अंतरराष्ट्रीय समाचार
मुख्यमंत्री योगी भारत-नेपाल रिश्ते दुरुस्त करने में तुरुप का पत्ता साबित होंगे

चीन से तनातनी के बीच मौजूदा समय में नेपाल-भारत रिश्तों की अनदेखी नहीं कि जा सकती है। लेकिन चिंता का विषय यह है कि चीन के दबाव में आकर नेपाल ने सदियों पुराने रोटी-बेटी के रिश्तों को दरकिनार कर दिया है। बावजूद इसके गोरखनाथ मंदिर और आम जनमानस के मधुर रिश्तों से दोनों देशों के पुराने रिश्तों में रवानगी लाई जा सकती है। इसे दुरुस्त करने को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं।
बता दें कि योगी ने हाल ही में नेपाल को आगाह किया था कि उसे अपने देश की राजनैतिक सीमाएं तय करने से पहले तिब्बत के हश्र को याद रखना चाहिए। इस बात पर नेपाली प्रधानमंत्री ओली काफी नाराज थे और इसे राजनैतिक तूल देकर एक ऐतिहासिक भूल करते हुए योगी को ही नसीहत दी थी।
नेपाल शोध अध्ययन केन्द्र के निदेशक डॉ. प्रदीप राव ने आईएएनएस को बताया, “नाथपंथ और नेपाल का संबंध सांस्कृतिक-धार्मिक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण है। महायोगी गोरखनाथ नेपाल के राजगुरू रहे। नेपाल की मुद्राओं पर गोरखनाथ के नाम का अंकन है। पहले उस पर उनकी चरण पदुकाएं अंकित रहती थी, अब पृथ्वीनाथ की कटार अंकित है। यह नेपाली मुद्रा पर आज भी है। किसी भी राष्ट्र की मुद्रा उसकी प्रतीक होती है। जैसे भारत में आशोक चक्र और महात्मा गांधी हैं, ठीक वैसे ही नेपाल की मुद्रा पर गोरखनाथ और नाथपंथ से जुड़े प्रतीक आज भी अंकित हैं। यह जनमानस में रचा बसा है। वहां की कम्युनिस्ट सरकार भी उनका प्रतीक नहीं हटा पाई। हम आज तक इसका उपयोग भारत नेपाल के संबंध में नहीं कर पाएं, नहीं तो आज यह स्थिति न होती है। गोरखनाथ को केन्द्र में रखकर यदि भारत नेपाल सांस्कृतिक विरासत की बात करेंगे तो बिना गोरखनाथ मंदिर के यह कैसे संभव है। नेपाल की जनता गोरखनाथ के पीठाधीश्वर को आज भी गोरखनाथ का प्रतिनिधि मानती है।”
गौरतलब है कि नाथपंथ और नेपाल के रिश्ते हजारों वर्ष पुराने हैं। महायोगी गोरखनाथ जी द्वारा प्रवर्तित नाथपंथ के प्रभाव से पूर्व नेपाल में योगी मत्स्येन्द्रनाथ की योग परम्परा का प्रभाव दिखायी देता है, जिन्हें नेपाल के सामाजिक जनजीवन में अत्यंत सम्मान प्राप्त है। इसकी झलक नेपाली समाज में प्रसिद्घ मत्स्येन्द्र-यात्रा-उत्सव के रूप में मिलती है। गुरु गोरक्षनाथ के प्रताप से गोरखा राष्ट्र, जाति, भाषा, सभ्यता एवं संस्कृति की प्रतिष्ठा हुई।
शाह राजवंश के सभी नरेशों ने गुरु गोरखनाथ को अपना इष्टदेव स्वीकारा। नेपाल के शाहवंशी शासकों ने अपने सिक्कों पर गुरु गोरखनाथ की चरणपादुकाओं का चिह्न् अंकित कराया।
नेपाल की जनता एवं शाह राजवंश परम्परागत रूप से महायोगी गोरक्षनाथ को प्रतिवर्ष भारत के गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मन्दिर में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी चढ़ाते हैं। आज भी नेपाली जनता के बीच गोरखनाथ राष्ट्रगुरु के रूप में पूज्य हैं। यह नाथपंथ का नेपाल में प्रभाव और तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ के प्रति आदर ही था कि 1950 के दशक में शाह राजवंश और राणा शासकों में जारी सत्ता संघर्ष के दौर में तत्कालीन सरकार को उनकी मदद लेनी पड़ी। बावजूद इसके भारत के प्रति नेपाल का यह रवैया दुखद है। वह भी तब जब योगी जी के गुरु ब्रह्मलीन अवेद्यनाथ अक्सर यह कहा करते थे कि नेपाल सिर्फ हमारा पड़ोसी मित्र राष्ट्र ही नहीं समान और साझा सांस्कृतिक विरासत के कारण सहोदर भाई जैसा एकात्म राष्ट्र है।
नेपाल के प्रति ऐसी ही सद्भावना उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ की भी थी। वह नेपाल के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप किए बिना भारत से हमेशा सद्भावना मंडल भेजे जाने पर बल देते थे।
ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ ने भी आजीवन नेपाल के प्रति इन्हीं विचारों और नीतियों का समर्थन और अनुकरण किया। वह बार-बार भारत सरकार को नेपाल में हो रहे सामाजिक और राजनीतिक बदलाव के बारे में सचेत करते रहे। माओवादी गतिविधियां, आईएसआई की पैठ और धमार्ंतरण को भारत विरोधी गतिविधियां बताते रहे।
अपने गुरु की इस सोच को योगी आदित्यनाथ भी अक्सर उल्लेख किया करते हैं। ऐसे वक्त में भारत की वर्तमान सरकार को नेपाल के साथ अपने संबंधों को सुदृढ करने के लिए नाथ सम्प्रदाय की आध्यात्मिक उपस्थिति और प्रभाव का सहयोग लेना चाहिए। एक स्थिर नेपाल ही भारत के लिये हितकारी है, ऐसी स्थिति में योगी आदित्यनाथ, भारत सरकार के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
आईटी शेयरों में तेजी से सेंसेक्स 330 अंक चढ़ा, निफ्टी 24,500 स्तर के ऊपर

