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Wednesday,05-November-2025
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तुर्की में आए भूकंप में 55 लोग घायल

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injured in earthquake

पश्चिमी तुर्की में बुधवार को डुजसे शहर के पास रिक्टर पैमाने पर 5.9 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें कम से कम 55 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने इस घटना की जानकारी दी है।

राष्ट्रीय आपदा और आपातकालीन प्रबंधन प्राधिकरण (एएफएडी) के अनुसार, भूकंप का केंद्र गोल्याका जिले में था और यह तड़के 4.08 बजे आया।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने तुर्की के चैनल एनटीवी से गृह मंत्री सुलेमान सोयलू के हवाले से कहा कि, घायलों का ड्यूज और आस-पास के क्षेत्रों के अस्पतालों में इलाज किया गया।

सोयलू ने संवाददाताओं से कहा कि, इमारतों को भारी नुकसान की कोई खबर नहीं है और क्षेत्र में बिजली को नियंत्रित तरीके से काट दिया गया और फिर कुछ इलाकों में बहाल कर दिया गया।

शक्तिशाली भूकंप, जो 6.81 किमी की गहराई में आया, इस्तांबुल के साथ-साथ राजधानी अंकारा में भी महसूस किया गया। डजस इस्तांबुल से लगभग 210 किमी और अंकारा से लगभग 236 किमी दूर स्थित है। एएफएडी ने कहा कि, भूकंप के बाद कुल 18 झटके महसूस किए गए।

स्थानीय मीडिया फुटेज में लोगों को घबराहट में इमारतों से बाहर निकलते और सड़कों पर कंबल ओढ़े इंतजार करते देखा जा सकता है। ड्यूज के गवर्नर केवडेट अटे ने एक दिन के लिए स्कूलों को बंद करने की घोषणा की है।

1999 में, ड्यूज 7.2 तीव्रता के भूकंप से प्रभावित हुआ था, जो 30 सेकंड तक चला, जिसमें 845 लोग मारे गए और लगभग 5,000 अन्य घायल हो गए।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

गनपाउडर प्लॉट: जब तहखाने से बरामद हुआ ‘बारूद’ और हुआ एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश

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नई दिल्ली, 4 नवंबर: ‘गनपाउडर प्लॉट’ ब्रिटेन के इतिहास का ऐसा अध्याय है जो अगर सफल होता तो संसद धूल में मिल गई होती। ये घटना 1605 की है। 5 नवंबर की सुबह लंदन की सर्द हवा में एक साजिश की बू थी। ब्रिटिश संसद के तहखाने से अचानक 36 बैरल बारूद बरामद हुए और उसी के साथ ब्रिटेन के इतिहास की दिशा बदल गई। यह था गनपाउडर प्लॉट, यानी “बारूद की साजिश”-एक ऐसा प्रयास जिसने इंग्लैंड के राजा, सरकार और कैथोलिक धर्म के संबंधों को हमेशा के लिए बदल दिया।

यह षड्यंत्र किंग जेम्स प्रथम के खिलाफ रची गई थी। उस दौर में इंग्लैंड में कैथोलिक्स पर अत्याचार हो रहे थे और देश पर प्रोटेस्टेंट शासन था। कई कैथोलिक गुट यह मानते थे कि अगर संसद को उड़ा दिया जाए और राजा की हत्या हो जाए, तो देश में दोबारा उनका शासन लौट सकता है। इस योजना का नेतृत्व रॉबर्ट केट्सबी ने किया था, जबकि जिस नाम ने इतिहास में जगह बनाई वह था ‘गाइ फॉक्स’ , जो बारूदों की रखवाली करने वाला सैनिक था।

4 नवंबर की रात, फॉक्स संसद के नीचे स्थित तहखाने में तैयारियों में लगा था। लेकिन गुप्त सूचना मिलने पर वहां छापा पड़ा और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने साथियों के नाम बताए, और जल्द ही पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। अगर यह साजिश सफल होती, तो उस दिन इंग्लैंड की संसद, राजा और अभिजात वर्ग सब खत्म हो सकते थे।

फॉक्स और उसके साथियों को राजद्रोह के आरोप में मौत की सजा दी गई। लेकिन उनकी असफलता ने ब्रिटेन को एक प्रतीक दे दिया — हर 5 नवंबर को बोनफायर नाइट या गाई फॉक्स नाइट के रूप में मनाया जाता है, जब लोग आतिशबाजी करते हैं और “रिमेम्बर, रिमेम्बर द फिफ्थ ऑफ नवंबर…” की पंक्तियां गाते हैं। यह न केवल उस साजिश की याद है, बल्कि सत्ता, धर्म और विद्रोह के उस संघर्ष की भी याद दिलाती है जिसने इंग्लैंड के राजनीतिक इतिहास को आकार दिया।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

‘मै चाहूं तो तुरंत खत्म हो जाएगा हमास’, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायली पीएम को बताया प्रतिभाशाली व्यक्ति

