अपराध
महाराष्ट्र में 2021-22 में जानवरों के हमले में 86 लोगों की मौत
ऐसे समय में जब पूरे देश का ध्यान मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान पर केंद्रित है, जहां नामीबिया से आठ चीते लाए गए हैं, नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में जानवरों के हमलों के कारण इंसानों के हताहतों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ी है। आंकड़ों का हवाला देते हुए, महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुगंतीवार ने बताया कि 2019-20 में जंगली जानवरों के हमलों में कम से कम 47 लोगों की जान चली गई, 2020-21 में 80 लोग मारे गए, और 2021-22 में 86 लोगों की मौत हो गई।
राज्य में मानव-पशु संघर्ष की घटनाओं पर बोलते हुए, महाराष्ट्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सुनील लिमये ने कहा कि यह इतना अच्छा नहीं है, लेकिन इतना बुरा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बात इंसानों के समझने के लिए है, जानवरों के लिए नहीं।
अभयारण्यों से सटे इलाकों में स्पष्ट निर्देश के बावजूद मनुष्य लगातार वन्यजीव क्षेत्रों में प्रवेश या अतिक्रमण करते हैं। इंसान वन्यजीवों से अधिक से अधिक जगह हथिया रहे हैं, और जंगली जानवरों को अपने गलियारों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देते। या जब वे देखे जाते हैं तो उनका पीछा भी करते हैं, जिसके चलते संघर्ष होता है, लिमये ने कहा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने लोगों को जंगलों में भटकने से आगाह करने के लिए प्रतिक्रिया दल तैनात किए हैं, खासकर जब वन्यजीव बाहर निकलते हैं, यहां तक कि इस तरह की त्रासदियों के मामले में रैपिड रेस्क्यू टीमें भी इंसानों और जानवरों दोनों को बचाती हैं।
वन्यजीव संरक्षणवादी और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के सचिव किशोर रिठे ने कहा कि फिर भी, महाराष्ट्र में मानव-पशु संघर्ष काफी व्यापरक है।
रिठे ने समझाया, यहां लोगों को बाघ, भालू, तेंदुए, जंगली सूअर से सबसे अधिक हमलों का सामना करना पड़ता है, मुख्य रूप से इंसानों के उनके इलाके में प्रवेश करने या भोजन के लिए अपने इलाकों से बाहर घूमने वाले जानवरों के कारण।
रीठे ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र, पड़ोसी कर्नाटक और ओडिशा से बढ़ते हाथियों के खतरे से चिंतित है। हाथी उपजाऊ कृषि भूमि और फसलों पर कहर बरपा रहे हैं।
हाथी अब खास कर कोंकण में हैं और विदर्भ के जंगलों के कुछ हिस्सों में ‘प्रवासी’ हैं, साल में तीन-चार महीने यहां बिताते हैं, जिससे इंसानों और अन्य जंगली जीवों के लिए जटिलताएं बढ़ जाती हैं, रीठे ने कहा।
लिमये और रिथे दोनों ने मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए एक चौतरफा रणनीति का आह्वान किया, जिसमें इंसान संघर्षों से बचने के लिए जानवरों की जरूरतों को समझे और उसके हिसाब से प्रतिक्रिया दे।
महाराष्ट्र ने अब तक राज्य भर में 52 वन्यजीव अभयारण्य / रिजर्व घोषित किए हैं, और जल्द ही सात और जुड़ने वाले हैं।
मुनगंटीवार ने कहा कि इससे 13,000 वर्ग किमी तक का इलाका संरक्षित क्षेत्रों में आ जाएगा — विशेष रूप से राष्ट्रीय उद्यानों / अभयारण्यों / रिजर्व या उन्हें जोड़ने वाले ‘जंगल कॉरिडोर’ से सटे इलाकों में।
इसके अलावा पिछले महीने एक स्वागत योग्य कदम में, राज्य सरकार ने वन्यजीवों के हमलों से इंसानों और मवेशियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने का ऐलान किया है।
अपराध
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट पर खेद जताया, आतंकी संबंध की अटकलों को किया खारिज

श्रीनगर, 15 नवंबर: जम्मू-कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात ने शनिवार को नौगाम पुलिस स्टेशन के अंदर हुई विस्फोट की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही, इस मामले में उन्होंने किसी भी तरह के ‘आतंकवादी संबंध’ को खारिज करते हुए कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारणों के बारे में अन्य धारणाएं केवल ‘अनावश्यक अटकलें’ हैं।
