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Thursday,15-May-2025
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इस वित्त वर्ष में 88 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक की गई नीलामी : केंद्र

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नई दिल्ली, 28 दिसंबर। केंद्र सरकार ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान 10 दिसंबर तक 88 खनिज ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। इस अवधि में केंद्र सरकार द्वारा चार चरणों में 24 महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी पूरी की गई।

राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) ने 609.54 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत के साथ 120 खनिज अन्वेषण और खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

खान मंत्रालय ने बताया कि “एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन 12 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की रॉयल्टी दर को सही बनाने के लिए किया गया था।”

पिछले सप्ताह, मंत्रालय ने भारत के अपतटीय क्षेत्रों में 13 खनिज ब्लॉकों को प्रदर्शित करने के लिए एक वेबिनार आयोजित किया, जिन्हें देश के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन) के भीतर विशाल समुद्री खनिज संपदा का दोहन करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल के तहत ई-नीलामी के लिए रखा जा रहा है।

नीलाम किए जा रहे 13 अपतटीय खनिज ब्लॉकों में केरल तट से 3 कंस्ट्रक्शन सैंड ब्लॉक और गुजरात तट से 3 लाइम मड ब्लॉक शामिल हैं।

ग्रेट निकोबार द्वीप समूह से 7 अन्य पॉलीमेटेलिक और नोड्यूल्स और क्रस्ट ब्लॉक भी प्रस्तावित पहली किश्त का हिस्सा हैं।

खान मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, ई-नीलामी मंच के एमएसटीसी द्वारा वॉकथ्रू ने प्रतिभागियों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और बोली जमा करने के चरणों को शोकेस किया।

मंत्रालय ने कहा कि 7,500 किलोमीटर से अधिक समुद्र तट और 2.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैले ईईजेड के साथ, भारत हिंद महासागर में खनिज अन्वेषण के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करता है, जो आर्थिक विकास और स्थिरता लक्ष्यों का समर्थन करता है।

चीन, जापान, नॉर्वे, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, पापुआ न्यू गिनी, नामीबिया अपतटीय खनन करने वाले प्रमुख देशों में से हैं। अपतटीय क्षेत्रों में प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशेष आर्थिक क्षेत्र और देश के अन्य समुद्री क्षेत्र शामिल हैं।

मंत्रालय को भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला , 2024 में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रथम स्थान (स्वर्ण) से भी सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय समाचार

दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों की बढ़ाई गई सुरक्षा, लाल किला और कुतुब मीनार के बाहर अतिरिक्त बलों की तैनाती

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नई दिल्ली, 9 मई। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बाद देश भर में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा दिल्ली पुलिस ने बढ़ाई है।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने लाल किला और कुतुब मीनार के पास सुरक्षा में इजाफा करते हुए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की है। पुलिस के मुताबिक, एहतियातन सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है, और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी जा रही है।

दिल्ली पुलिस के अनुसार, आमतौर पर ऐतिहासिक इमारतों के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहती है, लेकिन बॉर्डर पर तनाव देखते हुए दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में भी सुरक्षा को और बढ़ाया गया है।

बता दें कि दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं और इसी के चलते दिल्ली पुलिस की तरफ से एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है।

भारतीय सेना के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान सशस्त्र बलों ने 8 और 9 मई की मध्यरात्रि को पूरे पश्चिमी सीमा पर ड्रोन और अन्य हथियारों का उपयोग करके कई हमले किए।

पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर कई बार संघर्ष विराम उल्लंघन (सीएफवी) का भी सहारा लिया।

भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि ड्रोन हमलों को प्रभावी ढंग से खदेड़ दिया गया और सीएफवी को मुंहतोड़ जवाब दिया गया। भारतीय सेना राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

भारतीय सेना ने कहा कि सभी नापाक इरादों का बलपूर्वक जवाब दिया जाएगा। भारत ने गुरुवार रात को जम्मू, पठानकोट, उधमपुर और कुछ अन्य स्थानों पर सैन्य स्टेशनों पर हमला करने की पाकिस्तानी सेना की कोशिश को नाकाम कर दिया।

नई दिल्ली की जवाबी कार्रवाई में न केवल ड्रोन और मिसाइलें नष्ट हुईं, बल्कि इस्लामाबाद के एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम विमान को भी मार गिराया गया, जो पाकिस्तान की हवाई निगरानी और युद्धक्षेत्र समन्वय क्षमताओं के लिए एक बड़ा झटका है।

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राष्ट्रीय समाचार

सुप्रीम कोर्ट ने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के परपोते की विधवा की लाल किले के स्वामित्व की मांग वाली याचिका खारिज की