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TRUMP

नई दिल्ली, 3 नवंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में हमास को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर वह चाहें तो हमास को तुरंत खत्म कर देंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की जमकर तारीफ भी की।

ट्रंप ने कहा कि अगर हमास ने अच्छा व्यवहार नहीं किया, तो उसे तुरंत खत्म किया जा सकता है। अगर मैं हमास को निशस्त्र करना चाहूंगा तो मैं यह तुरंत कर दूंगा। उन्हें खत्म कर दिया जाएगा। वे यह जानते हैं।

पीएम नेतन्याहू को लेकर उन्होंने कहा कि वह बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन पर पहले कभी दबाव नहीं डाला गया। मुझे नहीं लगता कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है। मैंने उन पर दबाव डाला।

ठीक एक दिन पहले अमेरिका ने एक वीडियो फुटेज जारी कर हमास पर आरोप लगाया था कि वे गाजा में आम लोगों की मदद के लिए जो सहायता भेजी जा रही है, उसे लूट रहे हैं। हालांकि हमास ने अमेरिका की ओर से लगाए गए इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था। हमास ने एक बयान जारी कर कहा कि गाजा में एक सहायता काफिले को लूटने के अमेरिकी आरोप झूठे हैं।

हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया ऑफिस ने कहा था, “अमेरिकी सेंट्रल कमांड के आरोप झूठे हैं। उनके पास सबूतों का अभाव है और ये एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका सेंट्रल कमांड (सीईएनटीसीओएम) द्वारा इस सप्ताह के अंत में एक ड्रोन वीडियो रिलीज किया गया, जिसमें शुक्रवार को दक्षिणी गाजा पट्टी में एक सहायता ट्रक को लूटते हुए संदिग्ध हमास कार्यकर्ताओं को दिखाया गया था।

सीईएनटीसीओएम ने एक बयान में कहा, “दक्षिणी इजरायल के किर्यत गत शहर में स्थित अमेरिकी नेतृत्व वाले नागरिक सैन्य समन्वय केंद्र (सीएमसीसी) ने उत्तरी खान यूनिस में गाजावासियों को आवश्यक सहायता पहुंचाने वाले एक सहायता ट्रक को लूटते हुए संदिग्ध हमास कार्यकर्ताओं को देखा।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

नाइजीरिया में क्यों मचा बवाल? ईसाइयों के ऊपर हिंसा के बाद ट्रंप ने दिया जांच का आदेश

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TRUMP

नई दिल्ली, 1 नवंबर: अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में इस समय अशांति फैली हुई है। हिंसा का आधार बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है। देश में फैली अशांति और हिंसा पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चिंता जताई है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, “नाइजीरिया में ईसाई धर्म का अस्तित्व खतरे में है। हजारों ईसाई मारे जा रहे हैं। इस सामूहिक नरसंहार के लिए कट्टरपंथी इस्लामवादी जिम्मेदार हैं। मैं नाइजीरिया को एक “विशेष चिंता का देश” घोषित कर रहा हूं।”

राष्ट्रपति ट्रंप ने लिखा, “जब ईसाइयों या ऐसे किसी भी समूह का नाइजीरिया की तरह कत्लेआम हो रहा है, तो कुछ तो करना ही होगा! मैं कांग्रेसी रिले मूर, अध्यक्ष टॉम कोल और सदन की विनियोग समिति के साथ मिलकर इस मामले की तुरंत जांच करने और मुझे रिपोर्ट करने का अनुरोध करता हूं। नाइजीरिया और कई अन्य देशों में इस तरह के अत्याचार होते देख अमेरिका चुप नहीं रह सकता। हम दुनिया भर में अपनी विशाल ईसाई आबादी को बचाने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम हैं!”

नाइजीरिया में हो रही इस धार्मिक हिंसा को लेकर पहले भी अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने चिंता जाहिर की है। बता दें, हिंसा का एक कारण इस्लामिक समूह बोको हरम और इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविन्स जैसे समूह भी हैं। ऐसे चरमपंथी इस्लामिक समूह ईसाइयों को निशाना बना रहे हैं।

अकॉर्ड की रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया में ईसाई धर्म के लोगों के खिलाफ इस तरह से हिंसा फैलाने का आधार धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है।

नाइजीरिया में ईसाई धर्म या इस्लाम धर्म के लोगों की तादाद ज्यादा है। 47 से 54 फीसदी लोग यहां इस्लाम को मानते हैं। उत्तरी हिस्से में मुसलमानों की आबादी ज्यादा है। इस हिस्से में गरीबी भी ज्यादा है। वहीं दक्षिण-पूर्वी इलाके में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। यहां लोगों की जीवनशैली भी काफी बेहतर है।

नाइजीरिया में दोनों धर्मों के बीच लंबे समय से संघर्ष जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि ईसाइयों के विरोध के बावजूद वहां उत्तरी राज्यों में इस्लामी शरिया कानून को माना जा रहा है। दोनों धार्मिक समूहों की आपसी लड़ाई अब हिंसक रूप ले चुकी है।

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