डीजीपी ने पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि फरीदाबाद से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री नौगाम पुलिस स्टेशन लाई गई और खुले स्थान पर सुरक्षित रूप से रखी गई। बरामदगी की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण, पिछले दो दिनों से विस्फोटक सामग्री के नमूने लेने की प्रक्रिया चल रही थी, ताकि नमूनों को आगे की फोरेंसिक और रासायनिक जांच के लिए भेजा जा सके।
उन्होंने कहा कि विस्फोटक सामग्री की अस्थिर और संवेदनशील प्रकृति के कारण, इसे अत्यधिक सावधानी से संभाला जा रहा था। दुर्भाग्य से शुक्रवार रात लगभग 11.20 बजे, जब्त की गई सामग्री में आकस्मिक विस्फोट हो गया।
डीजीपी ने कहा कि घटना के कारणों के बारे में और कोई अटकलें लगाना अनावश्यक है। इस घटना में 9 लोगों की जान चली गई है। विशेष जांच एजेंसी के एक कर्मचारी, दो राजस्व अधिकारी, एफएलएस टीम के तीन कर्मचारी, अपराध शाखा के दो फोटोग्राफर और एक दर्जी की जान चली गई है। साथ ही, पुलिस स्टेशन की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और आस-पास की इमारतें भी प्रभावित हुईं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। पुलिस मृतकों के परिवारों के साथ पूरी तरह खड़ी है।
इस विस्फोट में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए बादामी बाग इलाके में स्थित सेना के बेस अस्पताल और शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईसीसी) सौरा में भर्ती कराया गया है।
इससे पहले शनिवार सुबह डीजीपी नलिन प्रभात वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ नौगाम पुलिस स्टेशन गए और स्थिति का मौके पर जाकर जायजा लिया।
नौगाम पुलिस स्टेशन के अंदर हुआ विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आसपास की इमारतों के शीशे टूट गए और विस्फोट की आवाज़ नौगाम इलाके से 5-10 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। भीषण विस्फोट के कारण पुलिस स्टेशन के अंदर खड़े कई वाहनों में आग लग गई और आग बुझाने के लिए दमकल गाड़ियों को लगाया गया।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर फरीदाबाद में सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए 2900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया था। इस मामले में डॉ. आदिल राथर और डॉ. मुजम्मिल गनई को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि तीसरा आतंकी साथी, डॉ. उमर नबी गिरफ्तारी से बच निकला। बाद में लाल किले के पास एक कार विस्फोट में उसकी मौत हो गई, जिसमें 10 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
लखनऊ की एक महिला डॉक्टर शाहीन शाहिद को भी उनकी कार से एक असॉल्ट राइफल बरामद होने के बाद गिरफ्तार किया गया। जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के दो ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की गिरफ्तारी से आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ।
अपराध
दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद असम में बड़ा एक्शन, 15 लोग गिरफ्तार

CRIME
नई दिल्ली/गुवाहाटी, 13 नवंबर: दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण विस्फोट के बाद असम में बड़ा एक्शन हुआ है। पिछले कुछ घंटों में असम पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ और आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि दिल्ली विस्फोटों के बाद आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के सिलसिले में अब तक पूरे राज्य में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि बुधवार को 6 गिरफ्तारियां की गई थीं। इसके बाद रातभर चलाए गए अभियान के दौरान 9 और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