मुंबई, 1 सितंबर: भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों ने सोमवार को सप्ताह की शुरुआत बढ़त के साथ की। शुरुआती कारोबार में आईटी और पब्लिक सेक्टर बैंक के शेयरों में तेजी रही।
अमेरिकी कोर्ट के एक फैसले से मार्केट सेंटीमेंट को बल मिला, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अवैध थे, लेकिन अक्टूबर के मध्य तक उन्हें बरकरार रखा जाएगा। इसके अलावा, जून तिमाही के अनुमान से बेहतर जीडीपी आंकड़ों से भी बाजार में तेजी आई।
सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 335 अंक या 0.42 प्रतिशत बढ़कर 80,144 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 104.30 अंक या 0.43 प्रतिशत बढ़कर 24,531 पर पहुंच गया।
ब्रॉड-कैप सूचकांकों ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया। निफ्टी मिडकैप 100 में 0.85 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.70 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
सेक्टोरल फ्रंट पर, निफ्टी आईटी सूचकांक 1.59 प्रतिशत की बढ़त के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाला सूचकांक रहा। निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में 0.98 प्रतिशत की तेजी आई। निफ्टी मेटल और पीएसयू बैंक सूचकांक क्रमशः 0.78 और 0.79 प्रतिशत की बढ़त में रहे। दूसरी ओर, निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक ने 0.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
निफ्टी पैक में टेक महिंद्रा, टीसीएस, हीरो मोटोकॉर्प, एचसीएल टेक और ट्रेंट टॉप गेनर्स रहे। इस बीच, जियो फाइनेंशियल 1.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ टॉप लूजर रहा, इसके बाद टॉप लूजर्स की लिस्ट में रिलायंस, एचयूएल, मारुति सुजुकी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का स्थान रहा।
चॉइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने कहा, “निफ्टी 50 अपने 100-डीईएमए से नीचे कारोबार कर रहा है, जो एक कमजोर रुझान दर्शाता है और अगर यह 24,350 से नीचे चला जाता है तो और अधिक गिरावट का जोखिम है। मुख्य समर्थन 24,350 और 24,150 पर हैं, जबकि प्रतिरोध 24,600-24,800 पर है।”
विश्लेषकों को यह भी उम्मीद है कि ट्रंप के मनमाने व्यवहार के जवाब में चीन, भारत और रूस एकजुट होंगे, जिससे वैश्विक शक्ति समीकरण और व्यापार प्रभावित होंगे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी अदालत का यह फैसला कि ट्रंप के टैरिफ अवैध हैं, एक बड़ी घटना है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला बेहद अहम है।
उन्होंने आगे कहा, “घरेलू स्तर पर, भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो उम्मीद से कहीं बेहतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि बजट में दिए गए राजकोषीय प्रोत्साहन और एमपीसी द्वारा दिए गए मौद्रिक प्रोत्साहन का असर अब दिखने लगा है। प्रस्तावित जीएसटी सुधार आने वाली तिमाहियों में विकास को गति दे सकते हैं।”
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार लाल निशान में बंद हुए, जहां डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि नैस्डैक में 1.15 प्रतिशत और एसएंडपी 500 में 0.64 प्रतिशत की गिरावट आई।
एशियाई बाजारों में सप्ताह की शुरुआत मिली-जुली रही। चीन का शंघाई सूचकांक 0.48 प्रतिशत और शेन्जेन सूचकांक 0.52 प्रतिशत की बढ़त में रहे। जापान का निक्केई 2.03 प्रतिशत की गिरावट में रहा, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 2.02 प्रतिशत की तेजी में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.83 प्रतिशत की गिरावट में रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अगस्त में भारतीय शेयरों से 34,993 करोड़ रुपए निकाले, जो इस वर्ष की उनकी सबसे बड़ी गिरावट थी, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ झटकों और जून तिमाही की कमजोर आय से सेंटीमेंट प्रभावित हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने ट्रंप-पुतिन की बैठक का किया स्वागत, कहा- संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह संभव

नई दिल्ली, 16 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक पर भारत की पहली प्रतिक्रिया आई। भारत ने कहा कि संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह बनेगी।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत देखना चाहती है।
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। इसके बाद यूएस राष्ट्रपति वाशिंगटन लौट गए। इससे पहले ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह नाटो नेताओं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य संबंधित अधिकारियों को बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, अलास्का के एंकोरेज से मास्को रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने सोवियत संघ के सैनिकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। ये कब्रें उन सोवियत पायलटों और नाविकों को श्रद्धांजलि हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।
ट्रंप के साथ हुई बैठक को लेकर पुतिन ने कहा कि हमारी बातचीत रचनात्मक और परस्पर सम्मान के माहौल में हुई। उन्होंने एक पड़ोसी के रूप में ट्रंप का स्वागत किया और उनके साथ बहुत अच्छे सीधे संपर्क स्थापित किए। साथ ही उन्होंने ट्रंप को साथ मिलकर काम करने और बातचीत में एक दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया। खास बात यह है कि दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे। हमारी बातचीत सकारात्मक रही।
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