चालीसा नहीं बजाई जाएगी तो मस्जिदों में नमाज भी नहीं होगी। उन्होंने कहा, “हनुमान जी की शपथ लेते हुए उन्होंने कहा कि हम किसी भी मस्जिद पर अजान नहीं होने देंगे, चाहे इसके लिए रासुका लगे या हमारा एनकाउंटर हो जाए।”
इसी बीच, संगठन के लोगों ने मामले में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई पर संतुष्टि जताई। इसके साथ ही, उन्होंने फिर से चेतावनी दी कि अगर दोबारा काशी में इस तरह की हरकत हुई तो वे चुप नहीं बैठेंगे।
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