रात में गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान बोंगाईगांव के रहने वाले रफीजुल अली, हैलाकांडी निवासी फोरिद उद्दीन लस्कर, लखीमपुर के इनामुल इस्लाम और फिरुज अहमद उर्फ पोपन, बारपेटा निवासी शाहिल शोमन सिकदर और रकीबुल सुल्तान, होजाई के नसीम अकरम, कामरूप के तस्लीम अहमद और दक्षिण सलमारा के अब्दुर रोहिम उर्फ बप्पी हुसैन के रूप में हुई।
इससे पहले, असम पुलिस ने दरांग के मतिउर रहमान, गोलपाड़ा के हसम अली, चिरांग के अब्दुल लतीफ, कामरूप के वझुल कमाल और बोंगाईगांव के नूर अमीन अहमद को गिरफ्तार किया था। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने दिल्ली धमाके के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भड़काऊ और आपत्तिजनक पोस्ट किए।
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने साफ कहा कि असम पुलिस हिंसा का महिमामंडन करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि असम पुलिस सोशल मीडिया का दुरुपयोग करके नफरत फैलाने या आतंकवाद का महिमामंडन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ तेजी और सख्ती से कार्रवाई जारी रखेगी।
मंगलवार को एक बयान में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि दिल्ली बम विस्फोट की खबर जब सोशल मीडिया पर आई, तो एक विशेष समुदाय के कुछ लोग इस पर मजाक बनाने लगे और ‘हा, हा’ इमोजी डालने लगे। ये लोग आतंकी समर्थक हैं और हमारी पुलिस इन्हें हर हाल में पकड़ने में जुटी है।
अपराध
महाराष्ट्र : मुंबई रेलवे पुलिस ने अवैध धरना को लेकर सीएसएमटी के दो कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया

मुंबई, 13 नवंबर: मुंबई रेलवे पुलिस ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर 6 नवंबर को हुए अवैध विरोध प्रदर्शन का संज्ञान लेते हुए सख्त कार्रवाई की है। सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ (सीआरएमएस) के दो कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
रेलवे पुलिस ने एस.के. दुबे और विवेक सिसोदिया के खिलाफ सीएसएमटी रेलवे पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है। यह प्रदर्शन मुंब्रा स्टेशन पर हुई दुर्घटना में मारे गए पांच लोगों के मामले में दो इंजीनियरों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने की मांग को लेकर किया गया था।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “बिना पूर्व अनुमति के सीएसएमटी परिसर में धरना देना गैरकानूनी है। इससे रेलवे परिचालन बाधित हुआ और यात्री परेशान हुए। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 189(2), 190, 127(2), 221, 223 तथा महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 37(1), 135 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आईपीसी की धारा 163 के तहत लागू निषेधाज्ञा का भी उल्लंघन हुआ।”
घटना की शुरुआत शाम 4 बजे हुई, जब सीआरएमएस अध्यक्ष प्रवीण वाजपेयी के नेतृत्व में 100-200 रेल कर्मचारी मिलन हॉल में एकत्र हुए। इसके बाद वे शांतिपूर्वक डीआरएम कार्यालय की ओर मार्च करने लगे। आधिकारिक प्रदर्शन समाप्त होने के बाद शाम 5:30 बजे अचानक एस.के. दुबे और विवेक सिसोदिया के नेतृत्व में 30-40 कर्मचारी मोटरमैन लॉबी में घुस गए। उन्होंने लोहे की बेंचों से मोटरमैन, गार्ड और स्टेशन मैनेजर कार्यालय का प्रवेश द्वार अवरुद्ध कर दिया। इससे कर्मचारी अंदर फंस गए और शाम 5:41 बजे से लोकल ट्रेन सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं।
इसके बाद प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो गई और अफरा-तफरी मच गई। करीब एक घंटे तक परिचालन बाधित रहा। डीआरएम के आश्वासन के बाद शाम 6:38 बजे धरना समाप्त हुआ और सेवाएं धीरे-धीरे बहाल हुईं।
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली गई थी, जो रेलवे पुलिस आयुक्तालय के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि आंदोलन को उकसाने और समर्थन देने वाले अन्य लोग कौन हैं। दोनों आरोपियों को जल्द पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
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