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सुल्ताना बेगम की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर के परपोते दिवंगत मिर्जा मोहम्मद बेदार बख्त की विधवा होने का दावा करते हुए कानूनी ‘उत्तराधिकारी’ होने के नाते लाल किले पर कब्जा मांगा था।

मामले के बारे में

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया, “केवल लाल किला ही क्यों? फतेहपुर सीकरी क्यों नहीं? उन्हें भी क्यों छोड़ दिया जाए। रिट पूरी तरह से गलत है। खारिज।”

बेगम ने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ अपील में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने 13 दिसंबर, 2024 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अदालत के एकल न्यायाधीश के दिसंबर 2021 के फैसले के खिलाफ दायर उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उनकी याचिका भी खारिज कर दी गई थी।

20 दिसंबर, 2021 को उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने लाल किले पर कब्जे की मांग वाली बेगम की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि 150 से अधिक वर्षों के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाने में अत्यधिक देरी का कोई औचित्य नहीं है।

बेगम ने कहा था कि वह “लाल किले की असली मालिक हैं क्योंकि उन्हें यह संपत्ति उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर द्वितीय से विरासत में मिली है और भारत सरकार ऐसी संपत्ति पर अवैध कब्जा कर रही है”।

उन्होंने दावा किया कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने परिवार को संपत्ति से वंचित कर दिया था, जिसके बाद सम्राट को देश से निर्वासित कर दिया गया था और लाल किले पर मुगलों का कब्जा बलपूर्वक छीन लिया गया था।

याचिका में केंद्र को लाल किले को बेगम को सौंपने या सरकार द्वारा कथित अवैध कब्जे के लिए 1857 से लेकर अब तक के मुआवजे के अलावा पर्याप्त मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की गई है।

उन्होंने कहा कि 1960 में जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में सरकार ने मिर्जा मुहम्मद बेदार बख्त को बहादुर शाह का उत्तराधिकारी माना था और उन्हें राजनीतिक पेंशन प्रदान की थी।

बताया गया कि 15 अगस्त 1965 को बेगम ने बेदार बख्त से विवाह किया और 22 मई 1980 को उनकी मृत्यु के बाद बेगम को तत्कालीन सरकार द्वारा 1 अगस्त 1980 से राजनीतिक पेंशन प्रदान की गई।

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अपराध

देवबंद की पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट, कई मजदूरों की मौत

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सहारनपुर, 26 अप्रैल। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले स्थित देवबंद में शनिवार सुबह एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ, जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई। यह हादसा निहालखेड़ी गांव के पास स्टेट हाईवे-59 पर स्थित एक अवैध फैक्ट्री में सुबह करीब 7 बजे हुआ। घटना के समय फैक्ट्री में 9 कर्मचारी काम कर रहे थे। विस्फोट इतना जोरदार था कि पूरी इमारत ध्वस्त हो गई, और मजदूरों के शव के टुकड़े 200 मीटर दूर तक बिखर गए। आशंका है कि मलबे में कुछ लोग दबे हो सकते हैं।

विस्फोट की आवाज 2 किलोमीटर तक सुनाई दी, जिससे आसपास के गांव दहल गए। एक व्यक्ति का आधा शरीर और दूसरे का हाथ 150 मीटर दूर मिला। घटना का वीडियो दिल दहला देने वाला है।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं। पुलिस ने इलाके को सील कर दिया और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों के परिजन मौके पर पहुंचे, जिनका रो-रोकर बुरा हाल है। गुस्साए ग्रामीणों ने हाईवे जाम कर दिया और पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। कई थानों की पुलिस फोर्स को बुलाया गया ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

सूत्रों के मुताबिक, यह फैक्ट्री अवैध रूप से चल रही थी, जहां प्रतिबंधित पटाखे बनाए जा रहे थे। विस्फोट इतना तेज था कि मजदूरों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है। हादसे में मरने वालों की पहचान अभी स्पष्ट नहीं हो सकी है।

यह सहारनपुर में इस तरह का पहला हादसा नहीं है। इससे पहले 2 मई 2022 को सरसावा थाना क्षेत्र के सौराना गांव में भी एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ था। उस समय भी मृतकों के शव के टुकड़े 200 मीटर दूर बिखरे थे।

स्थानीय लोग प्रशासन की लापरवाही से नाराज हैं। उनका कहना है कि अवैध फैक्ट्रियां बार-बार हादसों का कारण बन रही हैं, लेकिन प्रशासन केवल हादसे के बाद कार्रवाई करता है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और मलबे से लोगों को निकालने का प्रयास जारी है।

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